Pyar ki Arziya - 32 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार की अर्जियां - 32


बैंगलोर में....

दोपहर को....

बुआ जी कन्या ,और मिहिका दोपहर के भोजन के लिए तैयारी करते रहते हैं मेज़ पर समान रखने का ..उसी समय डोर बेल बजती है ,,

बुआ जी दीवाल पर टंगी घड़ी को देखकर कहती हैं इस वक्त कौन आया है , भैया तो चेन्नई गए हैं वो तो कल आने वाले थे ..??

मिहिका कहती हैं ,"हो सकता है काम हो गया हो मैं जाकर देखती हुं दरवाजे पर और दरवाजे के तरफ जाती है , कन्या वापस किचन जाती है ..... मिहिका दरवाजा खोलती है और सामने देखकर चौंकते हुए कहती हैं ,"संदीप जीजू आप इतनी बारिश में आए हो ,आप तो पूरे भीग गए हो ,फोन करके बता देते तो मैं ही लेने आ जाती आपको...??

संदीप कहता है बिना भाव के ,"हां इतनी बारिश में,, मौसम विभाग से मेरी जान पहचान नहीं है नहीं तो मौसम का हाल पूछ लेता , अच्छा मुझे अंदर आने दोगी या यही से भगाने का इरादा है तुम्हारा तुम्हारे दी की तरह...??

मिहिका असहज हो कर के कहती हैं ,"हां अंदर आइए और साइड होती है , संदीप अब घर अन्दर आता है मिहिका दरवाजा बंद कर संदीप के पीछे जाती है ..!!

संदीप अपने बैग नीचे रखता है और बुआ जी को आते देखकर मुस्कुराते हुए बुआ के पास जाता है और पैर छुता है...!!

बुआ जी संदीप को देखकर बेहद खुश होती है और मुस्कुराते हुए आर्शीवाद देती है, फिर कहती हैं ,"बेटे फोन कर दिया होता तो घर के किसी सदस्य को बोलकर मैं एयरपोर्ट आपको लेने भेज देती आप बहुत भीग गए हैं , फिर बुआ कन्या को आवाज लगाती है ,"कनू मंगू संदीप आया है जल्दी बाहर आओ ..!!

मिहिका भी किचन में आ गई रहती है दरवाजे के पास तभी कन्या किचन में ही बुआ की आवाज सुनती है संदीप आया है और आश्चर्य से पीछे मुड़ते रहती है , फिर

मिहिका मुस्करा कर कहती हैं कन्या को ,"आश्चर्य मत हो, हां... संदीप जीजू आ गए जाओ आप, वो बहुत भीगे हुए हैं ...!!

कन्या जल्दी जल्दी किचन से बाहर जाती है ... यहां हॉल में संदीप बुआ से बात करते हुए संदीप कन्या को एक नज़र देखकर वापस अनजान बनकर बुआ को देखते कहता है,"अप्पा कहां है..??

बुआ जी ,"वो चेन्नई गए हैं कल तक आ जाएंगे , फिर कन्या को देखकर कहती हैं ,"कन्या जाओ संदीप को रूम में ले जाओ , संदीप भीग गया है , उसके कपड़े चेंज कर गरम कपड़े दो ....

कन्या संदीप को देखती है लेकिन संदीप नहीं देख रहा सोचती है, फिर संदीप के बैग पकड़ने जाती है तब संदीप कन्या को इग्नोर करते झट से अपनी बैग पकड़ कर रूम के तरफ जाता है , कन्या पीछे-पीछे संदीप के जाती है ....

रूम में पहुंचने के बाद कन्या फुर्ती से शेल्फ जाकर टावेल निकालती है और संदीप के पास रखती है ....

संदीप बैग खोलते कन्या को कन्नखियो से देखकर अपने लिए टावेल निकाल कर पोंछने लगता है और पहली छिंक आता है , फिर खिड़कियों के तरफ जाता है जहां से ठंडी हवा आती है ...

कन्या अब समझ जाती है संदीप गुस्से में है इसलिए वो इग्नोर कर रहा है और बात नहीं कर रहा है फिर वो रूम से निकल जाती है थोड़े नम आंखों से ...!!

संदीप अब पीछे देखता है तो कन्या चली गई रहती है फिर जल्दी से सुखे कपड़े पहनकर नीचे जाते हैं खाने के मेज़ पर ..

