भयानक यात्रा - 16 - थाने में एफ आई आर। नंदी द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

भयानक यात्रा - 16 - थाने में एफ आई आर।

हमने पिछले भाग में देखा की !!!
विवान रात को किसी के चलने की आवाज सुनता है ,ये सुनकर विवान डर जाता है । वो अपने पास में सोए हुए हितेश को उठाता है और उसको बताता है की उसने किसी के चलने की आवाज सुनी है । ये सुनकर हितेश अपने मोबाइल की टॉर्च झाड़ियों की तरफ करता है वहां उसे झाड़ियां हिलती हुई नजर आती है । और थोड़ी देर के बाद कोई मानव आकृति झाड़ियों से बाहर आती है और उनके पास आकर रुक जाती है और वहीं पे लेट जाती है ।
हितेश उसके ऊपर मोबाइल की टॉर्च से देखता है तब वो देखता है की वो मानव आकृति कोई और नहीं सतीश की होता है जो नींद में चलकर घूम रहा होता है । उसके बाद रात में हितेश और विवान सो नही पाते है , नींद न आने की वजह से उनकी आंखे लाल और सूजन से बड़ी बड़ी हो जाती है । जगपति उनको पूछता है की रात में नींद नहीं आई क्या ? हितेश रात को हुआ घटनाक्रम विगत से बताता है । तभी वहां से कोई साधु उन पर हंस कर कुछ कहता है और वहां से चल ने लगता है !!

अब आगे ....
*******************************
हितेश और जगपति जब बात कर रहे होते है तभी कोई साधु वहां आता है और कहता है ,

"तुमने जो किया है वो भुगतना तो पड़ेगा ,
ये जिंदगी का खेल है बच्चे
मुश्किलों का सामना करके जिंदगी से लड़ना तो पड़ेगा " ।
साधु वो बात कहकर चल देता है , लेकिन हितेश को वो बात सुनकर कुछ अच्छा नहीं लग रहा था ।
वो वहां से जाते हुए साधु को आवाज लगाता है – अरे ओ भगवंत ! हमे स्पष्ट कुछ बताइए जो आप कहना चाहते है , क्यू की हम अभी परेशानी में है ।
साधु हितेश की आवाज सुनकर वहीं पे रुक जाता है और हितेश की तरफ बिना मुड़े कहता है – क्या जरूरत थी तुम्हे यहां आने की ?
हितेश उनको आश्चर्य से देखता है , उसको देख कर साधु फिर से कहता है नही आना चाहिए था बच्चे तुम्हे यहां । ये मौत का कुआ है यहां आता है वो वापिस नही जाता , या तो मर जाता है या फिर ठहर जाता है ।
हाहाहाहाहा , हाहाहाहाहा एक भयानक हंसी के साथ वो साधु फिर उनकी तरफ मुड़ता है ।
लाल– लाल आंखे , पूरे बदन पे मिट्टी , गले में बड़ी बड़ी माला , हाथ में जलपात्र , नंगे पैर , बड़े बड़े बाल जिसकी चोटी भी उसके कमर तक लंबी , दाढ़ी के घने बाल और पीले नुकीले दांत । उसका ये रूप भयानक लग रहा था , लेकिन गंदे और मैले कपड़े में वो एक पागल इंसान जैसा दिख रहा था ।
आत्माए आयेगी और जायेगी , संकट भारी है तुम सब
पे । अगर डर गए तो मारे जाओगे – वो साधु ने बोला ।
फिर साधु मुड़कर दूसरी तरफ चलने लग जाता है ।
हितेश कुछ बोले उससे पहले साधु वहां से चलते चलते गायब हो जाता है , और जगपति और हितेश उसको देखते रह जाते है ।
थोड़ी देर ऐसे ही देखने के बाद जगपति हितेश को कहता है – भाई साहब , भूतों का मायाजाल है यहां पर , लेकिन मेने कभी ये साधु को गांव में नही देखा ।
जो अनजान था , लेकिन आपके बारे मे सब जानता था ।
हितेश ने कहा – जगपति , आभास हो रहा है की कुछ बहुत ज्यादा बुरा होने वाला है , ये साधु उसी तरफ कोई इशारा करके गया है ।
जगपति और हितेश फिर से जिस तरफ साधु गया था उसी तरफ देखकर खोली के अंदर चले आते है ।

कुछ देर बाद विवान हितेश से कहता है – अब हमे जल्दी से थाना पहूंच कर बर्मन की रिपोर्ट दर्ज करवानी चाहिए।
ये सुनकर हितेश भी हामी में अपना सिर हिलाता है ।
जगपति जल्दी से सबके लिए दूसरी गाड़ी की व्यवस्था कर देता है और वो भी उनके साथ चलने तैयार हो जाता है ।
गाड़ी थाने की तरफ जा रही थी , और सबको अजीब अजीब खयालात सता रहे थे ।
जूली और डिंपल तो पुलिस के नाम से ही डर जाते थे जहां किस्मत उनको वहीं लेके जा रही थी ।

