तेरा मेरा ये रिश्ता - 10 Saloni Agarwal द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरा मेरा ये रिश्ता - 10

राजस्थान में,

उदयपुर में,

राठौड़ मैंशन में,

काव्या बार बार राहुल से पूछ रही होती हैं कि उस की किट्टू को क्या हुआ है पर राहुल से तो बोला ही नही जा रहा होता है।

अब दादा जी बोलते हैं, "अगर तुम ने अभी भी नही बताया ना कि मेरी नन्ही सी जान को क्या हुआ है तो मै वो कर जाऊंगा जो मै बहुत पहले छोड़ चुका हू इसलिए प्यार से पूछ रहा हु बता दे।"

दादा जी की बात सुन, राहुल डर जाता और कहता है, "सर राठौड़ मैंशन की पार्किंग एरिया में सब cars मौजूद है शिवाए किट्टू मैम की Sports bike के और उस की लोकेशन पता करवाई गई है पर वो ऑफिसर उन की लोकेशन बताने से पहले तो मना कर रहा था क्योंकि !"

काव्या का पारा चढ़ चुका होता है और वो अपनी लाइसेंस गन निकाल लेती है और राहुल के ऊपर तानते हुए कहती हैं, "तुझे तो टीवी सीरियल में होना चाहिए था, क्या तू बॉडीगार्ड की लाइन में पहुंच गया।"

काव्या के ऐसे गन तानने से राहुल डरता तो नही है क्यूंकि वो एक Well Trained Bodygard होता है पर फिर भी वो काव्या के गुस्से से डरता है क्योंकि काव्या कब क्या कर जाए ये तो किसी को भी पता नहीं होता है।

काव्या अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहती हैं, "और अब तुम ने कोई किंतु, परंतु, क्योंकि और फलाना दिमकना करा ना तो तुम्हारे साथ साथ तुम्हारे पुरे खानदान को इस दुनिया से ही विदा करवा दूंगी।"

काव्या की पूरी बात सुनने के बाद, राहुल कहता है, "नही बॉस ऐसा मत करना, मै बताता हु न, उस ऑफिसर ने किट्टू मैम की sport bike की लोकेशन प्रतापगढ़ के सिटी हॉस्पिटल की बताई है और वो...!"

राहुल अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहता है, "की..किट्टू मैम उस सिटी हॉस्पिटल में एडमिट है और उन्हें बहुत ज्यादा चोट आई है और डॉक्टर लोगो ने जवाब दे दिया है !"

राहुल को ऐसे घबराता देख, विक्रम जी अपने आप से कहते हैं, "डर के बोल तो ऐसे रहा है जैसे वो लड़की इस दुनिया से ही जाने वाली हो और जवाब ही तो दिया है ना मर तो नही गई न वो लड़की।" और फिर अपना नाश्ता करने लगते हैं जेसे कुछ हुआ ही नहीं होता है।

राहुल की बात सुन, काव्या और दादा जी के साथ साथ राठौड़ मैंशन में खड़े हर इंसान के भी होश ही उड़ जाते है शिवाए विक्रम जी के बल्कि वो तो मन ही मन बहुत खुश हो रहे होते है और अपने आप से कहते हैं, "चलो अच्छा ही है और अब बस उस की मौत की खबर और सुन लू तो दिल को सुकून मिल जाए।"

काव्या के हाथ से गन गिर जाती है और वो एक पल के लिए अपना होश ही खो बैठती हैं और जमीन पर गिर जाती है, जैसे ही ये सब राठौड़ मैंशन में खड़े गार्ड्स, उस के बॉडीगार्ड्स, नौकर, उस का पी ए रघु सब बस एक दम से घबरा जाते हैं।

दादा जी, काव्या को जमीन से उठाते है और उस से कहते हैं, "बेटा, हिम्मत रखो और भगवान मे विश्वास भी, सब कुछ ठीक हो जायेगा।"

दादा जी की बात सुन, काव्या रोते हुए कहती हैं, "क्या ही ठीक हो जायेगा, आप ने सुना नही राहुल ने क्या कहा, डॉक्टर ने जवाब दे दिया है अब मेरी किट्टू मुझे छोड़ के चली जायेगी और मै फिर से अकेली हो जाऊंगी।"

