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आंखो देखी

नो नो
ईवा इटली से भारत भ्रमण को आई थी। उसके मित्र जोभारत भ्रमण करके गए थे, ने उसे बताया था कि भारत में विदेशी पर्यटक सुरक्षित नहीं है। टैक्सी वाले और पुलिस भी भरोसे लायक नहीं है।
दिल्ली भ्रमण के बाद ईवा को आगरा जाना था। उसने होटल मैनेजर से पूछा"बस से आगरा की कितने घंटे की जर्नी है?
"वैसे तो चार घंटे लगते है"होटल मैनेजर बोला"लेकिन ठंड का मौसम है कोहरा भी पड़ता है। इसलिए सत आठ घंटे भी लग सकते है।
सात आठ घंटे के हिसाब से उसने रात के बारह बजेवाली बस चुनी थी। रास्ते में कोहरा होने के बावजूद बस चार घंटे में आगरा आ गई। उसे आई एस बी टी के गेट के बाहर उतारकर बस आगे चली गई। बस से उतरने वाली वह अकेली सवारी थी। सुबह के चार बजे थे। चारो तरफ सन्नाटा पसरा पड़ा था।अनजान देश,अनजान जगह, रात के सन्नाटे मे वह अकेली।उसने दिल्ली से चलने सेपहले ही गाईड कर लिया था।उसने गाईड को फोन किया, लेकिन उसका फोन सिवच ऑफ आ रहा था।
आ ई एस बी टी के बाहर दो ऑटो खडे थे।एक ऑटो वाला उसकी तरफ लपका।उसे अपनी तरफ आता देखकर वह डर गई और जोर से चीखी।इन्सपेक्टर दिनेश गश्त पर था।ईवा की चीख रात के सन्नाटे को चीरती हुई दुर तक चली गई थी।दिनेश चीख सुनते ही ईवा के पास जा पहुंचा।
"मिस वाट हैपण्ड?

"नो नो यू
ईवा इनसपेकटर दिनेश को देखकर दूर भागने लगी।
"मिस डोनट अफ्रेड आई एम पुलिस--दिनेश ने अपना आईं कार्रड दिखाया था।
कार्रड देखकर भी ईवा विशवास नही कर पा रही थी।।ईवा इगलिश भी अच्छी तरह नही जानती थीं।वह डरकर दूर भाग रहीथी।दिनेश ने कन्ट्रोल मे फोन करके महिला पुलिस और अनुवादक को बुला लिया था।पुलिस ने प्रयास करके गाईड को थाने मे बुला लिया था।
ईवा ने दोस्तों से जो सुना था निर्मूल सिद्ध हुआ था।
ईवा पुलिस के काम से. बहुत प्रभावित हुई।गाईड के साथ होटल से बाहर निकलते हुये सोच रही थी।
कानो से सुना नही,सच वह होता है जो ऑखों से देखा जाये
फर्ज(लघुकथा)
केशव सरकारी नौकरी केसाथ प्रेस मे पार्ट टाइम जॉब भी करता था।उसकीं प्रेस मे रात आठ बजे से बारह बजे तक डयूटी रहती थी।कभी कभी घर लौटने मे देर भी हो जाती थी।वह चाहे कितने बजे लौटे, लेकिन घर आते ही सबसे पहले मॉके कमरे मे जाता था।
उसकी मॉ केसर से पीड़ित होने के कारण इतनी कमजोर हो गई थीकि संवय चल फिर नही सकती थी।उसे शौचालय जाना था।उसने बहू को आवाज दी,लेकिन दूसरे कमरे मे सो रही बहू ने सुनी नही और उसके कपडे खराब हो गये।
केशव ने देखा, मॉ के कपडे और बिस्तर खराब है।वह मॉ के कपडे और बिस्तर बदलने लगा।बेटे को.ऐसा करते देखकर मॉ की ऑखों मेऑसू आ गये।
"मॉ,तू रो कंयो रही है?
"भगवान कैसे दिन दिखा रहा है,थके हारे लौटे बेटे को आराम देने की जगह बेटे से गंदगी साफ करा रही हूँ।
"तो क्या हुआ मॉ?तूने बचपन मे न जाने कितनी राते जाग कर मेरी गंदगी साफ की होगी।"मॉ की बात सुनकर केशव बोला"मै एक दिन तेरी गंदगी साफ कर लूंगा, तो क्या हुआ।मॉ की सेवा करना तो, बेटे का फर्ज है"

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