Pyar ki Arziya - 12 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार की अर्जियां - भाग 12

घर आया तो मैंने बेबे और पापाजी को कहा : "बेबे सिमरजीत के हम लायक नहीं है वो बहुत ऊंचे सोच की लड़की है उसकी ख्यालात हम लोगों से बहुत जुदा है, ..!!

बेबे : " इक घंटे की मुलाकात से कि मलूम होंदा पुत्तर जी, ब्याह से पहले सभी कुड़ियां नू पसंद ना पसंद दिमाग घुटने नाल चालया सी ते ये सिमरजीते हे , तू फिक्र ना कार मैनू मीता से गल कार के सब ठीक कर देनी है ...!!

मैंने कहा : "बेबे आप बात नहीं करेंगी अब जो करना है मुझे करना है ,,मैं कल वापस बैंगलोर जा रहा हुं ,और एक बात बताना भूल गया था , मैंने जिस लड़की को पसंद किया है उसके पिता से उस लड़की का हाथ मांगा है वो राज़ी है चाहे तो आप लोग भी उन लोगों से मिल लो वो बहुत अच्छे घर से है ...!!

बेबे : "अहो जी, अब सच्ची गल दसीया सी मुंडा वेला हो गया सी ,वो तेलगन पसंद है तो दूसरी पसंद कि , मुंडा नू जात बिरादरी ना देखया इसने तो नाक कटा दीता मैनू...!!

मैंने कहा : " बेबे क्या नाक कटने की बोल रही हो अपनी लाइफ है दूसरों का क्या वो सिर्फ हंसने वाले हैं ,चलना चलाना लाइफ को तो हमें है क्या फर्क पड़ता है लड़की अपनी जाति की हो या दूसरी जाति की मेरे ख्याल से लड़का-लड़की एक दूसरे के प्यार और विश्वास से चले तो जीवन अच्छा
चलता है ,, मुझे नींद आ रही है सोने जा रहा हुं....उस रात बेबे ने गुस्से से कुछ नहीं खाई दूसरे दिन भी यही हाल रहा पापाजी ने मुझे एक दिन और रुकने के लिए कहा मैं रुक गया , पापाजी मेरे विचार से सहमत थे लेकिन वो बेबे का दिल नहीं तोड़ना चाहता था इसलिए कुछ नहीं बोल रहा थे...!!

दूसरे दिन

बेबे बिस्तर पर रही मैंने और पापाजी ने नाश्ता तैयार किया बेबे वो भी नहीं खाई फिर दोपहर को मैंने खाना बनाया और बेबे के पास गया और उसे कहा,"बेबे ठीक है आप उन लोगों से बात करो और ये भी पूछना की मैं इंडिया में नौकरी करनी होगी या उनके पसंदीदा विदेश में , मैं आपकी बात मान लूंगा आप खाना खा लो प्लीज़ खाना खा लो फिर बात कर लेना मैं आज यही रुका हुं जो भी होगी आपकी मर्जी से होगी ,और बेबे को निवाला खिलाया ...!!

कुछ देर बाद ..

बेबे ने फोन लगाई मीता जी के घर बात की सब राज़ी ही हो रहा था तभी बेबे ने पूछा कि संदीप को सिर्फ इंडिया में नौकरी करनी है जी वो विदेश नहीं जाएगा तभी शादी होगी जी ..."वहां से जवाब अब गोलमोल आया .. जी मेरे कुड़ी के लिए बहुत से रिश्ते आ रही जी अभी शादी फिक्श नहीं करते हैं ..!!

बेबे फिर पूछी ,"अहो जी आपको तो जल्दी थी ब्याह की फिर कि होया ..??

मीता जी : "तैनू जाणा सी जी आज के बच्चे की, कि हाल हे वो उसकी सारी सहेलियां कनाडा जा रहे जी तो वो चाहती है कि उसकी होने वाले हस्बैंड भी विदेश में नौकरी करे बस कुड़ी नू ये इक ख्वाब है जी ,और कुछ नहीं..!!

पापा जी ये बात सुनकर भड़के बेबे के लिए और बेबे से इस रिश्ते के लिए मना कर दिया ,"मनदीप जी आप की चाहते हो संदीप नू विदेश पेज दूं,, ना जी ना, हमारी बेटी की हालात कि किथा तैनू समझ नी आंदा की ,अस्सी पुत्तर सावी की ब्याह करिया सी ना हम लोग ना वो सावी को देखणे पेजते है ना हमें बुलाते हैं,, बच्ची तिल तिल मार रही पर तैनू समझ निय आंदा मैं संदीप नू जहां पसंद कर रखया सी वहां ब्याह नाल करावंगा सुन लै तैनू ,सावी पुत्तर की मनपसंद जमाई ना मिलिया सी , तैनू ये समाज , बिरादरी की गल कर दीता इनकी फिक्र है तैनू पर औलाद की फ़िक्र ना हे तैनू ..बस फैसला ये है संदीप अपणे पसंद नू ब्याह करावेंगा तूसी इक शब्द ना बोलिए ...और अपने रूम के तरफ बढ़ जाते हैं ...!!

