एक रूह की आत्मकथा - 16 Ranjana Jaiswal द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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एक रूह की आत्मकथा - 16

राजेश्वरी देवी कामिनी से जी- जान से ख़फ़ा थीं।कामिनी ने न केवल उनके बेटे को उनसे छीना था ,बल्कि उनकी प्रतिष्ठित खानदानी प्रतिष्ठा को मिट्टी में मिला दिया था।ऊपर से बेटे की अर्जित सम्पत्ति की इकलौती मालकिन बनी बैठी थी।वह कमा भी खूब रही थी पर इतना धन किस काम का!मजे तो उसका आशिक समर उड़ा रहा था।अगर वह इसी तरह धन उड़ाता रहा तो एक दिन कामिनी कंगाल हो जाएगी और फिर अपनी बेटी के साथ खानदानी सम्पत्ति पर अपना हक जमाने आ जाएगी।
उन्हें अपनी पोती अमृता से प्यार तो था,पर वे चाहती थीं कि वह अपनी माँ की सम्पत्ति की इकलौती वारिस बने। समर के प्रति कामिनी के पागलपन को देखकर उन्हें डर था कि समर के बच्चे भी उस सम्पत्ति के हिस्सेदार न बन जाएं। माना कि समर भी खानदानी रईस है।उसके पास भी सम्पत्ति की कमी नहीं ,पर अब वह कोई काम नहीं कर रहा।अपना पूरा समय कामिनी को दे रहा तो वह चाहेगा कि कामिनी की सम्पत्ति पर उसका भी हक़ हो।उन्होंने कई बार कामिनी को सचेत करने की कोशिश भी की है ,पर वह एक कान से बातें सुनती है दूसरी से उड़ा देती है।कभी -कभी उनके जी में आता है कि कामिनी की हत्या करा दे ताकि अभी जो बचा है,वो तो बच जाए।पता नहीं अब तक समर कितना कुछ अपने नाम कर चुका होगा।कामिनी के मरते ही सब कुछ अमृता के नाम हो जाएगा और अमृता तो उनके पास ही रहेगी आखिर वे उसके पिता की माँ हैं और यह उसका पुस्तैनी घर है।उन्हें कामिनी से कोई हमदर्दी नहीं ,उससे जरा- सा भी लगाव नहीं ।जब तक समर से उसके रिश्ते का खुलासा नहीं हुआ था,उन्हें उससे थोड़ी -सी सहानुभूति थी विशेषकर अमृता के गर्भ में आने के बाद।
अब वह चुड़ैल खुलेआम समर के साथ रहती है,वह भी बिना शादी किए।समर की दबंग पत्नी लीला भी उसका कुछ बिगाड़ नहीं पा रही है। समर कितना कमीना निकला।रौनक का कितना अच्छा दोस्त था।उसकी कामिनी पर पहले से ही बुरी नजर थी।कौन जाने रौनक के रहते भी दोनों अफ़ेयर चलाते रहे हों।रौनक को ये सब पता चल गया हो और वह मन ही मन घुलता चला गया हो।आज तक पता नहीं चला कि वह एकाएक क्यों बीमार रहने लगा?उसकी मौत भी तो संदिग्ध परिस्थितियों में हुई।
हो सकता है कामिनी का रौनक की बीमारी में कोई योगदान न हो,पर समर का तो जरूर हाथ रहा होगा। कमीना किसी भी तरह कामिनी को हासिल करना चाहता होगा।
राजेश्वरी जितना सोचती उतनी ही नई -नई शंकाएं उनके दिमाग में उपजतीं। उनका बड़ा बेटा अब विदेश में रहता है।कामिनी की एक बहन उसकी पत्नी है।उससे उनको कोई प्रॉब्लम नहीं है। वह खुद अपनी बहन के कारण शर्मिंदा रहती है।दूसरे नम्बर का बेटा रौनक था। तीसरा बेटा प्रथम पढ़ा -लिखा तो है पर किसी नौकरी में टिक नहीं पाता ।दरअसल वह कामचोर है और कुछ बुरी आदतों का शिकार भी।उसे नशे की भी लत है।फिर भी वह उनका बेटा है उसके भविष्य को लेकर वे चिंतित रहती हैं।अभी उसकी शादी नहीं हुई है।जाने क्यों वह शादी के लिए राजी ही नहीं होता।कोई लड़की उसे पसंद नहीं आती।एक लड़के से उसकी बहुत गहरी दोस्ती है।कभी वह लड़का मेरे घर में पड़ा रहता है कभी यह उसके घर में ।दोनों रात को एक ही कमरे में रहते हैं ।राजेश्वरी देवी को इसमें कुछ भी अन्यथा नहीं लगता।हमारे समाज में लड़के -लड़की के रिश्ते को लेकर शक- सुबहा की गुंजाइश होती है,लड़कों का साथ तो स्वाभाविक माना जाता है।
