प्यार की अर्जियां - 13 Mini द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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प्यार की अर्जियां - 13

मिहिका आई और बोली ,"संदीप जीजू मेरी कनू दी कुछ नहीं बोल पाएगी इसलिए उसकी आंखों की भाषा आपको पढ़कर समझनी होगी इसलिए प्रेक्टिस कर लो जैसे मैं इनकी चेहरे की भाव और इनकी हरकत सब समझती हुं ,," अभी वो झिझक रही है आपके इस तरह से सामने आए और बात करके आपने उसकी दिल की धड़कन बढ़ा दिया है इसलिए कुछ नहीं कह पा रही है , फिर कन्या वहां से चली जाती है ,,मिहिका आगे बोली , "संदीप जीजू प्रेक्टिस के लिए आप कनू दी के आसपास रहना होगा,, वो आसानी से पटने वाली नहीं ,आप रोज़ यहां कन्या के दरबार में हाजिर होना होगा और कुछ समय देना होगा आपको...??

मैंने मुस्कुरा कर कहा : प्यार में सब कूबूल है साली साहिबा जी, जरूर रोज़ आऊंगा और आपकी दी को कबूल भी करवाऊंगा अपनी मोहब्बत को ..."उस दिन के बाद से हम हर संडे को बाहर जाते थे , कन्या बिना मिहिका के ना नुकुर करती थी इसलिए हम तीनों चलते थे ,,,, मैं और मिहिका हमेशा खुश और जिंदादिल से रहते थे हंसना मज़ाक करना चलता था लेकिन कन्या चुपचाप ही रहती वो मुझे देखती कुछ सवाल लिए फिर दूसरों को देखती ,,और अपने आप में कुछ सोचती उसे हिलाने पर ही उसकी तंद्रा टूटती थी ,,


"मैंने कई बार पूछा क्या बात है क्यो तुम खुश नहीं रहती मिहिका की तरह,, कन्या कुछ जवाब नहीं देती तो मुझे यही बात घर कर लेता और सोचता आखिर क्यो चुप रहती है, सब ठीक है सभी अच्छे है, कन्या दिखने में सुंदर है, बड़ी घर गाड़ियां उसके अप्पा ,बुआ और बहन , मैं कितना कोशिश करता हूं उसे हंसाने की पर वो चुप ही रहती है ,,,,,,,

एक दिन मैं मिहिका से पूछा कन्या क्या हमेशा से ऐसे ही चुप रहती है .....??

मिहिका ने मेरी बातों का एक ही जवाब दिया हां वो ऐसे ही है और वहां से चली गई ,, फिर जब मैं और कन्या अकेले रह जाते थे तो कन्या कुछ बोलने की कोशिश करती ...!!

कन्या ,"संदीप जी मुझे आप से कुछ बात करनी है ..??

मैंने कहा ," हां बोलो मैं सुन रहा हूं... कन्या अपने चुनरी के कोर को बेतहाशा मोड़ने लगती बात को बोलने के लिए और पहले शब्द में ही अटकने लगती थी मैं ...वो ,,तब तक कोई आ जाता और बात खत्म हो जाता ऐसे उसने दो-तीन बार ट्राय किया,,कभी कभी मैं उसके घर अचानक चला जाता तो चारों के बीच माहौल गर्म लगता लेकिन पता नहीं चलता बात क्या है ,,,इस बीच पापाजी और बेबे आने वाली थी बैंगलोर कन्या से मिलने ,,,,

मैं खुश था कि चलो मेरे पैरेंट्स ने कुछ आगे स्टेप लिए और कन्या से मिलना चाहते हैं,, मैं कन्या को पापाजी के बर्ताव और बेबे की बर्ताव को बता दिया ताकि कन्या अनकंटेफ्लबल ना हो और वो जो पूछे उसकी जवाब दे ,, वैसे कन्या की आदत जान चुका था वो सबसे शांत रहकर जवाब देती है इसलिए कन्या के तरफ से कोई टेंशन नहीं था बस बेबे कुछ ग़लत ना बोले ये टेंशन था ...... लेकिन बैंगलोर सिर्फ पापाजी आए और उसने कृष्णकांत सर जी से मिले दोनों की अच्छी बॉडिंग रही पापाजी तो कन्या को देखकर खुश हुए उसकी मीठी सी आवाज़ पापाजी को बहुत अच्छे लगे फिर सगाई फिक्श कर दिया और पापाजी बेबे को लेने वापस पटियाला चला गया ...इस बीच मैं कन्या और मिहिका सगाई की शॉपिंग करने लगे सब खरीद लिया ......!!

