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अलविदा पीटर

क़ाज़ी वाजिद की कहानी - पक्षी प्रेम

सवेरे- सूरज उगने से पहले- झाड़ियों में कबूतरों की गुटरगूं मुझे खुली खिड़की से सुनाई देने लगती थी। पहाड़ की ढलान पर मुर्गे बांग देने लगते थे। मैं सोचता, काश मेरा भी एक मुर्गा होता। मैंने पापा से मुर्गा दिलाने को कहा, उन्होंने मना कर दिया। मम्मी ने तो हां कर दी थी, लेकिन पापा ने कहा, 'नहीं।' अगर तुम मुर्गी दिलाने को कहते, तो मैं ला देता। मुर्गी कम से कम अंडे तो देती है, पर मुर्गा किसी काम का नहीं, बांग देकर मुर्गियों को बुलाता रहता है। लेकिन पापा मैं तो यही चाहता हूं, मरियम के पास एक मुर्गी है जिसका नाम हेलेन है। हेलेन आया करेगी, तो साथ में मरियम भी आया करेगी। 'यह बहुत बिगड़ता जा रहा है।' उन्होंने कहा।
'अब कोई बताए,' उन्होंने मम्मी को डांटा, ' क्यों लेकर दिया जाए इसे मुर्गा? तुम भी बस, इसके मुंह से रुलाई फूटी नहीं कि झट तैयार!' ...पापा ने कहा, 'इसे पैसे की कोई कद्र नहीं है। और अभी इसे यह कद्र पता न चली तो फिर कब सीखेगा?' जिन बच्चों को मांगते ही झट से सब कुछ मिल जाता है, वे बड़े होकर मवाली बनते हैं, दुकानों से सामान चुराते हैं, क्योंकि उन्हें मनचाही चीज़ों को आसानी से पा लेने की आदत पड़ चुकी होती है। इसलिए मुर्गे की जगह उन्होंने मुझे एक चूजा लाकर दिया। अब मैं ठीक से बड़ा होऊंगा और मवाली नहीं बनुंगा।
हर सुबह अब मुझे चाहे कितना भी ख़राब क्यों न लगे, दूध का एक कप पीना पड़ता है। मलाई वाले कप का एक रुपया मिलता है, बिना मलाई वाले का आधा। इन रुपयो से मम्मी मेरे चूजे के लिए दाना खरीदती हैं।
मेरा चूजा वैसे है बहुत प्यारा। उसे छुओ तो मखमली लगता है। हाथ में दाना हो तो गोद में चढ़कर चुगने लगता है। और सवसे अच्छी बात यह है, दाना न हो तो भी पीछे-पीछे आता है। हां इतना ध्यान ज़रूर रखना पड़ता है, कि बिल्ली से बचा रहे। मैंने उसे नाम दिया है पीटर, क्योंकि वह खिलौना नहीं है, वह तो बच्चों की तरह चलता- फिरता-खाता है। बहुत चंचल है मेरा पीटर, बड़ा भी हो गया था। मम्मी कहती हैं, 'पीटर बांग देने लगेगा तो हम इसकी शादी हेलेन से करेंगे।'... पर मम्मी शादी में तो पार्टी देना पड़ती है, मेरे पास पैसे नहीं है।' ... 'उसके लिए तुम पैसे जमा करो।' मम्मी बोलीं। ...'कैसे।' ...'स्कूल टाइम से जाया करो, ए बी सी डी याद करो' मैं रोज़ तुम्हें पांच रुपये दूंगी। उन रूपयों को जमा करके पीटर और हेलेन की शादी की पार्टी देना।
मुझे पीटर पर बहुत प्यार आता है। हर सुबह उसके लिए मलाई वाला दूध पीता हूं, समय से स्कूल जाता हूं, ए बी सी डी याद करता हूं। मेरे पास उसकी शादी की पार्टी के लिए बहुत रुपये जमा हो गए है, बस इंतजार है, 'बांग‌ देकर, हेलेन को 'आई लव यू' बोलने का।'
