Pyar ki Arziya - 17 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार की अर्जियां - 17

संदीप : "मुझे उस दिन पहली बार कन्या की डांट पड़ी उसकी गुस्सा उसी की तरह बहुत स्वीट थी , मुझे तो और प्यार आ रहा था .. फिर उस दिन मैं भी फैसला करने के मुड में आ गया और...
 
कन्या ," चलो अंदर अभी बुखार आपकी ठीक नहीं हुईं और मेरे हाथ खींचकर ले गई
अंदर,,जाओ जल्दी नहाकर आओ मैं कुछ गर्म खाने के लिए बनाकर देती हुं ....
 
मैंने फिर कन्या के हाथ पकड़कर ," कन्या मुझे मेरा जवाब चाहिए पहले ..??
 
कन्या ; "क्या जवाब ..??
 
मैंने कहा ; "मैंने कहा था अप्पा से और बुआ जी से हमारी शादी का डेट फिक्स करके मुझे बताए लेकिन दो से चौथे दिन हो गए कोई जवाब ही नहीं मिला क्यो...??
 
कन्या : "फिर वही राग अलापने लगे ," संदीप जी मैंने कहा ना ये शादी नहीं हो सकती मेरा फैसला नहीं बदलने वाली ,,आप फ्रेश हो जाइए, मैं कुछ गर्म नाश्ता बनाकर लाती हूं ,,!!
 
फिर मैंने कहा गुस्से अपनी त्योरी चढ़ा कर : " जरूरत नहीं है मेरे लिए कुछ बनने की समझी आप , और आप लोग यहां से चले जाइए ,मेरी केयर करने की जरूरत नहीं है, मैं जैसा हूं ठीक हुं प्लीज़ मुझे तैयार होना है ,, मिहिका और आप बाहर जाइए मेरे बेडरूम से , इंतजार कीजिए मेरे तैयार होकर आने तक मैं आप लोगों को ड्रॉप कर दूंगा ,, और मैं शेल्फ से कपड़े निकाले और गुस्से से वाशरूम चला गया ....!!
 
थोड़ी देर बाद
 
मैं तैयार होकर रूम से बाहर आया तो देखा कन्या मेरे लिए नाश्ता तैयार करके रखी थी ,,मेरा गुस्सा भी हाई था तो मैं चुपचाप तैयारी कर रहा था ऑफिस जाने के लिए फिर याद आया दोनों को छोड़ने घर भी तो जाना है फिर ,"मैंने मिहिका से कहा ," मिहिका चलो आप दोनों को घर छोड़ देता हुं और कार की चाबी लिया,,,
 
कन्या मुझे देख रही थी फिर बोली पास आकर उस समय मैं अपने हाथ का कॉलर की बटन लगा रहा था .....
 
कन्या : "संदीप जी कुछ खा लीजिए आपको मेडिसिन लेनी है...!!
 
मैंने गुस्से में बैगर कन्या के तरफ देखे कहा, " मुझे भूख नहीं है ,मैं बिल्कुल ठीक हुं , और किसी को सिम्पैथी दिखाने की जरूरत नहीं है ,बोलते हुए बटन लगाने का काम पूरा करके अपने रूम गया वहां अपने मोजे जूते पहनकर शेल्फ से अपना ब्लेजर निकाला और पहनकर फिर रूम से बाहर आया और मिहिका को देखकर कहा " मिहिका चलो घर चलो मैं नीचे जा रहा हुं गाड़ी में आप दोनों आ जाइए दो चार कदम रखा था फिर कन्या बोली, "संदीप जी मेरी गुस्सा आप खाने में क्यो निकाल रहे हो प्लीज़ खा लीजिए फिर चले जाइएगा हमें छोड़ने ,,इस बार थोड़ा रुक कर सुना और बिना कुछ कहे चला गया बाहर ,,,,
 
कन्या और मिहिका नीचे आई तो गाड़ी को लेकर उनके सामने आया, फिर गाड़ी में बैठने के लिए भी कन्या पीछे सीट पर जा रही थीं मिहिका बोली कनू दी आप सामने बैठो मैं पीछे ठीक हुं इतना तो कर दो प्लीज़ , फिर सामने आई कन्या मुझे देख ही रही थी लेकिन मैं अब इग्नोर किया और गाड़ी भी पूरे रास्ते इग्नोर ही किया फिर उसके घर से उन दोनों को छोड़कर वापस गया तब भी इग्नोर किया मैंने गुस्सा से एक बार भी कन्या को उसके समाने नहीं देखा लेकिन जब वहां से निकल रहा था तब गाड़ी के मिरर से कन्या को देखा उसका चेहरा उतरा हुआ था ....!!!!
 
ऑफिस में अपना पूरा ध्यान फाइलों पर लगा दिया और कुछ गलतियों पर आज स्टाफ को डांट भी लगाई ,, मुझे फिर फिवर लग रहा था उसे भी इग्नोर किया बस कॉफी ही पीए जा रहा था ,,,,शाम चार बजे करीब फोन आया मुझे फोन के स्क्रीन पर देखा तो कृष्णकांत जी का था उठाया बे मन से "हेलो ...वो बोले तो मैं सन रह गया और खुशी से उछल गया ,फिर मैं आगे सुना और बोला जी आ जाऊंगा ....
 
अब तो मेरे पैर रुकने के नाम नहीं ले रहा था और जल्दी सारे काम निपटाकर गाड़ी पकड़ी और मंजिल की ओर चल पड़ा ...
 
कृष्णकांत जी के घर पहुंचा सामने कन्या आ रही थी मैं तेज़ क़दमों से गया और कन्या के सामने खड़े होकर पूछा किसी के दबाव में आकर हां तो नहीं बोल रही शादी के लिए ...??
 
कन्या : " मेरे आंखों को देखकर बोली नहीं मैं किसी के दबाव में नही हुं,ये मेरी फैसला है,, आपसे शादी करने के लिए तैयार हुं , बोलकर आंखें नीची कर लिया ...
 
मैं खुशी से कन्या को उसकी दोनों पैरों को जकड़कर ऊपर उठाया और बोला ," सच है ,I love you कन्या जोर से बोला और गोल घुमाने लगा...!!
 
कन्या : "संदीप आप क्या कर रहे हैं उधर देखो अप्पा और उसके एम्पलोई देख रहे हैं हमें नीचे उतारो ...
 
 
क्रमशः...

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