तेरा मेरा ये रिश्ता - 11 Saloni Agarwal द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरा मेरा ये रिश्ता - 11

काव्या उस लड़की को अपनी किट्टू यानी नन्हीं सी जान समझ रही होती हैं और उस को देख उस का दिल रोने का कर रहा होता है क्योंकि उस से अपनी तीन साल छोटी बहन का ये हाल देखा नही जा रहा होता है।


जब दादा जी उस लड़की के उस आईसीयू के दरवाजे पर गोल शीशे से देखते हैं तो उन की आंखों में अंशु आ जाते है। पर फिर वो अपने आप को संभाल लेते हैं क्योंकि काव्या को भी तो उन्हे ही तो संभालना होगा।


काव्या और दादा जी दोनो के पी ए और बॉडीगार्ड्स भी उस लड़की की हालत को देख घबरा जाते है फिर काव्या उस आईसीयू में अंदर जाने को जेसे ही दरवाजा खोलती हैं तभी वहा एक सीनियर डॉक्टर आ जाती है जो देखने में तो करीब 25..26 साल की लग रही होती हैं और काव्या पर थोड़ी ऊंची आवाज में गुस्सा करते हुए कहती हैं, "अरे ऐसे कैसे तुम किसी के भी आईसीयू के कमरे मे चली जा रही है।"


उस सीनियर डॉक्टर की ऊंची आवाज सुन कर सब का ध्यान उस पर जाता हैं और सीनियर डॉक्टर की बात सुन राहुल और जगदीश को गुस्सा आने लगता हैं क्योंकि आज तक काव्या के पापा ने भी कभी अपनी बेटी से इतनी ऊंची आवाज में बात नही करी थी और आज ये डॉक्टर उन की बॉस से ऐसे बात कर रही है।


फिर रघु कहता है, "लगता है आप को पता नही है कि आप किस से बात कर रही है और अगर पता होता न तो ऐसे बात करना तो दूर आप अपने मुंह से एक शब्द भी बाहर निकलने से पहले दस बार सोच लेती।"


रघु की बात सुन, उस सीनियर डॉक्टर का गुस्सा आ जाता हैं और फिर वो उस से कहती हैं, "तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम अब मुझे बताओगे कि मै किस से कैसे बात करूंगी।"


वो सीनियर डॉक्टर अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहती हैं, "तुम्हे पता भी है मै कौन हु? और तो और मेरे पापा प्रतापगढ के एक आईपीएस अफसर है और मै इस सिटी हॉस्पिटल की सीनियर डॉक्टर हू और अभी तक मुझ से ऐसे किसी ने भी बात नही कि है जैसे तुम मुझ से कर रहे हो !"


उस सीनियर डॉक्टर की बात सुन, अब दादा जी का गुस्सा बढ़ने लगता हैं और वो हरीश से कहते है, "इस लड़की का बाप इस प्रतापगढ का आईपीएस अफसर है तो ज़रा बुलाओ इस के बाप को यहां, अब वो ही बताएगा कि हम लोग कौन हैं !"


दादा जी की बात सुन, उस सीनियर डॉक्टर भड़क जाती है और कहती है, "आप इतने बड़े लग रहे हैं आप को तो बिल्कुल भी तमीज नही है किसी के पापा के बारे मे कैसे बात करते हैं।"


उस सीनियर डॉक्टर की बात सुन, राहुल कहता है, "लगता हैं आप यहां नई आई है तभी तो दादा जी से ऐसे बात कर रही है।"


दादा जी की बात को सुन, फिर हरीश वहा से दूर जाकर पुलिस ऑफिस में कॉल करता है और उस ने पूछते है, "अभी प्रतापगढ के आईपीएस अधिकारी कौन है?"


पुलिस ऑफिस में वहा के कमांड ऑफिसर, हरीश की आवाज से ही पहचान जाते है कि कौन बात कर रहा है इसलिए वो कहते है, "सर, अभी तो प्रतापगढ के आईपीएस अधिकारी जयदेव सचदेवा है पर सर कुछ हुआ है क्या ?"


