तेरा मेरा ये रिश्ता - 15 Saloni Agarwal द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरा मेरा ये रिश्ता - 15

शालिनी कहती हैं, " जब मैं, बुआ जी के कमरे के दरवाजे तक पहुंची तो वो थोड़ा सा खुला हुआ था और जैसे ही मैं उस दरवाजे को पूरा खोलने के लिए आगे बढ़ती हु तो फूफा जी, बुआ जी से कुछ कह रहे होते है जिसे सुन, मेरे पैर वही थम से जाते है।"



मेरे बुआ बहुत ज्यादा रो रही होती हैं और फूफा जी के गले लगते हुए कहती हैं, "गौरव, तुम तो जानते ही हो कि मेरे मम्मी पापा के जाने के बाद सौरव भैया ही मेरे सब कुछ थे और मैने कभी भी अपने सौरव भैया के बच्चो और अपने बच्चो मे कोई भेदभाव नहीं रखा है।"



मेरी बुआ आगे कहती हैं, "पर जब मुझे अपने भैया और भाभी की मौत की खबर मिली थी कि मै अंदर तक टूट गई थी, इसलिए मै उस वक्त ही अपने बच्चो को अपने पास लाना चाहती थीं, पर वंश नही माना और उस को वही दिल्ली छोड़ के आना पड़ा।"



बुआ जी की बातो को सुन, मुझे लगा कि वो मेरे मम्मी पापा को याद करके परेशान हो रही है अब मै बस दरवाजे के हैंडल को पकड़ दरवाजा पूरा खोलने ही वाली होती हु कि जब मैं, उन के द्वारा बोले शब्द सुन के फिर से वही रुक जाती हूं....!



मेरी बुआ, फूफा जी से अपनी बात कहे जा रही होती हैं और वो आगे कहती है, "आप, तो जानते ही हैं, हम बच्चों को उन के मम्मी पापा की मौत का कड़वा सच, पूरा न बताकर आधा अधूरा बताया है क्योंकि अगर ये सच बाहर आ गया तो शालिनी तो क्या वंश भी अपने आप को संभाल नही पाएगा।"



ये सब सुनने के बाद शालिनी अपने मन में सोचती हैं, "मुझे समझ नही आ रहा होता है कि जो बात मुझे वंश भैया ने बताई क्या वो भी पूरी नही थी या बुआ बाद में आई थी इसलिए उन्हें ये नही पता कि मुझे, वंश भैया ने सब कुछ बता दिया है !"



ये बाते शालिनी के दिमाग में घूम रही होती हैं, उसे समझ नही आ रहा होता है कि उस के मम्मी पापा की मौत का असली सच आखिर है क्या ? और सब से क्यों छुपाया जा रहा होता है ?



बुआ की बातो को सुन, फूफा जी उन से कहते है, "हां, मै मानता हूं कि मेरे दोस्त और उस की पत्नी के साथ जो हुआ वो गलत था और इस मे मेरे दोस्त की कोई गलती नही थी, पर होनी को कौन टाल सकता है, रजनी !"



फूफा जी आगे कहते है, "मेरे दोस्त ने अपने बिजनेस में बने पार्टनर को इतना महत्व दिया और उस ने ही उस की पीठ में खंजर घोप दिया और मुझे तो इन दो सालों में, ये भी नही पता चला कि उन की मौत का असली कातिल कौन है ?"



फूफा जी की बातो को सुन, बुआ जी उन से कहती है, "तो मै, क्या करूं मुझे कुछ समझ में नही आ रहा है कि वंश उस ही हाईवे से ही क्यू आ रहा है जहा मैने अपने भैया और भाभी को खो दिया और अब वंश को कुछ हो गया तो... !" और ये कहते ही बुआ जी रोने लगती है।



बुआ जी रोए जा रही होती हैं और फूफा जी उन को शांत करवाने की कोशिश कर रहे होते है पर बुआ जी रोते हुए, फूफा जी से कहती हैं, "आप को पता है आज सुबह से ही मेरा दिल घबरा रहा है, जैसे उस दिन घबरा रहा था और वो सब हो गया और मैंने अपने भैया और भाभी को खो दिया !"



बुआ जी की बात सुन, फूफा जी उन को डाटते हुए कहते है, "बस अब तुम और नही रो सकती और हां, ये सच जो सिर्फ हमे पता है वो सिर्फ हमारे बीच में रहेगा और कभी भी ये किसी के भी सामने नहीं आयेगा, कभी भी नही।"



फूफा जी की बात सुन, बुआ जी उन से कहती है, "पर गौरव, कभी तो वंश और शालिनी को ये बात पता चलेगी तो हम क्या करेंगे, बताओ मुझे ?"



