Intezar Pyaar ka - 42 books and stories free download online pdf in Hindi

इंतजार प्यार का - भाग - 42

वही उनके पास में ही खड़े बाकी सब यानी कि राजा जी और सनाया और दीवान साहब सिरीशा और मेघा बस उन पांचों को घूरे ही जा रहे थे। यह देखकर वह लोग gun को वही वहां पर फेंक देते हैं। और उन लोगों के पास आ जाते हैं। और बोलते हैं फिक्र मत कीजिए अब सब सेफ है। इतना बोलने के बाद वह लोग उन लोगों को गाड़ी में जाने के लिए बोलते हैं। तो कोई भी आगे नहीं जाता बस उन लोगों को घूरे हीं जा रहे थे। फिर आरव उन सब से बोलता है, कि जल्दी से यहां से चली है वरना अगर और कोई आ गया तो हम भी आप लोगों को नहीं बचा पाएंगे। यह सुनने के बाद सब जल्दी से जाकर गाड़ी में बैठ जाते हैं और फिर घर के लिए निकल जाते हैं।
गाड़ी में जाते वक्त वहां पर सिर्फ शांति ही थी। और कोई किसी से कुछ नहीं बोल रहा था। तकरीबन आधे घंटे की यात्रा करने के बाद, वह लोग एक बड़ी सी हवेली के सामने रुकते हैं। और उस हवेली का बड़ी सी गेट थोड़ी देर बाद खुल जाता हे। और उन लोगों की कार आकर हवेली के सामने रुक जाती हे। कार को देखने के बाद काफी सारे बॉडीगार्ड और servents आकर खड़े हो जाते हे। और तभी दरवाजा खुलता है और उसमे से राजा जी और उनके साथ दीवान साहब नीचे उतरते हे। वहीं उन दोनो की ऐसी हालत देखते हैं तो जल्दी से वो लोग राजा जी और दीवान साहब को मदद करने के लिए आगे बढ़े हीं थे की तभी उसके पीछे वाली दो कारों से बाकी सब उतरने लगते हे। वहीं उन लोगों को देख कर बॉडीगार्ड्स एक दम अलर्ट हो जाते हे। और जल्दी से उन सब को घेर कर खड़े हो जाते हे। ये देख कर राजा जी जल्दी से उन सबको वहां से हटने के लिए बोल देते हे। फिर वो servent को बुलाते हे और उन लोगो को जल्दी से अंदर ले जाने के लिए बोलते हे। तो वो अपना सर नीचे किए हुए जी राजा साहब बोलता हे और वहां से उन लोगों को अपने पीछे अंदर ले जाने लगता हे। उन लोगों के वहां से जाने के बाद राजा जी अपने खास आदमी राका को बुलाते हे और उसको सब कुछ बताते हे और इस हादसे के बारे में सब कुछ पता लगाने के लिए बोल देते हे।और वो भी अंदर चले जाते हे।
अंदर जाने के बाद सब लोगों को सर्वेंट ने उनका रूम दिखाया और फ्रेश हो जाने के लिए बोल देता है। तो सब लोग भी फ्रेश होने के लिए अपने अपने रूम में चले जाते हे। वहीं राजा जी जब अंदर पहुंचे तो दीवान साहब ने जल्दी से डॉक्टर को कॉल कर के महल आने के लिए बोले और डॉक्टर भी तकरीबन 15 मिनट के बाद वहीं पर आ गया। फिर वह राजा जी की छत के ऊपर मलहम लगाने लगा। और उनकी कुछ टेस्टिंग करने लगा और फिर वो उन से बोला की आपको फिक्र करने की कोई भी जरूरत नहीं ज्यादा चोट नहीं आई है। और जो भी आई है वो सब छोटी-मोटी चोटे ही हैं। तो 2 दिन में यह सब ठीक हो जाएंगे तो राजा जी और दीवान साहब दोनों ही अपना सर हां मे हिला देते हैं। फिर डॉक्टर साहब भी अपने सूटकेस से कुछ दवाई निकालकर उनको देकर केसे खाना हे बताते हे और वहां से निकल जाते हे।
राजा जी के रूम से निकलने के बाद वह जल्दी से बाकी सब लोगों की रूम की ओर जाने लगते हैं। पहले वह सनाया के रूम में जाते हैं। और बाहर रुक कर वहीं से ही बोलते हैं की राजकुमारी जी क्या हम अंदर आ सकते हैं। तो सनाया उनको अंदर आने को बोलती हे। फिर वो अंदर चले जाते हे। जब सनाया अपने सामने डॉक्टर साहब को देखती है तो वह जल्दी से जाकर की गले लग जाती है। यह देखकर डॉक्टर साहब के फेस में एक बड़ी सी स्माइल आ जाती है। और वह सनाया के सर में हाथ फिर आते हुए आराम से पूछते हैं की कैसी है मेरी बेटी कहीं आपको कोई चोट और कहां पर चोट नहीं आई। तो सनाया स्माइल करते हुए उनसे बोलती हे की अंकल मैं बिल्कुल ठीक हूं। आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं उल्टा मेरे दोस्तों को कुछ चोट लगी है। तो आप जल्दी से जाकर उनके