1.जय जवान
तू वीर है, तू चट्टान है, तू मेरा अभिमान है
तू ही पहचान मेरी है, तू मेरा स्वाभिमान है।।
कुछ लिखकर गर अदा कर सकूँ तेरा कर्ज़
मेरा सुकूने ज़िन्दगी पर जो तेरा एहसान है।।
इस बार जश्न आज़ादी का रक्षाबंधन संग आया है
बेख़ौफ़ मनाएंगे जश्न हम इसमें तेरा ही योगदान है।।
दुश्मन की क्या मजाल जो आँख उठाकर भी देख ले
तेरे शौर्य का कायल तो पूरा विश्व, सारा जहान है।।
शब्दों में तेरा कैसे धन्यवाद करूँ , पता नहीं
तू ही मेरा गर्व है , तुझसे ही तो हिंदुस्तान है।।
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2.शाँत और शैतान
दो दोस्त थे
एक का नाम शांत था दूसरे का शैतान
शांत बड़ा शैतान था ,शैतान तो शाँत था
अक्सर शैतानियां शाँत करता था
फँसता हर बार बेचारा शैतान था।।
शैतान बेचारा सीधा साधा यही सोचता
कि मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है??
ये हर शैतानी का इल्ज़ाम भला
मुझ पर ही क्यों आता है ??
उसको क्या पता था शैतान ,नाम का दोष है
क्योंकि हर शैतानी तो शाँत ही करता था
कोई पूछ ले शैतान कौन है यहाँ
तो इशारा भोले शैतान पर ही जाता था।।
शैतान को पता था शाँत बड़ा शैतान है
लेकिन क्या करे शाँत जिगरी यार भी था
इसलिए शैतान, शाँत की शैतानियाँ सहता था
तभी तो शाँत शैतान और शैतान शाँत था।।
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3.सोचो ज़रा
सोचो कि एक सुबह तुम उठो
और तुम्हारे मोबाइल में एक msg हो
उसमे लिखा हो शुक्रिया तुम्हारा
मैं ठीक ठाक पहुँच गया हूँ।।
तुम हैरानी से इधर उधर देखो
और सोचो भला ये msg किसने भेजा
न भेजने वाले का नाम हो न पता हो
और तुम परेशान नही मगर हैरान हो।।
तुम आगे उस msg को पढ़ते हो
और फिर परेशान होते हो पढ़कर
कि ये सब तुम्हारे विश्वास का ही फल है
कि आज मेरे कदम मेरी मंज़िल पे है।।
शुक्रिया दोस्त तुम्हारे उस भरोसे का
शुक्रिया उन सब की मेहनत का
जिन्होंने मुझे इस लायक बनाया
और मुझे मेरी मंज़िल पे पहुँचाया।।
वादा है मेरा जब मैं लौटूंगा वापिस
तुम्हारा चेहरा मुस्कुरा रहा होगा
शान तुम्हारी ऊँची होगी बढ़ेगा विश्वास तुम्हारा
मैं कोई और नही ,हूँ चंद्रयान 2 तुम्हारा।।
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4. गरीब
अंधेरे की चादर ओढ़े शाम आयी है
घर से जैसे कोई उम्मीद आयी है
लौटेगा बाबा कुछ लेकर आज
लेकिन किस्मत आज भी रूठी आयी है।।
निकला था ये बोलकर घर से आज
रोटी नही आज पकवान खाएंगे
लकीरों में आज रोटी भी नही आई है
किस्मत मेरी आज भी रूठी आयी है।।
चेहरा छुपाऊँ या आज घर न जाऊँ
सवालों के उलझन में शाम आयी है
भूख नही बाबा आज आवाज़ आयी
तुम आजाओ बस इतना काफी है।।
आँख से गिरते आँसू क्या समझेंगे
पर न जाने क्यूँ ये बूंदे छलक आयी है
अधूरी रह गयी उम्मीदें आज भी
किस्मत मेरी आज भी रूठी आयी है।।
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5. बचपन
चलो फिर एक बार मिलते हैं
थोड़ा तुम कहना
थोड़ा हम सुनाते हैं
चलो एक शाम सजाते हैं।।
खेले थे बचपन में जो खेल
इस मिट्टी में मिलकर
चलो वो बचपन बुलाते हैं
चलो एक शाम सजाते हैं।।
संग बैठ थोड़ा बतियाते हैं
बचपन की शरारतों से
चल साथ मिलकर आते हैं
चलो एक शाम सजाते हैं।।
याद है वो पतली वाली गली
जहाँ यारों संग खिलखिलाते हैं
उस गली को याद कर मुस्कुराते हैं
चलो एक शाम सजाते हैं।।
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6.परछाई
इस बार भी वही कहानी थी
मैं था और मेरी तन्हाई थी
कोई था साथ में, न जाने कौन
पलट के देखा तो मेरी परछाई थी।।
सोचा थोड़ा पागल पंती की जाए
परछाई से उसका हाल पूछा जाए
तुझे देख अकेला तेरे पास आई हूँ
मैं तो तेरी ही परछाई हूँ।।
मेरा हाल तेरे हाल से जुदा नही है
मेरा भी वही हाल है जो तेरा है
तू मुस्कुराये तो मैं हस्ती हूँ
मैं तो तेरी ही परछाई हूँ।।
बड़ी बड़ी बातें सुन मैं भावुक हो गया
परछाई से ही जैसे दिल लगा बैठा
अंधेरा होते ही परछाई दगा दे गई
बड़ी बड़ी बातें हवा हो गई।।
फिर से अकेला खामोश बैठा था
परछाई की बातों पे हंस रहा था
इस अंधेरे में फिर वही कहानी थी
मैं था और मेरी तन्हाई थी।।
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7. दहेज
बस्ता हाथ मे देकर बाबा ने पढ़ने भेजा था
कहते थे तू बेटी नही बेटा है मेरा
तू ही मेरी खुशी है तुझसे से मेरा जीवन है
कहते थे तू बेटी नही बेटा है मेरा।।
देख मेरी शरारते बचपन की खुश होते थे
जब होने लगी मैं बड़ी तो यही कहते थे
तू खूब पढ़ाई कर और खूब तरक्की करना
कहते थे तू बेटी नही बेटा है मेरा।।
मैंने भी उम्मीदों को हमेशा ज़िंदा रखा
मेहनत और लगन से पढ़ाई किया
जब मैं अफसर बनी खुश बहुत हुए
और फिर कहा तू बेटी नही बेटा है मेरा।।
कल मेरी बारात वापिस लौट गई
दहेज की मांग थी, बाबा ने ठुकरा दिया
और सिर उठाकर कहा ये हीरा है मेरा
और कहा उनसे ये बेटी नही बेटा है मेरा।।
ये देख वहाँ हर बाबा ने अपनी बेटी से कहा
दहेज के लिए नही कुछ बनने के लिए पढ़ना
बाबा तेरी इस बात पे सम्मान बढ़ गया मेरा
ले मैं कहती हूँ मैं बेटी नही बेटा हूँ तेरा।।
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