कमांड ऑफिसर की बात सुन, हरीश उन से कहते है, "हां, और ये सचदेवा वही है ना जिस को राठौड़ साहब ने इन की मदद की थी !"


हरीश की बात सुन, कमांड ऑफिसर कहते है, "जी हां, ये वही है।"


कमांड ऑफिसर की बात सुन, हरीश उन से कहते है, "इस आईपीएस अफसर जयदेव सचदेवा के जल्द से जल्द प्रतापगढ़ के सिटी हॉस्पिटल में आने को कहो और हां, शायद अब ये आईपीएस की पोस्ट पर नजर नही आएगा।"


हरीश की बात सुन, कमांड ऑफिसर के होश ही उड़ जाते है और वो, हरीश से कहते है, "पर सर क्यो, आईपीएस जयदेव तो बहुत ही ईमानदार अफसर है इन्होंने आज तक कुछ गलत नही किया, फिर आप ऐसा क्यो कह रहे हैं ?"


उस कमांड ऑफिसर की बात सुन, हरीश उन से कहते है, "एक बात याद रखना, जरूरी नहीं होता है कि हर बार हम ही गलती करे तो ही हम उस के सजा मिलती है, कभी कभी ऐसा भी होता है कि गलती हमारा ही कोई अपना करता है और उस की सजा हमे मिल जाती है, और वो ही आइपीएस अफसर जयदेव सचदेवा के साथ होगा !"


हरीश अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहते है, "अब तुम जल्द से जल्द प्रतापगढ़ के सिटी हॉस्पिटल में उन को भेज दो।"


हरीश की बात सुन, कमांड ऑफिसर कहते है, "जी...जी ठीक है, मै अभी उन को बताता हु।"


उस कमांड ऑफिसर की बात सुन, हरीश कॉल कट कर देता है और वापस से वही आईसीयू के कमरे के बाहर सब के पास पहुंच जाता हैं।


वैसे तो काव्या का गुस्सा बहुत तेज है पर आज वो एक दम शान्त खड़ी होकर उस सीनियर डॉक्टर की बात सुन रही होती हैं क्योंकि कुछ सालो से किट्टू के साथ रहकर काव्या का गुस्सा कुछ हद तक शांत हो चुका होता है नही तो अब तक काव्या, उस डॉक्टर को इस दुनिया से ही विदा करने मे एक बार भी नही सोचती।


और काव्या उस डॉक्टर को बिना कुछ कहे ही आईसीयू के कमरे मे चली जाती हैं और उस के पीछे पीछे दादा जी भी चले जाते है साथ में रघु और हरीश भी जिसे देख वो सीनियर डॉक्टर कहती हैं, "अरे तुम लोग ऐसे कैसे आईसीयू में अंदर जा सकते हो।" पर कोई भी उस की बात पर ध्यान नहीं देता हैं और आईसीयू में अंदर चला जाता हैं।


काव्या और दादा जी के साथ रघु और हरीश भी आईसीयू के बेड पर लेटी उस लड़की को देख रहे होते है। काव्या किसी तरह अपने आप को संभाले हुए होती है कि जैसे ही उस लड़की के पास बैठ उस के सिर पर हाथ रखती है तो उस की आंखों से अंशु बह जाते है।


अगले पर जैसे ही काव्या उस लड़की के हाथो को देखती है तो उस के घाव देख उस के मुंह से एक ही शब्द निकलता है, "ये मेरी किट्टू नही हो सकती है !"


काव्या की बात सुन, रघु और हरीश के तो होश ही उड़ जाते है और अपने मन में सोचते हैं, "अगर ये किट्टू मैम नही है तो ये लड़की कौन हो सकती है और हमारी किट्टू मैम कहा होंगी।"


काव्या के शब्द सुन, दादा जी कहते है, "तुम, ये इतने यकीन के साथ कैसे कह सकती हो ?"


