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सेल्फी

"अकेले ही चले जाओगे?"तरन्नुम,शिव का हाथ पकडते हुए बोली।
रिया की शादीी का समाचार सुनकर शिव बेहद उद्विग्न थाा।उसने स्वपन मे भी नही सोचा था कि रिया ऐसा भी कर सकती है।उससे शाादी का वादा करके,उसने रोहन का हाथ थाम लिया था।रिया की बेेवफाई सेे वह इतना आहत था कि मन ही मन मे दृढ़ निरणय करकेे वह बान्द्रा फोर्ट के पीछे चला आया था। मन मे लिए निरणय पर अमल करने के लििए वह समुुुद्र किनारे ऊची ऊची चट्टानों की तरफ बढने लगा। वह रिया की बेवाफाई के बारेे मे सोचता हुआ धीरे धीरे चल रहा था।तभी उसे लडकियों के खिलखिलाने की आवाज सुनाई पडी।उसनें नजरेे उठाकर देखा।
कॉलेज की तीन सहेलिया निशा,मीरा और तरन्नुम पिकनिक मनाने आयी थी।वे गा रही थी।नाच रही थी।खिलखिलाकर मस्ती कर रही थी।अचानक तरन्नुम उठते हुए बोली,"मै सेल्फी लेती हूं"।
वह चट्टान के किनारे आ गई।उसनें मोबाइल हाथ मे लेकर अपने सामने किया।उसकी पीठ पीछे अथाह जल था।वह जैसे ही किल्क करने को हुई, समुद्र मे ऊची लहर उठी।लहर का वेग इतना तेज था कि चट्टान से टकराकर लौटीं, तो तरन्नुम को अपने साथ बहा ले गई।
तरन्नुम के समुद्र मे गिरते ही निशा और मीरा जोर जोर से चिल्लाने लगी,"बचाओ बचाओं--
समुद्र मे गिरते ही तरन्नुम पानी मे हाथ पैर मारने के साथ चीखने चिल्लाने लगी।दोपहर का समय।समुद्र का किनारा विरान था।उन लडकियों के अलावा केवल शिव ही वहाँ मौजूद था।इस दृश्य को देखक वह भी कुछ क्षण के लिए हतप्रद रह गया।निशा औऱ मीरा लगातार बचाओ बचाओ की आवाजें लगा रही थी।उन आवाजों को सुनकर शिव तेजी से दौडा औऱ समुद्र मे छलांग लगा दी।
समुद्र अशॉत था।भयंकर गर्जना के साथ ऊची ऊची लहरें उठ रही थी।लहरों के विपरीत तेरकर.तरन्नुम को समुद्र मे ढूढना था।तरन्नुम के चीखने की आवाजें लगातार आ रही थी।आवाज की दिशा मे जाकर शिव उसे ढूढने का प्रयास करने लगा।कुछ देर बाद उसकी आवाजें आना बंद हो गई।समुद्र मे उठ रही लहरों क़ो देखकर शिव को ऐसा लगने लगा था।तरन्नुम को बचाने के चक्कर मे वह भी मारा जायेगा। लेकिन वह तो आया ही इसी इरादे से था।
जब मरना ही है,तो मरने से पहले नेक काम कयो न कर जाये?
तरन्नुम कहीं नजर नही आ रही थी,लेकिन उसने हार नही मानी।समुद्र मे उठ रही ऊची ऊची लहरों के बीच वह तरन्नुम को ढूंढने का प्रयास कर रहा था।आखिर उसकी मेहनत रंग लाई।लहरों को चीरकर उसनें तरन्नुम को ढूढ ही लिया।कडी मशक्कत के बाद वह तरन्नुम को समुद्र किनारे लाने मे सफल हो गया।
उसने तरन्नुम को लेटाकर पेट से पानी निकाला था।वह बेहोश थी।काफी प्रयास के बाद भी होश मे नहीं आयी।तब वह उसे अस्पताल लेकर भागा था।
डाक्टरों के अथक प्रयास के बाद तरन्नुम को होश आ गया।होश मे आने पर बोली"मै तो समुद्र मे गिर गई थी मुझे किसने बचाया?"
"शिव ने",निशा,शिव की तरफ इशारा करते हुए बोली,"अगर आज यह न होता तो?
"खुदा का शुक्र है,उसने फरिश्ता बनाकर तुम्हें मेरी जान बचाने के लिए भेज दिया"
"मै फरिश्ता नही इसान हूं।"शिव बोला"मेरी जगह कोई औऱ होता, तो वह भी यहीं करता"
"तुम भी पिकनिक मनाने आये धे?"तरन्नुम ने पुछा था।
"नही"शिव बोला"आत्महत्या करने"
"आत्महत्या",तरन्नुम चोकते हुए बोली"खुदकुशी"।
"हा"
"लेकिन कयो?"
"मै रिया से प्यार करता था।वह भी मुझे चाहती थीं।मेरी जीवन संगनी बनने का वादा भी कर चुकी थी।लेकिन उसने मुझसे बेवफाई करके एक अमीर से शादी कर ली"।शिव ने अपनी कहानी सुनाई थी ःः
"रिया तुमसे प्यार करती ही नही थी।उसे दौलत से प्यार था।"शिव की कहानी सुनकर तरन्नुम बोली",तुम ऐसी लडकी की वजह से मरने जा रहे थे,जिसे दौलत से प्यार था।तुम जैसा दिलेर ऐसा कायरता पूरण काम कर सकता है।"
"तुमने मेरी ऑखे खोल दी।अब ऐसा नही करूगा।"तरन्नुम की बात सुनकर शिव बोला"तुम अब ठीक हो मै अब चलूँ?
"अकेले जाओगे?तरन्नुम ने पूछा था।
"मतलब?"शिव ने प्रशनसूचक नजरो से तरन्नुम को देखा था।
"रिया ने तुम्हारे साथ बेवफाई की ,लेकिन मै ऐसा नही करुगी"।
"मै नही समझा"।
"आज तुम नहीं बचाते, तो मै इस संसार मे नही होती।तुमनें मेरी जान बचाई है।यह जान मै तुम्हारे हवाले करती हूँ"तरन्नुम बोली"कया मुझे अपनी जीवन संगनी बनाओगे?"
और शिव, तरन्नुम को साथ लेकर चल पडा।

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