तेरा मेरा ये रिश्ता - 14 Saloni Agarwal द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरा मेरा ये रिश्ता - 14

अगली सुबह,

मित्तल विला बहुत अच्छे से सजाया जाता हैं क्योंकि घर में पूरे दो साल बाद खुशियां वापस आ रही होती हैं और घर के सभी लोगो के चेहरे पर एक अलग सी ही मुसकान नज़र आ रही होती हैं।

फिर मेरी बुआ, अभिषेक भैया से पूछती हैं, "सुन, जरा वंश से पूछ तो उस की दिल्ली की फ्लाइट मुंबई कब तक पहुंच जायेगी, जिस से मै, खुद अपने बेटे को लेने एयरपोर्ट जाऊं।"

बुआ की बात सुन, अभिषेक भैया कहते है, "ठीक है मां, मै अभी उस से पूछ के बताता हूं।"

बुआ के कहने पर, अभिषेक भैया मेरे वंश भैया को कॉल करते हैं तो वो कॉल ही रिसीव नहीं कर करते हैं, जिस कारण अभिषेक भैया परेशान हो जाते है, उन को बार बार कॉल करने लगते है।

अभिषेक भैया के इतना परेशान देख, फूफा जी उन से पूछते हैं, "अब तुम्हे क्या हो गया है और तुम इतने परेशान से क्यों लग रहे हो ?"

फूफा जी की बात सुन, अभिषेक भैया कुछ बोलते है, "देखो ना पापा, ये लड़का मेरा फोन ही रिसीव नहीं कर रहा है जब की इस के नंबर की पूरी रिंग जा रही है फिर भी...!"

अभिषेक भैया की बात सुन, फूफा जी मजाक करते हुए कहते है, "बेटा, तुम बिलकुल अपनी मां पर गए हो, वो वो भी छोटी छोटी बातो को लेकर परेशान हो जाती है और कोई बात एक कॉल ही तो नही उठाया है, उठा लेगा इतना परेशान होने की क्या बात है बताओ !"

बुआ ने, फूफा जी की कही हुई बाते सुन ली होती है जिस पर वो कहती हैं, "अच्छा जी, क्या पट्टी पढ़ा रहे हैं मेरे बच्चे को !"

बुआ जी की बात सुन, फूफा जी उन से कहते है, "यार, तुम हर बात पर लड़ने क्यो लगती हो और वैसे भी अभिषेक मेरा भी बेटा है, मै कुछ भी कह सकता हू उसे !"

फूफा जी की बात सुन, बुआ जी का गुस्सा बढ़ जाता हैं और वो, फूफा जी से कहती हैं, "अच्छा, अब मैं आप को हर बात पर लड़ने वाली नजर आती हु और पहले कहते है कि तुम कुछ बोलती क्यों नही हो, ऐसे चुप न रहा करो।"

बुआ और फूफा जी की लड़ाई देख अभिषेक भैया, मै और छुटकी (अभिषेक भैया की बहन) मजे ले रहे होते है।

बुआ जी की बात सुन, फूफा जी भी कहा चुप रहने वाले थे और वो, बुआ जी से कहते है, "हा, तो मैंने क्या गलत कह दिया पहले तुम इतना कम बोलती थी कि पहली बार जब मैं अपने दोस्त के घर गया तो मुझे लगा उस की बहन बोल ही नही सकती क्योंकि तुम कुछ बोल ही नही रही थी पर मुझे क्या पता था कि तुम ने उस दिन मौन व्रत रखा हुआ है।"

फूफा जी की बात सुन, बुआ जी चिढ़ते हुए, उन से कहती हैं, "मुझे आप से बात ही नही करनी, जब देखो मेरे मे कमिया ही निकलते रहते हैं।" और वहा से अपने कमरे की तरफ चली जाती हैं।

बुआ जी को ऐसे जाता देख, अभिषेक भैया फूफा जी से कहते है, "क्या पापा, आप भी ना मेरी मां को हर वक्त परेशान करते रहते हैं !"

अभिषेक भैया की बात सुन, फूफा जी उन से कहते है, "बेटा तुम अभी कुछ नही समझोगे और जब तुम्हारी शादी हो जायेगी न तब पता चलेगा तुम्हारी मां को ऐसे परेशान करने में कितना मजा आता है !"

फूफा जी की बात सुन, अभिषेक भैया उन को कुछ बोलने को होते ही हैं कि......

