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संस्कार

"मेरे बेटे को आपकी बेटी पसंद है"
राजेेश औऱ सुुुनीता पति पत्नी थे।उनके दो बेटियों रचनाऔरसीमाा थी।दोनो बहनों की उम्र मे दोसाल का अंतर था।
कॉलेज की पढाई पूरी होते ही राजेश ने रचना के लिए वर की तलाश शुरू कर दी।रचना को देखने के लिए लडके आने लगे।रचना को देखने के लिए जब भी कोई लडका आता, तब सीमा भी अपनी बहन के साथ होती।दोनों बहनो को साथ देखकर हर लडके ने एक ही बात कही"मुझे सीमा पसंद है"
"बडी बेटी की शादी किये बिना छोटी का रिश्ता कैसे कर दे"राजेश औऱ सुनीता का भी हरबार यही जवाब होता।
हर मां बाप की तरह राजेश औऱ सुनीता भी पहले बडी बेटी की शादी करना चाहते थे।लेकिन उससे शादी करने के लिए कोई लडका तैयार ही नही हो रहा था।दोनों बहनों को साथ देखकर सबको सीमा ही पसंद आती थी।और धीरे धीरे समय गुजरता गया।जब तीन साल बाद भी रचना का कहीं रिश्ता नहीं हुआ तब राजेश और सुनीता ने सोचा।कही ऐसा न हो,रचना के चक्कर मे फिर सीमा केलिए भी रिश्ता न मिले और न चाहते हुए भी उन्हें छोटी बेटी की शादी पहले करनी पडी।
रचना सुन्दरता, शिक्षा या अन्य किसी भी मामले मे अपनी छोटी बहन से कम नही थी।फिर भी उसकी शादी नही हुई और छोटी बहन की हो गई।सीमा की शादी हो जाने के बाद रचना ने मान लिया था कि अब उसकी शादी नही होगी।उसे आजीवन कुवांरी ही रहना पडेगा।
रचना के मन मे निराशा के भाव घर कर गये।उसने हंसना, बोलना,लोगो से मिलना जुलना और कहीं भी आना जाना छोड दिया।वह अपने कमरे मे गुमशुम, उदास,चुप पडी रहती।अपने मम्मी पापा से भी जरूरी होता, तभी बोलती थी।मां बाप बेटी की हालत देखकर दुखी रहतेपर कुछ कर न पाते।
सुनीता की बहन लतिका दिल्ली मे रहती थीं।उसकी बेटी मोनिका की शादी थी।सुनीता को सपरिवार दिल्ली जाना था।रचना ने तो घर से बाहर निकलना ही छोड दिया था।वह दिल्ली भी नही जाना चाहती थी।लेकिन मम्मी पापा के काफी समझने पर वह उनके साथ जाने को तैयार हो गई।
मोनिका का रिश्ता विकास से हुआ था।विकास लखनऊ मे इजिनियर था।निश्चित दिन बारात आई।बारात मे मर्द औरतें बच्चे सभी आये थे।अभिषेक अपनी मां राखी के साथ आया था।अभिषेक ने रचना को वरमाला के समय स्टेज पर देखा था।उसे रचना देखते ही पसंद आ गई।उसने अपनी पसंद के बारे मे मां को बताया था।बेटे की इच्छा जानकर राखी रचना के मम्मी पापा के पास जा पहैँची।
"आप सच कह रही है?राखीकी बात सुनकर सुनीता आश्चर्य से बोली"
"हॉ"राखी ने अपनी बात को दोहराया"मेरे बेटे को आपकी बेटी पसंद है"
"हमारे अहोभाग्य"
जिस रचना को देखकर न जाने कितने लडके ना कर गये थे।उस रचना को अभिषेक ने पहली नजर मे ही पसंद कर लिया था।।
"मै आपकी बेटी को आज ही ब्याह कर अपने साथ ले जाना चाहतीं हूँ।"राखी ने अपनी इच्छा जाहिर कर दीथी।
"आज ही"राखी की बात सुनकर राजेश आश्चर्य से बोला"हम स्वयं यहां शादी मे आये है।इतनी जल्दी यहां कैसे इन्तजाम कर सकते है"
"इन्तजाम कया करना है?बाराती घराती, मंडप सब कुछ इन्तजाम तो है"
"कपडे, गहने, सामान, पैसा।सब चाहिए शादी के लिये।यहाँ हम यह सब कैसे कर पायंगे"
"मुझे कुछ नहीं चाहिए।सब कुछ है मेरे पास।बस बहू की कमी है।इस कमी कोआपकी बेटी से पूरा करना चहती हूं"राखी बोली"आप तो इसी मंडप के नीचे रचना के अभिषेक के साथ फेरे करवा दे"
राजेश औऱ सुनीता इस बात से खुश थेकि उनकी बेटी को किसी ने पसंद कर लिया था, लेकिन वे जल्दबाज़ी मे बेटी की शादी करने के पक्ष मे नही थे।लतिका ने अपनी बहन को समझाया।अभिषेक, विकास का चचेरा भाई था।वह सरकारी अफसर था।कई लडकियां देख चुका था, लेकिन कोई पसंद नहीं आयी थी।पर रचना एक नजर मे ही उसे पसंद आ गई थी।उसे दहेज मे कुछ नही चाहिए था।बस वह यह चाहता था कि शादी आज ही हो जाये।
सबके समझाने पर राजेश और सुनीता मान गये।रचना को दुल्हन बनाने के लिए बाजार से तुरन्त कपडे, गहने खरीदे गए।मोनिका औऱ विकास के साथ ही रचना और अभिषेक ने सात फेरे लिए थे।
रचना ने छोटी बहन की शादी होने के बाद मान लिया था कि उसके जीवन मे कभी बहार नही आयेगी।आजीवन कुंवारी रहकर अकेले जिन्दगी का सफर पूरा करना होगा।
उसने सपने मेभी नही सोचा था कि एकदिन परी कथा की तरह कोई राजकुमार अचानक आयेगा और उसे अपनी बनाकर ले जायेगा।

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