कविता कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Poems in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures. Th...Read More


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ख़्वाबों की दुनिया में खो जाऊं By shweta

"मेरी उदाशी तुमे केसे नजर आयेगी ,तुम्हे देखकर तो हम मुस्कुराने लागते है.....️*********************************************************मर्द को बीवी का प्यार पाने के लिए कामयाब होना...

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में और मेरे अहसास - 114 By Darshita Babubhai Shah

क़ायनात में दिलों से नफ़रतों को मिटाते चलो l प्यार मोहब्बत के धर धर दिये जलाते चलो ll   हरएक की अपनी मुसीबत अपना फ़साना है l जीनेकी राह दिखे वो फ़साना गुनगुनाते चलो ll  ...

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शायराना फिज़ा... 3 - इत्तेफ़ाक By Utpal Tomar

o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o~तेरा जुनूँ ~मैं तुझे जीने का सहारा नहीं, जीने की वजह बनना चाहत चाहता हूँ ||मैं तुझे आसमानी ख्वाब नहीं ,मेरे दिल की ज़मीनी हकीक...

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पिता : मेरे सच्चे दोस्त By Dev Srivastava Divyam

आज की रात मैं,फिर से बहुत रोया हूं ।उस दिन को याद कर, अंदर से मैं टूटा हूं ।वो तुम्हारा प्यार मेरे लिए, कि लड़ जाते थे दुनिया से ।जब डांटे माता श्री मुझे तो,बीच में आकर उनसे बचाते...

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कृष्ण-अर्जुन संवाद By Dev Srivastava Divyam

हमारा दृष्टिकोणअर्जुन था बैठा शीश झुका कर,गाण्डीव को फेंक इस कुरुक्षेत्र में ।नहीं लड़ना था उसको अपने,सगे संबंधियों के विरोध में ।कृष्ण ने तब आकर के तुमको, गीता का था ज्ञान दिया ।क...

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मेरे सखा, मेरे राम By Dev Srivastava Divyam

बैठा था मैं आंखें मूंद,भजन करता अपने राम लला का ।विश्वास न हुआ इन आंखों पर,जब साक्षात चेहरा दिखा उनका ।बैठे थे वो आकर सामने,सिर पर मेरे हाथ था उनका ।मैं बस ताक रहा था उनको,होकर के...

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प्रेम की परिभाषा : कृष्ण और राधा By Dev Srivastava Divyam

*_प्रेम की परिभाषा : कृष्ण और राधा_* पहली बार जब राधा आई,गोकुल अपने पिता के संग ।नजर उनकी पड़ी कान्हा पर,ओखल से बंधे थे जिनके अंग ।प्रथम मिलन में हो गई वो मोहित, कृष्ण की उस मासूमि...

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कोहराम By Dev Srivastava Divyam

सुबह हुई, सूरज उग आया ।रोते हुए उसने रात को बिताया ।आंखों के सामने उसके,अंधेरा अब था छाया ।क्या करे वो उसको कुछ,समझ नहीं आ रहा था ।परिवार ही उसका उसको,समझ नहीं पा रहा था ।आंसू बहते...

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जीवन सरिता नोन - ९ (अंतिम भाग) By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

सप्तम अध्याय दूर हुआ भ्रम, जाग गई ज्‍यौं, अपने अस्‍त्र संभाले। तोड़ा कुड़ी का दर्रा- पाठा,तब आगे के पथ हाले।। सोचो क्‍या मनमस्‍त यहां, हर लीला है न्‍यारी। चलते रहना ही जीवन है,कुछ...

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मी आणि माझे अहसास - 98 By Darshita Babubhai Shah

इच्छांचा सागर दूरवर पसरला आहे. एका इच्छेने पृथ्वी आणि स्वर्गाला स्पर्श केला आहे.   एक सौंदर्यवती आहे जिने आज सर्वस्व लुटले आहे. बघा, भावनांचे जहाज समुद्राच्या मध्यभागी बुडत आह...

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लड़के कभी रोते नहीं By Dev Srivastava Divyam

आया था मैं जब दुनिया में,मां बाप मेरे थे मुस्करा उठे ।इकलौता ऐसा दिन था जब रोता देख मुझे,वो दोनों थे खुश हो रहे ।क्योंकि उसके बाद फिर कभी आई नहीं,आंखों में आंसू की धार मेरे ।चलने क...

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सक्स By Nikunj Patel

एक छोटीसी कहानि है जो हमने कविता मे पिरोई है,कहानी उनपे है जो अपनों के लिए अपने घर से दूर रहते है। और अपनों और ज़िम्मेदारी के बिच जुजते रहते है।पप्पा पकडे रखना सायकल, छोड़ ना मत वर्न...