फिर वंश भैया का कॉल आ जाता हैं और अभिषेक भैया के चेहरे पर एक मुसकान भी और फिर वो, फूफा जी से कहते है, "पापा, मै छोटे का कॉल अटेंड करके आता हूं।"

और वो, वंश भैया का कॉल अटेंड करने बाहर चले जाते है। और फूफा जी भी बुआ जी को मानने के लिए मुस्कराते हुए अपने कमरे की तरफ चले जाते है।

अभिषेक भैया, वंश भैया का कॉल रिसीव करते हैं और उन के बोलने से पहले ही बोलने लगते है, "कहा है तू, कब से तेरे को कॉल पर कॉल करे जा रहा हूं और तू है कि कॉल रिसीव ही नही कर रहा है, तेरे से एक कॉल अटेंड नही की जा रही है, एक बार को तेरा फोन स्विच ऑफ होता तो मैं समझता कि तू फ्लाइट में है पर तेरा तो कॉल जा रहा था फिर भी....!"

अभिषेक भैया ये सब बाते एक सांस में बोल जाते है जिस से वंश भैया उन का मजाक बनाते हुए कहते है, "अरे मेरे गदा धारी भीम, थोड़ी देर सांस तो ले लो, फिर ही डाट लेना, मै कौन सा भागा जा रहा हूं।"

वंश भैया की बात पर, अभिषेक भैया उन से कहते है, "अच्छा बेटा, अपने बड़े भाई का मजाक उड़ायेगा, आ तू घर, तेरी तो खैर नहीं।"

अभिषेक भैया की बात सुन, वंश भैया हंसते हुए उन से कहते है, "अच्छा...अच्छा, सॉरी अब ऐसा कभी नहीं करूंगा।"

फिर वंश भैया कुछ सोचते हुए, अभिषेक भैया से कहते है, "वैसे आप को क्यों लगा, मै फ्लाइट से आ रहा हु।"

वंश भैया की बात सुन, अभिषेक भैया ऐसे ही बोल जाते है, "तो क्या तू दिल्ली से मुंबई तक कार ड्राइव कर के आएगा।"

अभिषेक भैया की बातसुन, वंश भैया नॉर्मली कहते है, "हां, ऐसे ही तो आ रहा हु मै..!"

वंश भैया की बात सुन, अभिषेक भैया हैरान होते हुए कहते है, "तू, पागल हो गया है क्या, दिल्ली यहां रखा है जो तू खुद से कार ड्राइव कर के आ रहा है ?"

अभिषेक भैया की बात सुन, वंश भैया उन के कहते है, "अरे भैया, ये कार मेरी जान है और आप कह रहे हैं कि मै इसे दिल्ली में ही छोड़ के आ जाऊं जबकि मैं अब हमेशा के लिए मुंबई शिफ्ट हो रहा हु।"

वंश भैया की बात सुन, अभिषेक भैया उन से कहते है, "हां तो तेरा अभी आधा से ज्यादा बिजनेस ही तो दिल्ली से मुंबई शिफ्ट हुआ है बाकी जो बचा है उस के साथ तेरी ये जान (कार) भी आ जाती।"

अभिषेक भैया की बात सुन, वंश भैया उन से कहते है, "अरे मै ऐसे कैसे अपनी जान को छोड़ के आ जाऊं, जबकि ये कार मेरे पापा ने मुझे मेरे 21st Birthday पर गिफ्ट में दी थी जो मेरे दिल के सबसे करीब है !"

अब तक मेरे अभिषेक भैया, वंश भैया की बातो को सुन थक जाते हैं और उन से कहते है, "अच्छा अच्छा, ठीक है अब बस तू बिलकुल सही सलामत घर आ जाना, नही तो तेरी बुआ और मेरी मां मेरी जान ही लेलेंगी।"

अभिषेक भैया की बात सुन, वंश भैया हसने लगते है पर हमे कौन सा पता था कि हम आखरी बार वंश भैया को ऐसे हसते हुए सुन रहे हैं।

तो अभिषेक भैया उन से कहते है, "अब ज्यादा मत हस और ड्राइविंग पर ध्यान दे क्योंकि आज कल बहुत ज्यादा ही एसिडेंट हो रहे हैं इसलिए तू अपना ध्यान रखना।"

अभिषेक भैया की बात सुन, वंश भैया उन से कहते है, "ठीक है भैया।" और फिर कॉल कट कर देते है।

वंश भैया का कॉल कट हो जाने पर, अभिषेक भैया मित्तल विला में अन्दर आ जाते है और उन के अंदर आते ही बुआ जी उन से पूछती हैं, "सारी तैयारी हो गई है ना, कोई कमी नहीं रहनी चाहिए समझ आया तुम्हे !"