काव्या को रोते हुए देख राठौड़ मैंशन में मौजूद हर इंसान शॉक में होता है क्योंकि उन होने आज तक काव्या को गुस्से में चिल्लाते हुए ही देखा था पर कुछ समय से वो भी किट्टू के साथ हसने खेलने लगी थी पर आज सब पहली बार काव्या को रोते हुए देख रहे हैं और साथ में उन लोगो को भी किट्टू के लिए बुरा लग रहा होता है।

काव्या रोते हुए ही अपने बात पूरी करते हुए कहती है, "और आप किस भगवान की बात कर रहे हैं उस की जिस ने मेरी मां को मुझसे तीन साल की उम्र में ही छीन लिया या उस भगवान की जिस ने पिछले बीस सालों से मेरी मां को कोमा से बाहर ही नही निकला है।"

आप उस भगवान मे विश्वास रखने को बोल रहे हैं, मैने चार साल की उम्र से ही भगवान को मानना ही छोड़ दिया था और अब भी नही मानती हूं पर किट्टू के कहने पर मैंने दुबारा से मानना शुरू ही किया था कि उन्होंने मुझसे मेरी किट्टू को भी छीन लिया, और आप मुझसे कह रहे है मै उस भगवान मे विश्वास रखूं, नही जो भी इस भगवान को मानता है वो उस को मुझसे छीन लेते हैं।

काव्या की आंखों में और उस के मुंह से निकलने हर शब्द मे दर्द नज़र आ रहा होता है पर कोई होनी को कैसे टाल सकता है।

काव्या की बात सुन, दादा जी उस को अपने गले लगा लेते हैं और कहते हैं, "बेटा, मेरा मन नहीं मान रहा है कि मेरी नन्ही सी जान को कुछ हुआ होगा तो हम उस को देखने चलते हैं और जो होगा हम उस को रोक तो नही सकते है ना।"

दादा जी की बात सुन, काव्या खड़ी हो जाती है और फिर से अपने रोब में आकर बोलती है, "विशाल गाड़ी निकालो हमें जल्द से जल्द प्रतापगढ़ के लिए निकलना है।"

काव्या को फिर से अपने रोब में देख सब के चेहरे पर एक खुशी सी नजर आती हैं और फिर विशाल कहता है, "जी बॉस, मै अभी निकल देता हूं।"

विशाल, काव्या का सबसे वफादार ड्राइवर होता है, जिसकी उम्र लगभग 25 वर्ष होती है और हाइट 5"9 होती हैं। ये काव्या के लिए अपनी जान की परवा किए बगैर उस को सही सलामत बचाने की हिम्मत रखता है।

फिर क्या काव्या राठौड़ मैंशन से बाहर निकल ने लगती है और उस के पीछे पीछे दादा जी और उस के बॉडीगार्ड्स भी निकल जाते है। जब काव्या अपने दादा जी को देखती है तो उन से कहती हैं, " दादू, आप कहा जा रहे हैं ?"

काव्या की बात सुन, दादा जी कहते है, "और कहा, मै भी अपनी नन्ही सी जान से मिलने प्रतापगढ़ जाऊंगा !"

दादा जी की बात सुन, काव्या उन से कहती हैं, "दादू, मै जा रही हू ना, आप यही राठौड़ मैंशन में ही रूको, मै वहा पहुंच कर आप को उस के बारे में सब कुछ बता दूंगी, ठीक है।"

काव्या की बात सुन, दादा से उस से जिद करते हुए कहते हैं, "नही, बिलकुल भी नही, मैनें कह दिया न मै भी जा रहा हु, तो जा रहा हु और अब मुझे कुछ नही सुनना है बस।"

अपने दादा जी की बात सुन, काव्या कहती हैं, "एक बच्ची कम थी घर में, जो अब आप भी बच्चे बन रहे हैं।"

काव्या की बात सुन, दादा जी कहते हैं, "मैने कह दिया न तो बस बात यही पर खतम हो गई हैं।"

दादा जी की बात सुन, काव्या अपना सिर पकड़ लेती है और कहती हैं, "ठीक है आप को जो करना है कीजिए।"

काव्या की बात सुन, दादा जी कहती हैं, "हां, अब कुछ ठीक लग रहा है।"

दादा जी की बात सुन, काव्या उन से कहती हैं, "आप भी किट्टू के साथ रह रह कर बच्चे ही बन गए हैं।"

काव्या की बात सुन, दादा जी कहते हैं, "चले अब, मुझे मेरी नन्ही सी जान से भी तो मिलना है और प्रतापगढ़ पहुंचने में ही तीन घंटे लग जायेंगे।"

