Pyar ki Arziya - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार की अर्जियां - भाग 8

मैं अपने सीट पर बैठे उसकी डाक्यूमेंट फाइल देख रहा था इतने में प्यून कॉफी लेकर आया और एक कॉफी के मग मेरे सामने रखा और दूसरा मग को कृष्णकांत कमावात जी के सामने रखा और प्यून चला गया केबिन के बाहर ... मैंने उसे कॉफी पीने के लिए कहा और मैंने अपना मग लिया फिर टेबल में रखी फाइलों को बंद किया और कहा इसमें एक "एटीन बी, पेपर मिसिंग है आप उसे लेकर आइए फिर आगे प्रोसेस होगी ...!!

कृष्णकांत कमावात जी कॉफी के सिप लेते हुए : "मैंने तो इसमें एटीन बी फार्म सबमिट किया था , ऐसा नहीं की मैं पहली बार लोन के लिए एप्लिकेशन दे रहा हुं और तीन चार बार लोन ले चुका हुं ..!!

मैंने फिर कहा उसे कॉफी का एक सिप लेकर घुटकते हुए : "कृष्णकांत जी रूल्स चेंज होते रहते हैं , कस्टमर्स के लिए क्योकि र्फोड अब बहुत बढ़ रही है इसलिए ऊपर से नये नये रूल्स आते रहते हैं और हमें उसी के अकोडिंग काम करना पड़ता है ...!!

अब कृष्णकांत कमावात जी कॉफी खत्म किया और कहा : "एक बार आप यहां ऑफिस में भी चेक करवा दीजिए , वैसे मैं दोबारा ले आऊंगा एटीन बी का फार्म, उन फाइलों को लेते हुए खड़े होता है और मुस्कुराते हुए अच्छा मैं चलता हूं थैंक्स कॉफी के लिए ...!!

मैंने भी मुस्कुराते हुए :" थैंक्स की कोई बात नहीं मुझे तो पीना था इसलिए कंपनी चाहिए थी आपकी , फिर सभी फार्म जमा हो तो फिर मेरे पास आ जाइएगा ,,..उसे देखा मैंने उसे खुश होकर जाते हुए .. फिर सामने से मेरे एम्पलोई आते हुए नज़र आया...!!

संदीप :- "उस दिन कॉफी पीने के बाद, कृष्णकांत जी के घर , उनकी त्योहार पर गया, बहुत से मेहमान आए थे, वहां सभी सफेद शर्ट और सफेद लूंगी पहन रखे थे और मैं अंदर सफेद टी शर्ट मे ऊपर नीले कलर का ब्लेज़र और नीचे जींस पैर में लोफर पहने उनके त्योहार में शामिल था,जब मैं गया तो कुछ लोग मुझे देखकर कृष्णकांत जी से पूछे मैं कौन हूं और कुछ मेहमान ने डायरेक्ट कहा ,"कृष्णकांत जी "यू आर सन-इन-लॉ , मैंने ये शब्द दो बार सुनी तो तीसरी बार झेंप गया, फिर कुछ देर बाद हम सबको बाहर लॉन में लंच के लिए ले गए वहां टेबल चेयर कतार से रखी थी वहीं बैठकर सभी को लंच करना था मैं भी बैठा फिर केला के पत्तों को सबके पास रखें उसी में खाना परोसा जाना था ये समझ आ गया था ,,तभी खाना परोसना शुरू हुआ एक आदमी खाना परोस रहा सांभर मेरे तरफ गिरा दिया मेरे शर्ट से होते हुए सांभर मेरी जींस तक गिर गई तभी कृष्णकांत जी हमारी ओर देखकर आए और उस परोसने वाले को अपने लैंग्वेज में कुछ कहा नाराजगी जताई फिर ,

कृष्णकांत जी ने अपने मंगू को आवाज दिया वो आई ,"वहीं मंगू लड़की ,आज भी वो लाईट पिंक कपड़े पहनी थी फर्क इतना था वो साऊथ इंडियन लहंगा चुनरी में थी बहुत सभ्य तरीके से पहनी थी ,एक चीज कॉमन थी माथे की बिंदी और चंदन का छोटा सा टीका और गजरा ....!!

वो पास आई और मुझे साथ में चलने कहा मैं उसके फिर पीछे चला गया,,,,वो एक रूम गई और मुझे वाशरूम बताया...

मैं वाशरूम चला गया जब आया तो उसने सफ़ेद शर्ट और सफेद लूंगी दिया पहने को ,"ये लीजिए पहनकर आइएगा ,,

मैंने कहा :- "मंगू जी रहने दीजिए मैंने कपड़े साफ कर लिए हैं ,,मेरी बात सुनकर उसने कहा

मेरा नाम मंगू नहीं है कन्या है ,मंगू बेटी को बोलते हैं , और कपड़े तो... मेरे कपड़े देखकर फिर बोली, आपके कपड़े में पीलापन अच्छा नहीं लग रहा है और इन सफेद कपड़ों में कोई बुराई नहीं है ,,

मैंने कहा : "नाइस नेम, फिर चुपचाप ले लिया हाथ में उसके दिए कपड़े को , फिर मैंने कहा मुझे इसे पहनना नहीं आता..???