दादा जी की बात सुन, काव्या कहती हैं, "ये लड़की मेरी किट्टू नही हो सकती है क्योंकि इस के हाथ पर जो घाव है उन को देख के लगता हैं कि बहुत पहले भी इस को कही बार चोट लगी होगी जिस पर दुबारा से चोट आ गई हैं जबकि कल रात तक मेरी किट्टू के हाथ पर इतनी सी भी चोट के निशान तक नही थे और मुझे ये सब इसलिए पता है क्योंकि मै, कल रात किट्टू के साथ उस के कमरे मे ही थी।"


काव्या अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहती हैं, "और इस ल़डकी की सिर्फ हाईट ही किट्टू से match कर रही है बाकी इस का चेहरा को पहचान मे भी नही आ रहा है।"


काव्या की पूरी बात सुन, दादा जी कहते है, "मुझे तो समझ नही आ रहा है कि किट्टू की Sport Bike प्रतापगढ़ के सिटी हॉस्पिटल में क्या कर रही है और इस ल़डकी को हमारी किट्टू क्यो बताया गया होगा ?"


अभी भी राहुल और जगदीश आईसीयू के बाहर ही खड़े हुए होते है और जब वो सीनियर डॉक्टर काव्या को आईसीयू से बाहर निकलने के लिए आगे बढ़ती है तो जगदीश आईसीयू के कमरे के दरवाजे पर खड़ा हो जाता हैं। जिसे से वो सीनियर डॉक्टर आईसीयू में अंदर नही जा पाती है।


और राहुल उस सीनियर डॉक्टर की तरफ बढ़ने लगता हैं जिस से वो डॉक्टर पीछे हटने लगती है तो राहुल जल्दी से आगे बढ़ उस का ID Card पर से उस का नाम देख के पीछे हट जाता हैं और जगदीश से कहता है, "अब तो इस बातामीज लड़की को इस हॉस्पिटल से बाहर का रास्ता दिखा ना ही पड़ेगा।"


राहुल की बात सुन, उस सीनियर डॉक्टर भड़क जाती है और उस से गुस्से से कहती हैं, "तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम मुझे मेरे ही हॉस्पिटल से बाहर का रास्ता दिखाओ।"


उस सीनियर डॉक्टर की बात सुन, राहुल और जगदीश कुछ नही कहते है।


तभी वो सीनियर डॉक्टर, राहुल को धाका देकर आईसीयू में चली जाती हैं और काव्या को देख कहती हैं, "मुझे तो समझ नही आता है आप लोगो का, कि ये लड़की पिछले तीन दिनों से यहां मौजूद है तब तो कोई नही आया और आज इतनी सारी भीड़ एक साथ आईसीयू में घुसी जा रही है।"


वो सीनियर डॉक्टर अपनी बात पूरी करते हुए कहती हैं, "क्या आप लोगो को पता नही है कि आईसीयू में एक बार में एक ही member को अन्दर जाने की permission होती है और आप एक साथ 6 लोग अंदर जा रहे हैं !"


उस सीनियर डॉक्टर के पीछे पीछे राहुल और जगदीश भी उस आईसीयू के कमरे मे अंदर पहुंच जाते है। और जब वो उस सीनियर डॉक्टर की बात सुनते हैं तो काव्या और दादा जी के साथ खड़े रघु और हरीश और साथ में राहुल और जगदीश के भी होश उड़ जाते है।


दादा जी कुछ कहने ही वाले होते है कि उस सीनियर डॉक्टर के पापा प्रतापगढ के आईपीएस अफसर जयदेव सचदेवा वहा पहुंच जाते है और काव्या के दादा जी रघुनाथ सिंह राठौड़ को देख उन के सामने अपने दोनो हाथ जोड के कहते है, "खाम्मा घड़ी बड़े राठौड़ सा, मुझसे कोई गलती हो गई क्या, जो आप ने मुझे यहां बुलाया है ?"


अपने पापा को ऐसे देख, उस सीनियर डॉक्टर के तो होश ही उड़ जाते है और वो अपने पापा को देख उन से कहती हैं, "पापा, आप ये क्या कर रहे हैं, आप ऐसे कैसे किसी के भी सामने अपने हाथ जोड़ सकते है !"


