तेरा मेरा ये रिश्ता - 13 Saloni Agarwal द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरा मेरा ये रिश्ता - 13

हेमा की बात सुन, शालिनी उस से कहती हैं, "मै, अब तुम्हे अपनी जिंदगी का कड़वा सच बताने जा रही हु तो ध्यान से सुनो !"

मेरा भैया ने कहा, "हमारे मम्मी पापा जिस कार से मुम्बई के लिए निकले थे, उस कार में पापा के बिज़नेस में बने दुश्मनों ने बॉम छुपा दिया था, जिस से जब वो बॉम फटा तो मम्मी पापा की कार मुंबई के आस पास ही पहुंची थी कि उन की कार के साथ साथ उन के भी चिथड़े उड़ गए और जब ये हादसा हुआ तो मेरे फूफा जी ने, मेरे वंश भैया को दिल्ली से मुंबई बुला लिया !"

शालिनी के भैया का नाम वंश जिंदल होता है जिनकी उम्र आज के समय में 27 वर्ष होती है और हाईट 6"3 होती हैं और साथ में ये जिंदल कंपनी के सीईओ भी होते है। शालिनी की मां का नाम सारिका जिंदल था और शालिनी के पिता का नाम सौरव जिंदल था।

शालिनी अपनी बात पूरी करते हुए कहती हैं, "और जब वो लोग वहा पहुंचे तो वहा पर हमारी कार की नंबर प्लेट, मम्मी का मंगलसूत्र और उन दोनों के गले में एक लॉकेट था जो पापा ने अपने साथ साथ मम्मी, भैया और मेरे लिए भी बनाया था उस लॉकेट में हम चारों की फोटो है वो मिला, जिस से उन्हे पता चला कि ये ही हमारे मम्मी पापा है !"

शालिनी की बात सुनने के बाद, अभय, हेमा, अभय का पी ए और अभय का Personal बॉडीगार्ड के होश ही उड़ जाते है और वो सब के सब बस एक टक शालिनी को ही देखे जा रहे होते है।

अभय के पी ए का नाम आकाश तिवारी होता है इस की उम्र 25 वर्ष होती है और हाइट 5"9 होती है और यही अभय के ऑफिस का सारा काम संभालता है। और साथ में अभय का Personal बॉडीगार्ड राज ठाकरे होता है इस की उम्र 27 वर्ष होती है और हाइट 6"3 होती है।

शालिनी आगे कहती हैं, "जब मैं, दो दिन तक कुछ नही खाती हू तो मेरे भैया, मेरी बुआ को मुम्बई से बुला लेते हैं क्योंकि अब इस दुनिया में बुआ के अलावा हमारा और कोई नही बचा होता है, मेरी मां अपने माता पिता की इकलौती संतान थी और मेरे पापा की एक ही बहन है जो मुंबई में रहती है।"

शालिनी की बुआ जी का नाम रजनी मित्तल होता है और शालिनी के फूफा जी का नाम गौरव मित्तल होता है और उन के बेटे का नाम अभिषेक मित्तल होता है जिस की उम्र 29 वर्ष होती है और हाइट 6"4 होती हैं ये मित्तल कंपनी के सीईओ होते है।

शालिनी सब कुछ बता रही होती हैं, "मेरे वंश भैया के बुलाने पर मेरी बुआ और फूफा जी मुंबई से पहली फ्लाइट से दिल्ली आ जाते है और मेरी बुआ मुझे अपने गले से लगा लेती है और मेरे भैया से पूछती हैं, "हमे इतनी जल्दी मे क्यो बुलाया है, जबकि हम दो दिन बाद तो तुम दोनो को घर वापस ले जाने आ ही रहे थे ?"

मेरी बुआ की बात सुन, मेरे भैया उन से कहते है, "बुआ, आप अभी शालिनी को मुम्बई ले जाओ, मै इस को अकेले सम्भाल नही पा रहा हु।"

मेरे भैया की बात सुन, मेरी बुआ उन से पूछती हैं, "क्यो, तुम क्यों नही आ रहे हो मुंबई, बताओ मुझे और वैसे भी अब दिल्ली मे बचा ही क्या है ?"

बुआ अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहती हैं, "और तुम दोनो मेरे इकलौते भाई के आखरी निशानी बचे हो, इसलिए मैं अब तुम दोनो को यहां अकेला नहीं छोड़ सकती हु !"

