कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग - 9) Apoorva Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग - 9)

प्रशांत जी ने जो अभी कहा उसे सोच कर ही अर्पिता के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।जिसे श्रुति देख लेती है।

श्रुति अर्पिता के पास जाती है और उससे धीरे से कहती है।
"अर्पिता "यूं बिना वज़ह चेहरे पर मुस्कुराहट का रहना कोई साधारण बात नहीं होती।सम्हल कर रहना। जिस रास्ते पर तुम बढ़ रही हो उसके रास्ते टेढ़े मेढे तो है ही, साथ ही फिसलन भरे भी है।जरा सा भी ध्यान हटने पर दुर्घटना घटित होने का अंदेशा रहता है।

श्रुति की बात सुन अर्पिता श्रुति के सामने आती है और उससे कहती है श्रुति तुम क्या कह रही हो मै कुछ समझ नहीं पा रही हूं।

अर्पिता मै कुछ विशेष नहीं कह रहीं हूं बस इतना कह रही हूं।चलते चलते कभी कभी रास्ते में सड़क बेहद उबड खाबड़ आ जाती है तो हमें उस समय ध्यान से चलने की आवश्यकता है।

अच्छा जी।तो श्रुति मैडम जी अब ये भी बता दीजिए कि आपको इतनी जानकारी कैसे है।

मै भला इन रास्तों से नावाकिफ कैसे हो सकती हूं अर्पिता मै तो राही ठहरी जो इन रास्तों पर अपने शौक के लिए चल रही है।श्रुति ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा।उसके स्वर में गंभीरता होती है।और स्वर में एक छटपटाहट।जिसकी एक झलक अर्पिता को महसूस होती है।

क्या मतलब श्रुति हम कुछ समझे नहीं? अर्पिता उलझन भरे स्वर में श्रुति के पास जाकर उस से कहती है।

अर्पिता की बात सुन श्रुति एक गहरी श्वास ले पीछे मुड़ते हुए कहती है।अर्पिता मै इस रास्ते की बात कर रही हूं ये जो तुम देख रही हो न कॉलेज के अंदर जाने वाला ये टेढ़ा मेढा रास्ता।हम सब हुए इसके राही।एवम् इसी रास्ते पर हम सभी शौक से गुजरते है कि नहीं। कह श्रुति मुस्कुराने लगती है।

ओह गॉड! श्रुति।तुम्हारी बात सुन एक पल के लिए हम सोच में पड़ गए थे कि कहीं तुम उस रास्ते.... ! खैर इस बात को यहीं खत्म करते है और हम सब अब लेक्चर रूम की तरफ बढ़ते है।

श्रुति सात्विक के पास जाती है और हाई फाइव कर पूछती है तो मिस्टर सात्विक कैसा लगा आपको कल का प्रोग्राम।

सात्विक - बढ़िया! शानदार! माइन ब्लोइंग! और हिंदी में क्या कहते है अद्भुत! हां अद्भुत अनुभव रहा। सात्विक और श्रुति आपस में बातचीत करने लगते हैं।

श्रुति के चेहरे की मुस्कुराहट देख अर्पिता मन ही मन सोचती है ये लड़की भी न थोड़ी अजीब है।जब से हम इससे मिले है इसके तो नित नए रूप देखने को मिल रहे है।

अर्पिता श्रुति और सात्विक तीनों ही कॉलेज पहुंचते है।जहां अर्पिता और सात्विक तो लेक्चर रूम में आगे बैठने के लिए जाते है।तभी श्रुति दोनों के बैग्स छीन कर पीछे दौड़ आती है।और एक खाली सीट पर जाकर रख देती है।सात्विक का ब्वॉयस की तरफ और अपना तथा अर्पिता का गर्ल्स की ओर रख लेती है।इस तरह तीनों एक साथ ही बैठते है।

अर्पिता बैग उठा कर किताबे पढ़ने लगती है।तो श्रुति चिढ़ते हुए उससे कहती है यार पढ़ लिख लियो आराम से लेकिन तब जब लेक्चरर आ जाए क्लास में अभी तक तो वो आए नहीं है तो कुछ और ही काम करते है।

अच्छा! अब क्या करना है।श्रुति!अर्पिता बुक्स रख कर पूछती है।

करना कुछ नहीं है सोच रही हूं कि थोड़ा बहुत मौज ही कर ली जाए।उधम कर लिया जाए।श्रुति बेफिक्री से कहती है।उसकी आंखो में शरारत की चमक दिखने लगती है।

