Pyar ki Arziya - 15 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार की अर्जियां - 15

संदीप : "मैं ऐसे ही बैठे रहा कन्या के जाने के बाद फिर आधे घंटे बाद फोन कॉल आया उसे उठाने मैं रूम गया और फोन के स्क्रीन पर कृष्णकांत सर जी के नंबर आ रहे थे मैंने पिक किया वहां से आवाज आई...!!

कृष्णकांत जी : "संदीप बेटा मुझे माफ़ कर दो मैं जज़्बात मे बहक गया था और कन्या का सच छुपाना चाहता था लेकिन मेरी मंगू ने मेरी आंखें खोल दीं , संदीप ये सगाई अब नहीं हो सकती आप कोई और लड़की देख लो बेटा और मुझे माफ़ कर दो रूंधे स्वर में बोला और फोन रख दिया ...!!

ये मेरे लिए भूकंप जैसा लगा और मैं फिर से सोच में पड़ गया और फिर फोन पकड़े सोफे पर वापस आकर बैठ गया,, मुझे तो वो बारह साल की बच्ची पर बीती हुई हादसा ये सोचने पर मजबूर हो रहा था कि लोगों में ज़रा भी इंसानियत नहीं बच्चे को भी हवस का शिकार बना लेते हैं और सारी मर्दों के मर्दानगी को बदुआ दे रहा था , कन्या की बातें मेरे दिल दिमाग को चुभ रहा था ,,मैं सोचने लगा क्या मेरा प्यार कन्या के जिस्म देखकर प्यार किया था अगर वो मुझसे संबंध नहीं बनाएगी तो मेरा प्यार खत्म होगा , नहीं.. नहीं .. नहीं,, मैंने उसके प्यार सा दिल उसकी सादगी को देखकर प्यार किया है ,,,,,,

" मैं उसकी चेहरे पर मुस्कान लाना चाहता हूं दुनिया की हर खुशी देना चाहता हूं, उसके खुशी में खुश उसके दुःख में दुखी होकर उसे संवारना चाहता हूं ,मैं अपनी पूरी लाइफ उसके साथ बिताना चाहता हूं , भले हमारे बीच संबंध बने या ना बने मुझे उसके पास रहना है उसकी ताकत बनकर प्यार करता हूं मैं कन्या से ....... मेरा प्यार इतना कमजोर नहीं जो ऐसी हादसा सुनकर कम हो जाए या छोड़ दें , मैंने प्यार किया है ,, इसे दिल और जान से भी निभाऊंगा ,, पूरी ईमानदारी से कन्या की हर इच्छा ,हर ग़म उसकी नज़रों से पढ़ने की उसके बोलने से पहले मैं उसके सामने हर खुशी दूं ... सोचते बैठे शाम रात होने चली थी ...

फिर दूसरे दिन मैं खुद उनके घर जाकर उन लोगों से कहने के लिए तैयार था लेकिन बारिश लगातार बरस रही थी फिर मेरे सब्र की बांध का टूटा,,और बारिश में ही गाड़ी निकालकर मैं कन्या के घर कि ओर चल पड़ा मैंने, सबसे पहले कन्या को फोन लगाया उसने उठाया नहीं फिर कृष्णकांत सर को फोन किया उसका फोन स्वीच ऑफ आया फिर मिहिका को फोन किया वो भी नहीं उठाई नहीं....

" तेजी से गाड़ी चलाते गया और दरवाजे में हार्न बजाया सिक्योरिटी गार्ड ने दरवाजा खोला मैं गाड़ी उसके मेन दरवाजे के पास खड़े कर हार्न बेताहाश बजता गया तब मिहिका और कन्या अपने खिड़की पर आई ,,मैं गाड़ी से बाहर आया कन्या को ऊपर खिड़की की ओर देखकर वहीं भींगते हुए कहा ज़ोर से ,

"कन्या मुझे मेरी फैसला सुनाना है,आप जानना नहीं चाहेंगी ,, कन्या अब सुनते मेरी ओर देख रही थी... तभी मिहिका ने कहा

मिहिका : "संदीप जीजू आप अंदर आओ भीग रहे हो ...??

मैंने कन्या को देखते कहा नहीं मैं घर अंदर नहीं आऊंगा अपनी दीदी से कहो वो बाहर आए और मेरी बात सुने वरना मैं भीगते ही रहुगा ...!!

कन्या अब खिड़की से हट गई फिर मिहिका भी खिड़की से हट गई ,,,, फिर कन्या नीचे छाता ओढ़े बाहर आई थोड़े तेज कदमों से चलकर आई और बोली ,
"संदीप जी अंदर चलकर बात करो ना यहां बहुत बारिश हो रही आप बहुत भीग गये है ...??

मैंने कन्या को देखते हुए कहा ," मैं पहले ही प्यार में भीग चुका हुं , आज बारिश में भीग रहा हुं लेकिन जितना मुझे प्यार में भीगने में आनंद आया वो इस बारिश के पानी में नहीं कन्या ...!!

कन्या ," इतने बारिश में क्यो आए हो , और भीग रहे हो कहीं तबीयत ना खराब हो जाए चलो अंदर कॉफी पी लो ...!!

मैंने कहा ,"मैं अपनी फैसला सुनाने आया हूं ...??

कन्या अब चुप देखें जा रही थी ,सुनने के लिए.!!
मैंने कहा ," मैं ये सगाई नहीं करना चाहता ,अब मैं सगाई और शादी एक ही दिन में करना चाहता हूं आपसे ,मेरा प्यार इतना कमजोर नहीं की एक हादसा के वजह से रुक जाए या खत्म हो जाए मैंने प्यार किया है सच्चे दिल से , इसलिए मैं आप से जितनी जल्दी हो सके शादी करना चाहता हूं ,अप्पा से कह देना शादी की डेट तैय कर लें और मुझे कल सुबह तक बता दें ,.......
कन्या : "संदीप जी मेरी फैसला नहीं बदलने वाली ,मैं ये सगाई और शादी के लिए सोच नहीं सकती ,शांति से जवाब दिया ...!!

मैंने जवाब दिया : "कन्या आपकी फैसला नहीं बदलेगा तो मेरा भी यही फैसला है मैं शादी करूंगा तो आपसे नहीं तो सारी जिंदगी बैठा रहूंगा आपके इंतजार में कुंवारा ...तभी मेरी नज़रें, बुआ और मिहिका दरवाजे में आकर खड़ी हुई उस पर गई , मैंने बुआजी से तेज आवाज में कहा बुआ जी मैं सगाई और शादी एक ही दिन करना चाहता हूं आप प्लीज़ हमारी शादी का डेट फिक्स करवा दीजिएगा और कल सुबह तक बता दीजियेगा मैं अपने पैरेंट्स को बता दूंगा,,अब मैं चलता हूं नमस्ते🙏 ,,,, कन्या मुझे ही देख रही थी मै उसे मुस्कुराते हुए देखते अपनी गाड़ी में बैठा और चला गया ...!!

बारिश के पानी में भीगने से मेरी तबीयत थोड़ी ढीली हुई मैं बुखार को नज़रंदाज़ करके काम करते रहा बुखार के मेडिसिन लेकर , दुसरे दिन सुबह से कन्या के फोन का इंतजार कर रहा था वहां से किसी का फोन नहीं आया देखते शाम हुआ ,शाम से रात , फिर सुबह आज मैं भी गुस्सा और बेचैनी में मेडिसिन नहीं लिया जब काम करता तो दिमाग से निकल जाता और जब फ्री होता तो कन्या की याद घेर लेता ...

क्रमशः..

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