आज पापाजी को इतने ऊंचे स्वर में बोलते सुना मैंने कभी भी किसी से इतने ऊंचे स्वर में नहीं बोलते थे....!!

मैंने पापाजी से कहा : "आप इतने नाराज़ पहली बार देखा आपको अगर बेबे चाहती है तो यही सही..!!

पापाजी बोले : "संदीप मेरी इक गल क़ठ बांध लो ,जनानिया सिर्फ दिल से सोचते हैं होर वैसी ही करते हैं, लेकिन हम मर्दों को आगे पीछे देखकर सोचकर कदम उठाना होंदा हे, जिससे सबकी जिंदगी अच्छा बण सके इस वास्ते हमें कठोर बणणा पड़ता हे होर सही को चुनकर गल करनी होती है , अस्सी पुत्तर सावी की फैसला तेरे बेबे को लेने दिया आज वो बोहोत दुखी हैं सुख ना हे सावी पुत्तर,, इस बात का मुझे दुख है पुत्तर ,,अब तैनू भी जवान है, ब्याह होगा बच्चों के बाप बनेगा तो फैसले तो तेरे होंगे ,होर मैनू पता सी की तू कमजोर ना पड़ेगा जो सच है उसी के साथ रहणा जी ....!!

"अब मेरी लाइफ पटरी पर आई और मैं चला बैंगलोर ...!!

बैंगलोर जैसे ही पहुंचा मन किया कि उड़कर कन्या के पास चला जाऊं लेकिन ये तो पॉसिबल नहीं था फोन नंबर जो नहीं था ना उसका ना मिहिका का ,, अब बहुत सोचा क्या करूं फिर मैंने सुबह-सुबह उसके घर गया तो वो लोग नाश्ता कर रहे थे, सभी खुश हुए और मुझे भी नाश्ता करने के लिए कहा मैं बैठ गया वो लोग मुझे जानबूझकर कन्या के बगल वाली चेयर पर बैठाए ,,"मैं कन्या के तरफ निगाह डाला तो वो कुछ रिएक्टर नहीं कर रही थी बस खाना पास कर रही थी बुआ जी के बोलने से .. फिर मैंने ही कहा ,"जी आप लोग बुरा ना माने तो मैं कन्या से बात करना चाहता हूं ..??

वो लोग तो खुशी खुशी हां बोल दिया और पूछे यही बात करोगे या कहीं बाहर जाओगे ..??

मैंने कहा : "यही आपके सुंदर गार्डन में ,, फिर हम गार्डन के तरफ बढ़े जा रहे थे, मैं आगे कन्या मेरे पीछे-पीछे चल पड़ी मैं रुका तो वो मुझसे टकरा गई शायद ध्यान उसकी कहीं और थी ,उस दिन मैंने कन्या को संभालने के लिए छुआ था और अपने बांहों में लिया था ... फिर तो वह और असहज हो गई और उसे अच्छा नहीं लगा बार बार माफी मांग रही थी नज़रों को नीचे करके ,,"मैं कन्या के हाथ पकड़कर उसकी हां या ना सुनने के लिए कहा,"कन्या जी मैं आपको बहुत पसंद करता हुं आपसे शादी करना चाहता हूं ,क्या आप मुझे अपने लाइफ का हिस्सा बनाओगी आपके मुंह से सुनना चाहता हूं ...???

कन्या कुछ भी नहीं बोली और कुछ बोली भी तो ये ," जी मैं ..मैं मुझे ..ट .ट.. कुछ ..

तभी मिहिका आई और बोली ,"संदीप जीजू मेरी कनू दी कुछ नहीं बोल पाएगी इसलिए उसकी आंखों की भाषा आपको पढ़कर समझनी होगी इसलिए प्रेक्टिस कर लो जैसे मैं इनकी चेहरे की भाव और इनकी हरकत सब समझती हुं ,," अभी वो झिझक रही है आपके इस तरह से सामने आए और बात करके आपने उसकी दिल की धड़कन बढ़ा दिया है इसलिए कुछ नहीं कह पा रही है , फिर कन्या वहां से चली जाती है ,,

क्रमशः.....

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