उसकी बात सुन कर अर्पिता हैरान हो देखती है।क्या कहा शरारत? ये कौन सी उमर है उधम करने की श्रुति!अब तो पढ़ाई और करियर बनाने की उम्र है।समझी कि नहीं।अर्पिता ने कहा।

अर्पिता पढ़ाई वाला काम भी करना ही चाहिए।लेकिन हमे इसके कारण जिंदगी से दूर नहीं होना चाइए।बल्कि खुल कर जिंदगी का हर पल जीना चाहिए।तुम्हे पता है बहुत से बच्चे तो पढ़ाई के दवाब के कारण ही तनाव में आ जाते है। किताबी ज्ञान का बोझ तो इतना बढ़ जाता है कि वास्तविकता से दूर होते चले जाते हैं।खैर यहां मै ये फालतू की बाते न करने वाली।मै तो यहां कुछ और ही बात कर रही थी।


हमम।सही कहा।अर्पिता कहती है।दोनों बातो में लगी होती है और सात्विक दोनों की ओर देख बस मुस्कुरा देता है।क्लास में लेक्चरर आ जाते है।तो श्रुति मुंह बनाते हुए कहती है। ए ले अर्पिता।ना तेरी रही न मेरी।हो गया काम आप गए प्रोफेसर।अब तुझे तो मै क्लास के बाद देखती हूं।कहते हुए श्रुति चुप होकर बोर्ड की ओर ध्यान देने लगती है।

अर्पिता उसके ड्रामे को देख मुस्कुराती है और पढ़ाई में ध्यान देने लगती है।लेक्चर खत्म हो जाता है।और तीनों बाहर आकर बैठ जाते है।

श्रुति - अर्पिता अब तुम मुझे ये बताओ मेरा उतना टाइम क्यूं वेस्ट कराया।क्यूं? अच्छा खासा पांच मिनट थे मेरे पास।थोड़े मजे ही ले लेती मै।लेकिन नहीं।

अरे श्रुति! तुम गुस्सा क्यों कर रही हो।गुस्सा करने में क्या रखा है।और वैसे भी क्लास टाइम में मस्ती क्या करना।अब गुस्सा बाद में करना।पहले कैंटीन चलते है।भूख लगी होगी न तुम्हे।मैंने एक किताब में पढ़ा है कि गुस्सा करने के बाद भूख बहुत लगती है।जिससे और ज्यादा चिड़चिड़ी बढ़ जाती है।अर्पिता थोड़े हंसते हुए कहती है।

हंस लो तुम भी।वैसे अर्पिता ये अपनी टोली का एक और सदस्य कहां है।उसकी आवाज सुनाई ही नहीं दे रही है।है या कहीं निकल लिया।श्रुति नज़रें घुमा कर चारो ओर देखते हुए कहती है।

ओये!!इतनी जल्दी मै कहीं न निकलने वाला।अभी तो दोस्ती की शुरुआत हुई है और तुम अभी से मुझे निकाले दे रही हो वेरी बेड।सात्विक ने श्रुति के पीछे से उठते हुए कहा।

एकदम से आवाज़ सुन श्रुति चौंक जाती है।फिर जब देखती है कि सात्विक है तो वो उसके सर पर हाथ में पकड़ी हुई नोट बुक मार कर कहती है आगे नहीं लुढ़क सकता था।एकदम से उठते हुए कान के पास आकर बोलने लगा। डरा ही दिया मेरे को।

क्या...!क्या कहा तुमने अभी। कि तुम डर गई।कुछ ऐसा ही मुझे सुनाई दिया।क्या अर्पिता जी आपने भी ऐसा ही कुछ सुना! बताइए।।

सात्विक की नौटंकी देख अर्पिता को हंसी तो बहुत आ रही है लेकिन जैसे तैसे हंसी दबा कहती है।अब ये आप दोनों दोस्त जाने।हमे बीच में न घसीटो।अब आप लोग अपना मसला सुलझाओ हम चले कैंटीन।जब मसला सुलझ जाए तो दोनों कैंटीन आ जाना।

ओके अर्पिता तुम आगे चलो मै अभी आती हूं।श्रुति कहती है।और सात्विक से कहती है देखो डर वर तो मुझे लगता नहीं है।उस दिन तो बस समझदारी दिखा रही थी।अर्पिता वहां से चली जाती है।

