Pyar ki Arziya - 29 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार की अर्जियां - 29

बेबे आगे आगे बेचैनी से तेज कदमों से नीचे जाती है उसके पीछे पीछे संदीप चलता है .....

बेबे तेज कदमों से बड़बड़ाते हुए चलती है ,"वेली हो गई सी कुड़ी ,समझ ना आणा इसे ,,"अब चलते-चलते रास्ते में देखती है तो रावी कहीं नहीं दिखाई देती है फिर अपार्टमेंट के मेन गेट बाहर जाकर देखती है ...

संदीप अपने अपार्टमेंट के गार्डन में जाकर देखता है रावी यहां भी नहीं रहती फिर आसपास और देखता है...!!

बेबे मेन गेट के बाहर रोड पर नजर मारती है तो कुछ दूर पर दो लड़की चेयर पर बैठे दिखाई देती है ,अब बेबे उन लड़कियों के पीछे चल पड़ती है...

थोड़ी दूर चलकर वो दो लड़की आटोरिक्शा के लिए खड़ी होती है...इतने में बेबे पहुंच जाती है उन दो लड़कियों के पास तो वो रावी और उसकी फ्रेंड ही रहती है ...!!

बेबे अब रावी के पास जाकर हाथ पकड़कर सड़क किनारे खींचते ले आती है बोलते हुए ,"रावी तू वेल्ली हो गई सी , मैनू गल सुण चल कार चल उत्थे ही गल कर तैनू भी जी भरके गुस्सा कर लई ,अभी इत्थे ना रह चल ,,और खिंचते रावी को ले जाने लगता है..??

रावी को अचानक पास आकर खींचते ही रहती है और रावी मना करती है ,"नानी मुझे छोड़ो मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी है .. रावी अपने फ्रेंड के हाथ पकड़कर खिंचते रहती है ..!!

बेबे अब सड़क किनारे बनी चेयर पर थक कर अपना भी बैठती है और रावी को भी खींचकर बैठाती है तो दोनों की बातचीत चलती है बहस वाली‌...जब तक संदीप भी आते रहता है ...

बेबे कहती हैं फिक्र जताते हुए ,"पुत्तर जमाना खरब से तैनू समझ नहीं आंदा तेरे ते होर इस कुड़ी के साथ घटा फेर भी तू जिद्द कर चली पुत्तर मैनू भी फिक्र होना से पुत्तर तेरी ,साड्डे शहर में कुछ तेरे वीच घट जाए तो मैं कि दसिया जमाई जी होर सावी वीच ,..??

रावी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहती हैं ,"नानी ये सब मैं नहीं जानती आप किसे क्या कहेंगे आपको हमेशा अपनी पड़ी रहती है कभी लड़कियों को समझने की कोशिश नहीं करती आप ,आपकी ऐसी रवैया से मामी जी को कितना दुख हुआ होगा जब मुझे आज की घटना हमेशा याद रहेगी और मैं रात को कभी बाहर आऊंगी तो एक डर बना रहेगा मन में , लेकिन आपको क्या आपके साथ थोड़ी ऐसी घटनाएं हुई हो जो आप लड़कियों के बारे में सोचेंगे , मुझे तो अब आप से और आपकी सोच से चिढ़ होने लगी है की आप जैसी औरत मेरी नानी है..!!

बेबे को रावी की बात चुभती है और कहती हैं ,"पुत्तर ये कि तू मैनू ही गलत समझ रही हे , मैं भी एक औरत हुं और बेटी की मां हुं तो समझती हुं अच्छा बुरा को ..!!

नीतू भी अब कहती हैं ," आप औरत है तो आपको औरत की दर्द को समझना चाहिए लेकिन आप तो औरत के दर्द से कोसों दूर है , दुनिया तो लड़कियों को कमजोर और वासना से देखती है ,कभी आप भी जवान रही होगी क्या आपके साथ कभी अभद्रता व्यवहार नहीं हुआ होगा ज़रा सोचिए आप ..??

बेबे अब चुपचाप रावी के फ्रेड की बातों को सोचती है और अपने जवानी के दिनों याद करती है , और मन में बोलती है ,त्वडे लोगों को कि मलूम उस वक्त हम चारदीवारी में ही कैद रखा दिया करते थे हंस भी ना सकते थे ,पढ़ाई तो कुड़ी के ही स्कूल में होना था तो थोड़ी पढ़ लिया होर छोटी उम्र वीच ब्याह नाल हो गया सी ,सासु मां भी दिन भर पीछे पड़े रहने दें , कुड़ी की मां बनी तो मुंह फुलाए रहणी थी सासु मां होर ससुर जी सावी की चेहरा ना वेख्या सी कुड़ी चलन फिरन लगी फिर वेखे .. तभी

संदीप सभी को घर चलकर बात करने के लिए बोलता है,"बेबे चलो घर में बात करना बहुत रात हो रही है और ठंड बढ़ रही है चलो तीनों...