एक दिन अचानक संडे को कन्या मेरे फ्लैट आई , मैं तो बहुत खुश था उसके आने से , कन्या को बैठने कहा और मैं सोफे पर बैठ गया कन्या नहीं बैठी और सीधे बोली , "संदीप जी, इस सगाई से मना कर दो मेरे मना करने से मेरे घरवाले नहीं मान रहे प्लीज़ आप मना कर दो ...??

मेरे तो जैसे पैर से जमीन खींच लिया लगा जब कन्या ने ऐसा कहा तो , फिर मैं सोफे से उठा और कन्या के तरफ बढ़ गया सवाल करते ,"क्या ,,ये क्या बोल रही हो कन्या सगाई से मना कर दूं पर क्यो मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं और आपको अपने लाइफ का हिस्सा बनाना चाहता हूं आपके साथ हर खुशी में दुख में रहना चाहता हूं ,क्या बात हुई मुझे बताओ क्या मैं आपके लायक नहीं हुं ..बोलो ,बोलो कन्या और फिर उसकी चुप्पी और आंखों से झलकते हुए आंसू से मैं और बेचैन हो गया इस बार मैं कन्या के दोनों बांहों को पकड़ कर झकझोर कर कहा, क्या बात है कन्या मुझमें कोई खोट है क्या...??

कन्या , अब जोर से रोते हुए मेरे पैरों के नीचे बैठते हुए, बोली नहीं संदीप जी आप में कोई खोट नहीं,, खोट है तो मुझमें है, मैं आपके लायक नहीं हुं आप बहुत अच्छा इंसान हैं लेकिन मैं आपके लायक नहीं हुं ... बिलखते हुए कहा कन्या ने ..!!

मेरा दिल कन्या के बात सुनकर तेजी से धड़कने लगा , फिर मैं कन्या के पास बैठकर पूछा शांति से ,क्या हुआ मुझे बताओगी उसके बांहों को पकड़े हुए...??

कन्या : ,"आपको जब पता चलेगी मेरे अतीत के बारे में तो आप दूर हो जाओगे,आपकी पसंद बदल जाएगी इससे अच्छा है आप अभी से दूर चले जाओ ...रोते हुए कहा..??

मैंने फिर पूछा क्या हुआ कुछ बताओगी तो पता चले ना और तुम नहीं बता रही तो मैं तुम्हारे अप्पा से फोन पर पूछता हुं और उठा दो कदम चला ही था .. "कन्या फिर बोली कोई फायदा नहीं वो सच शायद बताए ,आज मै फैसला करके आई हुं सच बताने के लिए ,,"मेरे कदम वहीं रुक गये थे ...!!

कन्या बोल पड़ी ," दस साल पहले मेरी उम्र बारह साल की थी, हम चेन्नई में रहते थे, मेरे घर में मेरी मां , मुझसे आठ साल बड़ी बहन रहती थी हम बहुत खुश थे अपने परिवार में मेरे अप्पा अक्सर बिजनेस के लिए आसपास के शहर चले जाते थे तो अंकलजी मिहिका के अप्पा हमारी देख-रेख करते थे उनकी परिवार भी चेन्नई में थी तो ,मेरी दीदी को हमारे ही जाती के लड़के से प्यार हो गयी थी इसलिए शादी भी सभी के रजामंदी से हो गई वो लड़का थोड़े गरीब था तो अप्पा ने अपने ही घर और ऑफिस में जगह दे दिया था ,,उसकी आदत हमें नहीं मालूम था वो एक गुंडा किस्म का लड़का था वो शराबी था, वो पैसों को शराब में लुटाता था और जुआरी था दीदी को बहुत परेशान करता था पैसों के लिए और मुझ पर गंदी नज़र भी रखता था फिर मां को पता चला लेकिन वो भी सुधर जाएगा समझकर कुछ नहीं बोली,, बस अप्पा को नहीं पता था........

क्रमशः...