बुआ जी की बातों को सुन, फूफा जी उन को डाटते हुए कहते है, "कभी भी कुछ पता नही चलेगा, समझ में आया तुम्हे।"



फूफा जी आगे कहते है, "और तुम क्यों बार बार उस बात को दोहराएं जा रही हो, जबकि तुम जानती तो हो कि हमारे बच्चो के बारे में उस को कुछ भी पता चला तो वो शख्स उन को भी मार देगा !"



फूफा जी आगे कहते है, "और तो और मै कभी भी ये बात अपने बच्चो को पता नही लगने दूंगा क्योंकि वो शख्स बहुत ज्यादा खतरनाक है अगर उस को पता चल गया तो...!" और फूफा जी अपनी बात आधी अधूरी ही छोड़ देते हैं।



फूफा जी, बुआ जी से आगे कहते है, "इसलिए अब तुम इस बारे में कुछ मत कहना, एक शब्द भी नहीं, ये बात सिर्फ हमे पता है और हमारे साथ ही दफन हो जायेगी !"



शालिनी आगे कहती है, "पहले तो मैं, दरवाजा खोल अंदर जाना चाहती थीं, बुआ और फूफा जी से पूछना चाहती थी कि ऐसा कौन सा राज है जो हम सब से भी छुपाया जा रहा है और वो कौन सा शख्स है जिस से मेरे पूरे परिवार को खतरा है...!"



पर जब फूफा जी के मुंह से सुना, "घर में किसी को भी इस बारे में कुछ भी पता चला तो वो शख्स हम सब को मार देगा, तो मेरे पैर वही रुक गए और अंदर जाने की हिम्मत ही नहीं हुई।



शालिनी आगे कहती हैं, " पर जहा मेरे मम्मी पापा की मौत हुई थी और उसी हाईवे से मेरे वंश भैया आ रहे हैं तो मुझे लगा कि मेरे दिल ने एक पल के लिए धड़कना ही बंद कर दिया हो, मेरा मन बहुत ज्यादा घबराने लग गया, कही वंश भैया को कुछ हो गया तो बुआ और फूफा जी तो पूरी तरह से टूट ही जाएंगे....!"



शालिनी आगे कहती हैं, "जैसे ही मैं वापस जाने के लिए मुड़ी तो मुझसे बुआ जी के कमरे के बाहर रखा हुआ Flower Port नीचे गिरकर टूट गया और उस के टूटने की आवाज से बुआ और फूफा जी अपने कमरे से बाहर आ जाते है और मुझे देख ऐसे डर जाते है मानो उन की कोई चोरी पकड़ी गई हो।"



बुआ जी, शालिनी से हड़बड़ा कर पूछती है, "बेटा, क्या तुम ने सब कुछ सुन लिया ?"



बुआ जी की बात सुन, शालिनी को समझ नही आ रहा होता है तब तक फूफा जी बात को संभालते हुए कहते है, "अरे बेटा, तुम तो जानती ही हो परेशान होने पर तुम्हारी बुआ कुछ भी बोलती रहती है !"



उन दोनो को देख, शालिनी उन से कहती हू, "वो मै, बुआ जी को देखने आ रही थी कि उन की तबियत कैसी है अब, पर धोखे से मेरा हाथ इस Flower Port पर लग गया और ये नीचे गिर कर टूट गया।"



शालिनी आगे कहती हैं, "मेरी बातो को सुन, बुआ और फूफा जी एक दूसरे को देखते और उन्हे लगता हैं कि मैने कुछ नही सुना है जिस से वो लोग राहत की सांस लेते हुए, मुझसे कहते है कि कोई बात नही बेटा, ये Flower Port तुम से ज्यादा कीमती थोड़ी है, बस तुम्हे कुछ हुआ तो नही ना, कोई चोट तो नही आई न ?"



बुआ और फूफा जी की बात सुन, शालिनी की आंखों से अंशु टपक जाता हैं जिसे देख, शालिनी की बुआ उस को डाटते हुए कहती हैं, "खबरदार आज के बाद तुम्हारी आंखों से एक भी अंशु आया तो, नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा !"



