Pyar ki Arziya - 16 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार की अर्जियां - 16

"दो दिन बीत गया कोई जवाब नहीं और मेरी बुखार सोच सोचकर और खराब हो रही थी ,, तीसरे दिन रात को मेरी बुखार एकदम हाई हो गया और मैं बुखार में ही कन्या को पुकार रहा था उन दिनों मेरे घर का सर्वेंट मेरे ही घर में रहा करता था तो उसने आवाज सुनकर मेरे रूम आया और मुझे आवाज दिया ,"सर ...सर आप ठीक तो है ,, मैं बुखार से तपा था अचेत हालात में कन्या के नाम ले रहा था मेरे सर्वेंट पास आकर मेरे माथे पर हाथ रखा तो पता चला मेरा बुखार हाई है,, फिर उसने मेरे फ़ोन पर कृष्णकांत जी को फोन किया और उसे सब बता दिया वो अपने पहचान के डॉक्टर लेकर आए और मेरा चेक अप किया तब भी मैं कन्या को पुकार रहा था कृष्णकांत जी को देखा नहीं गया और वो तुरंत कन्या को लेने गया कन्या ..!!

कन्या अपने अप्पा को मना ना कर सकी और वो आई मिहिका के साथ ..

कृष्णकांत जी ने मेरे तरफ इशारा करके कहा देखो उसकी तबीयत बहुत बिगड़ी है और बस कन्या ही नाम ले रहा है डॉक्टर ने कहा है कुछ बात उसकी दिल पर लग गई है इसलिए बुखार भी नहीं उतर रहा है , मुझे लगता है मंगू तेरी बात ही संदीप के दिल को लगा है मंगू वो सच में तुमसे बहुत प्यार करता है ,,,अब भी कन्या ख़ामोश मेरे तरफ देख रही थी ,, फिर कृष्णकांत जी पैर पटकते चले गए तुम्हें जो लगे वो करो लेकिन आज संदीप को हमारी जरूरत है तेरी जरूरत है तो मेरे खातिर रह जाओ उसे कुछ गर्म खाना बनाकर खिलाओ और मेडिसिन दे दो बोलकर निकल गये..!!

कन्या मेरे पास आई मुझे छुकर देखी सच में बदन तप रहा था तो वो जल्दी किचन गई मिहिका को हेल्प मांग कर ....!!

मिहिका मेरी बेबसी को देखकर कन्या से थोड़े नाराज़ थी और चुप थी जो बोलती वहीं करती ..!!

कुछ देर में सूप तैयार करके आई कन्या और मेरे सिरहाने बैठी और मेरे सिर को अपने कंधे पर रखी और एक हाथ से मुझे जकड़कर सूप पिलाई तब भी मैं अचेत ही था वो सूप को फुंक मार कर मुझे पिलाई फिर मेडिसिन खिलाई और अच्छी तरह चादर से कवर कर दिया और फिर सिरहाने बैठकर मेरे सिर पर ठंडे पानी की पट्टी लगाते रही जब तक मेरा बुखार कम नहीं हुआ .....!!

दूसरे दिन सुबह....

मैं कसमसा रहा था तभी मुझे कन्या से टच हुआ और उठकर देखा तो कन्या मेरे सिरहाने में बैठे ही सो गई है फिर आसपास देखा तो मिहिका मेरे बेडरूम के सोफे पर सोई है ,, फिर मैं उठा और किचन गया कॉफी बनाया और बालकनी में कॉफी पीते ठंडी हवा का मज़ा ले रहा था आज दिल खुश था कन्या मेरे पास थी और कॉफी का घुंट ले रहा था तब पीछे से आवाज आई...!!

कन्या ,"गुस्से से बोली ,,,,

"आज मैंने कन्या की अलग चेहरा देखा ,हाय ये गुस्सा मेरे परवाह का था इसलिए अच्छा लगा उसका डांटना ,,वो बोली ,"
कन्या , "लगता है आप ठीक हो गये है इसलिए यहां ठंडी हवा ले रहे हैं ...??

मैं पीछे पलटा और भोले से सुरत बनाकर ,"अरे नहीं वो मुझे सोए सोए बोर लग रहा था तो यहां.....

कन्या : सबको परेशान करके यहां ठंडी हवा लेने आ गये चलो अंदर अभी भी शरीर वीक है आपकी ....

क्रमशः.......

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