मरहम पट्टी कर दीजिए। तो डॉक्टर साहब भी सनाया को एक बार फिर से ऊपर से नीचे देखते हैं। और उसके साथ उसके दोस्तों के पास चले जाते हैं। जब वो दोनो सनाया के सारे के सारे दोस्तों के पास जाते हैं तो वह देखते हैं कि सब के सब एक गोल घेरा बना कर वहीं पर बैठे हुए थे और बस एक दूसरे को घूर रहे थे। और कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था। और उनके फेस मैं सीरियस लुक देखकर कोई भी बता सकता था कि वह लोग अभी काफी टेंशन में थे। वहीं जब वो लोग एक दूसरे के साथ बातचीत कर रहे थे। तभी वह लोग उन दोनों को आते हुए देख कर चुप हो जाते है। और उनके फैंस भी काफी सीरियस थी जिसको देखकर बता सकते कोई भी बता सकता था कि वह लोग जरूर काफी टेंशन में है। वहीं सनाया ने जब अपने सामने अपने दोस्तों को देखा तो उसके आंखों में थोड़ी सी कठोरता आ गई। और वह उसी कठोर आंखों से उन लोगों की ओर देखते हुए डॉक्टर साहब से बोली डॉक्टर साहब इन लोगों की मरहम पट्टी कर दीजिए। इतना बोलने के बाद वह वहां से चली जाती है उसको ऐसे वहां से जाते हुए देख कर वह सब लोग और भी ज्यादा घबरा गए और एक दूसरे को असहायता के भाव से देखन लगे लेकिन कोई भी उसे रोकने की कोशिश भी नहीं किया। तो डॉक्टर साहब सामने आते हैं। और उन लोगों की घाव को दवाई लगाया और उसके बाद वहां से चले गए वह लोग अभी भी उसी तरह से वहीं पर बैठकर बस एक दूसरे को देखे जा रहे थे। थोड़ी देर तक और एक दूसरे को ऐसे ही घूमने के बाद वह लोग वहां से अपने अपने कमरे की और चले जाते हैं। और अपने कमरे में जाकर जल्दी से फ्रेश होकर थोड़ी देर रेस्ट करने लगते हैं। रेस्ट करने के बाद वो लोग एक दूसरे से फोन के जरिए बातचीत करने लगते है कि वह लोग सनाया और उसके पापा को क्या जवाब देंगे। तो विक्रम सबसे बोलता है गाइस हमें उनको सच बता देना चाहिए हमने उनके सामने तो खुद को रिवील कर ही दिया है। और अगर झूठ बोलेंगे तो कोई विश्वास नही करेगा तो नैना भी बोलती है हां यार सच तो बोल देना चाहिए। वरना हम बहुत परेशान हो सकते हैं। तभी आर्यन उन लोगों को बोलता है हम लोग ऐसा नहीं कर सकते अगर बोल दिया तो उनका रिलेशन हमारे फैमिली के साथ अगर यह बात हमारी फैमिली तक पहुंची तो हमारे लिए यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं होगी। हम लोग इतने सालो तक ये बात हमारे फैमिली से छुपा के रखा हे। तो वह लोग बोलते हैं यह बात भी है तो हम लोग करे तो करे क्या सच नही बोल सकते हे और नाही झूठ बोल सकते हे। तो आरव सबसे बोलता है फिक्र करने की कोई भी जरूरत नहीं है, हम उनको सब सच बता देंगे वैसे भी ढेर सारी बात हे जो की अभी और आगे आना ही है। और हम लोग अंकल से रिक्वेस्ट कर लेंगे की वो ये बात हमारी फैमिली तक ना पहुंचने दे। और मुझे उम्मीद है की हम लोगों की उनकी जान बचाने की वजह से वो हमारी बात को मान जायेंगे तो सब लोग और ज्यादा बहस नहीं करते हे और आरव की बात को मान जाते हैं और फिर सब लोग अपने अपने फोन को कट कर लेते हैं। क्यूं की सब लोग ये बात अच्छे तरीके से जानते थे कि वो जितना भी बेहेश कर ले लेकिन आरव की बात हीं आखिरी और फाइनल होती है।
साम के 8.30 बजे

राजा जी नीचे सोफे पे बैठ कर अपने टैबलेट में कुछ फाइल देख रहे थे की तभी वहां पर दीवान साहब आते हैं और राजा जी से बोलते हैं की राजा साहब खाना तैयार हो गया है आप जल्दी से खाना खाने के लिए आ जाइए। तो राजा जी बोलते हैं ठीक हे हम आते हे आप जाकर राजकुमारी और उनके सारे के सारे दोस्तों को भी बुला लीजिए सब लोग एक साथ खाना खा लेंगे और वैसे भी मुझे उसके दोस्तों से कुछ बातें करनी थी। तो दीवान साहब बोलते हैं की जी राजा साहब और फिर वहां से चले जाते है।
