भयानक यात्रा - 15 - मैला साधु । नंदी द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भयानक यात्रा - 15 - मैला साधु ।

हमने देखा पिछले भाग में की ,,,,,
जगपति के पिता का रूप देख के जूली भयानक तरीके से चिल्ला देती है और सब लोग इनको देख के स्तब्ध रह जाते है । जगपति अपने पिता के साथ हुए हादसे के बारे में बताता है , जहां सरकार वो फैक्टरी को सील कर देते है । खाना खाने के बाद जगपति सबको किल्ले के बारे में बताता है , वहां राजा और रानी को साथ में कैसे दफनाया गया और अभी भी उनकी आत्माए कैसे बदला लेने तड़प रही है वो बताता है । सबको वो गांव में हो रही रहस्यमय किस्से के बारे में भी बताता है जहां कई लोगों की मौत रहस्यमय तरीके से होती है ।
जगपति और बताता है की गांव में कई लुटेरे भी गांव को लूट के चले जाते है साथ में कई लोगो को मौत के घाट उतार देते है ।
बात खतम करके जगपति सोने के लिए चला जाता है , थोड़ी देर के बाद सब सो जाते है । लेकिन रात को विवान की नींद खुल जाती है और वो किसी के पैरो के चलने की आवाज सुनता है ।

अब आगे...

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विवान की रात को जब आंख खुलती है तब उसे किसी के चलने की आवाज सुनाई देती है , किसी के कदम धीरे धीरे अंधेरे की तरफ जा रहे होते है । उसकी नजर झाड़ियों की तरफ जाति है तो वहां कुछ पौधे अभी भी हिल रहे होते है और चलने की आवाज अभी भी आ रही होती है ।
विवान हितेश को उठाता है और कहता है – हितेश ! हितेश उठ ! सुन ना हितेश !
हितेश विवान की दबी और गबरायी हुई आवाज सुनके उठ जाता है । वो विवान की तरफ देखता है , विवान के मुंह पे जैसे बारा बजे हुए हो वैसा उसका चेहरा हो रहा था ।
हितेश उसको पूछता है – तेरे चेहरे पे बारा क्यू बजे हुए है ? और इतना डर क्यू रहा है तू?
विवान झाड़ियों की तरफ इशारा करके बोलता है – मेने वहां किसी के चलने की आवाज सुनी है , कोई यहां से चलके अंदर की तरफ गया है ।
हितेश को अभी भी झाड़ियां हिलती हुई नजर आ रही थी , अंधेरा इतना था की वो तुरंत वहां जाने का निर्णय नही ले पाया ।
हितेश विवान को कहता है – जगपति के कहने के अनुसार यहां कुछ भी हो सकता है तो डरना नहीं है ।
ये कह कर हितेश अपने मोबाइल की टॉर्च जलाता है और वहीं झाड़ियों की तरफ मोबाइल को घुमाता है ।
जबतक मोबाइल की रोशनी झाड़ियों की तरफ जाति तबतक किसी के फिर से चलने की आवाज आती है ।
ये सुनकर हितेश का मन भी जैसे डर से भर जाता है ,
कौन होगा जो कब से यहां से वहां चल रहा है वो मन में बड़बड़ाता है ।
अगर उसने अपना डर विवान के सामने जाहिर कर दिया तो विवान और भी ज्यादा डर जायेगा , ये सोचते वो खुद को सम्हालता है ।
देखो हितेश फिर से किसी के चलने की आवाज आ रही है – विवान बोला ।
हां , हो सकता है कोई जानवर रात में घूम रहा हो – हितेश ने बात को नॉर्मल करते हुए कहा ।
हितेश के अंदर डर और बेचैनी के भाव थे ।
झाड़ियों में चल रहे वो कदम अब उनकी तरफ बढ़ रहे थे , जैसे जैसे कदम उनकी तरफ बढ़ रहे थे , वैसे वैसे विवान का दिल और तेज धड़क रहा था ।
हितेश विवान को देखकर समझ गया की उसकी हालत डर के मारे पतली हो रही है , उसने विवान का हाथ पकड़ के बोला – विवान , खुद को शांत कर , कुछ भी नही है वहां ।
हितेश जब ये बोल रहा था , तभी कदमों की आवाज बहुत ज्यादा तेज हो गई और झाड़ियां ओर ज्यादा हिलने लगी । तभी कोई मानव आकृति अंधेरे में से चलकर उनकी तरफ आती हुई नजर आई । ये देखकर हितेश और विवान को जैसे सांप ने सूंघ लिया हो । वो लोग एक दूसरे को पकड़ कर बैठ गए , तभी वो मानव आकृति उनके नजदीक आके खड़ी रह गई ।
हितेश ने बोलने की कोशिश करी लेकिन उसके मुंह से आवाज ही नहीं निकल पाई । हितेश और विवान ने डर के मारे आंखे बंध कर ली ।उसी दौरान वो मानव आकृति धीरे धीरे वहीं पे गिर गई और लेट गई ।
थोड़ी देर हरकत ना होते हुए देख हितेश ने आंखे खोली, और वहां का दृश्य देखा ।
हितेश ये देखकर अचंभित हो गया , उसने अपने मोबाइल को ढूंढा और मोबाइल की टॉर्च चालू कर के उसी और देखने लगा । वो मानव आकृति कोई और नहीं सतीश था , तब हितेश ने खाट की तरफ अपनी टॉर्च लगा कर पुष्टि करने के लिए देखा तो वहां सतीश नही होता । वो समझ जाता है की सतीश कहीं नींद में चलकर गया होगा ।
वो सोचते सोचते अपने मोबाइल की टॉर्च सतीश की तरफ करता है तब सतीश नींद में उसी की तरफ देखकर बैठा हुआ दिखता है ।
हितेश वहां से एकदम से कूद के उठ जाता है , और विवान भी ये देखकर डर जाता है और चिल्लाने ही वाला होता है तब हितेश उसके मुंह पे हाथ रख देता है ।