कन्या : "इस वेरी इज़ी ,शर्ट को शर्ट जैसा पहनना और जींस निकालो और टावेल की तरह लपेटो मैं बाहर जा रही आप पहनकर लंच करने लॉन में आ जाओ...!!

मैं तो बस उसकी आंखों को देख रहा था वो मुझे हल्की झलक में देखी होगी , लेकिन आवाज उसकी मीठी लगी मुझे,वो रूम से गई, फिर मैंने अपने कपड़े निकाले और पहन लिया और थोड़ी देर में बाहर आया,, तो एक लड़का जो मेरे ही उम्र का लग रहा था वो मुझे रुकने कहा और मेरी लूंगी को अच्छे से पहनाया शायद कन्या ने भेजा था ,, वैसे वो कपड़ा पहनकर अच्छा लग रहा था मैं ,दूर से कन्या भी किसी के साथ बातें करते मेरी ओर देख रही थी मुझे अच्छा लगा उसकी देखना .....!!

फिर कुछ दिन के बाद संडे को, मैं कन्या से मॉल में मिला ,,कुछ लड़के उसके और उसके साथ में आई बहन या फ्रेंड से बतमीजी कर रहे थे,, मेरे गाड़ी पार्क करते तक वो लड़के उसकी फ्रेड के हाथ पकड़ कर मोड़ दिया था कन्या बेबसी से अपने ही लैंग्वेज में अपनी फ्रेड के पास खड़े होकर दूसरों से हेल्प मांग रही थी,, वो चार लड़के घेरे घड़े थे उन लोगों को फिर मैंने कन्या को देखा और उन लोगों के बीच घूस गया बीच बचाव करते थोड़ी कहा सुनी हुई उन लड़कों के साथ और मैंने हाथापाई किया तो वो भाग खड़े हुए ,, फिर मैं कन्या के तरफ मुड़कर देखा तो वो बहुत डरी सहमी लग रही थी आंखों में आंसू भरे हुए अपने फ्रेंड के बाहों सिमटी हुई फिर पास गया उन लोगों के उसकी फ्रेंड ने जैसे मुझे पहचान लिया और मुस्कुराते हुए धन्यवाद किया,,,, लेकिन कन्या कुछ नहीं बोली यहां तक कि वो मुझे देखी भी नहीं.....!!

अब मैं कन्या को देखकर ऑब्जर्ब करने लगा वो कॉलेज में पढ़ती है , लेकिन और दूसरी लड़कियों की तरह चहकती नहीं बस चुपचाप ही रहती है क्यो..अक्सर उसे देखकर मैं सोचता ,इस तरह तीन चार महीने बीत गए कई बार उसके घर भी गया बस सवाल वहीं तक अटकी रही और ना मेरी हिम्मत थी कृष्णकांत जी से पूछने की , कन्या बात करती तो पूछता लेकिन वो तो मुझे देखी भी नहीं थी ....

एक दिन वही कॉफी शॉप में मैं क्लाइंट के साथ बैठे बातों में मशगूल था तभी मेरी साइड वेय में कुछ आवाज आई तो देखा कन्या किसी लड़के के साथ बैठी है वो बिल्कुल चुप थोड़ी घबराई सी अपने दोनों हथेलियों को आपस में मलते हुए ,,वो लड़का कन्या के हाथ पकड़ने की कोशिश करता कन्या अपने हाथ खींच लेती और पीछे देखती शायद कोई आने वाले हो ...

फिर वो लड़का ज़ोर ज़ोर से अपने लैंग्वेज में कन्या को खड़े होकर तेज आवाज में बोलने लगा मुझसे रहा नहीं गया और मैं उन लोगों के पास गया ,,क्या हो रहा है, आप क्यो इतना शोर कर रहे हैं , मैंने कहा,,

"कन्या मुझे देखी और झट से मेरे बांह पकड़कर मेरे पीछे खड़े हो गई ,, कन्या ने मुझे छुआ तो उस छुअन में बिजली सी दौड़ गई मेरे शरीर में मैंने हल्का सा उस लड़के को देखते हुए अपना सिर पीछे किया कन्या को देखने के लिए ,,,,,

अब वो लड़का कन्या को ऐसे देखकर भड़क उठा और कन्या को देखते हुए अपनी ही लैंग्वेज में गुस्से से बात किया मुझे बस यही समझ आया बॉयफ्रेंड .. बॉयफ्रेंड ,,,

कन्या भी फिर कुछ बोली लेकिन लड़खड़ाते स्वर में .....!!

मैंने फिर उस लड़के को पूछा ,"आप कौन और कन्या से कैसे बात कर रहे हो.....??

उसने अब हिन्दी में बोला गुस्से से मुझे देखकर कहा , "तुम कौन इसके बॉयफ्रेंड हो मुझसे क्वेश्चन कर रहे हो,,उसने कहा, मैं कन्या का होने वाला मंगेतर हुं हम दोनों की कल्याणमल करने की बात हो रही है तुम बीच में मत आओ ,समझे तुम..!!

क्रमशः...

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