कैसा ये इश्क़ है.... - (67) Apoorva Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कैसा ये इश्क़ है.... - (67)

शान की आँखे भर आती है वो वहीं बैठ जाते है बस एकटक क्लिफ के एंड की ओर देखते है इसी उम्मीद से शायद उसकी पगली उसे आवाज दे।अर्पिता प्लीज लौट आओ ...! देखो तुम्हे लिए बिन मैं घर नही जाऊंगा।जानती हो न कितना जिद्दी हूँ मैं।अर्पिता..!बड़बड़ाते हुए वो वहीं बैठे होते है कि उनकी नजर अर्पिता की पायल पर पड़ती है।वो उसे उठा लेते है।

शान उससे बातें करने लगते है।अर्पिता तुमने वादा किया था कि शान कि अर्पिता अपनी सांसे छोड़ सकती है लेकिन शान को नही।वो तुमने इसीलिए किया था ताकि तुम ये बेवकूफी कर सको।कोई और माने या न माने मुझे पता है तुम लौट कर आओगी।मैं यहां से कहीं नही जाने वाला।प्लीज लौट आओ।शान ने कहा।उनके आंसू थम नही रहे है वो बस एकटक क्लिफ की ओर निहारते जाते हैं।

युव्वि सुनो वहां कुछ हुआ है क्या देखो न वहां कितने सारे लोग जमा है हम लोग चल कर देखे क्या!पूर्वी ने शान को घेरे खड़े हुए लोगों को देख साथ चल रहे युवराज से कहा।

युव्वि सामने देखते हुए बोला:- लग तो ऐसा ही रहा है पूर्वी चलो देखते है क्या बात है।और हां ध्यान से चलना।

हम्म ठीक है पूर्वी ने कहा और वो सधे कदमो से चलते हुए लोगों के पास आये और उनसे पूछने लगे क्या हुआ भाई यहां?

उनकी बात सुन एक व्यक्ति बोला :- पता नही!लोग घर का झगड़ा घर में ही क्यों नही सुलझाते!इन जनाब की बीवी से झगड़ा हो गया और वो भी गुस्से में आकर यहां से कूद गयी।अब ये तो वही बात हो गयी करे कोई और बदनाम हो ये टूरिस्ट प्लेस!हादसा होना एक अलग बात है लेकिन स्वयम जानबूझकर मृत्यु को गले लगाना ये तो और ही अलग बात है।लोगों की बातें सुन पूर्वी ने शान की ओर देखा तो चीखते हुए बोली प्रशांत सर!आप यहां?

वो धीरे धीरे आगे आई और प्रशांत के सामने आकर बोली सर आप यहां कैसे?और किससे झगड़ा हो गया आपका?

शान ने पूर्वी की ओर देखा उसे वहां देख वो बोले किसी से नही पूर्वी तुम यहां क्या कर रही हो ये पहाड़ी इलाका है ऐसी अवस्था में क्या जरूरत थी तुम्हे ..!शान अपना दर्द भूल कर पूर्वी के बारे में सोचने लगते है जिसे देख वहां मौजूद लोग फुसफुसाते हुए कहते है अभी तो ये इतनी जोर से क्रंदन कर रहा था और अभी दूसरे ही पल इसका रवैया ही बदल गया।चलो भई इनकी माया ये ही जाने!अब इनसे तो पुलिस ही निपटेगी।आत्महत्या के लिए उकसाने का केस चल सकता है इस पर नही तो तुम ही सोचो कि भला हनीमून पर आया एक वैवाहिक जोड़े में कोई आत्महत्या क्यों करेगा।कुछ तो कहा होगा इसने।

लोगों की बातें सुन पूर्वी बिफरते हुए कहती है।आप लोग जानते कितना हो इस इंसान को जो इनके विषय में कुछ भी अंट संट बोले जा रहे हो।मैं जानती हूँ शार्गिद रही हूँ इनकी।अरे जिसके हाथो में और जीवन में संगीत रचता बसता हो वो किसी को आत्महत्या के लिए कैसे उकसा सकता है।जो भी हुआ उसके और भी पीछे कई वजह हो सकती हैं!हो सकता है यहां किसी ने उनके साथ कुछ ओछी हरकत कर दी हो,या फिर उनका पारिवारिक कोई मसला हो सकता है।जाने न माने बस अपनी ही ताने।और भी प्रसादी लेनी है तो मैं बोल सकती हूँ।क्योंकि मैं इस इंसान जितनी धैर्यवान नही हूँ जो बिन बात किसी को कुछ बोलता नही है।आप लोग पहले अपने घर के मसले सुलझा लो फिर किसी और के बारे में ओपिनियन बनाना।पूर्वी की बात सुनकर वो लोग एक एक कर खिसक जाते हैं।उनके जाते ही पूर्वी युव्वि से बोली, युवराज इन्हें हमे घर लेकर चलना होगा ये हमारे गुरु है जिन्होंने हमारी शादी कराई न परम जी उनके बड़े भाई प्रशांत यही है।

