तेरा मेरा ये रिश्ता - 16 Saloni Agarwal द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरा मेरा ये रिश्ता - 16

शालिनी आगे कहती हैं, "मुझे कुछ समय बाद होश आ जाता हैं तब तक बुआ जी की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी, उन का रो रोकर बुरा हाल हो गया था, वो बार बार अपने आप को कोस रही थी।"

बुआ जी, फूफा जी को देख के कहती है, "वो क्यों वंश भैया के कहने पर उन को दिल्ली छोड़ के आई और ना वो वंश भैया को छोड़ के आती और न ये सब देखना पड़ता !"

बुआ जी की बातो को सुन, फूफा जी उन को समझाते हुए कहते है, "रजनी....रजनी मेरी बात तो सुनो !"

फूफा जी बार बार बुआ जी का नाम ले रहे थे पर बुआ जी उन की कोई भी बात सुनने को तैयार नही थी, जिस कारण फूफा जी जोर से चिलाते हुए कहते है, "रजनी सुनो मेरी बात, तुम परिस्थिति को समझने की कोशिश करो, अगर तुम ही नही समझोगी तो घर के बाकी लोगो को कौन संभालेगा, बताओ मुझे ?"

फूफा जी की बात सुन, बुआ जी रोते हुए उन से कहती हैं, "तो क्या करूं मै, मैने सब कुछ खो दिया, क्यो मै वंश को वहा छोड़ के आई !"

बुआ जी की बात सुन, फूफा जी बात को समझते हुए उन से प्यार से कहते है, "देखो रजनी, मै मानता हूं कि वंश का एसिडेंट हुआ है पर वो एक दिन बिलकुल ठीक हो जायेगा !"

फूफा जी की बात सुन, बुआ जी अब तक कुछ शांत हो चुकी थी और उस वो दोनो एक सीट पर बैठ गए जहा बुआ जी, फूफा जी के कंधे पर अपना सिर रख कर सो चुकी थी।

और फूफा जी, अभिषेक भैया को देख के कहते है, "वंश को कब तक होश आ जायेगा और तुम ने उस truck ड्राइवर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी ना ?"

फूफा जी की बात सुन, अभिषेक भैया उन से कहते है, "हां, पापा रिपोर्ट तो मैंने यहां आते समय ही आयुष से कहकर लिखवा दी थी और रही बात वंश की तो उस को बहुत सी चोट आई है जिस कारण डॉक्टर ने कहा था कि उस को रात तक ही होश आएगा।"

अभिषेक भैया की बात सुन, फूफा जी अपना सिर हिला देते है और वही अपनी आंखे बंद करके बैठे रहे और अभिषेक भैया सिटी हॉस्पिटल से बाहर निकल गए।

रात का समय,

अभिषेक भैया बाहर से वापस आ चुके थे पर वो बहुत ज्यादा गुस्से में होते हैं जिन्हें देख फूफा जी उन को वहा से बाहर ले जाते है जब मैं, फूफा जी को अभिषेक भैया के साथ बाहर जाते हुए देखती ही तो मैं भी उन के पीछे पीछे चली जाती हु।

फूफा जी, अभिषेक भैया से पूछते हैं," क्या हुआ है तुम्हे और इतने गुस्से में क्यो हो ?"

फूफा जी की बात को सुन, अभिषेक भैया उन से कहते है, "जिस ट्रक ड्राइवर ने वंश की कार को टकर मारी, उस को पुलिस ने छोड़ दिया क्योंकि उन का कहना था कि हमारा वंश ही गलत दिशा में अपनी कार चला रहा था जिस से उस का ये एसिडेंट हो गया है और वहा मौजूद लोगो ने भी यही गवाही दी है।"

अभिषेक भैया की बात सुन, फूफा जी हैरान होते हुए कहते है, "ऐसा हो ही नही सकता है कि मेरा वंश गलत दिशा में अपनी कार चला रहा हो !"

फूफा जी की बात सुन, अभिषेक भैया उन से गुस्से में आकर कहते है, "वही तो पापा, वो लोग उस ट्रक ड्राइवर को बचा रहे हैं पर मुझसे उस ड्राइवर को कोई नही बचा पाएगा !"

अभिषेक भैया की बात सुन, फूफा जी उन को कहते है, "देख अभिषेक अभी तू कुछ नही करेगा पहले मामले को ठंडा होने दे तब तक वंश भी ठीक हो जायेगा और पूरा परिवार भी संभल जायेगा।"

फूफा जी ने जब अपनी बात कही होती हैं तो अभिषेक का ध्यान कही ओर ही होता है जिस पर फूफा जी उन को दुबारा से कहते है, "समझ रहा है ना तू ?"