बुआ जी की बात सुन, अभिषेक भैया उन से कहते है, "हां मां, सब कुछ अच्छे से हो गया है बस अब वंश घर आ जाए, उस की बहुत ज्यादा याद आती है।"

अभिषेक भैया की बात सुन, बुआ जी को कुछ याद आता है पर तब बुआ जी आरती की थाली सजा रही होती और साथ में अभिषेक भैया से कहती हैं, "तूने सही याद दिलाया तो बता मेरे वंश की फ्लाइट कब तक आने वाली है !"

बुआ जी की बात सुन, अभिषेक भैया कहते है, "मां, वो फ्लाइट से नही आ रहा है !"

अभिषेक भैया ने बोला ही होता है तब फूफा जी सीढ़ियों से नीचे की और ही आ रहे होते है और अभिषेक भैया की बात पर कहते है, "मतलब क्या है तुम्हारा ?"

फूफा जी की बात सुन, अभिषेक भैया उन से कहते है, "पापा, वो दिल्ली से मुंबई कार ड्राइव कर के आ रहा है !"

अभिषेक भैया की बात सुन, घर में मौजूद सभी लोग हैरान रह जाते है और बुआ के हाथ से तो आरती की थाली ही जमीन पर गिर जाती है जिसे देख सब उन के पास पहुंच जाते है।

जब बुआ जी के हाथो से आरती की थाली गिर गई तो उन का चमकता हुआ चेहरा पीला ही पड़ गया था और फूफा उन से पूछते हैं, "रजनी, तुम ठीक तो हो ना !"

जब बुआ जी के हाथो से आरती की थाली गिर गई तब वो बस एक ही शब्द बार बार बोले जा रही थी, "नही नही ये नही हो सकता है !"

बुआ जी की बातो को सुन, फूफा जी उन से पूछते हैं, "क्या नही हो सकता है और तुम क्या बोले जा रही हो बताओ मुझे ?"

बुआ जी, फूफा जी की बातो को अनदेखा कर अभिषेक भैया से गुस्से से पूछती हैं, "तुम ने केसे उस को दिल्ली से मुंबई इतनी दूर कार ड्राइव करके आने दिया बोलो मुझे !"

बुआ जी की बातो को सुन, अभिषेक भैया उन से कहते है, "मां, मुझे नही पता था कि वो दिल्ली से मुंबई तक कार ड्राइव करके आ रहा है !"

अभिषेक भैया की बात सुन, बुआ जी कुछ सोचते हुए हकलाते हुए कहती है, " वन...वंश... का....कौन से हाईवे से आ रहा है !"

बुआ की बात सुन, अभिषेक भैया कुछ सोचते हुए कहते है, "वो क्या कहा था छोटे ने, कौन सा हाईवे था....!"

अभिषेक भैया को ऐसे सोचते हुए देख, बुआ जी घबराते हुए कहती हैं, "अरे जल्दी बोल ना !"

बुआ जी को ऐसे घबराते हुए देख, अभिषेक भैया उन से कहते हैं, "अरे मां, बता तो रहा हु, वो बस याद नहीं आ रहा।" और फिर कहते है, "हां, याद आया वो Delhi Mumbai Expressway हाईवे है ना उस से ही आ रहा है अपना वंश !"

अभिषेक भैया की बात सुन, फूफा जी का चेहरा पीला पढ़ जाता हैं और बुआ जी का तो रो रो के बुरा हाल ही हो जाता हैं जिसे देख अभिषेक भैया के साथ साथ मै और छुटकी घबरा जाते है।

बुआ जी रोते हुए, फूफा जी से पूछती हैं, "गौरव... गौरव ऐसा नहीं होगा ना, बोलो ना दो साल पहले जो हुआ वो दुबारा तो नही दोहराया जाएगा न, बोलो ना कुछ तो बोलो !"

जब बुआ जी, फूफा जी से ऐसा पूछती है तो वो उनसे कहते है, "क्या तुम भी, कुछ भी बोले जा रही हो, ऐसा कुछ नही होगा समझ में आया तुम्हे !"