ठीक है कहते हुए युव्वि शान को उठाने की कोशिश करते है।उन्होंने युव्वि की ओर देखा और बोले मैं कहीं नही जा सकता अर्पिता वापस आई और मैं नही मिला तो मुझ पर गुस्सा करेगी।

शान की बात सुन पूर्वी बोली, सर अर्पिता मतलब अर्पिता मैम!वो भी यहां आई हैं।

शान :-वो भी यहां आई हैं पूर्वी।वो ही सबसे नाराज होकर यहां से कूद गयी है पूर्वी।मैं कब से उसे बोल रहा हूँ बहुत तंग कर लिया मुझे अब वापस आ जाये।

शान की बात सुन पूर्वी समझ जाती है कि प्रशांत सर और अर्पिता मैम यहां घुमने आये हुए हैं।और अभी सर को अकेले छोड़ना सही नही।

पूर्वी :- सर!आप मुझे अपना फोन देंगे?
शान :-फोन !ठीक है लो?
कहते हुए शान ने पूर्वी को अपना फोन निकाल कर दे दिया जिसे अनलॉक करा पूर्वी उसमे शोभा ताइ जी का नंबर डायल करती है।

पूर्वी :- शान से थोड़ा दूर एक तरफ चली जाती है और शोभा से कहती है, "हेल्लो,जी आंटी जी प्रणाम मैं पूर्वी मसूरी से!आप जल्द से जल्द मसूरी आ जाइये प्रशांत सर को आपकी बेहद जरूरत है।

पूर्वी की बात सुन शोभा हड़बड़ा कर पूछते हुए बोली :- लेकिन हुआ क्या है पूर्वी!प्रशांत और अर्पिता दोनो ठीक तो हैं।बताओ मुझे मेरे बच्चे ठीक हैं।

आंटी जी अर्पिता मैंम,मैम वो पहाड़ी से नीचे गिर गयी हैं।सर बहुत परेशान है आप प्लीज जल्दी से आ जाइये और इन्हें यहां से ले जाइये?

हे ठाकुर जी!प्रशांत अर्पिता!ठीक है हम अभी निकलते है आप तब तक प्रशांत का ध्यान रखना।कहते हुए वो फोन कट कर देती हैं!मुझे यहां से निकलना होगा!प्रेम की यहां जरूरत है परम को लेकर निकलती हूँ!सोचते हुए शोभा ने परम को फोन लगाया और बोली परम अभी के अभी हमे मसूरी के लिए निकलना है।जो भी कार्य कर रहे हो उसे पेंडिंग में डालो और चलो।

शोभा की बात सुन परम घबरा जाते हैं और बोले मां मसूरी, प्रशांत भाई के पास,क्या हुआ है सब ठीक तो है।यू अचानक से आपने जाने का प्रोग्राम कैसे बना लिया।

परम रास्ते में बताती हूँ फिलहाल निकलो वहां से।शोभा ने डपटते हुए कहा और फोन रख दिया।

ठीक है...परम ने कहा और अपने मैनेजर को बोल वहां से निकल एयरपोर्ट पहुंचते हैं।शोभा प्रेम को फोन पर बता कर वहां से निकल जाती है।दोनो एयरपोर्ट पहुंचते है जहां संयोग से प्लेन की टिकट मिल जाती है।जो कुछ देर बाद की ही होती है।

मसूरी में कुछ ही देर में पुलिस आ जाती है जिसे परिचय होने के कारण पूर्वी और युव्वि सब सम्हाल लेते हैं।एक सर्च टीम को नीचे भेजते है जहां वो अर्पिता की तलाश में जुट जाते हैं।

सांझ ढलने जा रही है झुटपुटा होने लगा है लेकिन शान पूर्वी और युव्वि के साथ कहीं भी जाने को तैयार नही होते हैं।ये देख युव्वि शान से बोले, 'भाई मैं जानता हूँ आप यहां अर्पिता जी के इंतजार में बैठे हो लेकिन ये भी तो सोचो वो वापस आई और आपको यूँ परेशान देखेंगी तो उन्हें कितना दुख होगा।मेरी बात मानिये कम से कम रिसोर्ट में जाकर ही उनका इंतजार कीजिये!