अपनी बेटी की बात सुन, आईपीएस अधिकारी जयदेव सचदेवा कहते है, "बेटा, मै तुम्हे बचपन से बताता आ रहा हु कि कैसे मुझे और तुम्हारी मां की जिंदगी बच पाई थी उन लोगों से।"


आईपीएस अधिकारी जयदेव सचदेवा की बेटी का नाम प्रिंसी सचदेवा होता है और उम्र 26 वर्ष होती है और हाइट 5"8 होती हैं। प्रिंसी ने अमरीका से MBBS की पढ़ाई पूरी करी होती और एक साल पहले ही वो इंडिया वापस आईं होती हैं।


अपने पापा की बात सुन, प्रिंसी कहती हैं, "हां पापा, मुझे सब कुछ याद है पर इस बात का इन के सामने हाथ जोड़ ने से क्या मतलब है?"


अपनी बेटी की बात सुन, जयदेव जी कहते है, "बेटा ये वही इंसान है और उस दिन अगर ये रघुनाथ सिंह राठौड़ नही आए होते ना तो तुम आज इस दुनिया मे नही होती।"


अपने पापा की बात सुन, प्रिंसी शॉक रह जाती है वो कुछ बोलने ही वाली होती हैं कि तभी उस के पापा आगे बोलते हैं, "बेटा, तुम्हारी मां राजपुत खानदान से थी और मै एक मिडिल क्लास परिवार से, हम दोनो कॉलेज में मिले और वही मै, तुम्हारी मां से प्यार करने लगा पर ये बात जब तुम्हारी मां के परिवार वालों को पता चली तो....!"


जयदेव जी अपनी अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहते है, "राजपुत खानदान मेरे परिवार को मारना चाहते थे पर उस दिन राठौड़ साहब ने आकर हमें बचा लिया और फिर इन्होंने ही हमारी शादी पूरे रीति रिवाजों से करवाई और बाद मे तुम्हारे होने पर तुम्हारी पढ़ाई लिखाई का खर्चा भी इन्होंने ही दिया, ये पुलिस की नौकरी तो मुझे बहुत बाद मे मिली थी।"


अपने पिता की बात सुन, प्रिंसी को अपनी कही हुई बातो पर बहुत ज्यादा अपसोस हो रहा होता है इसलिए वो रघुनाथ सिंह राठौड़ से कहती हैं, "मुझे माफ कर दीजिए, मुझे नही पता था कि आप की वजह से ही मै आज इस दुनिया हु और अपनी ये पहचान बना पाई हु क्योंकि मैने आज तक अपने पापा के मुंह से आप की तारीफ सुनी थी पर आप को कभी देखा नही था।"


उस सीनियर डॉक्टर प्रिंसी सचदेवा की बात सुन, दादा जी कहते है, "मै जानता हु कि तुम्हे कुछ नही पता था, मै तो बस तुम्हे सच्चाई दिखाना चाहता था जो मैने, तुम्हे तुम्हारे पिता के द्वारा ही दिखावा दी है।"


अब जयदेव सचदेवा अपनी टोपी और गन, राठौड़ साहब को देते है तो दादा जी उन से कहते है, "इस की कोई जरूरत नहीं है मै बस तुम्हारी लड़की का घमंड तोड़ना चाहता था जो ये मुझे बिना किसी बात के दिखा रही थी और रही बात तुम्हारी जॉब की तो वो पहले भी तुम्हारी थी और आगे भी तुम्हारी ही रहेगी।"


उस सीनियर डॉक्टर की बात सुन, अब काव्या कुछ सोचते हुए, उस से पूछती हैं, "तुम ने अभी क्या कहा था कि ने ये लड़की यहां तीन दिनों से मौजूद है?"


काव्या की बात सुन सब को याद आता है कि प्रिंसी ने अभी थोड़ी देर पहले क्या कहा था जिस से उन सभी को हैरानी हो रही होती जिसे देख प्रिंसी उन सब से कहती हैं, "हां, मैने जो कुछ भी कहा वो सच कहा है क्योंकि ये लड़की पिछले तीन दिनों से यहां पर मौजूद है और कोई भी इस लड़की को देखने तक नही आया था।"


उस सीनियर डॉक्टर की बात सुन, अब दादा जी से अब और सहा नही जाता हैं और वो पूछते हैं, "इस लड़की का नाम क्या है?


