हिंदी क्लासिक कहानियां कहानियाँ मुफ्त में पढ़ेंंऔर PDF डाउनलोड करें होम कहानियां क्लासिक कहानियां कहानियां फ़िल्टर: श्रेष्ठ हिंदी कहानियां चंदेल दी ट्री-लवर द्वारा Wajid Husain वाजिद हुसैन की कहानी- मार्मिकचंदेल अपने को महाराजा राव विद्याधर का वंशज कहता था जिन्होंने गजनी के महमूद को खदेड़ा था। खजुराहो मंदिर का निर्माण चंदेल राजाओं द्वारा किया ... तीसरी चेतावनी द्वारा Sumit Singh रात के आकाश की गहरी नीलिमा में से प्रभात ने झांक कर देखा कि एक युवक तेजी के साथ संकेत की तरह उठे हुए पर्वत की ओर चला जा ... पश्चाताप के आंसू द्वारा Sudhir Srivastava कहानीपश्चाताप के आंसू************* माथे की झुर्रियां कलीम के उम्र ही नहीं उनके अनुभवों की कहानी बयां कर रही थीं। पूरे गांव में उसका ही एकमात्र मुस्लिम परिवार था। कलीम ... स्कूल गर्ल द्वारा Wajid Husain वाजिद हुसैन की कहानी- मार्मिक वह स्कूल जाने के लिए फार्म हाउस के बाहर निकली तो अपने दोस्त को ढोर-डंगर चराते देख विचलित हो गई। पूछा, 'स्कूल नहीं जाएगा?' ... फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे - 2 द्वारा Makvana Bhavek ब्लांड नंबर दो डेस्क की ओर परेड सी करते हुए बढ़ी, सैंडस्टोन के फर्श पर उसकी हील की टिक-टॉक साफ सुनी जा सकती थी। वह बैठ गई और दोनों ... फौजी की फौजन द्वारा Rakesh Rakesh शबनम की खून की और बाकी जांच की रिपोर्ट देखकर डॉक्टर कहता है कि "आप अपने पति को अपने साथ लेकर आए मुझे आप की बीमारी के विषय में ... लव जिहाद द्वारा Wajid Husain वाजिद हुसैन की कहानी- प्रेमकथा डाॅक्टरी की परिक्षा पास करने के बाद उसका पोस्टिंग सरकारी अस्पताल में हुआ था। ज्वाइनिंग के समय सी.एम.ओ ने बड़ी उदास नज़रों से उससे ... मिक्स कहानी द्वारा Ajay मंत्रमुग्ध क्षेत्र की जादुई यात्राएक बार की बात है, हरी-भरी पहाड़ियों और झिलमिलाती नदी के बीच बसे एक अनोखे गाँव में, लीला नाम की एक युवा स्वप्नद्रष्टा रहती थी। ... प्रेम दीवानी राजकुमारी द्वारा Rakesh Rakesh प्रजा में एक भी ऐसा स्त्री पुरुष वृद्ध बच्चा नहीं था, जो की दयालु दानवीर अहिंसा प्रेमी राजा छत्रपाल के सुशासन से खुश ना हो। इसलिए जब उनकी रानी ... दीनू की डायरी द्वारा Yogesh Kanava दीनू की डायरी अपनी घुमक्कड़ प्रवृति के अनुसार ही आज एक बार फिर संदेश किसी अनजानी सी डगर पर निकल पड़ा था। अनजान राह अनजान डगर, मिशन कुछ ... पेट पर टिकी अक़्ल द्वारा Yogesh Kanava अपनी ही धुन में चलना, अपने में ही खोए रहना अपने आसपास क्या हो रहा है शायद उसे जानकारी ही नहीं है। कहने को दुनिया जहान की पूरी जानकारी रखने ... रहस्यमय अंधविश्वास: अंतिम सत्य की तलाश द्वारा Kali Hari अर्जुन, नीलम और रूपेश की जीत के बाद, वे दस्तावेजों को सुरक्षित रखने का निर्णय लेते हैं। उन्होंने एक गुप्त स्थान पर गुफा चुनी है, जो अत्यंत मजबूत सुरक्षा ... कीर के उपवन की कली द्वारा दिनेश कुमार कीर *कीर के उपवन की कली*भारत: -दिन दूर नहीं खंडित भारत को, पुनः अखंड बनाएंगे,गिलगित से गारो पर्वत तक, आजादी पर्व मनाएंगे। उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से, कमर ... घुंघरू द्वारा Yogesh Kanava घुंघरू आज ना जाने क्या हुआ था मुझे, वापस आ तो रहा था लेकिन लग रहा था कि कुछ ना कुछ पीछे छूट गया है। मैं जब गया था ... चेहरे के विपरीत चेहरा द्वारा Anant Dhish Aman चेहरे के विपरीत चेहरा हाँ! घर से दूर बड़े महानगर में हूँ, हाँ बड़े महानगर में! देखे भी हो कभी या सिर्फ सुना और पढा हीं है। हाँ सच ... मुस्कान - दिल से बंधी एक डोर (भाग-2) द्वारा दिनेश कुमार कीर रिश्तों की अहमियत.... ? इधर तो नही दिखता। बेच दिया होगा इस शराबी ने ?""