युव्वि की बात समझ शान चुपचाप उठकर रिसोर्ट की ओर बढ़ जाते हैं।रिजॉर्ट में पहुंच वो अपने कमरे में जाते है और बेड पर जाकर बैठते हैं।कमरे में रखा हेडफोन, अर्पिता का पहना हुआ लोंग जैकेट सब उन्हें मिलकर चिढाते हुए लग रहे हैं।वो अब बिल्कुल शांत हो चुके हैं।सारा सामान समेट कर पैक कर एक ओर रख देते हैं और अर्पिता की पायल को देखने लगते हैं वो बड़बड़ाते हुए बोले

अर्पिता तुम जरूर लौट कर आओगी और जब आओगी तब तुमसे पूछुंगा क्यों किया तुमने ऐसा? क्यों अपने शान पर भरोसा नही किया तुमने।क्यों तुमने मां के लिए मुझे यूँ अकेला छोड़ने से पहले बिल्कुल नही सोचा।तुम्हारी सांसे तुम्हारी खुद की नही थी अप्पू।अर्पिता तुम तो फाइटर हो न!यूँ ही हार नही मान सकती तुम।तुम्हे आना ही पड़ेगा!मैं तुम्हारे आने का इंतजार करूँगा अर्पिता!

कहते कहते उनकी आँखे एक बार फिर छलक आती है।समय गुजरता है वो वहीं कमरे खिड़की से एकटक बाहर क्लिफ की ओर देखने लगते हैं।

प्रशांत!बच्चे!शोभा ने कमरे में आते हुए प्रशांत से कहा।शान ने आवाज सुनी एवं अपनी बड़ी मां को देख वो उस छोटे से मासूम बच्चे की तरह चिपक रोने लगते है जिसका पसंदीदा खिलौना किसी ने उससे छीन लिया हो।

ताईजी जी!मेरी पगली वो वहां क्लिफ से!वो पगली की पगली ही निकली!नही सोचा उसने मेरे बारे में।मां ने उससे कुछ कहा और वो इतना बड़ा कदम उठा गयी।ताईजी आप बोलिये उससे अभी वापस आ जाये उसकी आदत है मुझे तंग करने की लेकिन अभी रात गहरा रही है।उसे वापस आ जाना चाहिए!अर्पिता मेरे लिए आ जाओ आप कहिये उससे ताईजी..!कहते हुए शान शोभा की गोद में सर छुपा कर रोने लगते हैं।

शोभा जी उनके सर पर हाथ फिर उन्हें शांत करने की कोशिश करती है।वही परम ये जान शॉक्ड हो जाते है कि उसकी छोटी भाभी ने इतना बड़ा निर्णय ले लिया।

रात गुजर जाती है लेकिन शान यूँ ही शोभा की गोद में सर रखे बैठे रहते हैं।सुबह हो जाती है सर्च टीम एक बार फिर कार्य पर लग जाती है।युवी और पूर्वी दोनो ही क्लिफ पर वापस आ जाते हैं।चारो ओर उजाला देख प्रशांत उठकर बाहर आ जाते है और उम्मीद भरी निगाहों से क्लिफ की ओर देखते हैं।उनके पीछे उन्हें सम्हालने के लिए शोभा और परम भी चले आते हैं।

कुछ घण्टो के सर्च के बाद सर्चिंग टीम दूसरी ओर से ऊपर आ जाती है और आकर युव्वि पूर्वी परम प्रशांत से कहती है, "नीचे कोई नही मिला,आपकी पत्नी कहां है उनके साथ क्या हुआ है कुछ सुराग नही मिला।घटना को भी 24 घण्टे हो चुके है हमे नही लगता कि वो अब तक ...कह चुप हो जाते हैं मानवीय संवेदनाये उन्हें आगे बोलने की इजाज़त नही देती सो मौन रह जाते हैं।

