Pyar ki Arziya - 30 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार की अर्जियां - 30

बेबे और उसकी फ्रेड की फोन पर बात सुनकर रावी भड़क जाती है बेबे के ऊपर ...उसी समय पापाजी भी रावी की बात सुनकर लिविंग रूम में आता है ..अब आगे

रावी ,"नानू जी नानी संदीप मामा की कहीं और शादी करना चाहती है क्या आप जानते हैं..??

पापाजी ,"ना जी पुत्तर मैनू ना मलूम है ,शायद अभी भी त्वड्डे नानी वीच सिमरजीत दिमाग वीच ना उतरी हे, कि मनदीप जी अस्सी साच्च बोल रिया सी ..??

बेबे थोड़े हड़बड़ा जाती है और सोचती है, क्या जवाब दें गुरु जी मन की बात जान लेना हे, फेर क्या बोलूं ...

पापाजी फिर बोल पड़ता है ,"मनदीप जी अब कि सोचना जी
जो साच्च वो तैनू दस दो ..??

बेबे अब बोल पड़ती है ,"वो गुरु जी मैनू ना फोन करिया जी वो मीता नाल ही फोन करण हालचाल खैर खबर पूछिया सी बस...!!

रावी फिर भड़क कर बोलती है ,"वो खैर खबर थी नानी जी, संदीप मामा की थी शादी के लिए , मैंने साफ़ साफ़ सुना वो क्या बोली उसे..!!

पापाजी ,"रावी पुत्तर अस्सी जिविंदा रहते ताक तो मैं ना करने दूं दूजा ब्याह संदीप नाल , हां मनदीप जी चाहेगी अस्सी छेती बाबा जी ले जाए तो जरूर होना इस वास्ते मनदीप जी करवा चौथ व्रत ना रखें अस्सी नाल ....और वहां से चला जाता है...!!

बेबे अब अपना सिर पकड़कर सोफे पर ही बैठ जाती है ..!!

रावी फिर कहती हैं ,"सच में आप पत्थर हो क्या ..?? आपने संदीप मामा को देखा है वो मामी के बगैर टूट रहा है , उसके चेहरे पर वो रौनक नहीं है जो मामी के आने से हुआ था ,आप दोनों को अलग करके बहुत ग़लत किया नानी,, आपको आपकी सोच मुबारक हो आप कामयाब हो गई है पार्टी कीजिए आप मैं जा रही हुं ..और रूम के तरफ जाती है वहां नीतू कहती हैं वो सुनाई देती है बाहर

नीतू कहती हैं ,"कैसे लोग होते हैं यार बेचारे मामा जी बेजान हो गया है ,उसकी बेबे बेबे नहीं है क्या, मामा जी का,, कहीं मां अपने बच्चे को ऐसे दुखी देखती है क्या ..??

रावी जवाब देते हुए कहती हैं ,"यही तो रोना है नीतू संदीप मामा के असली मां है नानी जी लेकिन सौतेली मां से कम नहीं है ,, अच्छा चलो हम इस घर में नहीं रह सकती यहां जहां औरतों की इज्जत ना हो चल चलते हैं..??

नीतू ,"हां चलो मुझे भी नहीं रहना है चल और दोनों अपने फटे कपड़ा को एक कैरी बैग में डाल कर बाहर जाते हैं और नानू जी के पास जाकर कहती हैं नानू हम जा रहे हैं ...??

पापाजी कहता है ,"ठीक है जाओ लेकिन अपना ध्यान रखना फिर दोनों फ्रेंड हॉस्टल चले जाते हैं...

इस तरह चार दिन और बीतता है बेबे की दिमाग अब क्या करूं कैसे इन दोनों बाप बेटे को समझाऊं सोच सोचकर निकलता है ....!!

बैंगलोर में ...

कन्या को भी चैन नहीं उसका भी संदीप के फोन ना करने से उल्टा सीधा सोचने लगती है ,क्या सच में संदीप मान गया होगा मुझसे अलग रहने के लिए मुझसे तलाक लेने के लिए ,ऐसी बात है तो मुझे सीधा फोन करके क्यो नही कहता की उसे तलाक चाहिए ,, फिर सोचती है ,"मम्मी जी ने मुझे कहा था तलाक के लिए तलाक के पेपर्स मुझे भेजने बोले थे तो क्या सच में मैं तलाक दूं ,,अब कन्या उठते बैठते सोते जागते खाते पीते चुप सोचते रहती है ...

बुआ और मिहिका कन्या को देखकर परेशान होती है की कन्या संदीप से तो बात करें वो क्या चाहते हैं ..

एक दिन मिहिका खुद ही फोन लगाती है संदीप को ,उस समय संदीप ऑफिस में मीटिंग पर रहता है तो कॉल उठाता नहीं ...

" फिर शाम को संदीप मिहिका को फोन करता है "हेलो मिहिका तुमने फोन किया था सब ठीक है ना ..एक सांस में सब बोल देता है ..!!

मिहिका अब बात का जवाब देती है मुस्कुराते हुए ," हां जीजू यहां सब ठीक है आप कैसे हो और कन्या के कान में फोन टिका देती है ...

