Betiya - Sharm nahi samman hai books and stories free download online pdf in Hindi

बेटियाँ - शर्म नहीं सम्मान है.....

1. वो दौर
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न जाने वो कैसा दौर रहा होगा
जब बेटियों के पैदा होने पर
घर गाँव मे सन्नाटा छा जाता था
कहीं मातम भारी शाम होती थी
कहीँ पर बेटियों को दफना दिया जाता था
न जाने वो कैसा दौर रहा होगा।।

बेटोँ की चाह में इंसान अंधा हो जाता था
बेटियों वाले परिवार को कोसा जाता था
घर की लक्ष्मी को बोझ समझा जाता था
एक बेटी की माँ को तड़पाया जाता था
मनहूस और अपशगुन कहा जाता था
न जाने वो कैसा दौर रहा होगा।।

एक दौर की बेटी, रानी झांसी की कहलाई थी
जिसने आज़ादी के लिए लड़ना सिखाया था
एक दौर की एक बेटी ने अंतरिक्ष में
नाम हिंदुस्तान का लहराया था
ये भी उन्हीं दौर की बेटियाँ थीं
जिस दौर में बेटियों को मार दिया जाता था।।

बदलते दौर ने हर किसी को गर्व कराया है
माँ बाप का सिर ऊँचा हो गया है
देश का परचम विश्व मे लहराया है
जहाँ बेटियों ने वो कर दिखाया
जो बेटों से न हो पाया था
वो दौर न जाने कैसा रहा होगा।।

आज चाँद की बुलंदियों से लेकर
खेल के हर छेत्र में नाम कमाया है
गर बचा ली जाती वो बेटियाँ भी तो
वो दौर भी आज मुस्कुरा रहा होता
सम्मान उस दौर का भी होता
वो दौर भी महिलाओं के नाम से जाना जाता ।।
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2. दहेज
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बस्ता हाथ मे देकर बाबा ने पढ़ने भेजा था
कहते थे तू बेटी नही बेटा है मेरा
तू ही मेरी खुशी है तुझसे से मेरा जीवन है
कहते थे तू बेटी नही बेटा है मेरा।।

देख मेरी शरारते बचपन की खुश होते थे
जब होने लगी मैं बड़ी तो यही कहते थे
तू खूब पढ़ाई कर और खूब तरक्की करना
कहते थे तू बेटी नही बेटा है मेरा।।

मैंने भी उम्मीदों को हमेशा ज़िंदा रखा
मेहनत और लगन से पढ़ाई किया
जब मैं अफसर बनी खुश बहुत हुए
और फिर कहा तू बेटी नही बेटा है मेरा।।

कल मेरी बारात वापिस लौट गई
दहेज की मांग थी, बाबा ने ठुकरा दिया
और सिर उठाकर कहा ये हीरा है मेरा
और कहा उनसे ये बेटी नही बेटा है मेरा।।

ये देख वहाँ हर बाबा ने अपनी बेटी से कहा
दहेज के लिए नही कुछ बनने के लिए पढ़ना
बाबा तेरी इस बात पे सम्मान बढ़ गया मेरा
ले मैं कहती हूँ मैं बेटी नही बेटा हूँ तेरा।।
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3. घर की लक्ष्मी
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चंद लम्हों की कहानी थी

इक राजा था इक रानी थी चेहरे पे झलक रही मुस्कान थी
चर्चा हर तरफ जानी पहचानी थी रानी खुश खबरी सुनाने वाली थी

एक किलकारी जो सुनाई दी थी। धड़कने जैसे थम सी गयी थी
बधाई हो ! बधाई हो! राजा साहब बस यही आवाज़ सुनाई दे रही थी

अचानक खुशियाँ मातम सी लग रही थी हर तरफ खामोशी छायी थी राजकुमार की उम्मीद लगाए बैठे थे और यहाँ तो राजकुमारी आयी थी

रानी डरी थी घबराई थी कैसे समझाएगी लोगों को यही सोच रही थी
नौ महीने पाला था एक जान को ,कैसे सबसे नज़रे मिलाएगी

लो आ गया राजा महल में , बिटिया को गोद मे उठा कर बोला
शुक्रिया रानी , राजकुमार मांगा था तुम तो लक्ष्मी लायी हो

मैं उदास था प्रजा के हाल से ,बदहाली से मेरा दिल परेशान है
खुशहाल होगी जनता मेरी , मेरे राज्य में स्वयं लक्ष्मी का निवास है।।
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