तेरा मेरा ये रिश्ता - 17 Saloni Agarwal द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरा मेरा ये रिश्ता - 17

अगले दिन,


सुबह का समय,


शालिनी कहती हैं, "मेरी जिद के आगे बुआ और फूफा जी झुक गए थे, फिर मैं अपना ज्यादा से ज्यादा समय अपने वंश भैया को देने लगी क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैं ज्यादा से ज्यादा समय अपने भैया को दूंगी तो उनकी जल्दी रिकवरी हो जायेगी और वो जल्द से जल्द ठीक हो जाएंगे !"


शालिनी आगे कहती हैं, "मेरी बुआ मुझे रोज समझाती थी पर मै किसी की सुनने को तैयार ही नहीं हो रही थी, अब मेरी बुआ और फूफा जी भी मेरे लिए परेशान रहने लग गए थे !"


शालिनी बोल रही होती हैं, "अब तो मै, इस तरह हो चुकी थी कि मुझे मेरे वंश भैया के पास कोई नर्स और डॉक्टर भी वारदाश नही होता था, मैं अपने वंश भैया के कमरे मे किसी को भी नही आने देती थी शिवाए घर वालो के।"


शालिनी आगे कहती हैं, "एक दिन की बात है कि एक कोमा स्पेशलिस्ट डॉक्टर का उस सिटी हॉस्पिटल मे आना हुआ तो मेरे फूफा जी और अभिषेक भैया ने, वंश भैया के चेकअप के लिए उन से appointment ले लिया, उस समय मैं अपने वंश भैया के पास बैठी हुई थी, जब वो लोग कमरे मे आए तब तक मैं वही सो चुकी थी।"


शालिनी अपनी बात पूरी करते हुए कहती हैं, "उन डॉक्टर के साथ उन के जूनियर डॉक्टर आए भी थे, जो मुझे देख कहने लग गए इन्हें बाहर ले कर जाए !"


शालिनी कहती हैं, "तब तक मेरी नींद खुल चुकी थी और मैने उन की बाते भी सुन ली थी पर फिर भी मै वहा से कही जाने को तैयार नही थी इसलिए बात को समझते हुए उन के सीनियर डॉक्टर ने मुझे वही रुकने दिया और मेरे सामने ही वंश भैया को चेक करने लग गए साथ मे उन डॉक्टर का वंश भैया को छूना भी मुझे वारदाश नही हो रहा था जिसे वो डॉक्टर भी समझ रहे थे !"


शालिनी कह ही रही होती हैं, "मैं उन डॉक्टर को बहुत बुरा भला कहती हू और उन के साथ बातामीजी करती हूं पर फिर वो डॉक्टर, मेरी बातामीज़ सह कर भी मुझे कुछ नही कहते है और वहा से बाहर निकल गए।"


उन को ऐसे बिना कुछ कह जाते हुए देख मेरे अभिषेक भैया मुझ पर चिल्लाते हुए कहते है, "ये सब बातामीजी करना जरूरी था क्या और ये डॉक्टर हमारे वंश को ठीक कर सकते थे तो फिर तुम ने ऐसा क्यू किया उन के साथ , बताओ मुझे ?"


शालिनी आगे कहती हैं, "अभिषेक भैया के ऐसे चिल्लाने से मै उस कमरे से रोते हुए बाहर निकल जाती हूं और रास्ते में उन्ही सीनियर डॉक्टर से टकरा जाती हूं जिस से वो डॉक्टर मुझे देखते ही समझ जाते है कि उन के जाने के बाद अभी कमरे मे क्या हुआ होगा ?"


शालिनी बता रही होती हैं, "मै, उस हॉस्पिटल के बालकनी में खड़ी होकर खूब रो रही ही थी कि अचानक से मेरे पीछे अभिषेक भैया आकर खड़े हो गए ।"


और मुझे अपने गले से लगाते हुए कहते है, "मुझे माफ कर दे बहन, मै भी जल्द से जल्द अपने भाई को ठीक करना चाहता हूं और शायद इसलिए ही मैंने तुझ पर गुस्सा कर दिया !"


