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लव जिहाद

वाजिद हुसैन की कहानी- प्रेमकथा

डाॅक्टरी की परिक्षा पास करने के बाद उसका पोस्टिंग सरकारी अस्पताल में हुआ था। ज्वाइनिंग के समय सी.एम.ओ ने बड़ी उदास नज़रों से उससे कहा, 'यह आतंकवाद ग्रसित छेत्र है। हालांकि आपके रहने के लिए सुरक्षित क्वार्टर है, फिर भी आपके ठहरने की व्यवस्था पुरातन दौर की ख़स्ताहाल कोठी में की गई है, ताकि आपकी आईडैंटीटी छुपी रहे।'
मूसलाधार बारिश हो रही थी। और डाॅक्टर कमरे में बैठा जलभराव को देख रहा था। बाहर बहुत बड़ा लान था, जिसमें दो पेड़ थे, जिनके हरे पत्ते बारिश से नहा रहे थे‌। उसको ऐसा महसूस हुआ कि वह बारिश से खुश होकर नाच रहे हैं। उधर लैम्प पोस्ट था, उसकी कोठी के ठीक सामने। वह भी खुश नज़र आता था‌। हालांकि उसकी खुशी की वजह मालूम नहीं होती थी, बेजान चीज को भला क्या खुशी हो सकती है। लेकिन सलमान जिसकी ज़िंदगी चटियल मैदान थी, बहुत गमगीन था। उसने यह महसूस किया आसपास जो भी चीज़ है, खुशी में नाच गा रही है। सावन गुज़र चुका था मगर बारिश नहीं हुई थी‌। लोगों ने मस्जिदों में दुआएं मांगी मगर कोई नतीजा न निकला‌। बादल आते- जाते रहे मगर एक कतरा भी नहीं टपका‌ते। आख़िर एक दिन काले- काले बादल आए और रिम- झिम बारिश होने लगी। सलमान को बारिश में कोई दिलचस्पी नहीं थी। फिर भी वह अपनी कोठी के लान में निकला और लंगोट पहनकर बारिश के मज़े लिए। आम बाल्टी में पड़े थे। वह अकेला बैठा उन्हें चूस रहा था।
तभी उसे चीखें और कहकहे सुनाई दिए। उसने देखा साथ वाली कोठी में दो लड़कियां बारिश में नहा रहीं हैं और खुशी में शोर मचा रही हैं। उसके साथ वाली कोठी के बीच एक झाड़ की दीवार लगी थी। सलमान उठा और आम का रस चूसते हुए वह बाड़े के पास गया और उन दोनों लड़कियों को‌ देखा, जो महीन मलमल के कुर्ते पहने हुए थी, जो उनके बदन के साथ चिपके हुए थे। उसने पहले किसी लड़की को बारिश में इस तरह नहाते नहीं देखा था, क्योंकि वह मिजाज़ से इस किस्म का लड़का था जो औरतों को इन निगाहों से देखना गुनाह समझता था, लेकिन उस दिन उसने उन्हें बड़ी ललचाही निगाहों से देखा। सलमान की उम्र जो महज़ पच्चीस साल के करीब रही थी, तजुर्बा न था। ज़िंदगी में पहली बार उसने जवान लड़कियों के शबाब को गीली मलमल में लिपटे देखा। वह निगाहें गड़ाए उनके अंगों की पैमाईश करता रहा। उसे यह महसूस हुआ, उसके शरीर में चिंगारियां दौड़ रही है। उसने उन दोनों लड़कियों में से एक को चुन्ना चाहा। देर तक गौर करता रहा‌। उनमें से एक लड़की बड़ी चंचल थी दूसरी उससे कम। उसने सोचा चंचल अच्छी रहेगी, उसे भी चंचल बना देगी। चंचल लड़की ख़ूबसूरत है, बारिश में नहाती जलपरी मालूम पड़ती। थोड़ी देर के लिए सलमान शायर बन गया‌। उसने कभी इस तरह नहीं सोचा था परंतु इस लड़की ने जिसका कुर्ता दूसरी के मुकाबले ज़्यादा महीन था