शान :- आप सब झूठ बोल रहे हैं, वो मुझे छोड़ कर जा ही नही सकती।वो रूठ कर छुप सकती है,मुझे तंग कर सकती है,मुझसे लड़ भी सकती है लेकिन वो मुझसे इतना प्रेम करती है कि जीवन पथ पर मुझे यूँ अकेले छोड़ कर जा ही नही सकती।आप सब झूठ बोल रहे हैं।नही मैं आप सबका विश्वास नही करूँगा।मुझे सिर्फ उसके दिये सात वचनों पर भरोसा है वो ऐसा नही कर सकती कभी नही।वो आयेगी, जरूर आयेगी मैं उसे ढूंढ कर लाऊंगा।मेरी पगली वहां क्लिफ पर मेरा इंतजार कर रही होगी अगर मैं उसे नही मिला वो रूठ जायेगी ..अप्पू कहते हुए शान वहां से दौड़ जाते हैं।उन्हें देख शोभा और परम भी आते हैं आगे क्लिफ के पास खड़े हुए पुलिस के दो सिपाही उन्हें वहीं रोक लेते हैं।

शोभा शान को इतना परेशान देख शान को सम्हालते हुए बोली, प्रशांत! अर्पिता आ जायेगी लेकिन उसके लिए तुम्हे खुद को सम्हालना जरूरी है।चलो चलकर कमरे में रेस्ट कर लो कल से बिल्कुल नही सोये हो तुम यूँ ही परेशान रहे हो।

शोभा शान को जबरन खींचते हुए रूम में बुला ले जाती है और उन्हें रेस्ट करने को कहती है लेकिन शान वापस से खिड़की की ओर देखने लगते हैं।मैं अभी आती हूँ कहीं जाना नही ठीक है शोभा ने शान से कहा और शान को कमरे में छोड़ कर शोभा परम को लेकर बाहर आती है और परम से कहती है -

परम, प्रशांत के मस्तिष्क को आराम मिलना बहुत आवश्यक है तुम एक कार्य करो यहां कहीं आसपास कोई डॉक्टर हो तो उसे यहां ले आओ वो इसे नींद आने के लिए दवा दे देगा तब जाकर ये शांत हो पायेगा।उसी समय हम इसे यहां से लेकर घर के लिए निकलेंगे!ये जितनी देर यहां रहेगा उतना ही ज्यादा परेशान रहेगा।

ठीक है मां परम ने कहा और रिसेप्शन पर जाकर डॉक्टर के बारे में पता कर डॉक्टर के पास जाकर उसे साथ ले शान के पास चले आते हैं।

डॉक्टर को देख शोभा शान से कहती है, प्रशांत तुम्हे अर्पिता को ढूंढना है न तो उसके लिए तुम्हारा शांतचित्त रहना आवश्यक है।तुम कुछ देर रेस्ट कर लो फिर हम अर्पिता को ढूंढेंगे ठीक है।

ताईजी मैं एकदम ठीक हूँ मुझे डॉक्टर की आवश्यकता नही है।मैं आराम करने लगा तो अर्पिता को कैसे ढूंढूंगा।आप भी न यूँ ही डॉक्टर को परेशान कर रही है।शान शोभा जी से बोले जिसे देख शोभा शान को समझाते हुए बोली, अब तुम अपनी ताईजी की बात नही मानोगे।

शान :- आप की तो मैं हर बात मानता हूँ ये भी मान लूंगा ताईजी।शान की बात सुन शोभा ने परम की ओर इशारा किया तो परम ने डॉक्टर से नींद की दवा के लिए बोला।डॉक्टर ने दवा का एक इंजेक्शन शान को लगा दिया जिसके प्रभाव से वो जल्द ही नीद में चले जाते हैं।

डॉक्टर :- अभी ये नींद में है और बारह घण्टे से पहले उठने वाले नही है।

परम :- धन्यवाद! डॉक्टर।डॉक्टर वहां से चला जाता है तो परम और शोभा टैक्सी कर शान हो साथ लेकर वहां से लख़नऊ के लिए निकल जाते हैं।

युव्वि और पूर्वी दोनो शान को देख कहते हैं सर को देख कर यकीन आता है कि 'इश्क़ के कई रूप हो सकते हैं'! युव्वि पूर्वी को सम्हाल कर लेकर अपने घर के लिए निकलते हैं।

वहीं शान का सर अपनी गोद में रखे उसे सहलाते हुए शोभा प्रशांत के स्वास्थ्य में बारे में चिंतित होती है।दिन से रात हो जाती है और वो लखनऊ पहुंचने ही वाले होते हैं।शोभा जी कुछ सोचती है और परम से बोली इसे लखनऊ नही घर लेकर चलते है परम किसी को उसकी करनी का एहसास दिलाना बेहद जरूरी है।

ठीक है मां परम ने कहा और ड्राइवर से बांदा निकलने को कहते हैं।
वहीं शान की बेहोशी टूटने लगती है जिसे देख शोभा कहती है परम प्रशांत होश में आ रहा है अगर वो जिद करे तो गाड़ी रोकना नही घर जाकर ही रोकना अब ठीक है।

समझ गया मां परम ने कहा।वहीं शान अपनी आँखे खोलते है एवं सामने शोभा जी को देख बोले ताईजी आप!अर्पिता मिल गयी क्या वो आ गयी वापस?