शालिनी कहती हैं, "अभिषेक भैया की बात सुन मुझे समझ आ चुका था कि मेरे उस कमरे से जाने के बाद जरूर फूफा जी ने ही अभिषेक भैया को समझाया होगा क्योंकि फूफा जी स्वभाव के बहुत अच्छे है और उन्होंने कभी भी हम मे और अपने बच्चो मे कभी कोई भेदभाव नही रखा।"


फिर अभिषेक भैया को आयुष का कॉल आता है और फिर वो अपने ऑफिस के लिए निकल जाते है क्योंकि अब उन्हें अपनी कंपनी के साथ हमारी कंपनी भी संभालनी पढ़ रही थी इसलिए वो, मुझे वही छोड़ के वहा से निकल गए।


शालिनी कहती हैं, "अभिषेक भैया के जाने के बाद, मै देखती हु कि फूफा जी उन सीनियर डॉक्टर से माफी मांगना चाहते थे, पर उनके जूनियर डॉक्टर, फूफा जी को उन से मिलने नही देते।"


जिसे देख मुझे अपने आप पर ही बहुत गुस्सा आ रहा था कि मेरी वजह से फूफा जी को ये सब करना पड़ रहा था पर मुझे लगा कि अब कुछ नही कर सकती, क्योंकि वो सीनियर डॉक्टर उस दिन ही वापस जाने वाले थे इसलिए मै वापस वंश भैया के कमरे की तरफ जाने लगी।


पर मैंने देखा कि वही सीनियर डॉक्टर के साथ फूफा जी हॉस्पिटल के छत की जा रहे है तो मैं भी उन्ही के पीछे चली गई क्योंकि मुझे अपनी गलती का अहसास हो रहा था इसलिए मैंने सोचा था कि फूफा जी के जाने के बाद मै भी उन सीनियर डॉक्टर से माफी मांग लूंगी.....


पर उन सीनियर डॉक्टर की बात सुन लगा मानो इस दुनिया में भी अच्छे लोग होते हैं क्योंकि वो सीनियर डॉक्टर, फूफा जी के माफी मांगने पर उनसे कह रहे थे, "इस की कोई जरूरत नहीं है मिस्टर गौरव मित्तल !


और मै आप की बेटी की परिस्थिति को समझ रहा हूं कि वो अपने भैया को खोने के डर से ही परेशान हो रही है और शायद इसलिए ही वो ये सब कर रही है।"


वो सीनियर डॉक्टर अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहते है, "पर आप को उन के लिए कुछ सोचना पड़ेगा क्योंकि अगर ऐसा ही चलता रहा तो आप की बेटी अपनी जिन्दगी में कभी आगे नहीं बढ़ पाएगी !"


उन सीनियर डॉक्टर की बात सुन, फूफा जी ने उन से कहा, "जी मै आप की बात को समझ रहा हूं और मैं अपनी बेटी की जिंदगी बर्बाद नही होने दूंगा।"


फूफा जी की बात सुन, वो सीनियर डॉक्टर मुस्करा देते है और उन से कहते है, " मैं चलता हूं मेरी फ्लाइट का समय हो गया !"


उन सीनियर डॉक्टर की बात सुन, फूफा जी बस मुस्करा रह जाते और उन को हॉस्पिटल के बाहर तक खुद छोड़ने गए। फिर वो मुझे वंश भैया के पास छोड़ खुद मित्तल विला के लिए निकल गए और कुछ देर बाद मुझे कॉल करके कहते है, "शालिनी जल्दी से घर आ जाओ, मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है।"


शालिनी कहती हैं, "फूफा जी की बात सुन, हां मे जवाब देकर कॉल कट कर देती हु।"


मित्तल विला,


शालिनी कहती हैं, "जब मैं घर पहुंची तो वहा अभिषेक भैया, आयुष, बुआ जी, फूफा जी और छुटकी भी मौजूद थे।"


फिर मेरे जाते ही अभिषेक भैया ने मुझसे कहा, "शालिनी हम सब ने सोचा है कि अब तुझे आगे पढ़ना चाहिए और मामा जी का सपना पूरा करना चाहिए क्योंकि वो चाहते थे कि उन की बेटी MBA कर अपने ही बिजनेस को संभालने में मदद करे !"