दादा जी की बात सुन, वो सीनियर डॉक्टर उन से कहती हैं, "हमे इस के बारे में कुछ जानकारी नहीं है बस कोई आया और इस को यहां छोड़ के चला गया है, हमे नही पता ये लड़की कौन है, कहा से आई है, इस के माता पिता कौन है, हमारा पूरा सिटी हॉस्पिटल इस के बारे में कुछ नही जानता है !"


उस सीनियर डॉक्टर की बात सुन, काव्या रघु की तरफ देख के पूछती हैं, "तुम ने तो कहा था कि इस सिटी हॉस्पिटल के कंपाउडर ने बताया है कि ये लड़की ही मेरी किट्टू है !"


काव्या अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहती हैं, "जबकि ये डॉक्टर तो कह रही है कि ये खुद इस लड़की के बारे में कुछ नही जानती और न ही इस के हॉस्पिटल वालो को कुछ पता है तो फिर तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला जबकि तुम्हे पता है कि मेरी किट्टू मेरे लिए क्या मायेने रखती है?"


काव्या की बात सुन, वो सीनियर डॉक्टर अब रघु की तरफ देख के कहती हैं, "ये कैसे हो सकता है हम सब पिछले तीन दिनों से इस लड़की के नाम को जानने की कोशिश कर रहे हैं जिस के लिए हम ने Newspaper में भी खबर झपवाई थी पर कोई भी व्यक्ति यहां इस के बारे में पूछने तक नही आया।"


काव्या और उस सीनियर डॉक्टर की सुन अब सब रघु को देख रहे होते है जिस वजह से वो बहुत ज्यादा डर जाता हैं और हड़बड़ा कर बोलता है, "बॉस, सच में मैने कुछ नही किया है, जब राहुल ने इस सिटी हॉस्पिटल की जानकारी दी तब ही मैंने इस हॉस्पिटल में किट्टू मैम के बारे में पता करने के लिए कॉल किया था।"


रघु अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहता है, "तो यहां से किसी कंपाउडर ने मेरा कॉल रिसीव किया था और उस ने ही मुझे बताया कि किट्टू मैम इस सिटी हॉस्पिटल के Second Floor के कमरे नंबर 202 जो की एक आईसीयू है उस मे मौजूद हैं और मुझे कुछ पता नहीं है इस बारे !"


रघु की बात सुन ने के बाद, काव्या जोर से उस सीनियर डॉक्टर से पूछती है, "तुम्हारे सिटी हॉस्पिटल में अभी कितने लोग मौजूद है !"


काव्या की बात सुन, सीनियर डॉक्टर अपना जवाब देते हुए कहती हैं, "हमारे सिटी हॉस्पिटल में अभी 4 सीनियर डॉक्टर, 6 जूनियर डॉक्टर, 10 नर्स, 5 वार्डबॉय और 2 ही कंपाउडर मौजूद है।"


उस सीनियर डॉक्टर की बात सुन, काव्या रघु से कहती हैं, "मुझे आज इस सिटी हॉस्पिटल में मौजूद उन सभी लोगो की पूरी जानकारी निकल कर दो।"


काव्या की बात सुन, रघु उस सीनियर डॉक्टर से कहता है, "आप मेरे साथ बाहर चल के उन सब के बारे में बता सकती है क्या ?"


रघु की बात सुन, वो सीनियर डॉक्टर कहती हैं, "जरूर, चलिए !" और फिर रघु उन सीनियर डॉक्टर को उस आईसीयू के कमरे से बाहर लेकर निकल जाता हैं।


अब काव्या, जयदेव जी को देख उन से कहती है, "अब आप को मेरी किट्टू को ढूंढना होगा जो कि मेरी छोटी बहन है और वो सुबह से राठौड़ मैंशन से गायब है, हमे जेसे ही पता चला की किट्टू की Sport Bike प्रतापगढ के सिटी हॉस्पिटल में मौजूद है इसलिए हम लोग यहां आ गए पर अभी पता चल रहा हैं कि ये लड़की तो मेरी किट्टू है ही नही।"


काव्या की पूरी बात सुन, जयदेव जी कहते है, "जी, मै अपनी पूरी ताकत लगाकर आप की छोटी बहन को ढूंढने में लग जाता हूं बस आप उन की कोई फोटो मुझे दे दीजिए।"