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कोई नहीं आप-सा By उषा जरवाल

मेरे पापा शिक्षक थे | बचपन से ही देखती आई थी कि पूरे गाँव के लोग उनका काफी सम्मान करते थे | जिधर से भी निकलते थे वहीँ लोग हाथ जोड़कर 'गुरुजी नमस्ते', गुरुजी प्रणाम' कहे बिना आगे नही...

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एक एहसास By Shefali

(१) मेरी हरकतें   कभी कभी बस यूँही,महसूस करती हूँ तुझे।  अपने बालों को,धीरे से हटाकर शरमा जाती हूँ।।  अपनी आँखों को,आईने में देखकर पलकें झपकाती हूँ। फ़िर एक प्यारी-सी मुस्कान के सा...

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शायरी - 17 By pradeep Kumar Tripathi

हर कसमें, हर वादे, हर वफा, की हमें कीमत मिली।मौत भी मुझे आई तो कमजर्फ के गलियों में।।अप तो अपनी जान पहचान पर ध्यान दीजिए हमसे जो भी एक बार मिला वो तो मेरा हो गया आप की खामोशी ही वज...

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कविता संग्रह By Kaushik Dave

"कविता संग्रह"'मन के विचार 'सोचता हूं क्या करूं?मन के विचारों को कैसे व्यक्त करूं?दुनिया है ऐसी जहां अच्छे शब्दों ही हमें अच्छे लगते हैं और कटु शब्दों से ही नुकसान सोचता हू...

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मेरे शब्दों का संगम By DINESH KUMAR KEER

1.किताब की दोस्ती बहुत कमाल की होती हैं...बात तो नहीं होती, पर बहुत कुछ सिखाती हैं...!2.शिक्षा का मुख्य उद्देश्य स्पष्टीकरण देना नहीं है,बल्कि मन के दरवाजे खटखटाना है...! 3.वह पथ क...

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मनु भाकर की सफलता के पीछे By Dr Yogendra Kumar Pandey

ओलंपिक में मनु भाकर की सफलता के विशेष हैं मायने        आज कवि मौजीराम बहुत प्रसन्न हैं। भारत की बेटी मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में कांस्य पदक जीता है।  ...

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हाल ए दिल By DINESH KUMAR KEER

1.बिखरे कितने गम है जमाने में हर एक आंख नम है जमाने में इन्सान ही इन्सान के काम आएगा तौबा कैसे वहम है जमाने मेंभीड़ अपनों की बहुत है लेकिन तन्हा तन्हा आलम है जमाने में तीसरा कोई नज...

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एहसास ए ख़ास By Manshi K

रात की चादर ______________ रात की चादर से लिपट रही हूँ, अंधेरे से खुद को छुपा रही हूँ। खुशियों की राहें अब गुम हो गईं, मेरे दिल की धड़कनें धीमी हो गईं।सपने जो कभी रंगीन थे मेरी नजर...

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धरती-आकाश By sarita baghela

स्वरचित, मौलिक, मानवेतर लघुकथा=धरती-आकाशधरती भूक्का फाड़कर रो रही थी, आकाश ने जब रोने का स्वर सुना तो उससे रहा नहीं गया। धरती की ओर देखा।धरती तुम क्यों रो रही हो,.... क्या हुआ...

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सपने बुनते हुए - 3 By Dr. Suryapal Singh

42. तुम्हीं बताओ मेरी आत्मा थी मनस्वी केवल बिटिया नहीं थी। आत्मा बिना क्या कोई जीवित रह पाता है? तुम कहते हो मैंने तिल-तिल आत्मघात किया मुझे जीना चाहिए था अपने लिए, पति के लिए, समा...

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एक हटिल दरार By Narayan Menariya

एक हटिल दरार... पुस्तक 2015 में मेरे द्वारा लिखित कुछ कविताओं में से छः कविताओं का संग्रह है। प्रथम कविता - में कवि उन सब कारणों का वर्णन कर्ता है जिनकी वजह से एक प्रेमी और उसकी प्...

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उत्तरायण - 2 By Choudhary SAchin Rosha

१. पत्थर दिल डर के बिना कठोरता का कोई अस्तित्व ही नहींपर कठोरता को निष्ठुरता या निर्दयता तुम समझना नहीं कठोरता गुण है पदार्थ का,ऊर्जा का नहीं।भ्रम से निकल सचिन, क्योंकि कठोर हृदय य...

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एहसास ए कविताएं.. By Manshi K

1 . यादें लेते जाना.... कभी आंसुओ तले दबी थी मैं हंस कर गम का घूंट पी थी मैंमालूम नहीं कहां खो गया वो पल वो लम्हा जो मेरा हुआ करता थाक्यूं ख़ामोश हो गया तक़दीर मेरा शायद गलती मेरी...