पर मैंने कहा, "नही बुआ जी, मै अब और नही पढ़ना चाहती हू बस अपने वंश भैया के पास रहना चाहती हूं !"


मैने ये सब कहा ही था पर शायद सब को पता भी था कि मैं ये कहने वाली हूं इसलिए वो सब पहले ही तैयारी कर चुके थे, बस मुझे वहा जाने के लिए तैयार करना बाकी था।


पर मै भी कहां इतनी जल्दी मानने वालो में से थी, पर शायद इस बार मेरी कोई भी जिद या बहाना काम मे नही आने वाला था और बुआ जी ने मुझे कहा, "मेरा भाई चाहता था कि तुम MBA कर के उस का बिजनेस संभालो और अब जब तक वंश ठीक नही हो जाता तुम्हे ही तो अभिषेक के साथ अपनी कंपनी संभालनी होगी ना।"


बुआ जी की बात सुन, मैने उन से कहा, "जिंदल कम्पनी संभालने के लिए फूफा जी और अभिषेक भैया है ना, और उनसे अच्छा हमारी कंपनी को और कौन संभाल सकता है।"


मेरी बात सुन, बुआ जी को लगा जब घी सीधी उगली से नही निकल रहा तो अब उन्हें उंगली टेड़ी ही करनी पड़ेगी मतलब अब उन्होंने मुझे ब्लैक मेल करते हुए कहा, "मेरे भैया और भाभी के लिए न सही मगर तुम अपने वंश भैया की आखरी इच्छा तो पूरी कर ही सकती हो ना और तुम्हे याद ही होगा वो तुम्हे MBA करवाके अपने साथ ही बिजनेस में लगाने वाला था तो जब उस को होश आए तो तुम भी उस की मदद करने लायक हो जाओ !"


बुआ जी की बात सुन, मुझे याद आया कि कैसे भैया मुझे MBA की पढ़ाई बहुत कठिन होती हैं ये कह कर डराया करते थे क्योंकि मेरा मन पढ़ाई से ज्यादा और चीजों में लगता था पर पापा को काम करते देख मैने भी सोचा था कि MBA करके मै भी उनके बिजनेस में थोड़ा सा ही काम करके मगर अपने पापा की मदद करूंगी।


फिर क्या था मैंने, बुआ जी के सामने अपनी हार स्वीकार कर ली और आगे पढ़ने के लिए तैयार हो गई। फिर फूफा जी ने मेरी तसल्ली के लिए मुंबई के अच्छे से अच्छे कॉलेज में एडमिशन के लिए अप्लाई करना शुरु किया मगर एडमिशन नहीं हो सका। क्योंकि फूफा जी मेरा एडमिशन मुंबई में करवाना ही नही चाहते थे।


मेरी बुआ जी परेशान होकर, फूफा जी से कहती है, "क्या मेरी बच्ची का मुंबई में कही एडमिशन नहीं होगा ?"


बुआ जी की बात सुन, फूफा जी कहते है, "हां, क्योंकि मै उस को यहां पढ़ाना नही चाहता हूं !"


फूफा जी की बात सुन, बुआ जी हैरान होते हुए कहते है, "पर क्यू ?"


बुआ जी की बात सुन, फूफा जी कहते है, "क्योंकि अगर मेरी बच्ची यही रहेगी तो उस का ध्यान पढ़ाई पर कम और वंश पर ज्यादा रहेगा इसलिए मै उस को मुंबई से बाहर पढ़ाऊंगा, जहा वो कहे।"


फूफा जी की बात सुन, बुआ जी कहती हैं, "अच्छा ऐसी बात थी तो फिर आप ने मुंबई के कॉलेज में एडमिशन के लिए अप्लाई क्यो करवाया ?"