वो विवान को मुंह से सिस की आवाज करके चुप रहने का इशारा करता है । थोड़ी ही देर में सतीश फिर से धीरे धीरे जमीन की तरफ ढल जाता है और सो जाता है ।
हितेश ये देखकर डरता जरूर है लेकिन हिम्मत नही हारता । वो विवान को धीरे से कहता है – सतीश को यहां से उठाओ ।
दोनो सतीश को जमीन से उठा के फिर से खाट में सुला देते है , विवान के पैर इतने ज्यादा कांप रहे थे की जिसकी वजह से वो सही से खड़ा भी नहीं रह पा रहा था और फिर वो लोग आंखों को हाथों से मसलते हुए वहीं पे बैठ जाते है ।
पानी की बूंद जैसे गिरते गिरते शरीर पे जैसे एक ठंडे – पन का एहसास करवाती है वैसे ही विवान और हितेश के दिल में डर और विस्मयता के भाव गबराहट के साथ पूरे बदन में महेसूस करवा रहे थे ।
हितेश और विवान की हालत ऐसी थी की वो ना हस सकते थे ना रो सकते थे । हितेश सोते हुए सतीश की तरफ देखता है और उसके बाद जूली और डिंपल को ।
वो विवान को सोने के लिए कहता है , और खुद भी करवट ले के वहीं लेट जाता है । लेकिन दोनो की आंखे खुली रहती है और मन में विचारो का घमासान युद्ध चल रहा होता है । उनकी पूरी रात ऐसे विचारो के साथ निकल जाती है , लेकिन वो दोनो सो ही नही पाते है ।
आसमान में उड़ती चिड़ियों की मधुर आवाज और सूरज की हल्की सी रोशनी , ठंडे से पवन में झूमते हुए पेड़ उनको एक नए सुबह का एहसास करवाती है ।
हितेश और विवान की आंखे नींद पूरी न होने की वजह से लाल और सूजन से मोटी हो गई थी ।

डिंपल और जूली भी अब उठ चुके थे , जगपति भी उठ के सबके पास आ कर बैठ गया था । बस एक सतीश था जो विवान और हितेश की नींद उड़ाके खुद चैन की नींद सो रहा था ।

जगपति हितेश और विवान की आंखे देख कर पूछा – भाई साहेब , लगता है आप रात भर सोए नही हो !
डिंपल ने भी कहा – हां , आंखे भी लाल और सूजन से बड़ी बड़ी हो गई है ! सोए नहीं हो क्या आप लोग ?

तभी हितेश जगपति को रात की घटना का वर्णन विगत – वार से करता है , जगपति और हितेश के दोस्त ये सुनकर खामोश हो जाते है । लेकिन जगपति के माथे पे चिंता की लकीर नजर आती है ।
उसी समय सतीश अपनी आंखे खोलता है , और सबको उसके आसपास देख के एक प्रश्नार्थ भरी नजर से सबको घूरता है ।

हितेश ने बोला – अब तुम्हे कैसा महेसूस हो रहा है सतीश ?
सतीश कहता है – में तो ठीक ही हूं , मुझे क्या हुआ है ? और तुम सब मेरे इर्द –गिर्द ऐसे क्यू बैठे हुए हो ?

फिर उसको हितेश याद करवाता है की वो जगपति के पिता को देखकर खोली के बाहर की तरफ बेहोश हो गया था , और रात से वो बेहोश ही था ।
सतीश रात की बातें याद करने की कोशिश करता है लेकिन उसको रात की बाते याद ही नहीं आती ।
जगपति हितेश के कानो में हल्के से फुसफुसाता है – गिरने की वजह से भाई साहेब को कुछ याद नहीं है , या फिर ये आपका दोस्त नहीं है ।
हितेश जगपति की बातो को ध्यान से सुन ने के बाद कहता है – जो भी हो , लेकिन अब मैं मेरे एक भी दोस्त को कुछ भी नही होने दूंगा ।
हितेश का सपाट जवाब सुनकर जगपति उसके कंधो पे हाथ रख देता है ।

तभी वहां किसी के हंसने की आवाज सुनाई देती है , जैसे कोई उन्ही को देख कर हंस रहा हो । तभी उनकी नजर एक इंसान पर जाति है , जिनके वस्त्र पतले सूत से बने हुए थे , उसके नजदीक आने पर पता चलता है की वो एक साधु है।
गंदा सा मैला साधु हाथो में एक जलपात्र लिए वहीं से गुजरते हुए जा रहा होता है , और उन सबको देख के बोलता है –
"तुमने जो किया है वो भुगतना तो पड़ेगा ,
ये जिंदगी का खेल है बच्चे
मुश्किलों का सामना करके जिंदगी से लड़ना तो पड़ेगा " ।
हाहाहाहाहा , हाहाहाहाहा एक भयानक अट्टहास करते हुए वो चलने लग जाता है ।

क्या सतीश अपनी याददास्त भूल गया है ? क्या उसको सच में कुछ याद नहीं या कुछ और बात है ? क्या आज भी हितेश सबको सुरक्षित रख पाएगा ? कौन है ये साधु ?
जान ने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी भयानक यात्रा ।