एक रूह की आत्मकथा - 10 Ranjana Jaiswal द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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एक रूह की आत्मकथा - 10

'चोर की दाढ़ी में तिनका' यानी दोषी सशंकित रहता है।
घर वापसी पर यह मुहावरा समर पर लागू हो गया था। उस दिन उसकी पत्नी लीला उसकी आशा के विपरीत घर में मौजूद थी।
उसने उसे देखते ही कहा--तो घूम -घुमाकर वापस आ गए।
समर चौंक गया--क्या कह रही हो?
'अच्छा,समझ नहीं पाए क्या?'जहरीली हँसी के साथ लीला ने कहा।
-क्या नहीं समझ पाए?
समर जान-बूझकर अनजान बन रहा था।उसे पता था कि लीला के किसी जासूस ने गोवा में कामिनी के साथ उसके वक्त बिताने की बात बता दी है।
'अपनी चहेती के साथ गोवा में क्या कर रहे थे?'
-हम शूटिंग के लिए गए थे।अपना काम कर रहे थे।
'अच्छा,रात को होटल के एक ही कमरे में कौन सी शूटिंग हो रही थी?'
-तुम्हें इससे क्या मतलब?मैं तुमसे पूछता हूँ कि किस -किसके साथ और कहां -कहाँ घूमती हो?
'तो पूछते क्यों नहीं?पूछना चाहिए न!'
-अच्छा,पूछकर अपना ही तमाशा बनवाना है क्या?
ऐसा है कि तुम्हें जो अच्छा लगता है वह तुम करती हो और मुझे जो अच्छा लगेगा,वह मैं करूँगा।कोई किसी की जिंदगी में दखल नहीं देगा।
'तो उस विधवा के साथ शादी क्यों नहीं कर लेते?'
-कर लूंगा पहले तुम मुझे तलाक तो दो।
'यानी इरादा है!'
-जब तुम यूँ ही कहोगी तो इरादा बन ही जाएगा।मेरा रास्ता छोड़ो।मैं आराम करना चाहता हूँ।
लीला को एक हाथ से किनारे करता हुआ समर अपने कमरे की तरफ बढ़ गया।लीला गुस्से में चीखती -चिल्लाती रह गई।
थोड़ी देर बाद वह तैयार होकर क्लब की तरफ निकल गई।आज उसने खूब शराब पी।उसकी दोस्त रेहाना उसे रोकती रही ,पर वह नहीं मानी।रेहाना किसी तरह उसे अपने घर ले आई।अपने घर जाने के लिए लीला तैयार ही नहीं थी।
लीला को समर की उपेक्षा उसे खल गई थी।अब तक उसने ही समर को इग्नोर किया था।
-क्या हुआ है लीला?
रेहाना उससे पूछ रही थी।रेहाना एक विदेशी कम्पनी में काम करती थी और अकेली ही रहती थी।उसके बारे में तमाम कहानियां थीं।लीला से उसकी दोस्ती एक क्लब में हुई थी।
'वह समर... वह रास्कल...मुझे इग्नोर करता है।वह दो कौड़ी का आदमी अपने- आप को न जाने क्या समझता है?जानती हो ,वह उस छिनाल कामिनी के साथ रंगरेलियां मनाकर लौटा है और पूछने पर उल्टा जवाब देता है।'
-तो उसकी परवाह क्यों करती हो?तुम्हारे पास भी तो कई मर्द दोस्त हैं जिनके साथ तुम घूमती -फिरती हो।
'मेरी बात और है ...!'
-क्यों ?तुम्हारी बात अलग क्यों है?
'मैं अपनी हद नहीं भूलती।फिर
मुझे इस रास्ते पर लाने वाला वही तो है।पहले मैं ऐसी नहीं थी।उसके कारण ही मैं शराब पीने लगी और धीरे -धीरे नशे की आदी हो गई।अपना ग़म भूलने के लिए क्लब जाती हूँ। जुआ खेलती हूँ।अगर वह मुझसे प्यार करता,मेरे साथ समय बिताता तो मैं क्यों भटकती?मैं सिर्फ कहने को उसकी बीबी हूँ ।उसके बच्चों की माँ हूँ।वर्षों से उसने मुझे छुआ तक नहीं है।हम एक कमरे में रहते हुए भी एक -दूसरे से कोसों दूर रहते हैं।बच्चे न होते तो हम कब के अलग हो गए होते।'लीला फूट -फूटकर रो पड़ी।
शराब की अधिकता ने उसके दिल का सारा गुबार बाहर ला दिया था।
-तुम दोनों में इतनी दूरी क्यों हुई?