बुआ जी की बात सुन, शालिनी हंसते हुए कहते हु, "अरे मेरी बुआ ये तो खुशी के आंसू है जो भगवान ने मुझे बुआ के रूप में एक और मां दे दी है।"



और फिर शालिनी अपनी बुआ के गले लग जाती हैं और फूफा जी शालिनी के सिर पर अपना हाथ रखते हुए प्यार से कहते है, "बेटा, हमारी एक नही दो बेटियां हैं।"



बुआ और फूफा जी खुश थे कि शालिनी ने कुछ नही सुना पर, शालिनी ये सोच रही थी, "कुछ तो बात रही होगी, जो बुआ और फूफा जी सब से छुपा रहे हैं इसलिए जब तक वो खुद से नही बताएंगे मै, किसी को ये बात नही कहूंगी।"



इतना कहने के बाद शालिनी, अभय से कहती हैं, "ये बात सिर्फ मुझे पता थी पर आज से आप और हेमा को भी पता चल गई हैं और आप ये बात किसी से मत कहना क्योंकि मुझे अभी ये बात सही से नही पता है !"



शालिनी आगे कहती हैं, "अब अभिषेक भैया, वंश भैया को बार बार कॉल कर रहे होते है पर अब उन का लग नही रहा होता है जिस से अभिषेक भैया को लगता हैं कि वंश भैया कार ड्राइव कर रहे होंगे इसलिए फोन को साइलेंट मोड पर रख दिया होगा।"



फिर अभिषेक भैया अपने ऑफिस के काम से बाहर निकल जाते है और शालिनी, मंदिर में बैठ कर भगवान जी से प्रार्थना कर रही होती हैं और भगवान जी से कहती हैं, "हे प्रभु, मेरे वंश भैया को सही सलामत घर पहुंचवा देना।"



दुपहर के समय,



शालिनी कहती हैं, "मेरी बुआ अब तक शांत हो चुकी थी और अपने कमरे से सीढ़ियों से आते हुए, फूफा जी से पूछती है, जो सोफे पर बैठे हुए कुछ पढ़ रहे होते है, "अरे वंश अभी तक आया नही क्या ?"



बुआ जी की बात को सुन, फूफा जी घड़ी को देखते हुए उन से कहते है, "अरे हां, दुपहर के तीन बजने को आए हैं और वंश अभी तक घर नहीं आया।"



फिर फूफा जी, बुआ जी को फिर से परेशान देखते हुए कहते है, "अरे तुम भी ना, आज कल वैसे ही इतना ट्रैफिक जाम रहता है कही फस गया होगा !" फूफा जी की बात सुन, बुआ जी उन की बात पर कुछ नही कहती हैं और वंश भैया को कॉल करने लगती है।



शालिनी आगे कहती हैं, "वंश भैया, बुआ जी का कॉल का रिसीव ही नही कर रहे होते है जिस कारण बुआ जी को डर लग रहा होता है पर मेरे और छुटकी के सामने कुछ नही कहती हैं, फिर मेरी बुआ अभिषेक भैया को कॉल करने लगती हैं पर उन का भी कॉल नही लग रहा होता है।"



अब बुआ का सबर का बांध टूटने लगता हैं तो बुआ जी, फूफा जी से कहती हैं, "सुनो, आप अभिषेक का फोन नही लग रहा है आप उस के पी ए आयुष को कॉल कर के देखो कहा है वो ?"



बुआ जी की बात सुन, फूफा जी भी अभिषेक भैया के पी ए आयुष को कॉल करने लगते है पर वो एक दो कॉल के बाद फोन रिसीव कर लेता है तो फूफा जी उस से पूछते हैं, "अभिषेक कहा है?"



फूफा जी की बात सुन, आयुष थोड़ा घबरा जाता हैं, पर फूफा जी इस बार गुस्से से पूछते है, "मैंने पूछा अभिषेक कहा है और तुम दोनो वंश को लेकर अभी तक घर क्यू नही आए हो ?"



शालिनी आगे कहती हैं, "फूफा जी की बात सुन, आयुष उन से ऐसा कुछ कहता है कि उस को सुन फूफा जी के होश ही उड़ जाते है और उन के हाथ से फोन नीचे गिर जाता हैं जिसे देख बुआ जी घबरा जाती है और मै बस उन को देखती ही रह जाती हु।"



शालिनी कहती हैं, "मैं, छुटकी को पानी लाने को बोलती हु और खुद फूफा और बुआ जी के पास बैठ जाती हैं, फिर छुटकी जल्दी से पानी लाके देती है और मै फूफा जी को अपने हाथो से पानी पिलाने लगती हु। जब फूफा जी को कुछ ठीक लगता हैं तो बुआ जी उन से पूछती हैं क्या हुआ आप को आप ठीक तो है न !"