चुप रहो माँ" राधिका को न जाने क्यों नवीन को उसके मुँह पर शराबी कहना ... मुस्कान - दिल से बंधी एक डोर (भाग-1) द्वारा दिनेश कुमार कीर रिश्तों की अहमियत.... राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे ... परदेस में ज़िंदगी - भाग 2 द्वारा Ekta Vyas कहानी:- परदेस मैं ज़िंदगी भाग - 2 अब तक आपने पढ़ा की किस प्रकार मितेश भाई के जीवन में उतार चढ़ाव आए और वो लोग हमेशा हमेशा के लिए ... कोरड़ी द्वारा Yogesh Kanava बरसाती बादलों के उमड़ आते ही पुरानी छोटे अक्सर सालती हैं । उनमें दर्द उभरता है , कुछ याद दिलाता है कि बचपन में लड़कपन में जो बार-बार पेड़ की ... बूढ़ा बरगद द्वारा Yogesh Kanava घूमने-फिरने का शौकीन संदेश आज फिर निकल गया था एक अनजानी सी डगर पर। घूमना-फिरना, नई से नई जगह देखना और उस जगह की पूरी जानकारी लेकर कुछ ना ... मुख्यधारा द्वारा Yogesh Kanava बहुत दिनों से सन्देश कहीं जा नहीं पाया था। वो बस अपने ही कार्यालय की मारामारी में उलझा सा रह गया था। सन्देश जैसा घुम्मकड़ प्रवृति का व्यक्ति एक कुर्सी ... और मैं वही का ककनूस हूं द्वारा Yogesh Kanava बुझते हुए उजालों में दूर तक केवल धूल का ही राज लगता है दूर जहां आसमान धरती से आलिंगन करता जान पड़ रहा है और लाज की मारी धरती बस ... सौगन्ध - (अन्तिम भाग) द्वारा Saroj Verma मेरी बुआ ने,जो मेरे प्रसव के समय वहाँ उपस्थित थी,कन्या को जन्म देने के पश्चात मैं अचेत हो गई और जब सचेत हुई तो मुझे ये दुखभरी सूचना मिली...वसुन्धरा ... बिसायती बाबा द्वारा Yogesh Kanava पीठ पर गठरी लादे, सफेद ट्रीम की हुई दाढ़ी वाला बाबा महीने में एक बार उस गांव में आ ही जाता था। जब भी आता था गांवभर की औरतें ... लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी सौगन्ध--भाग(१४) द्वारा Saroj Verma प्रातः हुई एवं सभी जागे एवं सभी के मध्य वार्तालाप चलने लगा,तभी वार्तालाप के मध्य भूकालेश्वर जी बोलें.... देवव्रत जी ने राजमहल में बसन्तवीर के समक्ष इतना बुरा अभिनय ... सौगन्ध--भाग(१३) द्वारा Saroj Verma जब चंचला देवव्रत के गले लगी तो ये देवव्रत को अच्छा ना लगा और उसने अन्ततः चंचला से कह ही दिया.... कौन हैं आप?एवं ऐसा व्यवहार क्यों रहीं हैं? ... कंकड़ कंकड़ शंकर द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी आशीष इंग्लिश, संस्कृत हिन्दी में स्नातकोत्तर कर चुका था और मैथ से स्नाकोत्तर की तैयारी में जुटा था उंसे माँ बाप परिवार को छोड़े सत्रह वर्ष हो चुके थे ... आलू के परोंठे द्वारा Yogesh Kanava मेरे हाथ आटे में सने थे, डोर बैल बार बार बज रही थी । मैने फंकी (हां मेरी बड़ी बेटी) को आवाज़ लगाई और दरवाज़े पर देखने के लिए ... सौगन्ध--भाग(१२) द्वारा Saroj Verma सभी मंदिर की ओर आएं एवं वहाँ से वें सभी भूकालेश्वर जी के निवासस्थान पहुँचें एवं मनोज्ञा से मिलें,इसके उपरान्त रानी वसुन्धरा ने मनोज्ञा से अपने पुत्र बसन्तवीर के ... सौगन्ध--भाग(११) द्वारा Saroj Verma बसन्तवीर के तलवार निकालते ही वहाँ शीघ्र ही भूकालेश्वर जी उपस्थित हुए और उन्होंने बसन्तवीर से पूछा... राजकुमार!ये क्या हो रहा है?आपको अपनी तलवार निकालने की आवश्यकता क्यों पड़ी? ... सौगन्ध--भाग(१०) द्वारा Saroj Verma देवव्रत का स्वर सुनकर लाभशंकर बोला.... मनोज्ञा!अब मुझे जाना होगा,कदाचित मामाश्री मुझे पुकार रहे हैं... ठीक है तो अब तुम जा सकते हो,मनोज्ञा बोली... इसके उपरान्त लाभशंकर बाहर आ ... सौगन्ध--भाग(९) द्वारा Saroj Verma राज्य की शोभा देखते ही बनती थी,मंदिर को सुन्दर सुन्दर पुष्पों की लड़ियों से सजाया गया था,जिस स्थान पर मनोज्ञा का नृत्य होना निश्चित था उस स्थान के चारों ...