एक रूह की आत्मकथा - 27 Ranjana Jaiswal द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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एक रूह की आत्मकथा - 27

सी बी आई मेरी हत्या के मामले की बारीकी से जांच कर रही है।वह पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं है।पुलिस ने मेरे रिश्तेदारों से पूछताछ करने के बाद समर को हत्यारा मान लिया था।समर को गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया गया था।लीला रोती- बिलखती अपने बेटे अमन के साथ जेल पहुँची थी।वह यह मानने को तैयार ही नहीं थी कि समर हत्यारा हो सकता है।वह समर के जमानत के लिए सारे प्रयास कर रही थी।रेहाना भी अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी कि समर की जमानत हो जाए।
हत्या कुबूलवाने के प्रयास में पुलिस समर पर थर्ड डिग्री का प्रयोग भी कर रही थी।समर अब पहचाना ही नहीं जा रहा था।
समर मेरी हत्या से इतना दुःखी था कि उसने चुप्पी साध ली थी।उसने अपनी सफाई में कुछ नहीं कहा था। वह खुद ही मर जाना चाहता था।वह मुझसे इतना प्यार करता था कि मेरे बिना जीना उसे मुश्किल लग रहा था।मैं उसे इस हालत में देखकर बहुत दुःखी थी।मैं उसके ही इर्द -गिर्द मंडरा रही थी।जी चाहता था कि उसको अपने सीने से लगा लूँ और उसका माथा चूमकर कहूँ कि मैं जानती हूँ कि तुमने मुझे नहीं मारा।तुम मुझे मार ही नहीं सकते थे।तुम मुझे इतना ज्यादा प्यार जो करते थे।
तुम्हारी गलती बस इतनी थी कि तुमने किसी और पर भी भरोसा कर लिया था।तुम्हारे साथ विश्वासघात हुआ।तुम्हारे ही किसी अपने ने तुम्हारा सब कुछ छीन लिया।तुम्हारी जिंदगी तबाह कर दिया।हम दोनों को अलग कर दिया,जो जीते- जी असम्भव था।
मुझे याद है कि उस दिन हम कितने खुश थे।हमारा होटल नवरंग में कुछ दिन रूकने का इरादा था।दिन -भर मै शूटिंग में व्यस्त रहती थी और रात -भर समर के प्यार में।अक्सर रात को हम किसी क्लब में चले जाते और खूब मज़े करते।समर के साथ मैं भी थोड़ी मात्रा में नशा कर लेती थी पर उस दिन कुछ ज्यादा ही नशा कर लिया।समर का बर्थडे था उस दिन।समर ने पार्टी दी थी।उसके कुछ दोस्त भी उस पार्टी में शामिल थे।समर का चचेरा भाई मयंक भी आया हुआ था।मयंक अमेरिका में रहता था।पेशे से वह डॉक्टर था।वह एक दिन पहले ही इंडिया आया था।एयरपोर्ट से उसने समर को फोन किया तो समर ने उसे गोआ आने को कहा।मयंक तुरत फ़्लाइट पकड़ कर गोआ आया और फिर मयंक ने उसे नवरंग होटल के हमारे बगल वाले कमरे में ठहरा दिया।मयंक समर का भाई ही नहीं,उसका राज़दार दोस्त भी था।वह हमारे रिश्ते के सम्बंध में जानता था और उसे इसमें एतराज़ करने की कोई वज़ह भी नहीं लगती थी।
मैं पहली बार मयंक से मिली थी।हालांकि अक्सर समर उसका जिक्र किया करता था।वह उससे बहुत प्रभावित था।
उस दिन हम तीनों साथ ही उस रिसोर्ट में गए थे,जहाँ रात को समर ने अपनी बर्थडे पार्टी का आयोजन किया था।
खाने- पीने ,नाचने -गाने ,पीने- पिलाने के बीच मैंने देखा था कि मयंक ने समर को एक छोटा -सा पालीथिन का पैकेट भेंट में दिया है और उसे कुछ कह रहा है।उस पैकेट में सफेद रंग का चूर्ण जैसा कुछ था।'होगा कुछ' मैंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया।वैसे भी डीजे इतना तेज था कि एक- दूसरे की बात सुनाई ही नहीं पड़ रही थी।
