Pyar ki Arziya - 26 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार की अर्जियां - 26

चंडीगढ़ में...

संदीप ," ऐसा सोचकर मैं क्या कन्या को ग़लत ठहरा दूं नहीं मुझे जब तक सच्चाई पता नहीं होती तब तक तो नहीं,, और आपने कहा कि अप्पा ने कन्या को कॉल किया बैंगलोर आने के लिए ये बात तो और भी मेरे मन में शक कर रहा है ,अप्पा को पता है कन्या कभी अकेले सफर नहीं की है हमेशा साथ में मिहिका रही है , और जब से मेरे साथ कन्या है तब से लेकर आज तक, बिना मुझसे पूछे एक छोटी सी सुई नहीं खरीदती तो इतना बड़ा फैसला जाने का कैसे लिया ,एक बार तो मुझे फोन करके पूछना था,, हां मैं नाराज़ हुं उसके जाने से ..!!

पापाजी ,"संदीप, कुछ जुरूरी काम होया सी कृष्णकांत जी को फोन कर सब मूलुम हो जांदी , फ़ोन कर..??

संदीप ,"हां आप सही बोल रहे हैं ,और जेब से फोन निकालने जेब अंदर डालता है..तभी

बेबे ,"छड्डो जी मिट्टी पाओ ,खाणा खाओ फेर गल कर लेना कोई ट्रेन सेरेन ना छुट रिया , संदीप फोन रख ,खाणा खाले .!!

संदीप - "नहीं बेबे पहले बात करूंगा फिर खाना ,,और रिंग करता है .... सामने फोन उठाकर "हेलो संदीप ...??

संदीप - " पैरीपैना अप्पा माफ़ कीजियेगा इतनी रात को फोन कर रहा हूं , लेकिन मेरा फ़ोन करना जरूरी था कुछ सवाल के लिए ....??

कृष्णकांत - "सवाल हां पूछो मुझे भी बहुत से सवाल पूछना है संदीप...??

संदीप - "अप्पा.. क्या जरूरी काम आया था अप्पा जो कन्या को फोन करके बुलाया मुझे फोन करके बताया नहीं कि कोई जरूरी काम आया कन्या को बैंगलोर आना होगा तुरंत ...??

कृष्णकांत - "ये क्या कह रहे हो संदीप , मैंने फोन कर बुलाया कनू को तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है कन्या को तुम्हारी बेबे ने घर से .....

तभी ..बेबे संदीप से फोन खींच लेती है गुस्सा करते हुए ...."हां अस्सी गल वीच विश्वास कि होंदा त्वडा ससुर नाल ,कन्या नाल सच होया वोथे विश्वास होणा तैनू , वोनू सच्चे लोग सी अस्सी बुरा इंसान है जी..??

संदीप - "बेबे मै आप पर भी विश्वास करता हुं लेकिन जब मैं कन्या और पापाजी को जानता हुं तो विश्वास नहीं हो रहा है मुझे कि कन्या ऐसे कैसे चली जाएगी आप समझो ना...!!

पापाजी - "मनदीप जी, तैनू सच गल दसिया हो तो फोन पर गल करने दो ना जी सब सच्चाई पता चल जावे डरने की कि गल हे, होर संदीप को भी सच पता चल जाए ..??

बेबे - "फेर करो अपणी मन की,ग़लत बणा दो मैनू अखा जिंदगी वीच मैनू ही गलत बणा दिता साड्डे लोग...!!

तभी संदीप को फोन आता है ,वो देखता है तो कृष्णकांत जी का ही रहता है "हेलो...

कृष्णकांत जी - " संदीप को अब सारी बातें बताता है ............... संदीप अपने बेबे को देखते रहता है ...!!

कुछ देर बात होने के बाद फोन रखता है दोनों ....!!

बेबे के मन में बात को साज कर बोलने की जुगत लगाते रहती है तभी ...!!

संदीप - "बेबे आप कन्या को घर से निकाल दिए क्यो किया ऐसा आपने ...??

पापाजी - " कि ... संदीप कि दसिया तैनू ..??

बेबे अपने दोनों हाथ को मसलते रहती है संदीप को सच पता चल गया सोचकर..!!

संदीप - "अहो पापाजी बेबे ने कन्या के हाथ पकड़ कर घर से निकाल दिया है , बेबे के पास जाकर, ये सच है.. बेबे के हाथ पकड़ कर अपने सिर पर ले जाते हुए ,, "मेरे सिर पर हाथ रखकर कह दो ऐ ग़लत है आपने कन्या को नहीं निकाला घर से..??