प्रशांत,बच्चा शांत हो जाओ वो आ जायेगी तुम धैर्य रखो एवं खुद को शांत करो।शोभा जी ने कहा जिसे सुन शान उठते हुए बोले ताईजी आना तो उसे पड़ेगा वादा जो किया था उसने मुझसे!लेकिन हम जा कहां रहे है।शान ने खुद को गाड़ी में बैठे देख प्रश्न किया।जिसे सुन शोभा बोली, हम घर जा रहे है शान अर्पिता घर ही तो आयेगी और कहां जायेगी।

ताईजी ये आपने क्या किया, अगर उसे घर आना होता तो वो ये कदम ही क्यों उठाती।आप गाड़ी रोकिये मुझे अभी वापस जाना होगा ताईजी!प्रशांत ने शोभा से कहा जिसे सुन शोभा बोली, प्रशांत, खुद को सम्हालो तुम्हे भरोसा है न वो आयेगी तो जरूर आयेगी तुम दोनो एक दूसरे का जीवन हो एक दूसरे की ताकत हो उसे कमजोर नही पड़ने दो।शोभा की बात सुन शान शांत हो जाते है और शोभा के कंधे पर अपना सर टिका लेते हैं।

कुछ ही देर में प्रातः काल हो जाता है और सभी घर के सामने पहुंच जाते हैं।शोभा कमला को फोन कर दरवाजा खोलने के लिए कहती है।

कमला घबराते हुए बाहर आती है।शोभा प्रशांत और परम को इस समय वहां देख वो सवालिया नजरो से शोभा की ओर देखती है।जिसे समझ शोभा कहती है, 'सब बताएंगे जीजी लेकिन अभी नही अभी प्रशांत को रेस्ट करने दो कहते हुए वो उसे उसके कमरे में लेकर जाती है।जहां लाइट्स ऑन कर शान परम और शोभा तीनो चौंक जाते हैं।अर्पिता ने कमरे का पूरा नक्शा ही बदल दिया था।चारो ओर शान से जुड़ी सारी चीजे उसने सम्हाल रखी थी।शान का बचपन उसने एक दीवार पर जीवंत ही कर दिया।उनके पास ही उसके कॉलेज की यादें और उनके साथ ही परम की शादी में उनके साथ में खिंचे गये कुछ फोटोज सब बड़े सलीके से सहेज लिए थे उसने।शान अर्पिता नाम से एक स्टैंड सामने खिड़की के ऊपर फिट कर दिया जिसमें से मीठी आवाज करते हुए हवा के जोर से बजने वाला एक डेकोरेटिव पीस भी है।जो जरा सी हवा चलने पर पूरे कमरे में एक सुन्दर और मनमोहक आवाज को गुंजा देता।रूह को छूने वाली शांति सभी महसुस कर रहे हैं।

कमरे में आते ही शान चारो ओर देखते हुए बोले इस कमरे की हर चीज में अर्पिता की खुशबू और उसका प्रेम समाहित है।आप सब जाइये यहां से मुझे मेरी पगली के साथ कुछ देर अकेला छोड़ दीजिये।जाइये यहां से शान ने कहा तो उसकी बात सुन शोभा ने सबसे इशारे में चलने को कहा।सभी बाहर आ जाते है तो शान दरवाजा बन्द कर लेते हैं।

सबको आया देख शीला खुशी खुशी अपने कमरे से बाहर चली जाती है शोभा के पास जा कहती है जीजी आप यहां अचानक से आपने कुछ बताया भी नही और यूँ चली आयी और परम भी आया है।कैसे हो परम और प्रशांत अर्पिता दोनो ठीक हैं न उन्हें साथ लेकर नही आये आप लोग।पगफेरे की रस्म तो हो गई होगी न।

शीला के चेहरे पर खुशी देख शोभा बोली :- तुम जीत गयी शीला!आखिर वही हुआ जो तुम शुरू से चाहती थी।तुमने स्वयं अपनी जिद में अपने बेटे की जिंदगी छीन ली।तुम्हे प्रशांत की परवाह है, है न कुछ देर बाद मिलना अपने बेटे से,जिसका जीवन तुमने खुद बर्बाद कर दिया।कहते हुए शोभा वहां से अपने कमरे में चली जाती है।परम ने किरण को ये बताया है कि अर्पिता भाभी पहाड़ी से स्लिप हो गयी हैं और उनका कही पता नही चल रहा है।शोभा ने भी सबसे यही कहने को बोला है।