फूफा जी की बात सुन, अभिषेक भैया उन से कहते है, "हां पापा, मै अभी कुछ भी ऐसा वैसा नही करूंगा, अब ठीक है !"

अभिषेक भैया की बात सुन, फूफा जी राहत की सांस लेते हैं क्योंकि अभिषेक भैया का गुस्सा बहुत तेज है और उन का गुस्सा बुआ जी पर गया होता है।

शालिनी कहती हैं, "फिर अभिषेक भैया और फूफा जी वापस हॉस्पिटल में आ जाते है और मैं भी उन के पीछे पीछे हॉस्पिटल में पहुंच जाती हु।"

अब तक बुआ जी और छुटकी, वंश भैया के रूम के बाहर खड़ी हुई होती हैं जिन्हे देख फूफा जी उन से पूछते हैं, "क्या हुआ है और तुम दोनो यहां क्यूं खड़ी हुई हो ?"

फूफा जी के पूछने पर, छुटकी रोते हुए कहती हैं, "पापा, रात होने को आई है पर अभी तक वंश भैया को होश नही आया है और ये डॉक्टर हमे उनसे मिलने के लिए भी नही जाने दे रहे हैं !"

छुटकी आगे कहती हैं, "पापा, आप इन लोगो से कहो ना कि ये हमे वंश भैया से मिलने दे !" और छुटकी, फूफा जी के गले से लग जाती हैं।

छुटकी की बात सुन, फूफा जी छुटकी से कहते है, "तुम तो जानती ही हो वंश को कितनी चोट लगी है इसलिए डॉक्टर उस को आराम करने दे रहे हैं जिस से वो जल्दी से ठीक हो जाए।"

फूफा जी की बात सुन, छुटकी मासुमियत के साथ कहती हैं, "पापा, मै वंश भैया को बिलकुल भी परेशान नहीं करूंगी बस मुझे उन से मिलना है प्लीज एक बार मिलवा दो ना, बहुत समय से नही देखा है उन को !"

छुटकी की मासूमियत पर, अभिषेक भैया आयुष से कहते है, "जाओ, डॉक्टर को बुला कर लाओ !"

अभिषेक भैया की बात सुन, आयुष वहा से डॉक्टर को बुलाने के लिए चले जाते है और कुछ देर बाद एक डॉक्टर को लेकर आ जाते है जो वंश भैया का इलाज कर रहे होते है।

शालिनी आगे कहती हैं, "उन डॉक्टर के साथ हम लोग वंश भैया के कमरे मे चले जाते है बहुत समय से हम सब ने वंश भैया को देखा नही होता है पर जब उन की ये हालत देखते हैं तो बुआ, छुटकी और मेरी आंखो से आंसू निकलने लगते है।"

तो फूफा जी हम सब को डाटते हुए कहते है, "मेरा बेटा अब ठीक है और अब तुम मे से कोई रोया न तो मुझसे बुरा कोई नही होगा।"

वहा जो डॉक्टर थे, हम से कहते हैं, "देखिए ये आईसीयू है और आप लोग एक बार मे एक ही पेसेंट के पास बैठ सकता है बाकी लोगो को बाहर ही बैठना पड़ेगा।"

उस डॉक्टर की बात सुन, फूफा जी उन से कहते है, "जी मै आप की बात को समझता हू, पर हम सुबह से अपने बेटे को देखना चाहते थे शायद इसीलिए ही हम सब एक साथ ही यहां आ गए हैं और थोड़ी देर बाद सब बाहर भी चले जायेंगे।"

वो डॉक्टर, फूफा जी की बातो को समझ उन से कुछ नही कहते है और दवाइयां देखने लगते हैं और फिर कमरे से बाहर निकल जाते है। तभी छुटकी, वंश भैया के पास बैठ जाती हैं और उन का हाथ बहुत आराम से पकड़ लेती है जिस से उन्हे कोई परेशानी न हो और वंश भैया से कहती हैं, "देखो आप की छोटी सी बहन आप से बात करना चाहती है और एक आप है कि मुझ से बात ही नही कर रहे हैं !"

छुटकी की नादानी भरी बातो से सबके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है पर तभी वंश भैया की हार्ट बीट नॉर्मल से अधिक तेज हो जाती है जिस से हम सब घबरा जाते है और बुआ लगभग चिलाते हुए, अभिषेक भैया से कहती हैं, "अभिषेक जल्दी से डॉक्टर को बुलाओ !"