खाने के मेज़ पर भी संदीप खुद ही सर्व करता है वो जताता है कि कन्या से नाराज़ हैं इसलिए इग्नोर करता है ताकि कन्या मजबूर हो जाए बात करने के लिए ,रूम से आने के बाद तक बीच-बीच में चार बार छिंक चुका रहता है ...!!

बुआ संदीप को छिंकते देखकर कन्या को कहती हैं ,"कनू संदीप के लिए सर्दी का काढ़ा बनाकर पीला देना ...??

कन्या संदीप को देखकर सिर हिला कर हां कहती हैं ,.!!

संदीप बुआ जी को देखकर कहता है ,"नहीं बुआ जी मैं ठीक हो जाऊंगा आप परेशान ना हों ,और किसी को भी परेशान नहीं करना चाहता मैं , फिर खाने में लग जाता है ...!!

"कन्या को संदीप की बातें दिल पर लगती है और संदीप का ना देखना और उससे कोई काम नहीं करवाना कन्या को सज़ा देने जैसा बेचैनी लगती है, मिहिका और बुआ जी भी अब खाने में व्यस्त होती है ,...उसी समय फिर डोर बेल बजती है , मिहिका उठती है कहते हुए कि "मैं देखती हूं, और दरवाजे के तरफ जाती है ...!!

मिहिका दरवाजा खोलती है तो सामने किसी शख्स को देखकर आश्चर्य होती है और एक नज़र अंदर देखकर फिर कहती हैं ,"नमस्ते मूर्ति अंकल आ..आइए अंदर ...!!

मूर्ति अंकल मुस्कुराते कहता है ,"कन्या के कहने पर उसकी ये तलाक के पेपर्स है , मैंने टिक कर दिया है जहां पर उसका और उसके हसबैंड का साइन होगा ये लो और पेपर्स बढ़ा देता है उसी वक्त संदीप बाहर आते रहता है और वो पेपर्स लेता है ,, मिहिका की हवा हो जाती है , फिर संदीप वो पेपर्स को लेते देखकर चेहरा पीला पड़ जाती है मिहिका की ...

मूर्ति अंकल मुझे जरूरी काम है मैं चलता हूं आप लोग काम हो जाए तो पेपर्स सबमिट कर देना मेरे पास ,कहकर वापस जाने के लिए मुड़ता है ...!!

संदीप अब उन पेपर्स को घूरते अलटा पलटा कर देखते हुए गुस्से से अंदर तेज कदमों से चलकर आता है ,, मिहिका दरवाजा बंद कर तुरंत संदीप के पीछे जाती है ...!!

कन्या खाने के मेज़ पर कुछ सोचते गुमसुम बैठे खाना धीरे-धीरे निगलते रहती है और हाथ से चम्मच को इधर उधर करते रहती है .. तभी उसके मेज़ पर हवा में कोई चीज आकर गिरती है ,, कन्या की तंद्रा टूटती है और देखती है तो कुछ पेपर्स है जो नीले कलर की है और उसमें लिखा रहता है डिवोर्स .. कन्या देखते ही रहती है तो

संदीप गुस्से से कहता है ,"अच्छा यहां मुझे तलाक देने की प्लानिंग चल रही है ,ठीक है तुम्हें तलाक चाहिए तो जरूर इच्छा पूरी करूंगा मैं,, और पेपर्स को अपने तरफ खींचता है और अपने शर्ट के जेब से पेन निकालकर साइन करता है...

ये वाक्या इतना जल्दी होते रहता है कि बुआ को बिल्कुल भी समझ नहीं आता कि यहां क्या चल रहा है .......

मिहिका कांप जाती है और जम जाती है और शीतल होकर देखते रहती है जैसे मुंह पर बर्फ जम गई हो ....

वहीं बैठी कन्या भी जम जाती है संदीप को देखकर उसके गुस्सा देखकर संदीप के चेहरे के भाव जो बेहद ख़तरनाक लगा रहा था इस तलाक के पेपर्स को लेकर जब वो साइन कर रहा था , कन्या मना भी नहीं कर पा रही थी .......

संदीप अब साइन करके उस पेपर्स को कन्या के मुंह पर फेंक देता है ,और कहता है मुबारक हो जो मैं एक सप्ताह में नहीं सोच पाया और ना सोचता तुम्हारे कारण पांच मिनट में फैसला भी हो गया और तलाक के पेपर्स में साइन कर दिया , हमेशा खुश रहना तुम ,ये बोलकर अब संदीप के आंखों पर मोटा आंसू लुढ़क कर गाल में आता है और वो रूम के तरफ जाता है भड़कते हुए .....

क्रमशः ......

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