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और मानव धर्म बन ना सका

"---------और मानव धर्म बन ना सका "

नीलम कुलश्रेष्ठ

एक अंतरराष्ट्रीय एन. जी. ओ. ने संयुक्त राष्ट्र संघ के न्यूयॉर्क स्थित कार्यालय के निकट की एक इमारत में स्थित एक कम्पनी के बोर्ड रूम में विश्व के सभी धर्मो के धर्म गुरुओं को आमंत्रित किया.ये एन जी ओ अलग अलग देशों के एक सी विचारधारा वाले संवेदनशील व्यक्तियों का संगठन था.विश्व के किसी भी कोने में धर्म के नाम पर दंगा फ़साद होता तो ये द्रवित हो जाते.धर्मनिरपेक्ष विश्व की कल्पना करने वालों ने इस सम्मेलन का आयोजन इसलिए किया था कि ये धर्मगुरु एक सार्वभौमिक `मानव धर्म` की परिकल्पना व स्थापना करें जिससे धर्म के नाम पर मार काट,लूटपाट बंद हो.

सम्मेलन के उद्‍घाटन के बाद एन. जी. ओ के संस्थापक ने इस सम्मेलन का मंतव्य बताया.हिन्दु, मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, पारसी, जैन, बौध, चीन के धर्म ताओइज़्म व यहूदी धर्म ज़ोदाइज़्म, के गुरुओं ने इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए शान्ति से अपने अपने विचार प्रगट किए. सभी ये जानकार आश्चर्यचकित थे कि सभी धर्मो में मानव सेवा को ही सर्वोपरि रक्खा गया है. एन. जी ओ. के सभी सदस्यों का मन भर आया कि अब विश्व शांति दूर नहीं है.उनका सपना अब ज़रूर पूरा होगा. विश्व के किसी कोने से अब समाचार नहीं आयेगा कि धर्म के नाम पर किसी व्यक्ति ने दूसरे का कत्ल कर दिया.

दूसरे व अन्तिम सत्र में मानव धर्म की परिकल्पना होनी थी.बाबा परुशराम बोले," आप लोगो की सब बातें स्वीकार है लेकिन मानव धर्म पूजा गृह में पूजा तो मूर्ति की होगी."

सिख गुरु कर्तार सिंह जी ने दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए कहा, "नहीं जी,ग्रन्थ साहब से सुंदर तो कोई ग्रन्थ नहीं है इसलिए पूजा तो ग्रन्थ साहब की होगी."

यहूदी प्रीस्ट के साथ आई नन बोली,`ऎसा नहीं हो सकता.हम ये तो नहीं माँग रहे कि मानव धर्म के मन्दिर में यहूदी चर्च में रक्खे जाने वाले हमारे धर्म ग्रन्थ तनाख [हिब्रू बाइबल] की पूजा हो लेकिन हमारे प्रतीक चिन्ह क्यूब जिसमे स्टार ऑफ़ डेविड व सात हथियार बंद मोमबत्ती लेने वाले होते हैं, को मानव धर्म का प्रतीक चिन्ह बनाया जाए."

पारसी प्रीस्ट शांति से बोले,"मृत्यु के बाद सब कुछ अग्नि में स्वाहा हो जाता है इसलिए पूजा तो अग्नि की होगी जैसे हमारे पूजास्थल अगियारी में होती है."

पादरी मिशेल तो उत्तेजना में खड़े हो गए," पूजा किसी की भी करिये लेकिन गले में सबको क्रॉस पहनना पड़ेगा."

बाबा परुशराम फुंफ्कारे,"अरे ! कौन नहीं जानता आप लोग अपने गिरिजाघरो में बच्चो को `क्रॉस `करते रहते हो.गले में रुद्राक्ष या तुलसी की माला मत पहनिये लेकिन मानव मन्दिर में आकर माथे पर टीका लगाना अनिवार्य होना चाहिये."

पादरी इस चोट से तिलमिला गए,`दुनिया में कौन नहीं जानता कि इंडिया के बाबा लोग के आश्रम के बेसमेंट में क्या होता है.? उधर छोकरी के साथ शराब,ड्रग्स की नदिया बहती हैं."

सब भाषाओं के इंटरप्रेटर भी अनुवाद करके बोलते हुए उतना ही चीखने लगे जितने ये धर्मगुरु चीख रहे थे.

बौद्ध धर्म के लामा भी अपनी जगह से उठ खड़े हुए," ` मानव मन्दिर में `बुद्धम शरणम गच्छामि `की सी.डी. बजती रहेगी. सबको ऑफ़िस व शिक्षा संस्थानों में आधे घंटे का मेडिटेशन अनिवार्य होगा."

मौलवी कैसे चुप रहते,"वाह जनाब ! मेडिटेशन कैसे अनिवार्य होगा ?.दिन में नमाज यदि पाँच बार ना पढ़ी जाए तो लोग कम से कम एक बार तो नमाज पढ़े."

बाबा परुशराम मेज पर मुक्का मारकर बोले,"हम हिन्दु होकर कैसे नमाज प ढ़े सकते हैं ?"

मौलवी और लामा ज़ोर से चीखे,"तो हम लोग मानव मन्दिर में माथे पर टीका क्यो लगायेंगे ?"

इस कर्णभेदी बहस में सब धर्म गुरुओं को शांत करने में एन.जी.ओ वालों के छक्के छूट गए.इस सम्मेलन से आया आखिरी समाचार ये है कि सभी धर्म गुरु गुस्से में अपने देशों में लौटकर अपने धर्म स्थलों को शक्तिपीठों में बदलने में और भी व्यस्त हो गए हैं.[दबी छिपी ख़बर ये भी है कि ड्रग्स व हथियार माफ़ियाओं ने बहुत वफ़ादारी से उनसे किया अपना वायदा निबाहा है कि यदि वे `मानव धर्म `नहीं बनने देंगे तो स्विस बैंक में उनके धर्मस्थल का अकाउंट खुलवा देंगे.]

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नीलम कुलश्रेष्ठ

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