मैं कुछ समझी नही परम तुम बताओ क्या हुआ है।जीजी क्या बोल रही थी बताओ।परम ने एक सरसरी नजर शीला जी पर डाली और बोले, चाची मां की सिखाई बातें मुझे ये इजाज़त नही देती कि मैं आपसे गलत तरीके से पेश आऊं लेकिन आपने जो किया है उसका परिणाम आप खुद देख लीजियेगा, चलता हूँ।मेरी पत्नी वहां अकेली है।कहते हुए परम वहां से साथ आयी हुई गाड़ी से लखनऊ निकल जाते हैं।शीला परम की बातों का अर्थ समझ नही पाती है।वो कमला की ओर देखती है।उसकी नजरो को पढ़ कमला ने उससे कहा,क्या हुआ है शीला जानना चाहती हो जाकर अपने बेटे से पूछो जो अपने कमरे में है।जाओ..!

प्रशांत यहां है तो अर्पिता क्यों नही आई जीजी।शीला ने पूछा।उसकी बात सुन कमला बिफरते हुए बोली, अर्पिता अब कभी आ भी नही सकती मर चुकी है वो कल।चली गयी है वो तुम्हारे बेटे के जीवन से यही तो चाहती थी तुम।तुमने उससे जरूर कुछ कहा था जिसका असर मैंने उसके स्वभाव में देखा था, हंसमुख और चुलबुली लड़की एकदम से खामोश हो गयी,न ठीक से हंसना न ठीक से बोलना बस कभी गार्डनिंग तो कभी रूम यही उसकी दुनिया थी।तुमने कुछ कहा उससे शीला बोलो ..?
कमला की बात सुन शीला शॉक्ड हो जाती है, नही जीजी मेरी बहू इतनी कमजोर नही हो सकती।वो मेरे बेटे से बहुत प्रेम करती है वो उसे छोड़ कर कैसे..?जाना होता तो वो तब ही चली जाती जब मैंने डेढ़ महीने पहले उससे बोला था कि मुझे उससे चिढ़ होती है, नही अच्छी लगती मुझे उसकी बातें,नही अच्छा लगता मुझे उसका चेहरा, वो कितनी भी कोशिश कर ले मैं उसे स्वीकार नही कर पाउंगी।वो मां मां मां पूरे दिन कहते नही थकती तो मां की इच्छा पूर्ण क्यों नही करती, चली क्यों नही जाती प्रशांत के जीवन से।वो चली जायेगी तो सब सही हो जायेगा।कहते हुए वो भावुक हो जाती है।मुझे क्या पता था जीजी मेरी बेवकूफी में कहे गये शब्दों को वो इतना गंभीरता से ले लेगी।मैं बेवकूफ थी उस समय नही समझ पाई उसे और न जाने क्या क्या कह गयी।अब जब उसके आने का इंतजार कर रही हूँ तो वो नही आई उसकी न होने की खबर आ गयी।।जीजी गलती हो गयी मुझसे।।कहते हुए शीला प्रशांत के पास जाती है और कमरे का दरवाजा खटखटाती है।प्रशांत, बेटे दरवाजा खोल! मुझे तुझसे बात करनी है प्रशांत..!शीला दरवाजे से ही आवाज देते हुए कहती है लेकिन शान दरवाजा नही खोलते।शीला वहां से वापस आ कर हॉल में ही बैठ जाती है और प्रशांत के बाहर निकलने का इंतजार करने लगती है।कुछ देर बाद शोभा अपने कमरे से बाहर आती है और प्रशांत के कमरे की ओर बढ़ती है -
प्रशांत!बच्चा दरवाजा खोल!बहुत देर हो गयी अब तो दरवाजा खोल प्रशांत!

प्रशांत फिर भी दरवाजा नही खोलते।प्रशांत बच्चे कुछ तो बोल क्या चल रहा है तुम्हारे मन में!शोभा जी ने आवाज देते हुए पूछा तो शान बस इतना ही बोले,कुछ नही ताईजी मन है नही मेरे पास और वो उठकर दरवाजा खोल देते हैं।

दरवाजा खुला देख शीला जी उठकर उनके दरवाजे के सामने आ जाती है।प्रशांत को देख शीला और शोभा दोनो ही चीख पड़ती है।

उसकी आँखे लाल हो रखी है आंखों का रंग तो छुप ही गया है।बाल पूरे बिखरे हुए और कपड़े अस्त व्यस्त!

