बारात दरवाज़े पे थी ।स्वागत में पूरा परिवार था , की तभी दूल्हे (अमन)के घर से फ़ोन आता है कि माँ की तबियत फिर बिगड़ गयी। पड़ोस के चाचा अस्पताल लेकर गए हैं।
असल में माँ की तबियत सुबह सुबह ही खराब हुई थी । लेकिन कुछ दवायों के बाद वो ठीक हो गयी थीं । थोड़ा चक्कर आ गया था और कमजोरी भी हो गयी थी। लेकिन दवाईयों के असर से ठीक थी शायद।
दूल्हे ने बारात में जब इस बात का जिक्र पिता (रूप कुमार) से किया तो , पिता ने बोला " तू यहीं रह , बाकी लोग भी हैं । मैं अस्पताल जाकर आता हूँ । तब तक शादी में किसी को कुछ बोलना मत। "
मौके की नज़ाकत को देख अमन भी शांत रहता है । लेकिन परेशानी चेहरे पे साफ दिख रही थी। और इस बात का अंदेशा अमन की सासू माँ को हो चला था।
उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने अमन से कारण पूछ लिया। पहले तो अमन कुछ नहीं हुआ कह कर बात को टालने की कोशिश कर रहा था।
बहुत ज़िद करने पर अमन ने पूरी घटना को बताया । कुछ देर के लिए तो सन्नाटा छा गया। फिर अमन के ससुर ने बोला कि ऐसी स्तिथि में शादी करना तो ठीक नहीं है।
इतना सुनकर अमन की होने वाली पत्नी रिया ने भी हिचकिचाते हुए अपने पिता से कहा कि, " पापा वो भी मेरी माँ हैं , और मैं कैसे खुश रह सकती हूँ , जब मेरी माँ परेशान हैं।"
रिया ने अस्पताल चलने की बात कही। एक बार तो दूसरे बड़े लोगों ने कहा कि अमन के पिता अस्पताल में हैं। एक बार शादी हो जाये तो अस्पताल जाना चाहिए। इस तरह बीच रसम के शादी से उठना ठीक नहीं है।
असमंजस की स्तिथि थी, क्या करें ?? इसी बीच रिया की माँ ने कहा, " शादी अमन की माँ से ज्यादा जरूरी नही हैं। और मुझे मेरी बेटी की बात पे भी गर्व है । और हमे अस्पताल जाना चाहिए। "
इतना कहकर अमन , रिया , और रिया की माता पिता अस्पताल जाते हैं। जाने से पहले रिया के पिता सबसे कहते हैं कि , "कृपया सभी लोग यहीं रहें हम जल्द ही लौटेंगे। "
शादी में मौजूद कुछ बड़े लोगों ने भी समझदारी दिखाई और शादी के कार्यक्रम से किसी के न जाने की विनती की।
सभी लोग जब अस्पताल पहुँचते हैं तब अमन के पिता हैरान होकर बोलते हैं कि इस तरह से शादी छोड़कर नहीं आना था। लेकिन रिया के पिता उन्हें गले लगा लेते हैं।
रिया की माँ को डॉक्टर देख रहे थे। कि तभी एक डॉक्टर ने कहा कि इन्हें खून की कमी है , जिस वजह से इन्हें चक्कर आ गया। और अभी तुरंत खून की आवश्यकता है।
बातों बातों में पता चला कि रिया की माँ का ब्लड ग्रुप अमन की माँ के ब्लड ग्रुप से मैच करता है। रिया भी अमन की माँ के पास जाकर पैर छूती है और कहती है , माँ मेरी मांग में सिंदूर आपके आशीर्वाद के बाद ही जायेगा।
और फिर डॉक्टर रिया को बाहर बैठने के लिए कहते हैं। अस्पताल में हर कोई रिया को दुल्हन के जोड़े में देख हैरान थे। और इसी बीच रिया की माँ को खून देने के लिए अंदर ले जाया जाता है।
अमन की माँ को होश आ जाता है, और वो सारी बात जानकर हैरान हो जाती है । तभी डॉक्टर अमन की माँ के स्वस्थ होने की बात करते हैं ,लेकिन अस्पताल से छुट्टी के लिए 3 दिन कहतें हैं ।
शादी के जोड़े में दुल्हन और दूल्हे को देख अस्पताल प्रशासन काफी हैरान होता है , कि आज के ज़माने में भी ऐसे परिवार हैं। असल मे तो दो परिवार का मिलन इसे ही कहतें हैं।
मौके की नजाकत और इस स्नेह भरे रिश्ते को देख , अस्पताल प्रशासन अमन की माँ को भी शादी में जाने की इजाज़त देतें हैं और साथ मे एक एम्बुलेंस और एक डॉक्टरों की टीम भी जाती है ।
शादी के मंडप में पहुंच शादी शुरू होती है। और सिंदूर लगाने से पहले अमन और रिया अमन की और रिया की माँ का आशीर्वाद लेते हैं।
और शादी होने के बाद सभी लोग रिया के अस्पताल जाने के फैसले की प्रशंसा करते हैं।
तीन दिन बाद अमन की माँ को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। इत्तेफ़ाक़ भी कैसा था , जो माँ बहु के स्वागत की तैयारी कर रही थी उसका स्वागत उनकी बहू कर रही है।
अमन की माँ भी जब घर पहुंचतीं हैं तब वो रिया को बहु नहीं बेटी कहकर गले लगा लती हैं।
सतेंदर तिवारी