बुआ जी की बात सुन, फूफा जी कहते है, "क्योंकि शालिनी, बिलकुल अपने बाप पर गई है वो कभी भी नही मानती इसलिए मैने ये सब करा जिस से उस को तसल्ली हो जाए कि मुंबई के कॉलेज में एडमिशन बंद हो गए हैं और वो अपने बाप की तरह कोई जासूसी ना करे।"


फिर फूफा जी ने मुझसे पूछा, "अच्छा बताओ तुम्हे कौन से शहर मे पढ़ने जाना चाहती हो ?"


फूफा जी की बात सुन, मेरे मुंह से अचानक से ही निकल गया "राजस्थान" क्योंकि मै मुझे राजस्थान बहुत अच्छा लगता हैं वहा की संस्कृति से मै बहुत प्रभावित थी ये बात घर मे सब को अच्छे से पता थी क्योंकि जब भी कही घूमने की बात आती तो मैं हमेशा राजस्थान ही जाने की सलाह देती।


तो फिर अभिषेक भैया ने मेरे एडमिशन के लिए जयपुर के बेस्ट MBA कॉलेज में मेरा एडमिशन करवा दिया और साथ में फूफा जी ने मुझसे वादा लिया, "मैं बस कॉलेज में मिलने वाली छुट्टी मे ही घर वापस आ पाऊंगी और मुझे अपना सारा ध्यान पढ़ाई पर ही देना होगा !"


जयपुर में,


मैंने भी फूफा जी की बाते मान ली और फिर एक दिन में जयपुर के लिए रवाना हो गई, मै अकेले नहीं जा रही थी बल्कि मेरा पूरा परिवार मुझे जयपुर छोड़ने जा रहा था और बुआ जी और फूफा जी तो मेरे कॉलेज का सारा इंतजाम देखने जा रहे थे क्योंकि जयपुर के कॉलेज में सारी बात अभिषेक भैया ने ही थी।


और छुटकी तो राजस्थान घूमने के इरादे से जा रही है क्योंकि पिछले एक साल से हम लोग कही गए ही नही थे सब ने सोचा था कि वंश भैया दिल्ली से मुंबई आ जाएंगे तभी सब एक साथ घूमने के लिए जायेंगे पर ऐसा हो नहीं सका।


मेरा बिलकुल भी मन नहीं कर रहा था और साथ में मुझे उस सीनियर डॉक्टर पर अब गुस्सा भी आ रहा था न वो फूफा जी से कुछ कहता और न मुझे यहां आना पढ़ता।


पर हम दूसरे पहलू को देखे तो अच्छा ही हुआ कि मैं जयपुर पढ़ने गई, हां वो बात अलग है कि मुझे घर वालो ने जबरदसती मुझे यहां भेजा था पर अगर मैं जयपुर न आती तो कभी भी किट्टू से नही मिल पाती और मै फिर कभी जिंदगी को दुबारा से नही जी पाती।


ऐसा नहीं है कि किट्टू मुझे कॉलेज में जाते ही मिल गई या हमारी ये दो साल की दोस्ती भी हम कर ऐसे ही बना ली, नही बल्कि हमे पूरे दो महीने तो बस एक दूसरे को समझने में ही लग गए क्योंकि किट्टू ने उस कॉलेज के entrance exam मे टॉप किया था साथ ही मे वो बहुत ही ज्यादा सुंदर है जिस के पीछे पूरा कॉलेज फिदा था।


वैसे तो मै बहुत बोलने वालो में से हु पर इतना कुछ हो जाने के बाद मे अब मैं आसानी से किसी मे भी घुल मिल नही पा रही थी और किट्टू के बारे में हर कोई अपनी राय देता था कोई कहता कि किट्टू को अपनी सुन्दरता का घमंड है तो कोई कुछ कहता था, पर मुझे समझ ही नही आ रहा था कि किट्टू है तो है क्या !