'दूसरी औरतों में उसकी दिलचस्पी ने हमारे रिश्ते में ज़हर घोल दिया।'
-कहीं इसके पीछे सिर्फ तुम्हारा शक तो नहीं था?अक्सर ऐसा देखा गया है।
'नहीं,समर रसिक स्वभाव का आदमी है।सुंदर औरतें उसकी कमजोरी हैं।मेरी सुंदरता पर रीझकर उसने मुझसे शादी कर ली थी पर दो बच्चों की माँ बनते ही वह मुझसे कटने लगा।काम के बहाने ज्यादा से ज्यादा समय बाहर बिताने लगा। उसके बारे में मुझे खबर मिलती रहती थी।मेरे मना करने पर वह मुझे ज़लील करता था। समय के साथ मैं भी बदलती गई।एक सीधी -सादी स्त्री से एक्स्ट्रा मॉर्डन स्त्री बन गई।फिर तो वह मुझे ही बदनाम करके खुद को बेचारा,सताया हुआ पति बताने लगा और अपनी इस छवि आड़ में दूसरी औरतों का शिकार करने लगा।'
-उन्हें देखकर तो ऐसा नहीं लगता।बेहद ही सभ्य और सुसंस्कृत व्यक्ति लगते हैं।तुम्हारे घर कई बार तो उनसे मुलाकात हुई है।
'तो क्या मैं गलत कह रही हूँ?तू भी उसी का गुणगान करने लगी।मुझे तुम्हारे घर नहीं रहना।मुझे मेरे घर पहुंचा दो।'
-सुबह चली जाना।मैं समर को फोन कर देती हूँ कि तुम मेरे पास हो।
'उसे फोन क्यों करना....क्यों करना फोन उसे?उसने मुझे फोन किया था कि वह उस रं....के साथ.....छुट्टियां मना रहा है।बोलो......।'
कहते हुए लीला रेहाना के ड्राइंग रूम के सोफे पर ही लुढ़क गई।रेहाना ने समर को फोन किया कि लीला उसके घर है।वापसी की हालत में होते ही उसे पहुँचा देगी।
समर के लिए यह कोई नई बात नहीं थी।कई बार तो खुद उसे ही लीला को क्लब से वापस लाना पड़ता था।
लीला समर के गले में फांस की तरह थी।वह उससे मुक्त तो होना चाहता था,पर हो नहीं पा रहा था।वह उस दिन को कोसता था,जब उसे लीला से प्यार हुआ था।
लीला गज़ब की सुंदरी थी ।नितंब तक लहराते घने काले बाल,सुराहीदार गर्दन, हिरणी -सी आंखें,तराशे हुए होंठ और तीखी नासिका।सिर से पैर तक जैसे संगमरमर की कोई मूरत।अपने कॉलेज में ही उसने उसे पहली बार देखा था और देखता रह गया था। उन दिनों वह बी. ए. सेकेंड ईयर में था और वह फर्स्ट ईयर में।कॉलेज के एक नाटक 'विश्वामित्र' में दोनों ने साथ ही भागीदारी निभाई थी ।वह विश्वामित्र बना था और वह मेनका।नाटक में मेनका विश्वामित्र का तप भंग करती है और वास्तविकता में लीला ने उसका जीवन बदल दिया।उनके अभिनय की बहुत तारीफ़ हुई।वह तो मंजा हुआ अभिनेता था पर लीला सिर्फ अपनी सुंदरता के कारण छा गई थी।नाटक के बाद दोनों का मिलना -जुलना शुरू हो गया था।वह उसे हर रोज और भी ज्यादा ख़ूबसूरत दिखाई देती।
कॉलेज खत्म होते ही दोनों ने विवाह का फैसला कर लिया।हालांकि अभी उसे अपना कैरियर बनाना था और उसकी उम्र भी ज्यादा नहीं थी।दोनों के घरवालों ने मना किया कि कुछ वर्ष बाद विवाह कर लेना पर दोनों एक -दूसरे के बिना रहने को तैयार ही नहीं थे।
उसे ग्लैमर की दुनिया में ही कैरियर बनाना था और वह इसके लिए प्रयास कर रहा था।जल्द ही उसे काम मिलने लगा।ज्यों ही उसका पहला विज्ञापन पूरा हुआ ।दोनों ने विवाह कर लिया।दोनों बहुत खुश थे।उसका कैरियर भी ऊंचाई पर पहुंचने लगा था।
दो बच्चों के जन्म तक कोई परेशानी नहीं हुई पर ज्यों- ज्यों उसका काम ,उसकी व्यस्तता बढ़ती गई लीला शंकालु होती गई।उसे कोई मनोरोग हो गया था।उसने उसे कई बार डॉक्टर को दिखाया पर वह कोई दवा लेती ही नहीं थी।उसका मानना था कि वह पूरी तरह ठीक है।वही उसे पागल बनाना चाहता है।वह उससे झगड़ती,उस पर शक करती।बच्चों पर इस झगड़े का बुरा असर न हो,इसलिए उसने बच्चों को देहरादून के एक बहुत ही महंगे बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया था।कभी- कभार ही वे घर आ पाते थे।अब घर उसे काटने को दौड़ता था।लीला का तो और भी बुरा हाल था।