जब समर ने उस पुड़िया से एक चुटकी चूर्ण निकाली और अपने ड्रिंक्स में डाल दी,तब भी मैं नहीं जान पाई कि वह चूर्ण कोई खतरनाक ड्रग्स है। अपना ग्लास उठाए समर मेरे पास आया और फिर उसने वह ग्लास मेरे मुँह से लगा दी। मुझे समर पर कभी किसी बात के लिए भी संदेह नहीं होता था,इसलिए मैंने उस ग्लास का तरल सिप कर लिया। हम दोनों ने मिलकर ही उस ग्लास को खाली किया। मैं उसके पहले भी काफी पी चुकी थी।थोड़ी देर में मेरी पेट में मरोड़ आई और तबियत घबराने लगी।उस समय मैं समर के साथ डांस फ्लोर पर थी।समर की बाहें मेरी कमर से लिपटी हुई थीं और मेरी बाहें उसके गले में थीं और मेरा सिर उसके सीने पर रखा हुआ था।सुकून ही सुकून।अचानक तबियत खराब- सी लगने लगी।मैं डांस फ्लोर पर ही बैठ गई।समर भी घबराकर नीचे बैठ गया।
मैंने समर को अपनी तबियत के बारे में बताया तो वह मुझे अपनी बाहों में उठाकर रिसोर्ट के बाशरूम तक ले गया।मैंने खूब उल्टियाँ की।अब मैं सीधी खड़ी भी नहीं हो पा रही थी।मेरे टांगें काँप रही थीं । मैं वॉशरूम से निकली और समर से होटल वापस चलने को कहा।तब तक मयंक भी वहीं आ गया था।
-"भाई,क्या हो गया इनको?" वह मेरे काफी करीब आ गया था।
"लगता है ओवर डोज हो गया है।हमने गलती कर दी।ध्यान रखना चाहिए था।"
समर ने चिंतित स्वर में कहा।
"अरे, कुछ नहीं बस इनको आराम की जरूरत है।"
कहते हुए भी मयंक चिंतित दिखा।
"मैं इसको लेकर होटल जाता हूँ।तुम पार्टी सम्भाल लेना।"
समर ने मयंक से रिक्वेस्ट की।
"मैं कैसे?तूने पार्टी दी है और सब तुम्हारे दोस्त हैं।ऐसा करो कि तुम यहाँ संभालो।मैं इन्हें होटल पहुंचाकर आता हूँ।"
मयंक ने अपनी बात रखी।
"ठीक है।देखो मयंक होटल वालों के अपने रिजर्ब डॉक्टर होते हैं।जरूरत होगी तो उन्हें भी दिखा देना।"
समर परेशान दिख रहा था।
"मैं भी तो डॉक्टर हूँ।किसी दूसरे डॉक्टर की जरूरत नहीं पड़ेगी ।आराम करेंगी तो ठीक हो जाएंगी।"
मयंक ने समर को आश्वस्त करना चाहा।
"देख लेना और तुम वहीं रहना।मैं सबको विदाकर यहाँ से निकल आऊँगा।"
समर की जैसे जान ही निकली जा रही थी।ऐसी हालत में मुझे छोड़ना उसे अच्छा नहीं लग रहा था।
"ठीक है।"
मयंक ने सहमति में सिर हिलाया।समर ने मुझे गोद में उठाकर कार की सीट पर लिटा दिया था।मैं आधी बेहोशी की हालत में भी समर की बाहों की गरमाई को महसूस कर सुकून पा रही थी।जी चाह रहा था कि उन बाहों का तकिया लगाकर गहरी नींद सो जाऊँ।ऐसी नींद कि फिर न उठूँ।
मुझे नहीं पता था कि समर की बाहों की यह गरमाई आखिरी साबित होगी।मुझे नहीं पता था कि सच ही मैं आखिरी नींद सोने जा रही हूँ।मेरे और समर की प्रेम कहानी पूरी नहीं हो पाएगी।हमारी कहानी जिंदगी के मध्य में ही अधूरी ही खत्म होने वाली है।अब हम कभी नहीं मिलेंगे।इस धरती पर तो कभी नहीं।
मैं नहीं जानती थी कि मौत मेरे सिर पर तांडव रही है।शैतान अट्टहास कर रहा है। अपनी चेतना को समेटकर मैंने आँखें खोलनी चाही तो देखा कि कार मुझे तेज गति से उड़ाए लिए जा रही है और मेरी बगल में भयावह चेहरे वाला एक शैतान बैठा है।उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट है।