द्वादशी व्रतों का माहात्म्य Kishanlal Sharma द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें पौराणिक कथा किताबें द्वादशी व्रतों का माहात्म्य द्वादशी व्रतों का माहात्म्य Kishanlal Sharma द्वारा हिंदी पौराणिक कथा 462 1.3k "प्रभु ऐसा कौनसा उपवास है।जिसके करने से अच्छे फल की प्राप्ति के साथ मनुष्य का कल्याण भी हो?"राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा था।"राजन जो मनुष्य स्नान आदि नित्य कर्मो से पवित्र होकर मेरी पंचमी के दिन उपवास ...और पढ़ेहै।तथा तीनो समय मेरी पूजा में संलग्न रहता है।वह सम्पूर्ण व्रतो का फल पाकर मेरे परमधाम में प्रतिष्ठित होता है।"भगवान श्रीकृष्ण बोले।"भगवान।आपकी पंचमी का कौनसा दिन कहलाता है?'"अमावस्या,पूर्णिमा,शुक्ल पक्ष की द्वादशी और श्रवण नक्षत्र युक्त द्वादशी ये तिथियां मेरी पंचमी कहलाती है।""क्या मनुष्य को पांचों तिथियों में उपवास रखना चाहिए?"""हां।लेकिन जो पांचों दिन उपवास न कऊर सके उसे द्वादशी को कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें द्वादशी व्रतों का माहात्म्य अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Kishanlal Sharma फॉलो