प्रशांत!बच्चे क्या हाल कर लिया है तुमने सम्हालो खुद को।शोभा ने कहा।

जिसे सुन शान बोले सम्हालू मैं! खुद को कैसे, और क्यों?मेरी पत्नी ने, मां ,आपके और घर के मान के बारे में सोच ये कदम उठा लिया,और मेरी मां ने अपनी जिद पूरी करने के लिए उसके मान को ठेस पहुंचा दिया।मेरा क्या..?ताईजी।

मेरे बारे में किसने सोचा।न ही मां ने और न ही पत्नी ने।और तो और उनकी एक ख्वाहिश भी सुन लो आप, डायरी में लिख कर गयी है कि मैं चित्रा से शादी कर लूं।क्योंकि चित्रा मुझसे प्रेम करती है।लेकिन मेरा क्या ताईजी आप बताइये न मेरा क्या?

इसका अर्थ ये हुआ कि ये सब उसने पहले से सोच रखा था।देखो मेरे लिए स्वेटर भी बुन कर गयी है वो भी मेरे पसंदीदा रंग का।शान ने कहा जिसे सुन शीला के साथ साथ शोभा भी शॉक्ड हो जाती है।

डायरी!कहां है दिखाओ मुझे?शोभा ने कहा तो शान ने हाथ में पकड़ी डायरी शोभा की ओर बढ़ा दी।

शोभा ने डायरी खोली और अर्पिता की लिखावट पहचान कर पढ़ने लगती है -

शान :- .....
आप ये डायरी पढ़ रहे है इसका अर्थ है कि हम आपके साथ होकर भी नही है।हम आपके हृदय में तो है लेकिन इस संसार में नही है।हम जानते है आप बहुत दुखी है,हमसे नाराज भी होंगे इतना कि अभी आपका मन कर रहा होगा कि बस एक बार सामने मिल जाये फिर बताता हूँ तंग करना किसे कहते हैं।लेकिन शान!सच कहे तो हमने कभी नही सोचा था कि हमारे साथ चलने के रास्ते शुरू होते होते ही खत्म हो जाएंगे।हमें इतना पता है कि शान आप हमारी तरह मजबूर नही है खुद को सम्हाल सकते हैं।हमने जो किया उसे समझने की कोशिश कीजिये शान!कोई अन्य मार्ग शेष था ही नही हमारे पास!आपको पता है हम आपको छोड़ कर कहीं और भी रह सकते थे लेकिन उससे सब बड़ी मां को दोष देते,बोलते इन्हें ही शौक चढ़ा था बेटे का प्रेम विवाह कराने का अब देखो लड़की घर छोड़ कर चली गयी,जो एक बार अपनी मर्जी से प्रेम कर सकती है उसके लिए दोबारा ये सब करना कौन सा मुश्किल है,कोई मजबूरी नही होगी उसकी।उसका मन भर गया होगा इसीलिए चली गयी।अब आप बताइये हमे क्या ये सही होता हमारे प्रेम के लिए, बड़ी मां के अटूट विश्वास और उनके मान के लिए।उन्होंने कितना कुछ किया है हमारे लिए।हमारा विवाह कराया हमे स्वीकार किया।हमारे साथ हर कदम पर खड़ी रही और हम स्वार्थी बन उनके मान को ठोकर मार कर चले जाते।नही शान आपकी अर्पिता से ये नही होता।दूसरा विकल्प नही था शान।लेकिन मां का कहा कैसे टालते हम।उन्होंने हमसे कहा कि हम उन्हें पूरे समय मां कहते हुए घूमते रहते है अगर सच में उन्हें मां मानते है तो वो क्यों नही करते है जो वो चाहती है।वो चाहती है शान की अर्पिता शान को छोड़ कर चली जाये।तोड़ दे वो सारे वादे जो हमने आपसे विवाह करते समय लिए हैं।आपका मान सम्मान सदा बनाये रखने का वचन।अब आप ही बताओ शान क्या करते हम।हम आपसे हमेशा कहते थे कि अर्पिता अपनी सांसे छोड़ सकती है लेकिन शान को नही।तो कैसे आपको छोड़कर कहीं और चले जाते हम।और मान लीजिये अगर हम चले भी जाते तो आप हर सम्भव प्रयास करते हमे ढूंढने का।ऐसा होता तो कहानी फिर वहीं से शुरू होती।न मां हमे स्वीकार करती और न आप उनसे बात करते।मां कहती है हमने उनके बेटे को उनसे छीन लिया है।हम उन्हें कैसे यकीन दिलाये शान!हमने आपको छीना नही बस विवाह कर आपको अपने पति के रूप में स्वीकार किया है।उनके बेटे तो आप हमेशा से ही हो और आगे भी रहोगे।नही है उन्हें हमारी बातों का यकीन।नफरत करती है वो हमसे बेइंतहा नफरत!!शान हम समझते थे प्रेम और परवाह से सब ठीक किया जा सकता है लेकिन हम गलत है शान!सब आपकी बड़ी मां और हमारे पापा की तरह नही होते।नही लगने दे सकते हम कोई दाग बड़ी मां और आपके दामन पर हमारे पवित्र प्रेम पर।इसीलिए यही बेवकूफी समझ में आयी!हम तो वैसे भी आपकी पगली हैं,थोड़ा पागलपन करना तो बनता है शान!देखो गुस्सा मत करना बस आपका गुस्सा आपको जख्म देकर ही जाता है. ....!
शान सुनो।आप अकेले नही रहना एक राज की बात बताते है हम आपको कोई और भी है जो आपसे एकतरफा बेइंतहा प्रेम करता है।उसके प्रेम को स्वीकार कर लेना आप।हमे भी तसल्ली रहेगी की आप जीवन के इस लम्बे पथ पर अकेले नही है।
चित्रा और त्रिशा मिलकर आपके जीवन में रंगों को ले आयेगी।हमारी इतनी सी विनती मान लेना।हमारी शादी से पहले से वो आपसे प्रेम करती है लेकिन हमारे प्रेम की वजह वो भुला गयी अपनी खुशी।आगे बढ़ जाइयेगा शान ...!

