Pyar ki Arziya - 20 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार की अर्जियां - 20

कन्या का फायनल एक्ज़ाम शुरू हुआ और उसे अकाउंट्स पढ़ाना मेरी जिम्मेदारी हो गई थी , मैं उसे कॉलेज छोड़ने जाता और मिहिका के साथ वापस आती थी ,, कन्या के एक्ज़ाम तक मैं कुमावत हाऊस में रहा फिर बेबे बीच में आई कन्या को खाना बनाने के नाम से बहुत बोलती थी वो चाहती है कन्या पूरी पंजाबी के तरह खाना बनाना सीख ले ,,,,,,,

फिर छः महीने बाद मेरी ट्रांसफर चंडीगढ़ हुआ यहां आया तो कन्या अनजान लोगों से दूर रहती और अकेले थोड़े डरती थी तो बेबे को कुछ दिन के लिए बुलाए वो रही फिर वही राग अलापने लगती और हमेशा कुछ ना कुछ नुक्स निकल कर परेशान करती है कन्या को,,

एक दिन रात को मैं अपने बेड रूम में बेड पर बैठे लैपटॉप पर काम कर रहा था तभी कन्या थोड़ी परेशान होकर आई मेरे पास उसके मन में बहुत हिचक थी वो बोली ," संदीप मुझे भूख लग रही है ...

मैंने काम करते करते बोला ," हां तो जाओ किचन में कुछ होगा तो खा लेना ..!!

कन्या ,"आपको भी भूख लग रही है क्या ..??

मैंने कहा ," नहीं कन्या मुझे भूख नहीं है, और लैपटॉप पर ही नजर गड़ाए रहा मैं ..!!

कन्या अब भी मेरे सामने खड़ी थी अपने दुपट्टा के कोर को मोड़ते हुए ...!!

मुझे लगा जैसे कन्या मुझसे कुछ चाह रही है लेकिन बोल नहीं पा रही है फिर मैं उसके तरफ देखा और पूछा ,"क्या बात है कन्या तुम किचन क्यो नही जा रही हो तुम्हें भूख लग रही है ना ..??

कन्या ," वो मुझे भूख तो लग रही है लेकिन आज मैंने आपके थाली में से कुछ नहीं खाया तो इस वजह से और भूख लग रही है ,मैं किचन गई थी दो बार लेकिन खाना देखकर मन नहीं हुआ खाने को, अभी ये बात मैंने मिहिका से पूछी तो वो बोली मैं आपके हर खाने में एक बाइट निवाला लेती हूं इसलिए आदत हो गई है मेरी आपके जूठा खाने की ,तो मैं क्या करूं..??

कन्या की ऐसी बात सुनकर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने अपने लैपटॉप को थोड़ी दूर किया और कन्या को पास बुलाया और मेरी गोद में बैठने का इशारा किया वो शरमाते आई और गोद में बैठी फिर मैंने कन्या को मेरे सामने किया उसकी बांहों को पकड़कर और वो सामने हुई फिर मैंने उसके चेहरे को अपने हाथ से ऊपर किया और उसके होंठ में अपने होंठ रख दिया और किस करते मैं उसे बिस्तर पर लेटा दिया और आगे बढ़ने लगा कन्या का दिल अब जोरों से धड़क गया और फिर उसे अपने अतीत याद आ गयी और एक चीख निकल पड़ी उसके मुंह से "संदीप नहीं......
मै आगे बढ़ने से रुक गया और कहा, "आई सॉरी, आगे कभी भी मैं हद से बढ़ जाऊं तो मुझे रोक लेना ,और मैं कन्या के ऊपर से उठने लगा फिर कन्या मुझे रोकी उठने से और बोली..

कन्या ,"आई एम सॉरी संदीप लेकिन मैं कोशिश करती हुं आगे बढ़ने की तो वो दर्द का एहसास मन में भर जाता है तो मुंह से चीख निकल जाती है , वैसे मैं भी आपसे बहुत प्यार करने लगी हुं आप मुझे छुते हो तो मुझे बहुत अच्छा लगता है लेकिन हद पर करने से डरती हुं उसके लिए मुझे माफ़ कर दो प्लीज़ ...!!

मैंने कहा "मेरे लिए तुमसे लिपटना ही काफी है तुम नहीं जानती मैं तुमसे कितना प्यार करता हुं तो जरूरी नहीं हमारी बीच शारीरिक संबंध बने मैं ऐसे ही बहुत खुशहूं तुम्हारा प्यार पा कर , इसलिए तुम अपने दिल पर कोई बात मत लिया करो, और हां अब भूख शांत हुआ,, मुस्कुराते हुए ..!!

