Pyar ki Arziya - 19 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार की अर्जियां - 19

संदीप : " मेरी शादी के दिन कुमावत हाऊस में सुहागरात था बेबे को पता चला तो गुस्से में आई और बोल पड़ी ,ये कि गल हे ,, सानू कर वीच रस्मे करावगा हूण इथे सुहागरात मनावगा ये गल पसंद न मैनू ,सानू कर वीच दूल्हा दुल्हन जावेंगा उथे ही रस्मे करी फिर सुहागरात मनौना ,,

अब बेबे ज़िद पर अड़ी थी लेकिन हर रस्म शादी बेबे के अनुसार ही हुआ ,, फिर सावी दी ने बेबे को मनाया और मैंने भी बेबे से कहा आप टेंशन मत लो मैं समझ गया, तब जा के शांत हुई ....!!

" कन्या के रूम अंदर गया और दरवाजा बंद किया कुंडी लगा दिया ..."कन्या असहज हो चली थी उसे माहौल में गर्मी लगने लगी थी .....!!

मुझे भी जाते ही, कुछ गर्मी का एहसास हो रहा था इसलिए अपने शेरवानी की बटन निकल रहा था और कन्या के पास बैठने के लिए जाने लगा, ये बोलते की , कन्या हमारी शादी अच्छे से निपट गई ...."फिर कन्या अचानक चीख उठी नहीं संदीप जी नहीं मेरे पास मत आओ और बेड के नीचे सिमटकर डरते हुई बैठ गई ... मैं पास जाना चाहता था कन्या के लेकिन वो मुझसे कुछ इमेजिंन करके डर रही थी जैसे मैं उसके साथ जबरदस्ती कर रहा हूं ....!!

दूर से ही मैंने कन्या को जैसे तैसे शांत रहने कहा और भरोसा दिलाया कि मैं उसके पास नहीं जाऊंगा और ना बिना उसके मर्जी का कुछ नहीं करूंगा ,,तब वो बड़ी मुश्किल से उठी और बेड पर बैठी मुझे देखकर नज़रें झुका ली थी ,, मैं दूर सोफे पर ही बैठा फिर सोफे पर ही सो गया हालांकि मेरे पैर बाहर निकल गये थे फिर भी सोया,,,,,,,,

आधी रात को सिसकने की ज़ोर ज़ोर से आवाज़ आई और उठकर देखा तो कन्या सपने में सिसक रही थी और चादार को मुठ्ठी में पकड़ ली थी और सिसकती हुए रो रही थी ,,,,मैं घबराकर कन्या के करीब बैठा और उसे थपथपाते हुए सुलाने की कोशिश किया ,,,,,

फिर कन्या मेरे हाथों को जकड़कर चैन से सोने लगी .....

दूसरे दिन .... कन्या की बिदाई का दिन था बुआ जी , मिहिका , कन्या और अप्पा बहुत रो रहे थे मुझे माहौल अच्छा नहीं लग रहा था ,, फिर कन्या के लगेज को बाहर गाड़ी में रखे हम सब घर के बाहर खड़े ही थे तभी अप्पा ने मुझे एक चेक दिया बहुत बड़ी एमाउट था उसमें मैंने नहीं लिया और कहा अप्पा और कन्या से ,"अब कन्या की जिम्मेदारी मेरी है इसलिए टेंशन मत लीजिए और कन्या आपको भी अब मेरे ही पैसों से काम चलाना होगा...!!

फिर अप्पा पापा जी को वो चेक देने गये,, पापाजी ने भी लेने से मना किया ,, फिर हम उन लोगों से रूखसत होकर पटियाला के लिए फ्लाइट बैठे..!!

पटियाला पहुंचने के बाद वहां शादी के बाद की रस्में हुई ,और रिसेप्शन भी दिया सब परिवार के लोगों को .... शादी के बाद कन्या मुझसे और कम बात करती थी पहले से भी और खामोश हो गई थी ,जब मैं बेडरूम जाता था तो वो और डरी सहमी रहती थी थोड़ी दूरी बनाकर,, उसके लिए माहौल एकदम नया था यहां पंजाबी बोलते थे तो उसे समझ नहीं आता था,,और पहले दिन किचन में उसने सिरा बनाई और उपमा बहुत टेस्टी बनी थी लेकिन बेबे ने ताना मारा पापाजी को
तेलगन बहू को लेकर आए हो तो पंजाबी खाना भूल जाना इडली डोसा ही खाना पड़ेगा अब से....!!

सावी दी और रावी को लेने जीजा जी आए वो पूरी पंजाबी लुक में थे बड़ी-बड़ी दाढ़ी लंबे बालों को पर पग बनाए हुए मुंछे बड़ी-बड़ी ऊंचे पूरे बातों में गरमी और तेज थी ,, कन्या उसे देखते ही डर गई जब उसे लस्सी देने गई तो वो कुछ पूछा उसकी जवाब नहीं दिया कन्या ने फिर बेबे ने ताना मारा "इसे कि समझ आवेगा इ तो तेलगन सी , पंजाबी नाल होनी ही तो सानू गल समझ कर जवाब मिलनी सी....!!