तुम्हारी पगली (जो सच में बदकिस्मत है।)

डायरी पढ़ शोभा शान से बोली ये सब क्या है प्रशांत! ये लड़की इतनी पगली क्यों निकली।क्यों?

ताईजी पगली ही तो है सबके बारे में सोचा लेकिन खुद के बारे में सोचना भूल गयी।इतना विश्वास इसे कि मैं इसकी बात मान लूंगा।पगली है क्योंकि भावनाओ में बंधी है।पगली है क्योंकि दिल से सोचती है।दिमाग से सोचती तो क्या जरूरत थी इसे मां की कोई बात मानने की,क्या जरूरत थी उसे मां के साथ अपना रिश्ता सिद्ध करने की।क्या जरूरत थी इसे सुसाइड करने की,कहीं भी चली जाती लेकिन नही आत्महत्या की वो भी इस तरह से ताकि हम बात सम्हालते हुए लोगों से कह पाये कि उसके साथ दुर्घटना हो गयी है जिसमे वो चली गयी।लेकिन नही वो गयी नही है मुझे विश्वास है कि वो आयेगी,एक दिन जरूर आयेगी।वो साहसी है और एक फाइटर है यूँ ही गिरकर मुझसे दूर नही जा सकती।शान ने कहा ..जिसे सुन शोभा जी बोली..और अगर नही आई तो प्रशांत..?

वो जरूर आयेगी ताईजी।दिन सप्ताह महीने साल दशक या सदियाँ समय कितना भी ले लेकिन आयेगी।

प्रशांत ये क्या बेसिर पैर की बातें कर रहे हो।अब तो तुम्हे देख मुझे भी डर लग रहा है।शोभा जी परेशान सी घबराते हुए बोली जिसे सुन शान मुस्कुराते हुए बोले,ये इश्क़ की राहे है ताईजी,इतनी ही आसान होती तो मीरा विष का प्याला पीने पर विवश न होती।राधा रानी यूँ बावरी हो कृष्ण को न खोजती।मेरे मामले में तो उल्टा ही हो गया है यहां मेरी राधा छुप गयी है अब उसके कृष्ण को उसे ढूंढना है।कहते हुए प्रशांत अंदर गये वहां से अपना गिटार उठाया और बाहर आकर शोभा से बोले ... ये न समझना आप कि मैं पगला गया हूँ! नही ताईजी! मैं बिल्कुल ठीक हूँ बस अपनी मंजिल की तलाश में निकल रहा हूँ..!

जब मंजिल मिल जायेगी तब खुद ब खुद वापस आऊंगा मैं...कहते हुए शान घर से निकल जाते हैं।

क्रमशः .....