एक महीने बाद,


हमारा कॉलेज हमे जयपुर के ही नाहरगढ़ का किला घुमाने ले गया, वहा पर हम लोगो को एक साथ ही रहने को कहा गया था क्योंकि इस किले के कुछ हिस्सों को बंद कर दिया गया था क्योंकि वहा आए घूमने वालों ने उस जगह पर अजीब आवाजे सुनी थी, इसलिए हमारे टीचर ने सब लोगो का ग्रुप बना दिया।


नाहरगढ़ किला, राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास अमरावली पहाड़ियों के किनारे स्थित है। ये पीले रंग का जयपुर में बेहद आकर्षक लगता हैं। इस किले को सवाई राजा मानसिंह ने बनवाया तथा इस किले को उन्होने अपनी बेटियो के लिए बनवाया था।


पर मेरे साथ कोई भी ग्रुप बनाने को तैयार नही था क्योंकि मैं अभी तक ठीक से किसी को अपना दोस्त नही बना पाई थी और किट्टू मुझसे दोस्ती करना चाहती थी तो मैं लोगो की सुनी सुनाई बातो पर ध्यान देकर उस से दोस्ती नही कर रही थी।


क्योंकि उस की एक वजह थी कि हम अपनी आंखो से देखे हुए चीजों पर ही यकीन करते हैं और यही एक दिन हुआ भी कि मेरे सामने सामने एक लड़की सीढियों से नीचे गिर गई और किट्टू उस के सामने ही थी और मुझे लगा कि वो चाहती तो उस को बचा सकती थीं पर किट्टू, उस का हाथ नही पकड पाई और उस लड़की को बहुत ज्यादा चोट आई थी पर मुझे लगा शायद किट्टू ने जानबूझ कर नही पकड़ा होगा क्योंकि एक दिन पहले ही किट्टू की उस लड़की के साथ लड़ाई हुई थी।


इसलिए ही मै, किट्टू को सही लड़की नही समझ रही थी पर मैं गलत थी और ये बात मुझे जल्द ही पता चलने वाली थी, हमारी क्लास में 101 स्टूडेंट्स थे जिन में से 51 गर्ल्स और 50 बॉयज थे, 8 स्टूडेंट्स का एक एक ग्रुप बनाया गया फिर भी किट्टू रह गई और उस ने टीचर से कुछ भी नही तो किसी ने ज्यादा ध्यान भी नही दिया।


किट्टू ऐसी इकलौती लड़की थी जो उस किले के बारे में एक एक चीज पता थी जैसे वो खुद ऐसे ही किसी महल में रहती हो और उस ने सारी चीजों को अपने आंखो से देखा हो, हां वो बात अलग है कि किट्टू राठौड़ परिवार की बेटी हैं और सबसे छोटी राजकुमारी भी पर मुझे तो क्या पूरे कॉलेज में भी किसी को ये बात पता नही थी और न ही किट्टू ने कभी ये सब बताया था बल्कि वो तो एक साधारण सी लड़की की तरह ही रहती थीं जिसे MBA का Entrance exam मे टॉप किया है और स्कॉलरशिप से उस बड़े कॉलेज में पढ़ रही हैं।


कहां तो कोई मुझसे बात तक नहीं करना चाहता था और अचानक से एक लड़की मुझे नाहरगढ़ का किला घुमाने का शोक चढ़ गया और मैं पागल उस की बातों में भी आ गई जबकि कहा तो वो लड़की मुझे देखना भी पसंद नही करती थी।


उस लड़की का नाम भूमि शर्मा था और उस के पिता जयपुर के किसी गांव के मुखिया थे और उस को इसी बात का कुछ ज्यादा ही घमंड था, जो वो सब को दिखाती रहती थी।


मै, भूमि के साथ उस किले को अच्छे से घूमने मे लग गई क्योंकि मुझे राजस्थानी संस्कृति, वेषभूषा, पहनावा, जेवर और भी बहुत कुछ जो मेरी कमजोरी है, जो मैने ही बातो बातो मे भूमि को बता दिया जिस से उस ने मेरी उसी कमजोरी का फायदा उठाना चाहा।


भूमि जयपुर से ही थी तो उस को पता था कि कौन से कमरों में अभी तक उन लोगो के जेवरात और बहुत कुछ रखा हुआ है जो उन लोगो का है जो बहुत पहले इन किलो मे रहा करती थी और भूमि मुझे वही ले जाने का कहने लगी, तो मैं हां बोलने ही वाली थी कि किट्टू वहा पर आ गई और कहने लगी, "तुम वहा मत जाना क्योंकि वहा जाना मना है, वही पर ही लोगो को.....!