दादा जी की बात सुन, काव्या अपनी कार में राहुल, रघु और विशाल के साथ बैठ जाती है और वही दादा जी अपने पी ए हरीश, Personal बॉडीगार्ड जगदीश और वफादार ड्राइवर श्याम के साथ बैठ जाते हैं और साथ में उस के साथ आठ गाडियां ओर जाती हैं जिस मे गार्डस मौजूद होते हैं।

करीब तीन घंटे बाद,

प्रतापगढ़ में,

सिटी हॉस्पिटल में,

आज प्रतापगढ़ के सिटी हॉस्पिटल में रोज से ज्यादा ही भीड़ नजर आ रही होती हैं क्योंकि आज से पहले कभी भी वहा एक साथ इतनी सारी गाडियां नही आई होती हैं पर आज इतनी सारी गाडियां देख सब उन के साथ उस गाड़ी में बैठे लोगो को देखने के लिए रुक जाते हैं।

क्योंकि राजस्थान में दो ही शाही परिवारो का नाम ऊंचा है जिस मे पहले मे विजय प्रताप सिंह का नाम और दूसरे मे विक्रम सिंह राठौड़ का नाम आता है। विजय प्रताप सिंह के बेटे का नाम अभय प्रताप सिंह है जो प्रताप इंडस्ट्री के मालिक हैं और दूसरे विक्रम सिंह राठौड़ की बेटी का नाम काव्या सिंह राठौड़ है जो राठौड़ कंपनी की मालकिन है।

इसलिए प्रतापगढ़ में खडे सब लोग आज राठौड़ को इस सिटी हॉस्पिटल में देख इस सोच में पड़ जाते हैं भला ये नामी गिरामी लोग यहां क्यूं आए होंगे और साथ में कुछ लोग काव्या को देखने के लिए भी खड़े होते हैं क्योंकि काव्या राजस्थान की सबसे सुंदर राजकुमारियों में से एक है।

जब काव्या और दादा जी की गाडियां उस हॉस्पिटल के सामने आकर रूकती है तो सबसे पहले उन के आठ गाडियो में से बहुत ज्यादा बॉडीगार्ड्स बाहर निकल आते हैं और सब जगह को अच्छे से चेक करने के बाद काव्या और दादा जी के Personal बॉडीगार्ड जगदीश और राहुल से कहते हैं, "बॉस सब जगह देख लिया है सब ठीक है अब आप बाहर आ सकते हैं।"

जगदीश और राहुल उन बॉडीगार्ड्स की बात सुन अपनी अपनी गाड़ियों से बाहर आते हैं और फिर काव्या और दादा जी के गाड़ियों का दरवाजा खोल उन को बाहर निकल ने को बोलते हैं।

काव्या और दादा जी अपनी अपनी गाड़ियों से बाहर निकलते हैं। और उन के साथ साथ उन दोनों के पी ए रघु और जगदीश भी बाहर आ जाते हैं। फिर उन के बॉडीगार्ड्स उन का हॉस्पिटल के अंदर जाने का रास्ता साफ कर लोगो को side में कर रहे होते हैं।

काव्या और दादा जी हॉस्पिटल के अंदर जाने लगते हैं और उनके पीछे पीछे दोनो के पी ए और Personal बॉडीगार्ड भी जा रहे होते हैं।

फिर काव्या, रघु से पूछती हैं, "कौन से कमरे मे है मेरी किट्टू ?"

काव्या की बात सुन, रघु उस से कहता है, "बॉस रूम नंबर 202 यानी Second Floor पर बताया है उस कंपाउडर ने।"

रघु की बात सुन, काव्या और दादा जी Second Floor की तरफ जाने के लिए लिफ्ट की तरफ मुड़ जाते हैं। फिर वहा एक साथ दो लिफ्ट होती हैं जिस मे पहले काव्या, रघु और राहुल चले जाते हैं और दूसरी वाली लिफ्ट में दादा जी, जगदीश और हरीश के साथ चले जाते है।

Second Floor,

कुछ ही मिनट बाद काव्या और दादा जी की लिफ्ट Second Floor पर पहुंच जाती है और दोनो अपने पी ए और personal बॉडीगार्ड के साथ बाहर आ जाते हैं।

रघु, काव्या को किट्टू के कमरे की Direction बता रहा होता है और सब उसी Direction मे बढ़ जाते हैं। कुछ देर बाद सब उस के कमरे के बाहर होते हैं और वो कमरा एक आईसीयू होता है जिस मे एक लड़की बेड पर लेटी हुई होती हैं और वो लड़की बहुत सारी मशीनो से घिरी हुई होती हैं।