बुआ जी की बात को सुन, अभिषेक भैया खुद डॉक्टर को लेके चले जाते है और और कुछ ही देर में डॉक्टर को ले आते हैं। डॉक्टर आते ही, बुआ उन से कहती हैं, "मेरे बच्चे को क्या हुआ है अभी तक तो सब ठीक था !"

बुआ जी की बात सुन, डॉक्टर को देख के लगा कि इन को भी समझ नही आ रहा था कि इतनी जल्दी ठीक ठाक पेसेन्ट को क्या हो सकता है। जब उन को कुछ समझ नही आता है तो वो भाग कर अपने सीनियर डॉक्टर को बुला लाता है।

और वो डॉक्टर अंदर आते ही हम सब को बाहर जाने के लिए बोल देते हैं मगर बुआ जी तो जाना ही नही चाहती है तो फूफा जी उन को समझते हुए कहते है, "रजनी, तुम मेरे साथ बाहर चलो तभी तो ये डॉक्टर हमारे वंश को ठीक कर पाएंगे।"

शालिनी आगे कहती हैं, "फूफा जी की बात सुन, बुआ जी उन की बात मान जाती है और उन के साथ उस आईसीयू से बाहर निकल जाती है। मै और छुटकी बहुत रो रहे होते हैं और अभिषेक भैया हम दोनों को संभाल रहे होते हैं।"

शालिनी कहती हैं, "हम सब बाहर खड़े ही होते हैं कि उस हॉस्पिटल के नर्स और बाकी डॉक्टर्स भी वंश भैया के कमरे मे जाने लगते है, हमे तो समझ ही नही आ रहा होता है कि यहां चल क्या रहा होता है।"

फिर अभिषेक भैया, एक नर्स को रोक के पूछते हैं, "यहां हो क्या रहा है?"

अभिषेक भैया की बात सुन, वो नर्स कहती हैं, "कुछ पता नही चल पा रहा है कि ये पेसेंट अभी तक बिल्कुल ठीक थे अचानक से इनकी हालत इतनी बिगड़ क्यू गई है और इनको संभालना मुश्किल हो रहा है क्योंकि इन की हार्ट बीट बहुत तेज चल रही है जिस से इनकी जान भी जा सकती है !"

उस नर्स की बात सुन, हम सब के होश ही उड़ जाते हैं और किसी को भी कुछ समझ नही आ रहा होता है तभी एक डॉक्टर, वंश भैया के कमरे से बाहर निकल के आता है और फूफा जी से कहता है, "सुनिए, जल्दी से पेसेंट के बच्चे को यहां बुलवा लीजिए, नही तो इनकी हालत और भी बिगड़ सकती है !"

उस डॉक्टर की बात सुन, हम सब शॉक रह जाते है और एक साथ बोलते हैं, "क्या, बच्चा और वो भी वंश भैया का ?"

वो डॉक्टर हम सब को हैरान देख कहता है, "हां और जब खुद पेसेंट ही बार बार ये कह रहे हैं कि मेरा बच्चा मुझे छोड़ के नही जा सकता, तो फिर आप लोग इतना हैरान क्यो है ?

उन डॉक्टर की बात सुन, हमे तीसरी बार झटका लग जाता हैं और हम सब एक दूसरे का चेहरा देखने लगते है। जब वो डॉक्टर हम सब को ऐसा हैरान देखता है तो हम से कहते है, "अब भी आप लोग एक दूसरे को ही देखते रहेंगे या फिर अपने बेटे को बचाने के लिए कुछ करेंगे भी ?"

उस डॉक्टर की बात सुन, फूफा जी उन से कहते है, "मेरे दो बेटे हैं और अभी तक मैंने किसी की भी शादी नही की है तो उस का बच्चा कहा से लेकर आऊं, आप ही बता दीजिए !"

फूफा जी की बात सुन, उस डॉक्टर को पहले तो झटका लगता हैं और फिर वो कहते है, "ये भी तो हो सकता है कि आप के इस बेटे की कोई Girlfriend हो और उस से......?" वो अपनी बात अधूरी ही छोड़ देते है और वापस से वंश भैया के कमरे की तरफ बढ़ जाते है।

बुआ जी अब अभिषेक भैया की तरफ देखते हुए कहती हैं, "अभिषेक क्या तुम्हे उस की कोई Girlfriend के बारे में पता है?"