अच्छा समझदारी दिखा रही थी तुम।तो साबित करो अपनी बात कि तुम किसी से नहीं डरती।ओके।सात्विक ने कहा।

ओके। डन।कह श्रुति चारो ओर देखती है तो उसे बगीचे के दूसरे कौने में क्लास के वो सभी लड़कों का झुंड बैठा हुआ दिख जाता है।श्रुति उनकी तरफ देखती है और सात्विक से कहती है चैलेंज दिया है न तुमने मुझे तो अब देखो मै क्या करती हैं।कह श्रुति आवेश में उठकर वहां जाती है।जैसे जैसे कदम आगे बढ़ाती है तो उनके पूरे ग्रुप को देख उसके चेहरे की हवाइयां उड़ने लगती है।

वो एक बार पीछे मुड देखती है तो सात्विक को अपनी तरफ ही देखता हुआ पाती है।सात्विक के चेहरे पर मुस्कुराहट होती है जिसे देख श्रुति मन ही मन कहती है," श्रुति शेखी बघार कर आवेग में चैलेंज तो ले लिया अब इसे पूरा करेगी कैसे अर्पिता तो गई है कैंटीन।जो अकेली इं सब पर भारी पड़ जाती।और सात्विक महाराज तो तेरी कुछ मदद करने से रहे क्यूंकि चैलेंज तो इसी ने दिया है।अब तो तुझे शुरुआत करनी ही पड़ेगी।नहीं तो लाइफ टाइम डरपोक बोल बोल कर ये तुझे टॉर्चर करता रहेगा।चल श्रुति हो जा शुरू।वैसे भी मै डरती कहां हूं।अर्पिता से भी तो यही कहा था मैंने।

श्रुति एक गहरी सांस लेती है और उनकी तरफ तेज क़दमों से चलने लगती है।लेकिन उनके पास पहुंचते पहुंचते उसका हौंसला फिर से पस्त हो जाता है और वो जाते जाते उनके साइड से निकल जाती है।

वो करीब पांच छात्रों का झुंड होता है।श्रुति को अपने बगल से निकलता देख वो कहते है उस दिन हम सबकी बहुत बेइज्जती कराई थी न इसने।आज इसे ही मजा चखाते है। वैसे भी ये तो डरपोक सी लड़की है इससे कुछ कहेंगे भी तो आगे कोई परेशानी नहीं होनी है। काहे कि ये तो बड़ी दब्बू किस्म की है।

श्रुति को एक तरफ हटता हुआ देख सात्विक की हंसी छूट जाती है और वो श्रुति की तरफ बढ़ जाता है।कुछ कदम चल ही पाया होता है वहीं लड़के श्रुति के आसपास उसे दिखते हैं।वो सभी दो हाथ की दूरी पर खड़े है।

हे श्रुति! श्रुति मिश्रा! आज अकेले अकेले कहां जा रही हो।आगे के दो लड़कों ने श्रुति से कहा।आवाज़ सुनकर श्रुति पीछे पलटती है और कहती है।इससे आपको ...! चुप हो जाती है।

क्या... हमे क्या... आगे बोलेंगी आप।या ज़बान तालु से ही चिपक गई है।

सात्विक श्रुति को खामोश देख उनकी तरफ बढ़ता है।वहीं श्रुति अर्पिता के कहे शब्दों को मन ही मन दोहराती है और आगे बोलती है।...

मै कहीं भी जाऊं इससे आपको क्या...!आपका इससे कोई वास्ता नहीं है सो प्लीज़ अपने काम से काम रखिए।श्रुति एक ही सांस में सब कह जाती है।श्रुति के चेहरे पर डर देख लड़के हंस पड़ते है और कहते है।ये देखो मोहतरमा बाते हिम्मत वाली कर थी है और चेहरे पर डर दिखाई दे रहा है।

छो छवीत....!एक लड़के ने श्रुति का मजाक बनते हुए कहा।अच्छा तो आपको मीठा चाहिए अभी देते है हम अर्पिता ने आते हुए कहा।और फटाक से श्रुति की आगे वाली पॉकेट में से एक पांच वाली फाइव स्टार निकाल कर कहती है ...! भैया ! अब छवीट में तो यही फाइव स्टार है ये लीजिए ये सोच कर खा लीजिए कि एक बड़ी बहन ने अपने छोटे से तुतलाते हुए भाई को बड़े ही प्यार से दी है।क्यूंकि उसे छो छवीत चाहिए थी न। नाउ हैप्पी। लिटिल बॉय।