उसको ऐसे-ऐसे शेर याद करा दिए, जिन्हें वह काफी पहले भूल चुका था। इसके अलावा रेडियो में सुने फिल्मी गानों की धुन भी उसके मन में गूंजने लगी‌। उसने बाड़े के पीछे से महसूस किया कि वह सलमान ख़ान है और लड़की अभिनेत्री निलोफर है, जिसके साथ कोई रोमांटिक सीन फिल्माया जा रहा है। मगर उसने लड़की की तरफ इस ख्याल से देखा कि उसे लड़की के अंग- प्रत्यंग नज़र आ जाए तो उसने निलोफर पर लानत भेजी। वह उससे कहीं ज़्यादा हसीन थी। उसके मलमल के कुर्ते में जो शबाब था, उसने सोचा, कोई भी उसका मुकाबला नहीं कर सकती। सलमान ने आम चूसना बंद कर दिए और उस लड़की का जिसका नाम रेशमा था, इश्क बढ़ाना शुरू कर दिया। शुरू-शुरू में उसे बड़ी मुश्किल पेश आई, क्योंकि उस लड़की तक पहुंचना सलमान को आसान नहीं मालूम पड़ता था। उसे यह महसूस होता कि रेशमा को वह खिचन महसूस हुई है या नहीं,जो सलमान को हुई थी। कई दिन वह इन्हीं उलझनों में रहा, सोते- जागते। झाड़ियों की तरफ झांकता, मगर वह नज़र नहीं आती। घंटो वहां खड़े रहता और बारिश वाला नज़ारा जो उसने देखा था, आंखें बंद करके अपने मन में दोहराता रहता। आख़िर उसे एक दिन उससे मुलाक़ात करने का मौका मिल ही गया। रेशमा और सलमान का शाम को झील के पुल पर मिलना तय हुआ।
सलमान पुल के जंगले का सहारा लेकर एक अरसे से उसका इंतज़ार कर रहा था। शाम ख़त्म हो गई।... शाम का मैरून रंग आसमान के इस किनारे से उस किनारे तक फैलता गया और मैरून से सुरमई और सुरमई सेे स्याह होता गया। फिर चांद निकल आया और वह आ गई। तेज़- तेज़ क़दमों से चलती हुई, वह बिल्कुल उसके करीब आकर रुक गई । उसने आहिस्ता से कहा,' हाय।'
सलमान ने उससे कहा, 'मैं शाम से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूं।' उसने हंस कर कहा, 'अब रात हो गई, बड़ी अच्छी रात है।' देर तक वो ख़ामोश रही। फिर बोली ...हाय, 'तुम सचमुच ख़फा खड़े हो। आज पूरे चांद की रात है, आओ किनारे लगी किश्ती खोलें व झील की सैर करें।' उसने सलमान की आंखों में देखा और सलमान ने उसकी मुहब्बत और हैरत में गुम पुतलियों को देखा, जिनमें उस वक्त चांद चमक रहा था।
उसका ग़ुस्सा धुल गया। उसने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और उससे कहा, 'आओ चलें झील पर।' अब वे झील के किनारे- किनारे चल रहे थे। किश्ती ख़ुबानी के एक पेड़ से बंधी थी, जो झील के बिल्कुल किनारे उगा था। ... उसने दोनों हाथ, उसकी कमर में डाल दिए और उसे अपने सीने से लगा लिया।
उसने आहिस्ता से किश्ती खोली। उसने चप्पू अपने हाथ में ले लिया और किश्ती को खे कर झील के बीच में ले गया। वहां किश्ती आप ही आप खड़ी हो गई। न इधर बहती न उधर। उसने चप्पू उठाकर किश्ती में रख लिया। वे एक- दूसरे को अपनी कहानियां सुनाते रहे।