बुआ की बात सुन, मेरे भैया कहते है, "बुआ मेरा अभी MBA का Second Year बस खतम ही होने वाला है और मै अपना आखरी साल पूरा करके, अपना पूरा बिजनेस दिल्ली से मुंबई शिफ्ट कर दूंगा, फिर मैं हमेशा के लिए आप लोगो के साथ रहने आ जाऊंगा।"

मेरी बुआ, वंश भैया की बात मानने को तैयार ही नहीं हो रही थी तो मेरे भैया ने उस के पास घुटनों के बल बैठ के प्यार से समझाते हुए कहा, "बुआ, मै शालिनी की तरह कोई छोटा बच्चा नहीं रहा हु और आप भी मेरी बात समझने की कोशिश करो अभी एक साल पहले ही पापा मम्मी हमे हमेशा के लिए छोड़ के चले गए हैं।"

वंश भैया अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहते है, "ऐसे में, मैने अपना सारा ध्यान शालिनी पर दिया, जिस से मै अपनी कंपनी पर ध्यान नहीं दे पाया और अब मुझे अपनी पढाई के साथ साथ अपने बिजनेस को भी संभालना होगा जिस के लिए मुझे कुछ समय चाहिए और मै, आप से वादा करता हु कि एक साल बाद हम सब एक साथ मुंबई में रहेंगे।"

मेरी बुआ कुछ बोलती उस से पहले ही मेरे फूफा जी उन से कहते है, "वंश ने जो कुछ भी कहा, वो ठीक ही कहा है क्योंकि मै भी बिजनेस को संभालता हु और पूरे बिजनेस को एक जगह से दूसरे जगह शिफ्ट करने में बहुत ज्यादा समय लगता हैं इसलिए तो तुम्हारा भाई और मेरा दोस्त अपना बिजनेस दिल्ली से मुंबई शिफ्ट नही कर पा रहा था।"

फूफा जी अपनी बात पूरी करते हुए कहते है, "और अब तो वंश ने कह तो दिया ही है कि एक साल बाद वो मुम्बई शिफ्ट हो ही जायेगा तो फिर अब तुम्हे, उसकी बात मान लेनी चाहिए।"

मेरे फूफा जी की बात सुन, मेरी बुआ बेमन से ही सही पर मेरे भैया की बात मान जाती हैं और वंश भैया से गुस्से से कहती हैं, "ठीक है पर एक साल है तुम्हारे पास उस से एक दिन भी ज्यादा नही, समझ मे आया तुम्हे।"

बुआ की बात सुन, मेरे वंश भैया हंसते हुए अपना सिर हां में हिला देते है और मेरी बुआ उन को अपने गले से लगा लेती है और फूफा जी उन दोनों को गले लगते देख, मेरी तरफ देखते हुए कहते है, "बेटा ये बुआ भतीजा दोनो गले लगे हुए है तो हम दोनो तो दोस्त भी है तो आ जा तू भी मेरे गले लग जा।"

शालिनी आगे कहती हैं, "जैसे ही मैने फूफा जी की बात सुनी, मै झट से उन के गले लग गई जिसे देख मेरी बुआ और वंश भैया भी खुश हो गए और मेरे पापा, फूफा जी के इकलौते दोस्त थे। फिर जब मेरी बुआ मुझे दिल्ली से मुंबई ले जा रही होती हैं तब मैं, भाग कर अपने वंश भैया के गले लग गई पर मुझे क्या पता था कि मेरे वंश भैया मुझे अपने आप से आखरी बार गले से लगा रहे हैं !"

शालिनी अपनी बात कहे ही जा रही होती हैं, "मै, अपने वंश भैया को छोड़ के नही जाना चाहती थीं और न ही मेरे वंश भैया मुझे अपने से अलग करना चाहते थे पर परिस्थिति के आगे विवश होकर मेरे वंश भैया को झुकना ही पड़ता हैं और उन्होंने अपनी जान से ज्यादा प्यारी बहन को, अपनी बुआ के साथ जाने को बोल दिया। और मुझे न चाहते हुए भी बुआ के साथ मुंबई जाना पड़ा।"

शालिनी बोले ही जा रही होती हैं, "कुछ घंटों की दिल्ली से मुंबई तक की फ्लाइट के बाद, मै हमेशा के लिए दिल्ली मुंबई शिफ्ट हो गई, अपने बुआ फूफा जी के साथ उन के परिवार के पास, ऐसा बिलकुल भी नहीं था कि मेरी बुआ और फूफा जी मेरे साथ बुरा व्यवहार करते थे इसलिए मैं उन के साथ नही जाना चाहती थी....!"