रावी कहती हैं बेबे को ,"एक शर्त पर चलूंगी मैं ...

बेबे वो कि हे ...??

रावी ,"आप पहले वादा करो मैं जो मांगूंगी आप देंगे तो...??

बेबे ,"तू ऐसी कुछ ना मागौना जो अस्सी पूरा ना कर सकया..!!

संदीप कहता है ,"इतनी रात हो चली है और आप सब शर्त पूरा करने की बात बोल रहे हो..!!

रावी ,"हां मामा जी जब तक नानी मेरी बात नहीं मानती तब तक मैं नहीं जाऊंगी....!!

बेबे अब बीच में बोल पड़ती है और कहती हैं ,"हां पुत्तर तैनू जो कुछ भी गल दसना हे वो कार चल कर गल कर लो जी..!!

रावी ,"नहीं अभी और इसी वक्त बोलना है ,...

बेबे ,"ठीक से दस कि गल हे ..??

रावी ,"मुझे कन्या मामी चाहिए इस घर में प्लीज़ नानी मेरी खातिर आप कन्या मामी को बुला लो प्लीज़..??

संदीप अब गुस्से से कहता है ," रावी बस कर और घर चल तुम एक पत्थर के सामने सिर पटक रही हो ,बेबे का दिल पत्थर का है ,रात हो रही है अब गश्ती पुलिस आ जाएगी और बहुत सवाल जवाब करेगी इससे अच्छा है,घर चलो ..और जाने लगता है

रावी और उसकी फ्रेंड आंखों में चलने का इशारा कर संदीप के पीछे चलने लगती है , और बेबे भी पीछे चल पड़ती है ...

घर में पापाजी टेंशन में टहलते रहता है ,,तभी डोर बेल बजती है और दरवाजा खोलता है तो संदीप और बाकी लोग रहते हैं

अब घर के हाल में संदीप को छोड़ सब बैठते है..और बातचीत होते रहती है ...!!

संदीप अपने रूम जाकर बेड पर लेटकर कन्या और अपनी तस्वीर देखते रहता है ,,देखते कब नींद आती है पता नहीं चलता और नींद के आगोश में चला जाता है...

अगली सुबह ....

बेबे आज नाश्ता बनाती और फिर सभी एक साथ नाश्ता करते हैं..

संदीप ऑफिस निकलने से पहले रावी और उसकी फ्रेंड को आज रूकने के लिए कहता है साथ में बेबे और पापाजी भी रावी को आज रुकने कहते हैं .....!!

दोपहर के वक्त..

बेबे को उसकी फ्रेड की कॉल आती है और वो फोन उठाकर बात करती है ,"हेलो मीता जी (थोड़े बुझे मन से) ..!!

मीता जी कहती हैं ,"मनदीप आगे कि करणा हे , संदीप नू दसिया तैनू ब्याह नाल ..??

बेबे ," मीता जी सानू नी लगदा की संदीप नू ब्याह नाल मनिया अस्सी नाल कसम खा रखिया सी वोनू दूसरी कुड़ी नई चाहिदा ,इब मेरी ही कसम खा रखिया सी मुंडा मैनू ना समझ आंदा अस्सी की करूं ...तभी रावी बेबे के बात सुनकर फोन लेती है और फोन पर कहती हैं ," अच्छा तो आप है मेरे मामा जी के शादी शुदा जीवन में कांटा बनकर आई है ,तो सुन लिया ना संदीप मामा ने कसम खाई है अपनी बेबे की उसके लाइफ में कोई दूसरी नहीं आएगी और आई तो शायद नानी जी का ,आप समझ गए ना अब फोन रख दो नानी अब इंट्रेस्ट नहीं है शादी में ..और फोन कट करती है..!!

बेबे फिर गुस्से से कहती हैं ,"खोतेया तैनू समझ नई आनी कि गल करिया सी फोन वीच..??

रावी भी गुस्सा में कहती हैं ,"अब समझ आया आपने मामी को इसलिए घर से निकाल क्योंकि आप अपने किसी खास से संदीप मामा की शादी करना चाहती हो ..अब पापाजी भी लीविंग रूम में आ जाते हैं और रावी के बात सुनता है..

बेबे पापाजी को देखकर रावी को कहती हैं ,"ये..ये कि गल करिया सी रावी पुत्तर मैनू ..मैनू कि तो अपनी फ्रेड वीच गल करी सी ये तैनू कि..??

रावी नानू जी ,"मैं सच कह रही हुं अभी अभी नानी ने किसी औरत से मामा जी की शादी की बात कर रही थी......

क्रमशः.......

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