रामेश्वरी देवी चाहती हैं कि किसी भी तरह कामिनी उनके इस बेटे को अपने पास रख ले ।इससे उन्हें दो फायदे होंगे।एक तो समर से पीछा छूट जाएगा ,दूसरा कामिनी की सम्पत्ति परिवार के हिस्से आएगी।आखिर कामिनी इतनी दौलत का करेगी क्या?बेटी तो ब्याह कर अपने घर चली जाएगी।कोई दूसरा वारिस तो है नहीं।
पर कामिनी हर बार उनकी बात टाल देती है।वह प्रथम को पसंद नहीं करती।उसकी बुरी आदतों के सम्बंध में भी जानती है। साथ ही उसे प्रथम विषयक एक राज का भी पता है,जो कोई नहीं जानता।उस राज के सम्बंध में समर ने ही उसे बताया था।
प्रथम 'बाईसेक्सुअल' था।जब किसी आदमी या औरत को आदमी और औरत दोनों से ही प्यार होता है तो उन्हें 'बाईसेक्सुअल' बोला जाता है। ये जरुरी नहीं है कि सिर्फ एक आदमी ही बाईसेक्सुअल हो सकता है । एक औरत ही बाईसेक्सुअल हो सकती है।एक आदमी और एक औरत दोनों ही 'बाईसेक्सुअल' हो सकते है।
प्रथम के बाइसेक्सुअल होने से कामिनी और समर को कोई परेशानी नहीं थी।वे ये मानते थे कि सबकी अपनी व्यक्तिगत रूचि होती है ।गे,लेस्बियन,ट्रांसजेंडर जैसे शब्द आज के समय में उतने नए या उपेक्षित रह भी नहीं गए हैं।समाज अब ऐसे लोगों से पहले की तरह घृणा नहीं करता।अब ये लोग खुद को छुपाते भी नहीं हैं।विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे लोग काम कर रहे हैं और अपने क्षेत्र में मशहूर हैं।फैशन,ग्लैमर,फ़िल्म ही नहीं अन्य क्षेत्रों में भी वे अच्छा काम कर रहे हैं।
कामिनी के साथ काम करने वालों में भी कई 'ट्रांसजेंडर' और 'गे' हैं पर इससे उसे कभी फ़र्क नहीं पड़ा।सभी लोग उनसे अन्य लोगों के समान ही व्यवहार करते हैं । वे लोग भी खुद को दूसरों से अलग नहीं समझते।हालांकि ये भी सच है कि सफलता तक पहुँचने के लिएउन्होंने बहुत संघर्ष किया है।बहुत उपेक्षा झेली है और अब भी झेलते हैं।कहीं -कहीं तो उन्हें सामान्य मनुष्य भी नहीं समझा जाता।अच्छी बात ये है कि फैशन और फ़िल्म इंडस्ट्री में उनसे भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं किया जाता।
कामिनी ने प्रथम को कभी ये जानने नहीं दिया कि वह उसकी कमियों को जानती है।वह उससे नार्मल व्यवहार ही करती है।उसे शिकायत है तो बस यह कि वह उसको अजीब नजरों से देखता है।उसकी नजरों में वह खुद के लिए सम्मान नहीं पाती।दूसरी बात यह कि वह उसकी सम्पत्ति को हथियाना चाहता है ताकि बिना हाथ- पैर हिलाए ऐशो- आराम की जिंदगी जीए।वह हमेशा उससे पैसे मांगता रहता है।न देने पर उसे देख लेने की धमकी देता है।
ये सब बातें वह न तो समर को बताती है और न ही रामेश्वरी देवी को।वह नहीं चाहती कि किसी विवाद का अवसर आए।
अब वह कैसे ऐसे व्यक्ति के हाथों में अपने जीवन की बागडोर सौंप दे !'आ बैल मुझे मार' जैसी गलती वह नहीं करना चाहती।प्रथम रौनक का भाई और उसका नजदीकी रिश्तेदार है तो क्या,अच्छा इंसान तो नहीं।