उस लड़की को देख काव्या को लगता हैं कि उस का दिल एक पल के लिए धड़कना ही बंद कर देगा क्योंकि उस लड़की के चेहरे के साथ शरीर पर बहुत सारी चोट आई होती है जिस से काव्या का लग रहा होता है कि कोई उस का दिल छाननी कर रहा है।

वही दूसरी तरफ उदयपुर में,

एक लड़की, उस प्रतापगढ़ के सिटी हॉस्पिटल में किसी कंपाउडर को कॉल करती है और उस से पूछती है, "जैसा मैंने सोचा था ठीक वैसा हो रहा है कि नही ?"

तो वो कंपाउडर, उस लड़की से कहता है, "मैम, आप ने जैसा कहा था ठीक वैसा ही हो रहा है और वो लोग उस लड़की के कमरे के बाहर ही खड़े हुए हैं क्योंकि आप के कहने पर ही मैंने उस लड़की का नाम बदल के किट्टू कर दिया था।"

उस कंपाउडर की बात सुन, वो लड़की कहती हैं, "अब तुम वहा से निकल जाओ और हां, ये बात याद रखना किसी को पता ना चले की प्रतापगढ के सिटी हॉस्पिटल में जो लड़की है वो कोई और है।"

उस लड़की की बात सुन, वो कंपाउडर कहता है, "ठीक है मैडम आप जो कहेंगी मै वैसा ही करूंगा बस आप मेरे लिए कुछ खर्चा पानी का इंतजाम करवा देती तो बड़ा उपकार हो जाता।"

उस कंपाउडर की बात सुन, वो लड़की कहती हैं, "ठीक है तुम्हारे पास बिना कहे रुपए पहुंचा दिए जाएंगे।"

उस लड़की की बात सुन, वो कंपाउडर कहता है, "जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपका का।"

वो लड़की कॉल कट होने के बाद कहती हैं, "अब किसी को पता नही चलेगा कि किट्टू अब कहा है क्योंकि जब तक उस को होश नही आ जाता हैं, मै कोई Risk नही लेना चाहती हूं और साथ में शालिनी की भी हालत ठीक नहीं है।

हां, आप ने ठीक समझा ये लड़की और कोई नही बल्कि हेमा चौधरी ही होती है जिसने ही ये सब करा होता है क्योंकि शालिनी ने बातो बातो में बोला था कि किट्टू अपनी बहन से छुप कर के Bike Racing करती हैं ऐसे में अगर उस की बहन को पता चला कि आज उस की ये हालत Bike Racing से हुई है तो पता नहीं क्या हो जायेगा, यही सोचते हुए उसने ये सब प्लान बनाया होता है।

फ्लैश बैक,

उदयपुर में,

सिटी हॉस्पिटल,

शालिनी बेहोश ही होती हैं कि हेमा सोच रही होती हैं तो उसके दिमाग में कोई बात आती हैं, फिर वो सोचती है मेरे अभी घाव नही भरे हैं और ऐसे में ये सब करना ठीक नहीं होगा और इतनी दूर से आने जाने में समय तो लग ही जायेगा, ऐसे में शालिनी उठ गई तो इस को संभालने वाला कोई नहीं होगा और किट्टू को कब होश आएगा ये कोई भी बता नही सकता है।

फिर वो कुछ सोचती हैं और वो अपने दोस्त का नाम अपने मोबाइल फोन मे Search करने लगती है और अपने आप में ही बोलती हैं, "क्या नाम था उस का ?"

फिर उस को उस का नाम याद आता है और फिर उस नंबर पर कॉल करने लगती है, उस के दोस्त के पास रिंग जा ही रही होती हैं और कुछ देर बाद वो फोन उठा लेता है तो हेमा उस से पूछती हैं, "कहा है तू ?"

हेमा की बात सुन, वो लड़का कहता है, "अभी तो उदयपुर में ही हूं, बता क्या काम है जो तुझे आज मेरी याद आ गई।"

ये लड़का, हेमा का दोस्त अमित होता है, जो उस का पड़ोसी और उस के साथ पड़ने वाला कॉलेज फ्रेंड भी होता है। जिस की उम्र हेमा के ही बराबर होती है बस ये हेमा से हाईट में बड़ा होता है।

अमित की बात सुन, हेमा कहती हैं, "मै, तुझे एक लोकेशन send कर रही हू, वहा पर आ जा और अपने साथ किसी एक दोस्त को भी ले कर आना, समझ आया तुझे !"