वहां से जाने के बाद वो पहले सनाया की कमरे की ओर जाते हैं और सनाया के कमरे के बाहर खड़े होकर दरवाजे को नोक करते हैं तो अंदर से आवाज आती है की अंदर आ जाइए तो दीवान साहब अंदर जाते हैं। और सनाया को बोलते हैं की राजकुमारी साहिबा खाना तैयार हो गया है जल्दी से नीचे आई है राजा जी आपका डाइनिंग टेबल पर इंतजार कर रहे हैं। यह सुनने के बाद सनाया दीवान साहब से बोलती है की ठीक है दीवान साहब हम नीचे आ रहे हैं। तो दीवान साहब वहां से सीधे सनाया के बाकी दोस्तों की कमरे की ओर चले जाते हैं। वह एक-एक कर के सब को उनके कमरे से नीचे बुला लेते हैं। और खुद भी नीचे चले आते हैं। थोड़ी देर बाद सब लोग एक एक करके वहां पर आ जाते हैं और डाइनिंग टेबल पर अपने-अपने सीट पर बैठ जाते है।
डाइनिंग टेबल पर चारों ओर पूरी की पूरी तरह से शांति फैली हुई थी और कोई किसी को कुछ नहीं बोल रहा था। वो बस एक दूसरे को घूर हीं रहे थे। तभी वहां पर एक मेड अति हे। और सब कुछ एक एक कर के सब के प्लेट में सर्व करने लगती है। वहीं नैना ने जब वहां पर अपने सामने इतने तरह का और इतना टेस्टी खाना देखा तो उसकी आंखों में खुशी की चमक साफ दिखाई दे रही थी। और वह उसी चमक के साथ पूछती है की क्या यह सब हमारे लिए ही है तो राजा जी जरा सा मुस्कुराते हुए बोलते हैं की हां बेटी है तुम्हारे लिए हीं हे और आप लोग जितना चाहे उतना खाना खा सकते हे। तो नैना जल्दी से खाना खाने लगती है वैसे हीं खाना खाते हुए वो राजा जी से बोलती है सच में अंकल जी आपके यहां का रसोया बहुत ही खास है। क्यों की इतना टेस्टी खाना मैंने आज तक नहीं खाया है। नैना को तो अपने खाने के आगे कोई भी कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। वो बस अपने खाने को हीं बड़े मजे से खा रही थी। वही बाकी सब लोग उसको घूर घूर कर देख रहे थे। क्योंकि वह लोग का बस आगे की सिचुएशन के बारे में सोच सोच कर हालत खराब था। लेकिन नैना को तो कुछ होश ही नहीं था वह बस आपने खाने पर ही ध्यान देकर सब एक-एक करके खाने लगी थी। तो राजा जी सब की और एक नजर देखते ही और सब से बोलते हैं की आप लोग भी खाइए वरना खाना ठंडा हो जाएगा तो सब लोग भी एक-एक करके अपना अपना खाना खाने लगे। थोड़ी देर बाद जब उन सबके खाना खत्म हुई तो
राजा जी सब से बोलते हैं आप लोग जाकर सोफे पर बैठ जाइए हमे आप लोगों से कुछ बात करना है। और हम अभी आते हैं इतना बोलने के बाद वह वहां से खड़े होकर चले जाते हैं। वही बाकी सब लोग एक दूसरे को दर घबराहट के मारे देख रहे थे। क्यूं की उनको पता नही था की जब वो अपना सच सब को बताएंगे तो सब का रिएक्शन क्या होगा। वहीं सनाया, सिरीशा,मेघा सब उन पांचों की और देख रहे थे। उन लोगों को देखते वक्त इन सबके आंखों में एक्साइटमेंट डर घबराहट साफ साफ दिखाई दे रहा था। लेकिन कोई भी कुछ नहीं कहता। वहीं मेघा जिसको पहले से हीं शक था की उसकी बड़ी बहन अंडरवर्ल्ड में इंवॉल्व थी उसकी शक आज यकीन में बदल गई। अब वो बस उन सबकी असलियत के बारे में जानना चाहती थी। वहीं उन लोगों को अपने और ऐसे भावना से देखते हुए देख कर वो पांचों का दिल और भी बेटा जा रहा था। और उनके दिल में भी डर और घबराहट ने जगह ले ली थी। आरव को तो डर लग रहा था की कहीं सनाया उसको गलत न समझे क्यूं की वो अभी अपने पास्ट को भुला कर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था। अपने पहले कोशिश में हीं वो फेल नहीं होना चाहता था। और कुछ यहीं हाल बिक्रम और सूरज का था वो अपनी नई नई शुरू हुई प्यार की नैया को डूबाना नही चाहते थे। तो वो लोग एक और बार एक दूसरे को देखते हे और फिर वहां से सोफे की और चले जाते हे।
तो क्या होगा हे आगे क्या करेंगे वह लोग क्या राजा जी और बाकी सब लोगों को अपना पूरा का पूरा सच बता देंगे। या फिर अभी भी कुछ बहाना बना कर बात को बदल पाएंगे जान ने के लिए पढ़ते रहिए मारा यह कहानी इंतजार प्यार का.............
To be continued..............
Written by
Unknown writer

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