शालिनी आगे कहती हैं, "बल्कि बुआ और फूफा जी ने कभी भी मुझ में और मेरे वंश भैया मे, अपने बच्चो के साथ कभी भी कोई अंतर नही रखा, वो तो हमारे साथ एक पूरा परिवार जैसा ही व्यवहार करते हैं, मुझे कभी भी वहा अपने मम्मी और पापा की कमी महसूस नहीं हुई बल्कि मुझे कभी वंश भैया की भी कमी महसूस नहीं हुई अभिषेक भैया की वजह से।"

शालिनी कहती हैं, "फिर भी मुझे जब भी मम्मी पापा की याद आती तो मैं अकेले कमरे मे ही रोया करती क्योंकि मेरी बुआ को मेरी आंखों मे एक भी अंशु बर्दाश्त तक नही होता था। साथ मे मेरी बुआ की बेटी ने मुझे बहुत सारा प्यार दिया, जब की वो मुझसे दो साल छोटी है और सब ने खूब ही प्यार किया जिस से मे अब कुछ हद तक अपने होश में आ चुकी थी।"

शालिनी बोलती है, "मेरे अभिषेक भैया ने मेरी B.Com की पढ़ाई दिल्ली से ट्रांसफर सर्टिफिकेट के जरिए मुंबई के बेस्ट कॉलेज में शुरू करवा दी। जिस से मेरा दिमाग उन चीज़ों से हट जाए और मै, अब अपनी ज़िंदगी में आगे बढ सकू। साथ मे अभिषेक भैया, मेरे वंश भैया से भी टच मे रहा करते जिस से उन को वहा दिल्ली में अकेले में उन को कोई परेशानी न हो।"

एक साल बाद,

शालिनी आगे के बारे में बता रही होती हैं, "मैने पढ़ने में एक Average Student ही हु इसलिए मैंने अपना B.com से Graduation first division से पूरा कर लिया होता है, जिस से मेरा पूरा परिवार बहुत ज्यादा खुश हो गया और अभिषेक भैया ने घर पर एक सरप्राइज़ पार्टी रखी होती है जिसे देख मै खुश होने का दिखावा करती हु पर अभी भी मेरे चेहरे पर मुस्कान नही आई होती है।

जिसे देख मेरे अभिषेक भैया मुझसे कहते है, "मुझे पता ही तेरे चेहरे पर मुस्कान क्यो नही है रुक मै अभी तेरी बात छोटे (वंश) से करवाता हूं और फिर वो, वंश भैया को कॉल कर देते है और वो जेसे ही कॉल रिसीव करते हैं अभिषेक भैया उन से पूछते है, "बता मैने तुझे क्यों कॉल किया होगा ?"

अभिषेक भैया की बात सुन, वंश भैया उन की बात का जवाब देते हुए कहते है, "भाई अब ये मुझे कैसे पता होगा, आप ही बता दो ना ?"

वंश भैया की बात सुन, अभिषेक भैया उन से कहते है, "अरे पागल, मेरी शालिनी ने अपना ग्रेजुएशन अच्छे नंबरों से पास कर लिया है !"

अभिषेक भैया की बात सुन, वंश भैया बहुत ज्यादा खुश हो जाते है और कहते है, "ये तो बहुत अच्छी बात है भैया और मेरी भी तो बात करवाओ शालिनी से !"

वंश भैया की बात सुन, अभिषेक भैया मुझे फोन देते हुए कहते है, "ये ले तेरे वंश भैया तुझ से बात करना चाहते हैं ।"

अभिषेक भैया की बात सुन, मै झट से उन के हाथ से फोन ले लेती हु और उन से एक सांस में ही पूछ लेती हूं, "आप कैसे हो भैया और अब आप कब आओगे हमारे साथ रहने के लिए !"

