हिंदी कविता कहानियाँ मुफ्त में पढ़ेंंऔर PDF डाउनलोड करें होम कहानियां कविता कहानियां फ़िल्टर: श्रेष्ठ हिंदी कहानियां गुलदस्ता - 6 द्वारा Madhavi Marathe ३१ साँझ की बेला में रात की रानी का सुगंध आया आँगन के कोने में महकती उसकी छाया सुगंध से जुडी यादों का सिलसिला भी छलछलाता ... में और मेरे अहसास - 86 द्वारा Darshita Babubhai Shah मैं और मेरे कृष्णा कृष्ण की दिवानी बांसुरी आज दिवाना बना रहीं हैं lकृष्णा की आश में वन उपवन सुरों से सजा रहीं हैं ll कुछ ज़ख्म सयाने हो ... गुलदस्ता - 5 द्वारा Madhavi Marathe २४ जस्मिन के लता मंडप में कितने फुल गिर गए धरती पर गिरे बारिश पर सजकर बैठ निखर रहे पंख फडफडाते गुनगूनाते चिडियाँ आती जाती जस्मिन की खुशबू भरे ... मेरे अल्फाज़ द्वारा Desai Pragati 1] प्रकृति प्रकृति को ख़रीद ने चला हे इंसान,जिसकी गोद में बड़ा हुवा उसीका भूल के अहेसान.कुदरत की दी गई चिज़ो पर हक जमाने चला हे,विपता के लिए फिर ... गुलदस्ता - 4 द्वारा Madhavi Marathe गुलदस्ता - ४ २० खुले मैदान में जब बिजली चमकी तब होश गवाँकर मैं उसे देखतेही रह गई क्या उसका बाज चापल्य से किया हुआ चकाचोंध शुभ्रता का ... में और मेरे अहसास - 85 द्वारा Darshita Babubhai Shah रेत का महल बसाया था l खूबसूरत आशियाना था ll साथ साथ जीने के लिए l अरमानो से सजाया था ll देखने वाले भी रश्क करे l ... मुक्त हो जाना चाहा मैने द्वारा Suman Kumavat हाँ.. मुक्त हो जाना चाहा मैने सारे स्नेह बंधनो से अपने ही बनाये तमाम घेरो से और तुम्हारे बनाये मर्यादा की चौखटों से मुक्त होकर उड़ जाना चाहती हूँ ... गुलदस्ता - 3 द्वारा Madhavi Marathe १४ परबतों के पैरोंतले एक साँस रुक गई ऊँची चोटियाँ देख के मन की उमंग थम गई परबत चोटियों के लंबे कठिन रास्ते कही चुभ न ... कविता संग्रह द्वारा दिनेश कुमार कीर 1 बिछड़न......... जब अगले साल यही वक़्त आ रहा होगा... ये कौन जानता है कौन किस जगह होगा... तू मेरे सामने बैठा है और मैं सोचता हूँ... के आते ... शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - 7 द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया दोहा होरी के हुड़दंग में सब यैसे हुरयात ऊँच नीच छोटे बड़े आपस में मिलजात एक दूजे को परस्पर जब हम रंग लगात मूठा ... गुलदस्ता - 2 द्वारा Madhavi Marathe 8 तुफानों के लपेट में आकर बिखरते बिखराते दौडते जाए सपन सलोनी परी देश में बादल ... हम तो सोच रहे थे भैया अब अच्छे दिन आएंगे द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया हमको यह मालूम नहीं था एक दिन हम पछताएंगे ! हम तो सोच रहे थे भैया अब अच्छे दिन आएंगे !! मुझको यह मालूम नहीं था, ऐसे भी ... में और मेरे अहसास - 84 द्वारा Darshita Babubhai Shah जन्म मरण का खेल है जिंदगीसुन बन्दे ख़ुदा की करले बंदगी हथेलियाँ खाली होती है जाते वक्तजीवन में हो सके तो रख सादगी बहुत कुछ पीछे छूट रह जाता ... शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - 6 द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया बड़े लाड़ दुलार सें पालौ जीऐ , पार पलना झुलाओ कबहूँ गोद लई! देके स्लेट पढ़ाओ जीए अ आ ई , जिद्द पूरी करी जो कबहूँ खीझ गई! जाकी छींक ... गज़ल द्वारा pradeep Kumar Tripathi हमारी ग़जल है हमारी ग़जल है तो हमें सुनाईएगाउनसे तो कह दो की बस आईएगा हमारा है जिक्र और हमारा रहेगाआप का जो आए तो मुकर जाईएगा हमारी ग़जल ... शब्द नहीं एहसास है - 2 द्वारा Shruti Sharma ----- आज भी इन्तेज़ार है -----जो सबको मिल जाता है अक्सर बचपन में उस दोस्त का मुझे आज भी इन्तेज़ार है। स्कूल में जो तुम्हारे साथ बैठेसाथ आए और ... घूंघट काये उघारें, ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया बुन्देली कविता घूंघट काये उघारें ! ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें! रूखे बार कजर बिन अखियां भीतर सें मन मारें! ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें! कैसीं हो अनमनी तुम्हाई सूरत ... शैलेन्द्र बुधौलिया के दोहे द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया भारत से लाहौर भई बस सेवा प्रारंभ ! ख़ुद खों ऊंचों जान के भओ नवाज़ को दंभ !! 18 उत लाहौरी लाल सें मिलो अटल को हाथ ! इतें ... साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है ! द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है ! किस साल बदला है मेरा हाल नहीं बदला है , सीता सागर या तरणताल नहीं बदला है ! दिल्ली- पंजाब ... धीरू भाई अम्बानी द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया धीरू भाई अम्बानी को समर्पित धरती पे धन के धुरंधर थे धीरुभाई धन धाम धरम धरा पे छोड़ के गए! धीरे-धीरे धीरज से धन जो कमाया था वो ... हरिवंश राय बच्चन द्वारा अमिताभ बच्चन द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया हरिवंश राय बच्चन जी को समर्पित सुत को 'सरस्वती' ने स्वयं सिखाये शब्द शब्द-शब्द में स्वरूप सत्य का समा गये! पुण्य से 'प्रताप' के प्रवर्तकों से प्ररेणा ले ... शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - 5 द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया प्यार की कहानी (15 ) सुनलो मैं अपने प्यार की कहता हूँ कहानी! गुजरी जो इश्क-ऐ – दिल पे वो है अपनी जुबानी ! कुछ रोज साथ साथ गुजारे ... में और मेरे अहसास - 83 द्वारा Darshita Babubhai Shah आँखों की बारिश में भीगना चाहते हैंयादों की बारिश में भीगना चाहते हैं राह ए जिंदगी में कहानी दिल में दबीवादों की बारिश में भीगना चाहते हैं इश्क़ ए ... शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - 4 द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया ।।। विदाई ।।। (13) जाना ही है तो जाओ । जो रुक ना सको तो जाओ ।। नियति गमन है जाओ । पर शपथ मिलन की खाओ ... लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी दतिया गौरव गान द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया दतिया गौरव गान (1) सुनो सुनों दतिया का गौरव गान सुनो, इसमें बसता सच्चा हिन्दुस्तान सुनो यहां सिंघ की निर्मल धारा नित कल कल करती है ये ... शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - 3 द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया ।।।आत्मबोध।।। (11) मैं समय के पूर्व कुछ कहने लगा था । अपनी धारा में स्वयं बहने लगा था ।। भावना का वेग था उलझा हुआ । कुछ ... एकांत द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया ।।। एकांत ।।। (1) .................. सब ने देखा फूल सा खिलता सदा जिसका बदन । कोई क्या जाने कि वह कैसे जिया एकांत में ।। ... शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - 2 द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया ।।। दिल की बात ।।। (5) .................. जुवां पर आकर थम जाती है कैसे कह दूँ दिल की बात । कोई भी मरहम न दे सका सभी ... शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - 1 द्वारा शैलेंद्र् बुधौलिया ।।। एकांत ।।। (1) .................. सब ने देखा फूल सा खिलता सदा जिसका बदन । कोई क्या जाने कि वह कैसे जिया एकांत में ।। ... में और मेरे अहसास - 82 द्वारा Darshita Babubhai Shah शुक्रराना अदा करते हैं साथ निभाने काबहोत शुक्रिया पर वक्त साथ बिताने का कई बार इज़हार करते सदियाँ गूजरती हैदाद देते कि समय रहते प्यार जताने का हम रूठ ... हर सांस पे मेरी द्वारा बैरागी दिलीप दास (१)माँ तू ने सबकुछ दिया हमें,तेरे बिना जग सुना सा था।आंसू तेरे ही थे मेरे,हर सांस में बस तू ही समाई।तेरी जागीर बस मेरी जिंदगी ,मेरे आगे तेरे लिए ... में और मेरे अहसास - 81 द्वारा Darshita Babubhai Shah सोच रहा हूँ किस और जिन्दगी ले जा रही हैक्या चैन और सुकून की साँस भी पा रहीं हैं चले जाने वाले मुड़कर कभी भी नहीं लौटातेउदासी रात और ...