किट्टू आगे बोल पाती उस से पहले ही मैं, उस से कहती हूं, "चुप बिलकुल चुप, किसी ने तुम से राय मांगी, नही न तो फिर तुम क्यों वेवजह बोल रही हो ?"


किट्टू कुछ बोल पाती उस से पहले मै ही दुबारा बोलते हुए उस पर गुस्सा करने लगी, "और तुम हमारा पीछा कर रही हो ? " साथ में मैने, किट्टू को बहुत बुरा भला बोला पर किट्टू ने मुझे एक शब्द भी नहीं कहा और मुझे लगा कि मेरे कहने पर वो वहा से चली गई पर ऐसा बिलकुल भी नहीं था।


बल्कि किट्टू वही रही बस हमारी नजरो के सामने नहीं आ रही थी। इन एक महीने में मैने किट्टू की अपने दिमाग में एक छवि बना ली थी जिस मे वो अच्छी तो बिलकुल भी नहीं थी इसलिए मैंने कभी भी उस के साथ अच्छा व्यवहार नही किया पर किट्टू ने मुझे कभी भी कुछ भी नही कहा।


भूमि, मुझे घुमाते घुमाते उस किले के उस हिस्सो में ले आई जहा किसी को भी जाना मना था और मैंने इस बात पर ध्यान ही नही दिया क्योंकि वहा के एक दरवाजे पर कोई ताला नही लगा हुआ था बाकी सारे अच्छे से बंद थे तो मुझे लगा यहां पर भी जाया जा सकता होगा, तभी तो ऐसा है और मै तो वैसे भी उस किले में पहली बार गई थी।


फिर हम एक बड़े से कमरे मे चले गए, नही वो कोई कमरा नही था बल्कि कोई हॉल सा लग रहा था पर उस कमरे में एक बड़ा सा गेट था और फिर एक झालीदार गेट था उस के बाद वो हॉल शुरू होता था। ऐसा लग रहा था मानो वहा राजा लोग सभा करते होंगे क्योंकि वहा पर कुर्सी से लेकर ज्यादातर चीज़े सोने से निर्मित थी और सब पर चांदी से कलाकारी करी हुई थी साथ में किसी किसी मे तो हीरे भी जड़े हुए थे और वो सब चीज़े ऐसे की ऐसे ही रखी हुई थी।


वहा हाल में लेफ्ट साइड पर एक कमरा था जिस दरवाजा भले से छोटा था पर अंदर का कमरा बहुत बड़ा था उस कमरे से राइट साइड में सीढ़िया जा रही थी जैसे वो टीवी मे दिखाते हैं ना कि राजा लोग नीचे बैठते हैं और उनकी रानियां ऊपर परदे में बैठती हैं ठीक वैसा ही नजारा था।


और वहा हाल में राइट मे एक सोने से निर्मित एक दरवाजा था जिस पर तरह तरह के कलावे और धागे बंधे हुए थे जिसे देख मुझे डर लगा तो मैंने भूमि से पूछा, "ये इसे दरवाजे पर इतने सारे धागे क्यो बांधे हुए है ?"


जब मुझे भूमि की तरफ से कोई जवाब नही मिलता है तो मै पीछे मुड़ कर देखती हूं तो भूमि को देखती ही रह जाती हु और उस से कहती हूं, "प्लीज भूमि मेरे साथ ऐसा मत करो, प्लीज मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, प्लीज मै, तुम से अपनी जान की भीख मांगती हु !" और शालिनी की आंखों से आंसू निकल जाता हैं।



अब शालिनी ने ऐसा क्या देख लिया होगा जो वो, भूमि से अपनी जान की भीख मांग रही थी ? आगे जानने के लिए जुड़े रहे मेरी कहानी से और इंतजार करे अगले भाग का....!