द्वादशी व्रतों का माहात्म्य Kishanlal Sharma द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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द्वादशी व्रतों का माहात्म्य

"प्रभु ऐसा कौनसा उपवास है।जिसके करने से अच्छे फल की प्राप्ति के साथ मनुष्य का कल्याण भी हो?"राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा था।
"राजन जो मनुष्य स्नान आदि नित्य कर्मो से पवित्र होकर मेरी पंचमी के दिन उपवास करता है।तथा तीनो समय मेरी पूजा में संलग्न रहता है।वह सम्पूर्ण व्रतो का फल पाकर मेरे परमधाम में प्रतिष्ठित होता है।"भगवान श्रीकृष्ण बोले।
"भगवान।आपकी पंचमी का कौनसा दिन कहलाता है?'
"अमावस्या,पूर्णिमा,शुक्ल पक्ष की द्वादशी और श्रवण नक्षत्र युक्त द्वादशी ये तिथियां मेरी पंचमी कहलाती है।"
"क्या मनुष्य को पांचों तिथियों में उपवास रखना चाहिए?""
"हां।लेकिन जो पांचों दिन उपवास न कऊर सके उसे द्वादशी को ही उपवास करना चाहिये"
"भगवान द्वादशी का व्रत करने से क्या फल मिलता है?"
"राजन इस व्रत के करने के अलग अलग फल मिलते है""
"प्रभु क्या आप विस्तार से बताएंगे कि इस व्रत को कैसे करना चाहिए और इसके करने से क्या फल मिलता है?”
"जो मनुष्य मार्गशीर्ष माह की द्वादशी को दिन रात का उपवास करके केशव नाम से मेरी पूजा करता है।उसे अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है।जो मनुष्य पोष मास की द्वादशी को उपवास करके नारायण नाम से मेरा पूजन करता है।उसे वाजिमेघ यज्ञ का फल मिलता है जो मनुष्य माघ मास की द्वादशी को उपवास करके माधव नाम से मेरी पूजा करता है।उसे राजसूय यज्ञ का फल मिलता है।फाल्गुन के महीने में द्वादशी का उपवास करके गोविंद नाम से मेरी अर्चना करने वाले को अतिरात्र यज्ञ का फल मिलता है।जो मनुष्य चैत्र महीने की द्वादशी को उपवास करके विष्णु नाम से मेरी पूजा करता है उसे पुण्डरीक यज्ञ का फल मिलता है।"
श्रीकृष्ण ,राजा युधिष्ठर को उपवास से प्राप्त होने वाले फल बताते रहे।उन्होंने बताया,"वैसाख की द्वादशी को व्रत करके मधुसूदन नाम से मेरी पूजा करने वाले को अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है।जो मनुष्य ज्येष्ठ मास की द्वादशी को उपवास करके त्रिविक्रम नाम से मेरी पूजा करता है उसे गोमेघ यज्ञ का फल मिलता है।आषाढ़ मास में व्रत रखकर वामन नाम से पूजा करने वाले मनुष्य को नरमेघ यज्ञ का फल मिलता है।"
श्रीकृष्ण ने देखा राजा युधिष्ठर बड़े ध्यान से उनकी बात सुन रहे है।तब वह आगे बताने लगे,
"भाद्रपद मास की द्वादशी को व्रत रखकर ऋषिकेश नाम से मेरी अर्चना करने वाले को सोत्रमार्ग यज्ञ का लाभ मिलता है।अश्विन मास की द्वादशी को उपवास रखकर पद्मनाभ नाम से मेरी पूजा करने वाले को एक हजार गोदान का फल मिलता है।कार्तिक के महीने में द्वादशी का व्रत रखने वाले मनुष्य दामोदर नाम से मेरी पूजा करता है।उसे सम्पूर्ण यज्ञ का फल मिलता हैं।"
"प्रभु क्या उपवास के साथ पूजा जरूरी है?"
"यज्ञ के सम्पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए उपवास के साथ पूजा भी जरूरी हैं।"
"प्रभु श्रावण मास का बड़ा महत्त्व है।इस मास में लोग पूजा,उपवास,तीर्थ आदि करते हैं।"
"इस मास में पूजा करने वाला मेरी सायोवय मुक्ति को प्राप्त होता है।'
"प्रभु द्वादशी का व्रत कब तक करना चाहिये?'
"जो मनुष्य बारह साल तक निर्विघ्न मेरे बताए अनुसार व्रत और पूजा करता है।वह मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है।"
"आपका पूजन करने के लिए क्या चीजे जरूरी है?"
"द्वादशी को जो मनुष्य चंदन,फूल,फल,जल,पत्र व मूल अर्पण करता है।वह मेरा प्रिय भक्त हैं।"