कन्या एक दिन तैयार हो रही थी मैं रूम नहीं था तो अपनी चूड़ा उतार रही थी उसी समय किसी काम से बेबे आई और देखी चूड़ा उतारते तो बहुत जोर से भड़की ," ऐ की अपशगून कर दीता ,तैनू समझ नी आंदा की ये चूड़ा सुहाग का चूड़ा हे तैनू इसे इक महीने तक पहणा हे ,आज एथे समझा रही सी बाद में देखया तो माफी ना मिलया तैनू,, और चूड़ा को पहने रहने के लिए कहा...!!

अब हमें हनीमून के लिए जाना था तो बेबे की तबीयत खराब हो गई इसलिए नहीं गये उल्टा एक सप्ताह कन्या को बेबे के पास छोड़कर मैं वापस बैंगलोर आया और ऑफिस ज्वाइन किया...!!

फोन पर बात होती थी तो बेबे की बात ताने वाली सुनाई देती थी ,मेरी कन्या चुप रह जाती थी वो अपने आप को बदकिस्मत और कमजोर महसूस करती है इसलिए वो चुप रहती है ,,,,,

" एक दिन पापाजी ने फोन किया और बोला की कन्या को ले जाओ वरना तेरे बेबे उसे परेशान करेगी कन्या पुत्तर बहुत अच्छी है दिल की साफ है वो एक शब्द नहीं बोलती लेकिन तेरे बेबे को बोलने की बीमारी है इसलिए तू ले जा,,मैं तुरंत रात तक गया सब खाना खा के बैठे थे उस समय कन्या खाना नहीं खाई थी ,, डोर बेल बजाया तो पापाजी ने दरवाजा खोला और मैं अंदर आया , थोड़ी देर पापाजी और बेबे के पास बैठकर फिर मैं किचन कन्या से मिलने गया वो अचानक मुझे देखी तो खुशी से आकर मुझसे लिपट गई ,,उस दिन उसके चेहरे पर डर नहीं था

फिर हम दोनों ने खाना साथ में खाया एक ही थाली में उस दिन से मैं जब भी खाना खाता हुं कुछ भी कन्या को जरूर खिलाता उसे धीरे-धीरे आदत हो रही थी मेरी जूठा खाने की ......!!

हमारी शादी अब चार महीने हो गई थी, कन्या को अच्छे से जानने लगा उसके आंखों का और चेहरे की भाव को समझने लगा , कन्या हर रात को सपनों में सिसकियां लेती रोती है ये अब जान गया था इसलिए हमेशा मैं उसके पास ही रहता हुं ,, कन्या मुझसे अपने पर्सनल समान खरीदने के लिए पैसा नहीं लेती थी ,,ये बात तब समझ आया जब उसकी फोन पर अप्पा का मैसेज आया कन्या के नाम से पचास लाख रूपए आए हैं चेक कर लेना मंगू ...

मुझे गुस्सा आया और मैं बेडरूम से किचन कन्या के पास गया और मैसेज दिखाते हुए कहा : "कन्या अप्पा ने फोन में मैसेज भेजा है पचास लाख तुम्हारे नाम से पैसा आया है क्यो..??

कन्या : "हां मुझे कुछ काम था और मेरे एकाउंट में पैसे खत्म हो रहे थे तो अप्पा से कहा वो भेज दिया ..??

मैंने कहा : "इसलिए मेरे पैसे वैसे ही है तुमने घर खर्च भी अप्पा के पैसों से किया है और अपने लिए भी समान तुमने अप्पा के पैसों से ,कब समझोगी कन्या अब मेरे पैसे तुम्हारे भी है अप्पा के पैसे अप्पा का है मैंने तुमसे शादी किया है तो जिम्मेदारी भी मेरी है ,आज के बाद से अप्पा का पैसा बिल्कुल भी यूज नहीं करोगी जितना मैं कमाकर लाता हूं उसी से काम चलाना होगा तुम्हें कन्या चाहे तुम्हारे कितने भी पर्सनल समान हो मेरे ही पैसे खर्च करोगी और शेल्फ के पैसों का हिसाब तुम ही रखोगी आई बात समझ में दोबारा बोलने का मौका मत देना ....!!

उसके बाद से कन्या मेरे पैसों को डर-डर के खर्चा करती है ... फिर कन्या का फायनल एक्ज़ाम शुरू हुआ और उसे अकाउंट्स पढ़ाना मेरी जिम्मेदारी हो गई थी , मैं उसे कॉलेज छोड़ने जाता और मिहिका के साथ वापस आती थी ,, कन्या के एक्ज़ाम तक मैं कुमावत हाऊस में रहा फिर बेबे बीच में आई कन्या को खाना बनाने के नाम से बहुत बोलती थी वो चाहती है कन्या पूरी पंजाबी के तरह खाना बनाना सीख ले ,,,,,,,

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