और कुछ देर बाद ही रघु वापस आ जाता हैं तो काव्या उस से कहती हैं, "तुम, इनको किट्टू की फोटो दे दो और उस कंपाउडर के बारे में जल्द से जल्द पता कर के बताओ।"


काव्या की बात सुन, रघु कहता है, "जी बॉस, मै अभी इन को किट्टू मैम की फोटो दे देता और जल्द से जल्द उस कम्पाउडर का पता लगवा कर आप को बताता हूं।"


आधा घण्टे बाद,


अब तक काव्या प्रतापगढ मे ही अपने एक विला में आ जाती है और उस के साथ दादा जी, हरीश और दोनो के Personal बॉडीगार्ड भी आ जाते है।


फिर रघु आता है और काव्या को देख कहता है, "मेम आज तो प्रतापगढ के सिटी हॉस्पिटल में एक ही कंपाउडर मौजूद था जो हमारे वहा पहुंचे के कुछ देर बाद ही छुट्टी लेकर वहा से कही चला गया है।"


रघु की बात सुन, दादा जी कहते है, "तो कहा है वो इंसान, उस को कही से भी ढूंढ के निकालो, क्योंकि मुझे लगता हैं अब वो ही हमे किट्टू के पास ले कर जा सकता है।"


दादा जी की बात सुन, रघु कहता है, "जी, दादा जी हम जल्द से जल्द उस को ढूंढ निकलेंगे !"


तभी वहा जयदेव जी आ जाते है और आते ही कहते है, "खम्मा घड़ी बड़े राठौड़ सा।"


जयदेव अपनी बात पूरी करते हुए कहते है, "उस कंपाउडर के बारे में कुछ पता चला है इसलिए मै खुद इस बारे में आप को बताने आया हू !"


जयदेव की बात सुन, काव्या उन से पूछती है, "क्या पता चला है आप को, जल्दी से बताए।"


काव्या की बात सुन, जयदेव जी कहते है, "वो कंपाउडर आप के जयपुर जिले के पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह चौधरी का खास आदमी है जो उन के लिए काम करता है।"


जयदेव जी की बात सुन, दादा जी एक साथ कहते है, "क्या, तुम ने जो अभी कहा वो सब सच है, कही तुम से कोई गलती तो नही हुई है ना।"


दादा जी की बात सुन, जयदेव जी कहते है, "नही, बड़े राठौड़ सा मेरी इतनी हिम्मत कहा है जो मै आप से झूठ बोलूंगा और मैने जो कुछ भी कहा है वो बिलकुल सच है और अगर कुछ गलत निकल जाए तो आप मुझे बेजिझक मार सकते हैं।"


जयदेव की बात सुन, दादा जी और काव्या को उन की आंखों में सच्चाई नज़र आ रही होती हैं जिस कारण वो अब ये सोच रहे होते है कि उस पुलिस कमिश्नर ने ऐसा क्यों किया होगा।


अब दादा जी, हरीश से कहते है, "अभी के अभी उस अपने जिले के पुलिस कमिश्नर को यहां आने को बोलो।"


दादा जी की बात सुन, हरीश उन से कहते है, "जी सर, मै अभी उन को यहां बुला लेता हु।" और फिर वो पुलिस कमिश्नर को कॉल करने के लिए साइड में चले जाते है।


हरीश, उन पुलिस कमिश्नर से बात कर लेते है और आकर दादा जी से कहते है, "सर, वो दो घंटे बाद यहां पहुच जायेंगे क्योंकि वो अभी जयपुर के तरफ ही है।"


हरीश की बात सुन, काव्या और दादा जी दोनो एक साथ कहते है, "ठीक है।"


अब काव्या को कैसे पता चलेगा कि उस कंपाउडर ने किट्टू के बारे में उस तक झुठी जानकारी क्यों पहुंचाई होगी ? और काव्या सोच रही होती हैं कि वो कंपाउडर किट्टू से क्या दुश्मनी रखता होगा ? अब आगे क्या होगा जानने के लिए इंतज़ार करिए अगले भाग का...!