सलमान ने जिस्म में भड़कते शोलो को बुझाने के लिए अपने होठों को रेशमा के होठों की तरफ बढ़ाया। रेशमा ने इतने ज़ोर से उसे धक्का दिया कि किश्ती डूबते- डूबते बची। सलमान पर वासना की ख़ुमारी चढ़ी थी वह ज़बरदस्ती करने पर उतारू हो गया। रेशमा चिल्लाई, 'मर जाओगे! मैं विषकन्या हूं।' फिर दर्द भरे लहजे में कहा, 'मुझे आपको मारने का काम सौंपा गया था। मैंने ‌‌बारिश में झिन्नी वस्त्र पहनकर आपको रिझाया। फिर मुहब्बत के जाल में फंसाकर यहां तक ले आई। आप मेरा बोसा लेते ही मर जाते और मैं आपको झील में फेंककर चली जाती। फिर आह भरकर कहा, मै जानती हूं, बाॅस की नाफरमानी की सज़ा मौत मिलेगी, पर मैंने ऐसा किया, क्योंकि मुझे लगा, आपका दिल मेरे लिए धड़कता है और मैं आपसे मुहब्बत करने लगी हूं, इसलिए आपको मारने का इरादा तर्क कर दिया।'
सलमान ने नम आंखों और रूंधे गले से कहा, 'ऐसा मत करो, पल भर की मुहब्बत में तुम अपनी जान देने पर क्यूं उतारू हो गई?' मुझे तो अपने कर्मों की सज़ा मिलना ही है। ज्वाइन करते समय सीएमओ ने मुझे इस सब से आगाह किया था। फिर भी मैं वासना से ग्रसित होकर तुम्हारे पीछे चला आया। रेशमा ने दार्शनिक लहजे में कहा, 'आपकी गलती नहीं है, जिस तरह झील के पास आते ही मन तैरने को करता है, उसी तरह शबाब के पास आते ही मन उसमें डूब जाने को करता है। ... मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है, 'बाॅस ने मुझे भी चेताया था, 'मुहब्बत कंरने के एवज में मौत मिलेगी, फिर भी मैंने मुहब्बत को चुन्ना चाहा। आपसे पल भर की मुहब्बत में तमाम ख़ुशियां मिल गईं, अब मौत से कोई गिला- शिकवा नहीं। उसके बाद रेशमा देर तक उसे देखती रही, फिर आखें बंद कर ली, जैसे उसे अपनी आंखों में क़ैद कर लिया। उसने अपनी चोली में से पिस्टल निकालकर सलमान को दिया, 'इसे रख लीजिए, आपकी हिफाज़त करेगा। आप डाॅक्टर हैं, आपको जीवित रहना है, वतन के लिए और मेरी मौत का बदला लेने के लिए।'
सलमान समझ नहीं पा रहे थे, क्या करें! किनारे पर मौत उनका इंतजार कर रही थी और झील में ठंड जमाकर मारने पर उतारू थी। उसने शहादत की मौत मरने को चुना। वह धीरे- धीरे किश्ती को खे कर ख़ुबानी के पेड़ तक ले गया। 'उनका मन मरने से पहले रेशमा को आगोश में लेने के लिए मचल रहा था, पर यह सुसाइड होता।'
झील के किनारे ‌पहुंचकर सलमान ख़ुबानी के पेड़ से किश्ती बांध रहा था। झाड़ियों में से दो आंखें चमकती‌ हुई उनकी ओर आ‌ रहीं थीं, जिंहे देखकर रेशमा सलमान के आगे आ गई और चिल्लाई, 'सलमान, गोली चलाओ।' तभी दोनो ओर से गोलियां चलीं।
सलमान ने फौजी अफसर को कहते सुना, ' दो आतंकवादी मारे गये।' सलमान ने अफसर से कहा, 'सर, रेशमा देशभक्त है।' अफसर ने कहा, 'आपके पास उसकी देशभक्ति का कोई सबूत है?' सलमान ने उन्हें पल भर की दास्तान सुनाई, जिसे सुनकर उन्होंने भावुक होकर कहा, 'ज़ालिमों ने रेशमा को लव जिहाद के लिए विषकन्या बना दिया, पर वह देशभक्त थी।'
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