कन्या ," रुककर मुझसे गले लगाकर बोली हां अब भूख नहीं लग रही है आपके होंठ और जीभ ने मेरे होंठ और जीभ को छुआ इसलिए ..... फिर मैंने भी अपने बांहों में कन्या को कस लिया......."अब आठ महीने हो चुके है हमें चंडीगढ़ शिफ्ट हुए

वर्तमान में.......

ड्राइवर गाड़ी रोकता है, संदीप जो आंखें बंद किया हुआ है उसे मिरर में देखकर बोलता है ," सर गाड़ी घर आ गई है ...

तभी संदीप आंखें खोलकर देखता है और बोलता है ,"ओह घर आ गई , फिर गाड़ी के दरवाजा खोलकर गाड़ी से बाहर आता है और तेज कदमों से सोचते हुए फ्लैट की ओर बढ़ता है ,मन में अजीब सी हलचल है , पता नहीं बेबे ने क्यो घर जल्दी बुलाया सोचकर जल्दी से जल्दी जाता है ....

थोड़ी देर में संदीप अपने घर का डोर बेल बजा देता है ,,कुछ देर में बेबे दरवाजा खोलती है...

संदीप बेबे को देखकर समझ जाता है कुछ पंगा हुआ है ,अंदर आते हुए क्या हुआ बेबे पापाजी ठीक है ना , फिर अंदर में बिल्कुल शांति देखकर प्रश्न और दोहराता है ,"कि गल है,होर कन्या किथे है ..??

संदीप अपने बेडरूम के तरफ कदम रखता है फिर बेबे बोल पड़ती है अपना चुप्पी तोड़ते हुए ,,,

बेबे : "संदीप रुक जा इथे बैठो सोफे में ,मैनू गल करनी सी ...??

पापाजी : "पहले उसे फ्रेश होण दे फिर गल कर लेना तुसी इनी छेती कि हे..!!

संदीप वापस आकर सोफे पर बैठता है ,,,,

बेबे , गुस्से में ," गुरू जी आप तो चुप ही रहो जी आज आप बीच में कुछ भी गल ना करना ,," संदीप आज कन्या से इक बात पता चलिया सी ,त्वडा ब्याह नाल इक साल हो गया सी ,ते कन्या होर तैनू बीच में दूरियां सी ,सानू मतबल हे की तेरे और कन्या के बीच कोई संबंध ना बणे अब तक की ये सच हे दस तू मैनू की....??

संदीप ,अब सोच में पड़ जाता है आखिर ये बात सामने आ ही गई जिससे मैं डरता था ,चलो अब बात आ ही गई तो सच बताने में कोई गुरेज नहीं मुझे ,,,

बेबे ," संदीप पुत्तर मैनू सच्ची गल दसीया तू,, कि ये सच हे ..??

पापाजी ," हां पुत्तर कोई गल हे तो दस दे..??

संदीप ," हां ये सच है हमारे बीच पति-पत्नी जैसा संबंध नहीं बना है ,,!!

बेबे ," अब गुस्से से , " कि, कन्या को तैनू पसंद कर दीता ना फेर किस वास्ते ये सब, लब मैरिज किया ना तैनू फिर ये सब कि, किस कारण तू दूर है दस मैनू ..??

संदीप ," बेबे , मैं सच जरूर बताऊंगा लेकिन आप एक औरत हो तो कन्या के दर्द को समझना प्लीज़ ,, कन्या आम लड़कियों जैसी नॉर्मल नहीं है ,इसका कारण है उसके साथ वो छोटी थी वो बारह साल की थी तो हादसा हुआ था , उसकी वो ..................................... पूरी कहानी बता देता है ,,(पार्ट 11 में इसका जिक्र हुआ है इसलिए इस पार्ट में नहीं लिखा गया आप पिछले पार्ट पढ़ लेना)

"इसलिए कन्या उस दिन के याद से सहम जाती है, लेकिन बेबे आपने कन्या को कुछ कहा तो नहीं ,और बेबे की शक्ल देखता है तो उसके चेहरे का त्योरियां चढ़ा रहता है, संदीप समझ जाता है बेबे ने जरूर कन्या को कुछ कहा है और उठकर जाने लगता है तो

बेबे ,"संदीप तू रुक जा उसके पास नहीं जाएगा , दूसरे की जूठन तू सानू कर वीच लाया है होर तू प्यार करया सी कैसे,

क्रमश:.............

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