बुआ जी की बात सुन, अभिषेक भैया उन से कहते है, "नही मां, अपना वंश ऐसा नहीं है और अगर कोई होती ना तो वो मुझे जरूर से बताता क्योंकि हम दोनो एक दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त है।"

अभिषेक भैया की बात सुन, छुटकी कहती हैं, "मम्मा मुझे तो लगता हैं इन डॉक्टर्स से कुछ हो नही पा रहा है इसलिए ये सब ऐसे उल्टे सीधे बाते बना रहे हैं !"

छुटकी ने जब ये बोला ही था कि पीछे से एक डॉक्टर वंश भैया के कमरे से निकल रहे होते हैं जिस से उन्होंने वो सब सुन लिया होता है जिस से उन्हे गुस्सा आ जाता हैं और वो गुस्से से कहते है, "अगर यकीन ही होता है ना तो आइए कमरे मे हम दिखाते हैं कि आप के बेटे खुद ये सब बोल रहे हैं ना कि हम बाते बना रहे हैं।"

उस डॉक्टर की बात सुन, बुआ जी को भी गुस्सा आ जाता हैं और वो कहती हैं, "हां, चलो देखते हैं।" और फिर सब वंश भैया के कमरे मे चले जाते है।

हम वंश भैया के कमरे के बाहर ही पहुंचे थे कि वहा के डॉक्टर हमे देख वही रोकते हुए हम से कहते है, "आप को दिख नही रहा है क्या, हम पेसेंट का चेकअप कर रहे हैं !"

उन डॉक्टर की बात पर वो डॉक्टर हमे टोंट मरते हुए कहता है, "सर, इन्हे भी देख लेने दीजिए अपने बेटे को नही तो ये लोग हमारे टीटमेंट पर सवाल उठाते रहेंगे।"

अपने जूनियर डॉक्टर की बात सुन, वो सीनियर डॉक्टर कुछ नही कहते है और हमें अंदर जाने देते हैं। और फिर हम सब अन्दर पहुंच जाते है और मेरी बुआ, वंश भैया के पास बैठ के उनके सिर पर हाथ फेरा ही था कि अचानक से वंश भैया कहते है, "मेरा बच्चा मुझे छोड़ के नही जा सकता।"

जिसे सुन हम सब शॉक रह जाते है वो जूनियर डॉक्टर हमे कुछ कह पता कि उस से पहले ही वंश भैया की हार्ट बीट नॉर्मल से अब बहुत कम हो जाती हैं जिस से सीनियर डॉक्टर, अपने जूनियर डॉक्टर से कह कर कोई इंजेक्शन लाने को कहते है।

और बुआ जी को, फूफा जी अपने साथ वंश भैया के कमरे मे साइड की तरफ ले जाते है और हम सब भी वही खड़े हो जाते है। उनके सीनियर डॉक्टर के कहने पर, उनके जूनियर डॉक्टर उन को injection दे देते हैं और वो सीनियर डॉक्टर, वंश भैया को injection लगा देते है जिस के बाद वंश भैया अभी जो कुछ भी बोल रहे थे वो भी बोलना बंद कर देते है।

और वो डॉक्टर्स को टीम हमे वंश भैया के कमरे से बाहर जाने को बोल देते हैं और खुद भी बाहर आ जाते है। मेरी बुआ, उन सीनियर डॉक्टर से पूछती हैं, "अब मेरा बेटा ठीक हो जायेगा न !"

बुआ जी की बात सुन, वो सीनियर डॉक्टर कहते है, "देखिए मै आप को कोई झुठी तसल्ली नहीं दूंगा बस इतना कहना है कि अगर उन को injection का असर खतम होने तक होश नही आया तो वो कोमा में चले जायेंगे और कोई भी डॉक्टर उन को कोमा से बाहर नही ला सकता है।"

शालिनी कहती हैं, "उन सीनियर डॉक्टर की बात सुन, बुआ और मैं अब तक अपना होश खो चुके थे और फूफा जी के साथ अभिषेक भैया भी अब टूटने के करार पर पहुंच चुके थे।"

शालिनी बोलते रुक जाती है और रोने लगती है और फिर आगे कहती हैं, "सब बस हम भगवान जी से प्रार्थना कर रहे थे कि वंश भैया को होश आ जाए, पर भगवान जी को तो कुछ और ही मंजूर था !"