हेमा की बात सुन, अमित कहता है, "क्यो, तूने फिर कोई कांड कर दिया क्या ?"

अमित की बात सुन, हेमा इस बार उस से गुस्से से कहती हैं, "जितना कहा है उतना कर बस !"

हेमा के गुस्से को देख, अमित उस से कहता है, "ठीक है फिर, आता हूं मैं।"

हेमा कॉल कट कर देती है और अपने दोस्त अमित को सिटी हॉस्पिटल की लोकेशन send कर देती हैं और उस के आने का इंतज़ार करने लगती है।

बीस मिनट बाद,

अमित और उस का एक दोस्त आयुष उस सिटी हॉस्पिटल के बाहर पहुंच जाते हैं तो आयुष अपने दोस्त अमित से कहता है, "यार, मेरे को कुछ गड़बड़ लग रहा है कही तेरी दोस्त ने कुछ कर तो नही दिया न !"

आयुष की बात सुन, अमित उस से कहता है, "अब उतर भी गाड़ी से या यही बैठने का इरादा है तेरा और रही बात हेमा की तो वो थोड़ी हिली हुई जरूर से है पर मुझे नही लगता हैं ऐसा कुछ किया होगा उस ने क्योंकि किया होता न तो वो हमे यहां नही बुलाती।"

आयुष Bike से तो उतर जाता हैं पर हॉस्पिटल में जाने से डर रहा होता है तो अमित कहता है, "अबे साले चल, क्या यही खड़ा रहेगा ।"

अमित की बात सुन, आयुष भी उस के साथ सिटी हॉस्पिटल में अंदर जाने लगता हैं। और फिर कुछ देर में वो दोनो हेमा के पास पहुंच जाते हैं और हेमा वहा इधर उधर घूम रही होती हैं और शालिनी कुर्सी पर लेती हुई होती है।

शालिनी को देख, आयुष तो उस को देखता ही रह जाता हैं और अमित, हेमा से पूछता है, "तो बताओ क्यो बुलाया है, तुम ने मुझे और मेरे दोस्त को इस सिटी हॉस्पिटल में ?"

हेमा कुछ बोलने ही वाली होती है कि आयुष बीच में बोल पड़ता है और कहता है, "अबे साले अंधा है क्या, तुझे दिख नही रहा कि यहां ये लड़की बेहोश पड़ी है और देख मैने बोला था न तेरे को इस हेमा ने ज़रूर से कुछ किया होगा।"

और फिर आयुष अपनी बात पूरी करते हुए कहता है, "जरूर इस ने, इस बेचारी लड़की को टकर मार दी होगी तभी अचानक से हम दोनों को यहां बुला लिया है।"

आयुष की बात सुन, हेमा गुस्से से अपनी गन निकलने लगती है और Loaded कर ही रही होती हैं तभी अमित बीच में बोलता है, "अरे यार, ये क्या कर रही है तू ?"

और फिर अमित अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहता है, "तू तो जानती ही है इस के दिमाग का ऊपर वाला माला खाली है, और इसलिए ये कुछ भी बोलता रहता है, प्लीज़ यार ऐसा मत कर !"

अमित की बात सुन, हेमा अपनी licence गन को नीचे कर लेती है। और फिर हेमा, अमित से कहती हैं, "समझा ले इस को First & Last वार्निग दे रही हु, नही तो अगली बार इस ने कुछ भी ऐसा वैसा बोल दिया न तो बिना किसी वार्निग के इस गन की छ की छ गोली इस के भेजे मे उतर दूंगी।"

हेमा के हाथ में गन को देख पहले ही आयुष की फट चुकी थी और अब वार्निग मिलने के बाद कुछ कहने लायक भी नहीं बचा था।

अब हेमा, अमित की तरफ देख कहती हैं, "सिटी हॉस्पिटल के बाहर पार्किंग एरिया में एक ब्लैक Sport Bike Racing खड़ी हुई है, ये उस की चाभी है इस bike को लेकर उदयपुर से बाहर प्रतापगढ़ के सिटी हॉस्पिटल की पार्किंग एरिया में खड़ी कर और उस की चाभी मुझे दे देना।"

हेमा की बात सुन, तभी आयुष अपना मुंह खोलने वाला ही होता है कि अमित उस को घूर रहा होता है तो वो चुप हो जाता हैं, ये सब हेमा ने देख लिया होता है तो हेमा, आयुष से कहती हैं, "जल्दी बोल, क्या बोलना है तुझे ?"