बुआ जी की बात को सुन, फूफा जी को कुछ याद आता है और वो जल्दी से उठकर खड़े हो जाते है और अपने ड्राइवर मनीष को कहते है, "जल्दी से गाड़ी निकालो ।"



फूफा जी की बात को सुन, बुआ जी उन से पूछती हैं, "अब आप कहा जा रहे हैं ?"



बुआ जी की बात को सुन, फूफा जी उन से कहते हैं, "मै अकेला नहीं जा रहा हूं, तुम सब भी मेरे साथ चल रहे हो और हां, वहा पहुंचने तक तुम लोग मेरे से कोई सवाल नही करोगे !"



शालिनी आगे कहती हैं, "फूफा जी की बात सुन, छुटकी को लगता हैं कि फूफा जी कोई सरप्राईज देना चाहते हैं इसलिए वो, बुआ को दुबारा कुछ पूछने ही नही देती और जल्दी से बुआ और मुझे लेकर घर से बाहर निकलने लगती है और हमारे पीछे पीछे फूफा जी भी आ रहे होते है पर उन के चेहरे पर कोई मुस्कान नही बची होती हैं जो अभी कुछ समय पहले तक थी।"



शालिनी कहती हैं, "हम सब अब कार में बैठ चुके होते हैं और फूफा जी ड्राइवर से कार को तेज चलाने को कह रहे होते है जिस पर हम सब को हैरानी होती है क्युकी फूफा जी तो हमेशा गाड़ी को धीरे चलाने को कहते है और आज वही गाड़ी को तेज चलाने को कह रहे होते है।"



कुछ देर बाद,



शालिनी कहती हैं, "हमारी कार मुंबई के सिटी हॉस्पिटल में आकर रुक जाती हैं जिसे देख हम तीनो के चेहरे पर जो अब तक खुशी थी वो गायब हो जाती है और बुआ जी, फूफा जी से पूछती हैं, "हम यहां क्यूं आए हैं और मेरा बेटा कहा है?"



बुआ जी की बात को सुन कर भी फूफा जी कोई जवाब नही देते हैं बल्कि बस ये कहते है, "चलो सब बाहर निकालो और मेरे पीछे पीछे चलो, तुम्हे तुम्हारे सारे सवालों के जवाब मिल जायेंगे।"



शालिनी आगे कहती हैं, "मै और छुटकी बस भगवान जी से प्रार्थना करें जा रहे थे कि हमारे परिवार में से किसी को भी कुछ न हुआ हो !"



और फूफा जी की बात को सुन, बुआ जी अब कुछ कहने के बस में नही होती हैं वो बस फूफा जी के पीछे पीछे चले जा रही होती हैं।



शालिनी आगे कहती हैं, "जेसे ही हम उस सिटी हॉस्पिटल के Reception Area में पहुंच जाते है तो वहा अभिषेक भैया खड़े होते हैं जिन्हें देख मै खुश हो जाती हूं कि मेरे भैया सही सलामत है पर अब मुझे समझ नही आता है कि आखिरकार हम लोग यहां आए ही क्यू है ?"



अभिषेक भैया मुझे और छुटकी को देख, फूफा जी से पूछते है, "पापा, आप को शालिनी और छुटकी को यहां लाने की जरूरत पड़ गई थी ?"



अभिषेक भैया की बात सुन, फूफा जी उन से कहते है, "हम सब एक परिवार है और इन्हे भी इस बारे में जानने का हक है और वैसे भी कभी तो पता चलेगा ही न तो फिर आज क्यो नही !"



फूफा जी की बात सुन, अभिषेक भैया उन से कुछ नही कहते है पर बुआ जी, फूफा जी से पूछती हैं, "आप, हम सब को यहां क्यूं लाए है, बताए मुझे ?"



बुआ जी की बात सुन, फूफा जी बिना किसी भाव के उन से कहते है, "वंश की कार का घर आते समय एसिडेंट हो गया है और वो यहां इस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है !"



शालिनी की आंखों से आंसू निकलने लगते है और वो आगे कहती हैं, "फूफा जी की बात सुन, बुआ और मै शॉक रह जाते है और जमीन पर गिर जाते है पर गिरने से पहले ही बुआ को फूफा जी और मुझे, अभिषेक भैया संभाल लेते हैं, पर तब तक मै बेहोश हो जाती हु !"



शालिनी की बातो को सुन, अब तक अभय को अपनी कही हुई बातो पर अवसोस हो रहा होता है पर उस ने कभी भी ये नही सोचा होता था जो लड़की इतनी खुश रहती है और इतनी मस्तीखोर है उस ने अपने जीवन में इतना कुछ देखा और सहा होगा !





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