संदीप थोड़े से चुप होता है फोन में सांसों की गर्मी जानी पहचानी है समझकर, फिर बोल पड़ता है ," मैं तो बहुत खुश हूं लोगों के दुआ से ,लोग चाहते हैं मैं अकेले रहुं तो हुं मज़े में ,ये बोलकर फिर खामोश होता है सामने वाले के आवाज़ सुनने के लिए अब सामने वाले भी खामोश रहता है तो , फिर संदीप बोलता है ,"लगता है मेरी बातों का जवाब भी नहीं मिलना है तो फोन रखता हुं मुझे बहुत काम है और फोन रख देता है , संदीप फोन को देखता है और कहता है , पता है मुझे कन्या फोन के उस पार तुम थी तुम्हारे सांसों को पहचानता हुं मैं लेकिन तुम किस मजबूरी में मुझसे बात नहीं कर रही हो ये तुम जानो , लेकिन बात करने का सिलसिला तुम बढ़ाओगी तभी मैं बात करूंगा ..उसी समय फिर फोन आता है ,"स्क्रीन पर जाना पहचाना नाम रहता है तो उठा लेता है ,"हेलो जतिन प्रा कैसे हो ..??

जतिन हंसकर कहता है ,"हां चंगा जी, बुआ जी होर अंकल जी कि कि हाल हे अभी कित्थे हे ..??

संदीप कहता है ,"आपके बुआ और अंकल अभी चंडीगढ़ आए हैं मेरे पास में यही है ..!!

जतिन मुस्कुराते हुए कहता है ," चलो बधिया है, छेती मुलाकात हो जानी है फेर तो ,सुण संदीप तू चंडीगढ़ के बैंक पर साड्डे ऑफिस हे ना..??

संदीप कहता है ," हां जतिन प्रा मैं अभी चंडीगढ़ के बैक वीच ऑफिस में हुं कोई काम हे ..??

जतिन जवाब में कहता है ,"हां काम है इक मेरे साला तेरी परजाई की भाई उसे चंडीगढ़ में घर खरीद रहा हे तो तेरे से काम हे मैं कल सुबह चंडीगढ़ आ रहा हूं फ्लाइट से उसके साथ कहां मिलूं ..??

संदीप ,"आप घर आ जाओ मेरे फ्लैट में पापाजी और बेबे से मुलाकात कर लेना ...!!

जतिन ,"चंगा जी मैं घर आता हुं मिलने के वास्ते ...!!

दूसरे दिन सुबह...

सभी डायनिंग टेबल पर नाश्ता करते रहता है संदीप जतिन के आने का खुशखबरी बेबे को देता है ,, बेबे अपने भतीजे के नाम और आने की खबर सुनकर बहुत खुश होती है ... तभी डोरबेल बजती है , संदीप दरवाजा खोलने जाता है , दरवाजा खोलता है तो सामने जतिन और उसके साला रहता है ,, संदीप गरमजोशी से गले मिलकर दोनों को अंदर ले आता है और नाश्ता के लिए पूछता है ...वो दोनों अब मना तो करता है लेकिन बेबे के ज़िद से नाश्ता करने बैठे जाते हैं सभी नाश्ता करते बातचीत खैर खैरियत पूछते हैं ..!!

बेबे सहसा ही पूछती है ,"जतिन मेरे बडे प्रा और परजाई जी खैरियत से है ..??

जतिन थोड़े झिझकते हुए कहता है ," हां .. हां सब खैरियत से है बुआ जी,, तभी उसकी साला कहता है जतिन से...

जतिन का साला ,"जीजू अंकल आंटी अनाथ आश्रम से फिर ले आए क्या..??

जतिन अब फंस जाता है और कहता है ," नहीं वो वहीं हे मैं जाते रहता हुं मिलने के वास्ते ..!!

बेबे और पापाजी अब आश्र्चर्य से एक दूसरे को ताकते हैं, फिर बेबे कहती हैं ,"अनाथ आश्रम में मेरे बडे प्रा और परजाई जी है कि ,किस वास्ते उनना नू बड़ी हवेली सी बड्डी बिजनेस सी फेर सबनू बधिया सी जतिन फेर कि गल हुई हे ..??

जतिन थोड़े झिझकते हुए कहता है ,"जी वो बुआ जी मेरी वोटी नू और बेबे नू के दिल ना मिलिया जी वो दोनों एक दूसरे को देखना पसंद नहीं करते थे दोनों अक्सर झगड़ा हुआ करती थी ,बेबे हमेशा नुक्स निकाला करती थी मेरी वोटी नाल होर मेरी ही वोटी नहीं मेरे तीनों प्रा के वोटिया से भी नहीं बनती थी बेबे नू तो हम सबने फैसला किया कि वो अनाथ आलय वीच रहेगी, पापाजी और बेबे भी राजी हो गए जाने के लिए तो वहीं रहते हैं चार महीने से ..!!

बेबे आंखें बड़ी करके ,"कि ,चार पुत्तर में कोई नू उसे ना राखि होर अनाथ आलय पेज (भेज) दि त्वड्डे लोगन ..??

जतिन के साला फिर कहता है ,"आंटी जी दरासल जीजू की बेबे ही बहुत झगड़ालू स्वभाव की है उसे अपने किया पसंद थी तो बहुएं की हमेशा बेज्जती करती थी .. इसलिए सभी ने आंटी को अनाथ आलय में ले जाने को एक मत हुई थी ,अंकल ने तो पहले से बंटवारा कर दिया था तो ज्यादा दिक्कत नहीं हुई...!!

संदीप अब कहता है ,"बेबे आप क्यो परेशान होती है ये उनके घर की मैटर है ,शायद झगड़ा झंझट से दूर होने के लिए ऐसा फैसला लिया होगा ,,जतिन प्रा चले बैक वही बात करते हैं आगे की ..!!

जतिन ,"हां बिल्कुल चलो , फिर बेबे से मुस्कुराते हुए कहता है ,"बुआ जी अंकल जी हम चलते हैं और तुरंत ही उठकर चलने लगता है .. फिर संदीप भी अपने रूम से आता है और तीनों बैंक जाने के लिए निकलता है...!!

क्रमशः ....

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