शालिनी की बात सुन, वंश भैया कहते है, "अरे सांस तो ले ले पागल और मै ठीक हु, वही मेरी बहन ने तो अपना ग्रेजुएशन अच्छे नंबरों से complete कर लिया है उस की बहुत बहुत बधाई।"

शालिनी, वंश की बात सुन ही रही होती हैं कि मेरी बुआ मेरे हाथ से फोन ले लेती है और कहती हैं, "अपने घर कब वापस आ रहा हैं मेरे बच्चे, अब तो तेरे एक साल की भी मोहारत खतम हो चुकी है।"

बुआ की बात सुन, मेरे वंश भैया ने कहा, "बुआ, मै भी अब आप सब के साथ पार्टी अटेंड करने घर आ रहा हु।"

वंश भैया की बात सुन, बुआ उन ने पूछती है, "मतलब मै कुछ समझी नही, तू बस मुंबई शालिनी के लिए पार्टी अटेंड करने के लिए आएगा क्या ?"

बुआ की बात सुन, वंश भैया ने कहा, "अरे मेरी भोली बुआ, मै हमेशा के लिए मुंबई शिफ्ट हो रहा हु और मैंने अपना आधे से ज्यादा बिजनेस दिल्ली से मुंबई शिफ्ट कर लिया है और बाकी का भी मै धीरे धीरे वो भी शिफ्ट ही कर लूंगा।"

वंश भैया की बात सुन, मेरी बुआ की खुशी का ठिकाना ही नहीं था वो तो इतनी खुश हो कर, फूफा जी से कहती हैं, "गौरव, जल्दी से decoration वाले को बुला कर पूरे मित्तल विला को दुलहन की तरह सजवा दो !"

बुआ की बात सुन, अभिषेक भैया उन से पूछते हैं, "क्यो मां, क्या हुआ है?"

अभिषेक की बात सुन, बुआ कहती हैं, "अरे तुम सब खड़े क्यो हो, जाओ जल्दी जाकर पूरे विला को सजा दो।"

बुआ की बात सुन, फूफा जी के साथ साथ घर में मौजूद सभी कन्फ्यूजन से बुआ की ओर देख रहे होते है और फूफा जी कहते है, "अरे मेरी बेटी ने अपना ग्रेजुएशन अच्छे नंबरों से पूरा किया है ना की मेरे बेटे की शादी fix हुई है जो तुम ऐसा कह रही हो !"

फूफा जी की बात सुन, बुआ जी उन से कहती हैं, "मेरा दूसरा बेटा घर वापस लौट रहा है और उस के लिए तो मैं पूरे मित्तल विला को दुल्हन की तरह सजाऊंगी और बैंड बाजे के लिए उस को अपने घर वापस लाऊंगी।"

बुआ जी की बात सुन, घर के सब लोग बहुत ज्यादा खुश हो गए थे साथ में बुआ के कहने अनुसार अभिषेक भैया और फूफा जी ने पूरे मित्तल विला को दुल्हन की तरह ही सजवाने के लिए कह दिया होता है क्योंकि वंश भैया अगले दिन आने वाले होते है।

अभी तक शालिनी ये सब बताते हुए उस के चेहरे पर थोड़ी सी मुसकान नज़र आ रही है कि फिर जो वो आगे कहती हैं तो उस का चेहरा पीला पढ़ जाता हैं जिसे देख किसी को भी कुछ समझ में नही आ रहा होता है। क्योंकि शालिनी के चेहरे के हर एक्सप्रेशन उस के द्वारा बोली गई बातो से बार बार बदल रहे होते है।

शालिनी कहती हैं, "कहते है ना की जहा बहुत खुशियां नज़र आ रही होती हैं वहा के लोगो की खुशियों को जल्दी ही बुरी नजर भी लग जाती है !" और ऐसा ही मेरे परिवार के साथ हुआ, जिसे के कहने के बाद शालिनी के आंखो से अंशु बहने लगते है।


ऐसा भी क्या कह दिया था जिसे बोलने में शालिनी के आंखो से अंशु बह ने लगते है और क्या क्या सहा है शालिनी ने जिसे देख हर कोई फटी आंखों से बस उस को ही देख रहा होता है और उस की हर एक बात को सुन रहा होता है, आगे जानने के लिए इंतज़ार करिए अगले भाग का...!