Rail ka safar books and stories free download online pdf in Hindi

रेल का सफर

ये कहानी काल्पनिक हैं और इसके किरदार भी काल्पनिक हैं।


किरदार -
दो अजनबी दोस्त रिया और अजय।।

कहानी ????
पढ़कर बताएँ कैसी लगी।।

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रीति और अजय दो दोस्तों की कहानी है ये।जिनकी दोस्ती एक रेल के सफर के दौरान हुई थी। आज कई सालों के बाद दोनों फिर रेल गाड़ी में है लेकिन साथ नही और अगर कुछ साथ है तो बस सिर्फ यादें और उन्हीं यादों को अपने साथ मे बैठे यात्रियों को अपनी दोस्ती की कहानी सुनाते हैं।

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रीति,-----" बात आज से दस साल पहले की है जब मैं चंडीगढ़ से चेन्नई जा रही थी। सफर लंबा था और मैं अकेली थी। सोच रही थी कि कैसे ये सफर कटेगा की तभी एक आवाज़ आती है कि ये मेरी सीट है।

अजय,-----" वो लड़की जैसे चौंक गए और कहा माफ कीजियेगा मुझे खिड़की के पास बैठना अच्छा लगता है। आप लीजिए आपकी सीट। की तभी मैंने कहा , कोई बात नही आप बैठ जाइए मुझे कोई दिक्कत नही है।

रीति,-----" फिर काफी देर तक सन्नाटा छा गया, और तभी चाय चाय मसाला चाय बोलते हुए एक चाय वाला वहां आया और हम दोनों ने चाय भी ली।

अजय,----" हा हा ?? चाय पी तो चर्चा शुरू होनी थी , पता चला वो लड़की चेन्नई जा रही थी और मैं भी।। और हम दोनों में इस तरह बातचीत शुरू हुई जो चेन्नई तक चली।


रीति ,-----" चेन्नई पहुचते पहुचते हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गयी थी। हम दोनों एक दूसरे का मोबाइल नंबर लेते हुए एक दूसरे को bye बोला दिया।

और फिर हर रोज़ फ़ोन पर बात होने लगी। अरे मैंने तो बताया ही नही कि अजय को असल मे बैंगलोर जाना था तो वो वहाँ चला गया था।

अजय,-----" फिर मेरी कंपनी में एक जॉब निकली और मैने रिया को इसके बारे में बताया तो उसने apply किआ और वो भी बैंगलोर आ गयी थी। अब हम रोज़ मिलने भी लगे थे।

रीति,-----" हम दोनों खूब बातें करते थे , एक साथ लंच करते थे , मानो दोस्त नही पति पत्नी हों। हा हा ।। ऐसे ही समय बीत रहा था और दो साल गुजर चुके थे।

अजय,-----" एक दिन रीति ने अचानक में कहा कि उसे चंडीगढ़ वापिस जाना पड़ेगा , उसके पापा की तबियत थोड़ी ठीक नही है । मुझे तो जैसे सदमा ही लग गया था । फिर तीन दिन बाद रीति चंडीगढ़ वापिस लौट गई।

रीति,-----" पापा की तबियत भी खराब थी , और अब अजय के बिना भी मन नही लगता था। पता नही शायद प्यार हो गया था या पता नही क्या था।

साल भर लगे पापा को ठीक होने में और इसी बीच पिछले 6 महीनों में कोई बातचीत भी अजय से नही हो पाई थी।

अजय,----" आज 8 साल बीत चुके हैं रीति से बिछड़े हुए , और कोई खबर नही है उसकी। जब कोई यात्रा करता हूँ तो सोचता हूँ शायद इसी तरह फिर कभी मुलाकात हो जाये।

रीति,-----" लेकिन अब मुलाकात मुमकिन नही । बस जहां भी हो वो अजनबी जो एक ट्रेन में मिला था , दिल मे बस गया था , खुश रहे।

और इस तरह रीति और अजय दो अलग अलग रेल गाड़ियों में सफर करते हुए एक दूसरे से मुलाकात की कहानी अपने साथ बैठे यात्रियों को सुनाते हैं।
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सतेंदर कुमार तिवारी
Satender_Tiwari_Brokenwords

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