फूफा जी ने बुआ को टालते हुए तो कह दिया होता है पर बुआ जी के साथ साथ फूफा जी का भी बुरा हाल हुआ होता है पर फिर भी वो अपने आप को संभालते लेते हैं क्योंकि उन को ही तो अभी पूरे परिवार को संभालना है।

बुआ और फूफा जी की बात को सुन अभिषेक भैया, छुटकी और मुझ को कुछ समझ नहीं आ रहा होता है वही अभिषेक भैया और छुटकी बस बुआ और फूफा जी का चेहरा ही बार बार देखे जा रहे होते है क्योंकि किसी को तो कुछ समझ ही नही आता है कि यहां हो क्या रहा है !

इस की वजह ये है कि बुआ, फूफा जी और वंश भैया ने मेरे मम्मी पापा की मौत के बारे अभिषेक भैया, छुटकी और मुझ को सब कुछ नही बताया होता है उन्हें सिर्फ आधा सच ही पता होता है कि उन के मामा मामी का मुंबई के एक हाईवे पर कार एसिडेंट में मर गए हैं।

बुआ की बात सुन, अभिषेक भैया उन से पूछते हैं, "मम्मी, आप मुझसे कुछ छुपा रही है ना !"

अभिषेक भैया की बातो को सुन, फूफा जी समझ जाते है कि उनके बेटे को अब शक हो चुका है इसलिए वो बात को बदलते हुए कहते हैं, "बेटा तुम भी ना अपनी मां की बातो को Serious ले रहे हो, तुम तो जानते ही हो कि तुम्हारी मां छोटी छोटी बातों से भी ज्यादा परेशान हो जाती हैं तो छोड़ो इस बात को और पता करो कि सारी तैयारी अच्छे से हो गई न कोई कमी नहीं रहनी चाहिए !"

फूफा जी की बात सुन, अभिषेक भैया को अभी तक अपने सवाल का जवाब नही मिला होता है पर फिर वो सोचते हैं शायद उन की मां, वंश भैया के ऐसे दिल्ली से मुंबई इतनी दूर कार ड्राइव करके आने से घबरा रही है इसलिए कुछ ज्यादा ही परेशान हो रही है।

अभिषेक भैया उन से कुछ ओर पूछते उस से पहले ही फूफा जी, बुआ जी को लेकर अपने कमरे की तरफ बढ़ जाते है और जाते हुए अभिषेक भैया से कहते है, "मै जरा तुम्हारी को कमरे तक छोड़ आऊ, जिस से वो थोड़ा आराम कर लेगी तो ठीक हो जायेगी, सुबह से काम मे लगी हुई है परेशानी तो होंगी ही और तुम्हारी मां, मेरी सुनती ही कहां है !"

ये कहते हुए हसने लगते है जिससे अभिषेक भैया और छुटकी को कुछ पता न चले। फूफा जी के जाने के बाद, अभिषेक भैया ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं और छुटकी के तो ये सारी बाते सिर के ऊपर से निकल जाती है।

फूफा जी, बुआ जी को बेड पर बैठ देते हैं और उन को पानी देते हुए कहते हैं, "रजनी, तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो और जरूरी तो नहीं है ना जो दो साल पहले हुआ हो वो दुबारा होगा !"

अभिषेक भैया तो घर से बाहर निकल गए थे छुटकी अपनी दोस्त से बात करने में Busy थी पर मेरा मन पता नही क्यों बुआ जी को एक बार देखने का कर रहा था पर वही ये भी सोच रही थी कि वो सो गई होंगी तो मेरे आने से कही Disturb ना हो जाए पर मैने decide किया बस एक बार उन को देख के मै वापस आ जाऊंगी और बुआ को परेशान नहीं करूंगी।

और यही सोच कर मैं (शालिनी), सीढियों से ऊपर बुआ जी के कमरे की तरफ बढ़ गई पर मैंने जब उन लोगो की बातो तो सुना, तो मुझ लगा मेरा दिल धड़कना ही बंद कर देगा और फिर से वो फूट फुट कर रोने लगती है...!

शालिनी ने ऐसा क्या सुना होगा जिस से उस को लगा कि उस का दिल अब धड़कना ही बंद कर देगा ? आगे जानने के लिए पढ़िए मेरी कहानी और करिए इंतजार अगले भाग का....!