ठीक है।बाय बाय।चल श्रुति कह अर्पिता उसका हाथ पकड़ कर वहां से चली आती है।सात्विक जो लगभग उन लोगो के पास ही पहुंच चुका था अर्पिता की बात सुन उसकी हंसी छूट जाती है और वो हंसता हुआ उनके पीछे चला आता है।

और उन सब लड़कों का मुंह एक बार फिर से देखने लायक होता है।अर्पिता श्रुति और सात्विक तीनों वहीं अपनी जगह जाकर बैठ जाते है।

जैसे ही तीनों बैठते है श्रुति की हंसी छूट जाती है।और उसके साथ साथ सात्विक की भी।अर्पिता वहीं चुपचाप बैठी रहती है।जब वो दोनो चुप हो जाते है तब अर्पिता बोलना शुरू करती है ---

सात्विक जी।ये क्या था।हमने सब सुना किस तरह आपने श्रुति को चैलेंज किया।क्यूं किया ऐसा। हमे बिना वजह किसी से झगड़ा मोल नहीं लेना चाहिए था।अगर श्रुति उनके सामने कमजोर पड़ जाती तो।ये तो अच्छा था कि जाते जाते आपकी कही हुई बात हमारे कानों में पड़ गई जिससे हम कैंटीन गए ही नहीं। नहीं तो आज कॉलेज जो पढ़ने का स्थल है युद्धभूमि बन ही जाता।क्यूंकि आप भी चल पड़े थे श्रुति के बॉडीगार्ड बन कर।ये नहीं सोचा वो पांच और आप दो।क्या हाल करते वो आपका।

अर्पिता को थोड़ा सा गुस्से में देख सात्विक और श्रुति गर्दन नीची कर लेते है और नीचे ही नीचे गरदन घुमा एक दूसरे की ओर देखते हल्का सा मुस्कुराते है जैसे बहुत मज़ा आ रहा हो सुनकर।

अच्छा ही है हमने आपको अपना मित्र स्वीकार नहीं किया।कर लेते तो घनी मुसीबत में ही पड़ जाते।क्यूंकि हमें तो सरोकार रखना है न पढ़ाई लिखाई से।और श्रुति तुम!!! तुम भी कम नहीं हो।इन्होंने कहा और तुम फटाक से चल पड़ी।बड़ी बहादुर हो न।फिर क्यूं अटक गई थी उनके सामने।अरे ऐसे लोगो के सामने यूं अटक पटक कर बोलोगी तो ये तुम्हारे डर को फौरन पहचान लेंगे।समझ में आई बात या और ज्ञान दे हम।

अर्पिता अपनी बात खतम करते हुए कहती है।उसकी बात कर श्रुति कहती है।आज का कोटा पूरा हो गया अर्पिता।अब कल के लिए बाकी रख लो और खिलखिलाने लगती है।

ओह माय गॉड! मतलब इतना कुछ कहने का रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा।अर्पिता ने अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा।

हां पड़ा है न।फर्क ये कि अब से मुझे कोई कांड ऐसे बिन सोचे समझे नहीं करना है।पूरी प्लानिंग के साथ करना है।श्रुति ने अर्पिता के पास जाकर उसे साइड हग करते हुए कहा।

हे भगवान।ये लड़की है या आफ़त।अर्पिता खुद का ही सर पीट कर खड़ी हो जाती है।

चलो अब घर ही चलते है।तुम तो सुधरोगी नहीं उल्टा हम ही बिगड़ जाएंगे तुम्हारी संगत में।अर्पिता अपना बेग उठाते हुए कहती है।सात्विक के दिल पर अर्पिता की कहीं हुई बात गहरा असर कर जाती है।

न अर्पिता जी आगे से ऐसी गलती नहीं होगी।जिससे मै आपका मित्र बनने के चांस को ही खो दूं।वो खुद ही कहता है।

चलो अर्पिता श्रुति ने कहा।अर्पिता श्रुति और सात्विक तीनों कॉलेज गेट से बाहर आ जाते है और ऑटो पकड़ अपने अपने घर के लिए निकल जाते हैं....!!



क्रमश...