थोड़ी ही देर में वो लोग थाने के आगे पहुंच गए और गाड़ी थाने के बाहर ही खड़ी कर दी ।
जगपति और हितेश थाने में जाने के लिए नीचे उतरे , और बाकी सब लोग उनके पीछे पीछे आने लगे ।

थाना की हालत एक बंद इमारत जैसी थी , मकड़ियों ने बाहर की तरफ दीवारों पे जाले बना के रखे हुए थे , पेड़ों को लताएं सुख गई थी जो मकान के छज्जे पर लटक रही थी, पुराने जमाने का दरवाजा था और इमारत कच्ची ईंटो से बनी हुई थी ।
वो लोग थाने को इस हालत में देखकर समझ नही पा रहे थे की ये थाना था या कोई भूतिया मकान !!

बाहर की तरफ एक रस्सी से बांधा हुआ देसी कुत्ता सो रहा था , और एक पानी का मटका एक टूटी हुई टिपोई पे रखा हुआ था । ये देख के उनके कदम रुक गए फिर वो लोग सब चीजों को अनदेखा करके अंदर चले गए ।

अंदर की तरफ एक काला, मोटा और कदरूपा इंस्पेक्टर अपने पैरो पे पैर चढ़ाए सो रहा था , उसके मुंह पे उसने टोपी रखी हुई थी और दोनो पैर दूसरी चेयर पे रखे हुए थे । उनके दूसरी तरफ बूढ़ा सा हवलदार हाथ में अखबार से खबरे पढ़ रहा था और एक कांस्टेबल एक हाथ में चाय और दूसरे हाथ में सुट्टा लेके चाय के मजे ले रहा था ।

सुबह सुबह थाने का ये माहोल देखकर हितेश असमंजस में पड़ गया , और वो जगपति की तरफ देखने लगा । जगपति ने उसको इशारा करके शांत रहने का इशारा किया ।

फिर जगपति बोला – कोतवाल साब , हमे रिपोर्ट दर्ज करवानी है ।
जगपति की आवाज सुनकर सोया हुआ इंस्पेक्टर उठ जाता है , लेकिन उसकी नींद खराब होने करने के कारण वो झुंझला जाता है । उसका मुंह जैसे किसी ने काली कोयले की परत लगा दी हो ऐसा दिख रहा था । काली और बड़ी मूछें उसका चेहरा और ज्यादा भयंकर बना रही थी , उसकी आंखे बड़ी और गोल थी जिसके अंदर उसने सूरमा लगा के रखा था ।
पास में अखबार पढ़ रहे हवलदार की नजर सबके ऊपर जाति है और वो फिर से अखबार पढ़ने लग जाता है जैसे उसको कोई फर्क ही ना पड़ा हो ।
कांस्टेबल जब सबको देखता है तो उसकी नजर पहले लडको से गुजरते हुए लड़कियों पे जाति है और फिर सिर्फ लड़कियों पे टीक जाति है , जो साफ साफ उसकी खराब नीयत दर्शा रही थी ।

क्या रिपोर्ट दर्ज करवानी है ? – कर्कश आवाज में इंस्पेक्टर ने गला साफ करते हुए पूछा । उसकी आवाज में थोड़ा रूखापन भी था ।
हमारा दोस्त कल रात से गायब है – हितेश ने कहा ।
कहां से गायब हुआ है – फिर से इंस्पैक्टर ने पूछा ।
किल्ले के बाहर से – हितेश ने कहा ।
फिर हितेश ने बर्मन और उसके गायब हो जाने के बारे में सब बात इंस्पेक्टर को बताया ।
पूरी बात सुन ने के बाद इंस्पेक्टर ने हितेश से कहा – यहां जो गायब होता है वो वापिस नहीं आता है , लेकिन आपकी संतुष्टि के लिए रिपोर्ट लिख ही लेते है ।
वो ऐसे बोल रहा था जैसे उसको इंसान की कोई कीमत ही ना हो ।
वो हवलदार को आवाज लगा कर कहता है – सुरपाल , इनकी रिपोर्ट लिख लो ।
सूरपाल ने कहा – जी साब।
सूरपाल बर्मन के बारे में पूरी जानकारी ले के एक एफआइआर तैयार करता है जिसमे बर्मन की पूरी जानकारी होती है ।
तब सुरपाल हितेश से कहता है – बर्मन के घरवालों को सूचित करना पड़ेगा , क्या आपने उनको सूचित किया है ?
हितेश अपना सिर ना में हिला देता है !

कौन था वो साधु ? क्या होगा जब बर्मन के पिता को बर्मन के बारे में पता चलेगा तो ? और कोनसी मुसीबत सबका इंतजार कर रही होती है ? क्या पुलिस वाले ढूंढ पाएंगे बर्मन को ?
जान ने के लिए पढ़ते रहिए भयानक यात्रा ।