बेबे अपने हाथ को जोर से खींचते हुए कहती है ,"अहो मैनू ही कार से निकाल दिया उस कुड़ी को ,और क्यो ना निकालू ,वो कुड़ी दागदार हे मैनू पहले ही पता चल जानी थी तै इस कार वीच बहू ना बनने देती मैनू ,वो कुड़ी नू ना देखया सी इस कार में (गुस्से से आंखें बड़ी करके कहती हैं) ...??

संदीप - "बेबे पहली बात कन्या अभी भी मेरे लिए पाक साफ है ,आपकी सोच में मैल है इसलिए कन्या को ऐसी गिरी हुई निगाह से देखती हो , मैं कन्या से प्यार करता हूं, और पूरे रस्मों रिवाज से उसे अपनी पत्नी बनाया है और उसकी इज्जत करना मेरी फर्ज है और उसकी इज्जत की रक्षा करना मेरी जिम्मेदारी है चाहे किसी के लिए लड़ना हो ,..!!

पापाजी - "हां संदीप पुत्तर जा कन्या नू लेकर आई जा तू...??

बेबे - "खबरदार ,,, जोर की आवाज में बोलते हुए,"वो कुड़ी फेर इस कार वीच आई ते मैनू मरा मुंह देखोगे साड्डे लोग ..??

संदीप और पापाजी एक दूसरे के मुंह देखने लगते हैं ..!!

बेबे ये बोलकर अंदर रूम में चली जाती है है और दरवाजा बंद कर देती है ...!!

पापाजी - "ये कि होया,, नया सियापा कर दिता तैनू बेबे ,जनानिया की दिमाग घुटने चल दिता वोनू समझ नी आंदा अच्छा बुरा कि हे ,बस जिद्द करनी हे ,इब मनाओ होर करो मनदीप नाल ...!!

संदीप - "पापाजी बेबे को मनाओ जाकर वो ग़लत कर रही है , पता नहीं क्या चाहती है...??

पापाजी - "ना जी ना ,मैनू नी मनाना मनदीप नू, वेनू करें जो करणा हे और सोफे के एक कोने पर बैठ जाता है जाकर..!!

संदीप भी अब सोफे पर बैठ जाता है और सोचने लगता है फिर अपने बेडरूम चला जाता है ,,बेड पर लेट जाता है और याद करने लगता है कन्या को फिर मन मन में बोलता है ," कन्या मैं माफ़ नहीं करूंगा तुम्हें , तुम्हें पूरी अधिकार देकर लाया हुं अपने लाइफ में पूरी जिंदगी साथ निभाने की वादा लिया बाबा जी के फेरे लिया था हमने फिर बेबे ने हाथ पकड़कर निकाल दी और तुम चली गई ,क्यो मेरे प्यार के लिए नहीं लड़ी तुम ,जब बेबे ने हाथ लिया होगा तो जवाब में तुम भी तो बेबे पर गुस्सा कर सकती थी लेकिन तुमने किया नहीं चली गई और मुझे फोन करके बताना भी जरूरी नहीं समझी क्यो ,, मैंने कितनी बार फोन किया तुम्हें एक भी फोन का आंसर नहीं दिया तुमने क्यो ,प्यार करती हो ना मुझे,, विश्वास है ना मुझसे तुम्हें,, फिर क्यो चली गई तुम ...!!

बैंगलोर में...

कन्या के आंखों पर नींद नहीं है और वो बिस्तर पर लेटे बार बार करवट बदलते हुए सोचती है ,"संदीप तो आ गया होगा उसे तो सब पता चल गई होगी , फिर फोन नहीं कर रहा है ,, अगर मम्मी जी ने संदीप को ग़लत बताया होगा तो मेरे बारे में ,तो संदीप सच मान लेगा नहीं मैं संदीप को अच्छे से जानती हुं जब तक उसे सच पता नहीं होता तब तक वो किसी के कहीं बातों पर विश्वास नहीं करते , फिर फोन नहीं कर रहा है ,मैं फोन करूं क्या ,,मैं कैसे फोन करूं मुझे मम्मी जी ने कसम दी है, संदीप की , उससे ना बात करने की, तो मैं फोन भी नहीं कर सकती , फिर क्या करूं मैं संदीप के बारे में कैसे पता करूं समझ नहीं आ रहा है....!!

क्रमशः........

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