मैं बहुत खुश हूं, मेरे पीटर ने हेलेन को बांग देकर आई लव यू बोल दिया। मैंने मम्मी से पीटर और हेलेन की शादी करने के लिए कहा। मम्मी भी खुश थीं, बोलीं, 'हेलेन से तो पूछो, शादी करेगी? हेलेन से बिना पूछे शादी करोगे तो वह पीटर से बेबात में लड़ा करेगी।'
'जैसे आप पापा से लड़ती है।'
मम्मी की हंसी छूट गई। 'कैसी बातें करता है बदमाश!' फिर कहा, 'एक पैकेट में दाना लेकर जाओ, पहले हेलेन को दाना खिलाना, फिर शादी तय करना, नहीं तो चोंच मार देगी।' मैंने उसे दाना खिलाया फिर पूछा, 'मेरे पीटर से शादी करोगी?' वह शादी का सुनकर नाचने लगी। मैं और मरियम शादी के गीत गाने लगे। मैंने मरियम से कहा, 'कल क्रिसमस है, परसों इसकी शादी करते हैं।' हम दोनों की मम्मी शादी का सुनकर बहुत खुश हुई और पार्टी की तैयारी में जुट गई।
रात को मम्मी मुझसे बोली तुम. 'अब जल्दी सोया करो, 'सवेरे पीटर बांग दे, उसे दाना खिलाना, फिर स्कूल के लिए तैयार होना।' ... मैं सोने लेटा ही था, तभी पापा के मोबाइल में रिंग आई। पापा ने कहा, 'जीजा जी कैसे हो? कल आ जाओ, क्रिसमस सेलिब्रेट करेंगे। मैंने व्हिस्की की एक बोतल ख़रीदी है और मुर्गा तो मेरे बेटे जोसफ ने पाल रखा है। बिल्कुल तैयार है कटने के लिए।' जीजा जी बोले, 'वेरी गुड आइडिया, कल मिलते हैं।'
मैं रात में इंतजार करता रहा कि बाहर के कमरे में बैठे पापा कब टीवी बंद करके सोने जाते हैं। फिर उसके बाद मैं चुपचाप उठा और पीटर के साथ बाहर पोर्च में निकल आया। कुछ दूर तक चलने के बाद हम पहाड़ियों पर पहुंचे। मैंने पीटर को ज़मीन पर छोड़ते हुए कहा, 'तुम्हारे दोस्त यहां रहते हैं, तुम्हें यहां बहुत अच्छा लगेगा।' मैं जवाब का इंतज़ार करता रहा, लेकिन पीटर कुछ नहीं बोला और जब 'अलविदा पीटर' कहने के लिए मैने उसकी कलगी को छुआ तो उसने आख़िरी बार उदासी से मेरी ओर देखा। धर पहुंचकर मैं उसे 'बाय' कहने के लिए घूमा, वह मेरे पीछे चला आ रहा था। मैंने उसे गोद में उठाया फिर छोड़ने ले गया पर वह मेरी गोद से उतरा ही नहीं, मजबूरन मुझेे उसके साथ रुकना पड़ा। फिर पापा दिखाई दिए। वे हाथ में लालटेन लिए मुझे पुकार रहे थे। मुझे लगा वो पीटर को लेने आए हैं। मैं ज़मीन पर‌ पड़े पत्तो के ढेर में छुप गया। तेज़ ठंड पड़ने लगी थी। अगर पीटर मेरे ऊपर पंख न फैलाता तो शायद मैं मर जाता।
मुझे ठंड से कांपते देखकर पीटर बांग देकर पापा को बुलाने लगा। मैं बेहोशी की हालत में बड़बड़ा रहा था, 'पापा तुझे काट डालेंगे, मत बुला।' 'उस पर तो मुझे बचाने का भूत सवार था, पागलों की तरह बांग दिए जा रहा था।' उसकी बांग सुनकर पापा भागते हुए आ गए। वो अपनी गलती पर बहुत शर्मिंदा थे। उन्होंने मुझसे वादा किया, वह मेरे पीटर को कभी नहीं काटेंगे और मुझे गोद में उठाकर घर ले गए। आज पापा ने पहली बार पीटर को अपने हाथ से दाना खिलाया, उस समय उनकी आंखें नम थी।
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