कुछ घंटे बाद,

सीनियर डॉक्टर अपने दिए हुए समय से पहले ही आकर ही वंश भैया को चेक करने लग जाते है जैसे उन को भी अब हम पर तरस आ रहा हो और वो भी चाहा रहे हो कि वंश भैया बच जाए।

पर जब तक वो ऊपर वाला नही चाहेगा न तब तक कोई कुछ नही कर सकता है और वो बाहर आकर फूफा जी से कहते है, "आप मेरे साथ मेरे केबिन में चलिए, मुझे आप से कुछ बात करनी है।"

उन सीनियर डॉक्टर की बात सुन, फूफा जी चले जाते हैं क्योंकि फूफा जी ने पहले ही अभिषेक भैया से, बुआ जी को अपने साथ बाहर ले जाने को बोल दिया था।

उन सीनियर डॉक्टर के केबिन में आने के बाद, फूफा जी उन से पूछते हैं, "तो बताए आप ने मुझे यहां क्यूं बुलाया है ?"

फूफा जी की बात सुन, वो सीनियर डॉक्टर उन से कहते है, "देखिए मुझे बातो को घुमाना नही आता है तो मै, आप को साफ साफ कहता हूं कि आप का बेटा अब कोमा में जा चुका हैं।"

वो सीनियर डॉक्टर अपनी बात पूरी करते हुए कहते है, "और अब आप को अपने परिवार को समझना होगा और कोई नही बता सकता है कि उन्हें कब होश आए !"

शालिनी कहती हैं, "सीनियर डॉक्टर के कमरे में बुलाने से ही फूफा जी को अंदाजा हो गया है और अब उन्होने साफ तौर पर बता भी दिया था कि अब वंश भैया कोमा में चले गए हैं इसलिए फूफा जी ने ज्यादा कुछ नहीं कहा और उन के केबिन से बाहर आ गए।"

फूफा जी बाहर आए ही थे कि बुआ जी उन से पूछती है, "क्या हुआ, क्या कहा डॉक्टर ने, मेरे बेटे को कब तक हो आ जायेगा !"

बुआ जी के कहने पर, सब अब फूफा जी को ही देख रहे होते हैं और उन के बोलने का ही इन्तज़ार कर रहे होते हैं। तो फूफा जी, बुआ जी को अपने साथ बाहर ले जाते है और उन से कहते है, "वंश अब कब होश में आएगा ये किसी को पता नही है क्यूंकि वो अब कोमा में जा चुका है !"

फूफा जी की बात सुन, बुआ जी शॉक रह जाती है और वो रोने लगती है, जिस पर फूफा जी उन से कहते है, "देखो रजनी, तुम को अब अपने आप को संभालना होगा क्योंकि तुम्हे ही शालिनी को भी देखना है और तुम तो जानती ही हो वो अभी कुछ टाइम पहले ही तो वो अपने आप को संभाल पाई थी और अब ये सब हो गया है...!"

फूफा जी की बात सुन, बुआ जी अब कुछ नही कहती हैं और अपने आंसू पोंछ लेती है और फूफा जी से कहती हैं, "हां, आप सही कह रहे हैं अगर मै ही टूट जाऊंगी तो शालिनी को कोन संभालेगा और मैने वंश से वादा भी किया है कि मै, उस की गैर मौजूदगी में उस की बहन का ख्याल रखूंगी।"

बुआ जी की बात सुन, फूफा जी कुछ नही कहते है और दोनो हॉस्पिटल के अंदर आ जाते है, अब तक सब को पता चल जाता हैं कि वंश भैया कोमा में जा चुके हैं इसलिए फूफा जी से कोई कुछ नही पूछता है।

बुआ जी, अभिषेक भैया से कहती हैं, " तुम, शालिनी और छुटकी को लेकर घर जाओ और थोड़ा आराम कर लेना क्युकी आज सुबह से हॉस्पिटल में ही है और किसी ने भी कुछ भी नही खाया है !"

शालिनी आगे कहती हैं, "बुआ जी की बात सुन, मै उन से कहती हूं, "नही मै नही जाऊंगी, मैं अपने वंश भैया के पास ही रहूंगी और उनका हमेशा ख्याल रखूंगी जिस से उनको जल्दी ही होश आ जायेगा !"

बुआ के साथ फूफा जी भी मुझे समझाने लगते है पर मैं अपनी जिद पर अड़ चुकी थी और कही जाने को तैयार नही हो रही थी जिस से अभिषेक भैया के कहने पर मुझे वही रुकने दिया और फूफा जी, बुआ और छुटकी के साथ घर चले गए।


अब शालिनी आगे क्या बताएगी ? क्या सच में शालिनी के भैया का कोई बच्चा भी ? और अगर है भी तो घर वालो को क्यों नही पता ? साथ मे आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी और इंतजार करिए अगले भाग का....!