हेमा की बात सुन, आयुष डरते हुए बोलता है, "तुम, अपनी Sport Bike उदयपुर से बाहर प्रतापगढ़ के सिटी हॉस्पिटल में क्यो खड़ी करवाना चाहती हो ?"

आयुष की बात सुन, हेमा उस की बात का जवाब देते हुए कहती हैं, "देख हर बात को बताया नही जा सकता है इसलिए जो कहा है बस वो करो।"

और हां, अमित तुम Sport Bike लेकर जाना और आयुष अपनी bike से जायेगा जिस से जब तुम वहा bike छोड़ के आओगे तो फिर तुम आयुष के साथ वापस आ जाना।

फिर हेमा अपने पास से कुछ रुपए अमित को देते हुए कहती है, "ये ले रख ले आने जाने का किराया समझ के।"

पांच हजार रूपए देख आयुष देख के उस के मन में लालच आ जाता हैं पर अमित एक अच्छे घर से था और उस को कोई पैसों से जुडी कोई परेशानी नही थी इसलिए वो हेमा से कहता है, "इसकी कोई जरुरत नहीं है क्योंकि bike तो तेरी है और प्रतापगढ़, उदयपुर से ज्यादा दूर तो है नही।"

अमित की बात सुन, आयुष उस से कहता है, "क्या यार आती हुई लक्ष्मी को कोई मना करता है और तेरे को नही चाहिए तो मुझे दे देना, अब ठीक है।"

आयुष की बात सुन, अमित कुछ बोलने ही वाला होता है कि हेमा ही बोल पड़ती है, "देख रख ले।"

और अमित को देखते हुए आयुष की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, "किसी गरीब को दे देना तुझे दुआ भी मिल जायेगी।"

अमित, हेमा के इशारे को समझ उस से हस्ते हुए कहता है, "ऐसे लोग दुआ नही देते हैं पर हां, गाली जरूर से दे देते हैं।"

अमित और हेमा एक दूसरे की बातो पर हस रहे होते है और साथ में आयुष को कुछ समझ नहीं आ रहा होता है कि ये दोनों हस रहे हैं पर साथ ही साथ उस की नजर बार बार शालिनी पर जा रही होती हैं।

अब अमित, आयुष से कहता है, "चल अब चलते हैं क्योंकि हमे वापस भी तो आना है।"

अमित की बात सुन, आयुष कहता है, "यार, इस लड़की का नंबर मिल जाता तो कितना अच्छा होता न, सच में कितनी खूबसूरत है !"

आयुष की बात सुन, हेमा का पारा चढ़ जाता हैं और वो गुस्से से कहती हैं, "तू यहां से जिंदा जाना चाहता है या तेरी लाश घर पहुंचवा दू !"

हेमा की बात सुन, आयुष डर जाता हैं और कहता है, "अरे यार मैं तो मजाक कर रहा था तुम ने तो serious ही ले लिया।"

और फिर अमित और आयुष उस हॉस्पिटल से बाहर निकल जाते हैं और हेमा शालिनी के पास बैठ जाती है।

करीब तीन घंटे बाद,

प्रतापगढ मे,

सिटी हॉस्पिटल में,

अमित और आयुष उस हॉस्पिटल की पार्किंग एरिया में किट्टू की sport bike वहा खड़ी कर देते हैं और उस हॉस्पिटल से बाहर निकल के अमित, हेमा को कॉल करते हुए कहता हैं, "काम हो गया है अब मैं घर जा रहा हूं तो तू मुझे से अपनी Sport Bike की चाभी घर से ले लेना।"

अमित की बात सुन, हेमा कहती हैं, "ठीक है और हां, एक बात और सुन ये चाभी सिर्फ और सिर्फ मुझे ही देना, ना की मेरे पापा को समझ में आया तेरे को !"

हेमा की बात सुन, अमित कहता है, "ठीक है, जैसा तू कहे।

तब क्या होगा जब काव्या को पता चलेगा कि जिस लड़की को वो अपनी किट्टू उफ्फ नन्हीं सी जान समझ रही है वो लड़की कोई और ही है ? क्या किट्टू को रात तक होश आ पाएगा या वो चली जायेगी काव्या की मां की तरह कोमा में ? आगे जानने के लिए करिए इंतज़ार अगले भाग का....!