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बीते दौर की बीती यादें By Er.Vishal Dhusiya

1 रहट पद्धति कहाँ गई रहट पद्धति की सिंचाई कुँए से पानी भर आई बैल कोल्हू को जोड़ आपस में होती खेतों की सिंचाई कहाँ गई रहट पद्धति की सिंचाई शृंखला में बाल्टीयां बँधी बैलें गोल चक्कर...

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कविताएं By Urvi Vaghela

poems by Urvi Vaghela. All poems are written by poetess herself. It's not copy from any sources. These poems are beginning of her journey. 1.भोलापन उस दिन धूप मेंस्कूल मेंनए स्...

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आह्वान प्रेम का - 2 By Choudhary SAchin Rosha

आह्वान प्रेम का 1. बड़े शातिर हो तुम, जोयूं जा रहे हो मुझे इश्क की लत लगाकरपर क्या जताना चाहते हो,अपना ख्याल रखना अब मुझे यह कहकरकि फिक्र करते हो मेरे लिएमेरी फिक्र की तुम फिक्र ना...

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ख़्वाबों की दुनिया में खो जाऊं By shweta

"मेरी उदाशी तुमे केसे नजर आयेगी ,तुम्हे देखकर तो हम मुस्कुराने लागते है.....️*********************************************************मर्द को बीवी का प्यार पाने के लिए कामयाब होना...

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में और मेरे अहसास - 114 By Darshita Babubhai Shah

क़ायनात में दिलों से नफ़रतों को मिटाते चलो l प्यार मोहब्बत के धर धर दिये जलाते चलो ll   हरएक की अपनी मुसीबत अपना फ़साना है l जीनेकी राह दिखे वो फ़साना गुनगुनाते चलो ll  ...

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शायराना फिज़ा... 3 - इत्तेफ़ाक By Utpal Tomar

o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o~तेरा जुनूँ ~मैं तुझे जीने का सहारा नहीं, जीने की वजह बनना चाहत चाहता हूँ ||मैं तुझे आसमानी ख्वाब नहीं ,मेरे दिल की ज़मीनी हकीक...

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पिता : मेरे सच्चे दोस्त By Dev Srivastava Divyam

आज की रात मैं,फिर से बहुत रोया हूं ।उस दिन को याद कर, अंदर से मैं टूटा हूं ।वो तुम्हारा प्यार मेरे लिए, कि लड़ जाते थे दुनिया से ।जब डांटे माता श्री मुझे तो,बीच में आकर उनसे बचाते...

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कृष्ण-अर्जुन संवाद By Dev Srivastava Divyam

हमारा दृष्टिकोणअर्जुन था बैठा शीश झुका कर,गाण्डीव को फेंक इस कुरुक्षेत्र में ।नहीं लड़ना था उसको अपने,सगे संबंधियों के विरोध में ।कृष्ण ने तब आकर के तुमको, गीता का था ज्ञान दिया ।क...

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मेरे सखा, मेरे राम By Dev Srivastava Divyam

बैठा था मैं आंखें मूंद,भजन करता अपने राम लला का ।विश्वास न हुआ इन आंखों पर,जब साक्षात चेहरा दिखा उनका ।बैठे थे वो आकर सामने,सिर पर मेरे हाथ था उनका ।मैं बस ताक रहा था उनको,होकर के...

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प्रेम की परिभाषा : कृष्ण और राधा By Dev Srivastava Divyam

*_प्रेम की परिभाषा : कृष्ण और राधा_* पहली बार जब राधा आई,गोकुल अपने पिता के संग ।नजर उनकी पड़ी कान्हा पर,ओखल से बंधे थे जिनके अंग ।प्रथम मिलन में हो गई वो मोहित, कृष्ण की उस मासूमि...

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कोहराम By Dev Srivastava Divyam

सुबह हुई, सूरज उग आया ।रोते हुए उसने रात को बिताया ।आंखों के सामने उसके,अंधेरा अब था छाया ।क्या करे वो उसको कुछ,समझ नहीं आ रहा था ।परिवार ही उसका उसको,समझ नहीं पा रहा था ।आंसू बहते...

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जीवन सरिता नोन - ९ (अंतिम भाग) By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

सप्तम अध्याय दूर हुआ भ्रम, जाग गई ज्‍यौं, अपने अस्‍त्र संभाले। तोड़ा कुड़ी का दर्रा- पाठा,तब आगे के पथ हाले।। सोचो क्‍या मनमस्‍त यहां, हर लीला है न्‍यारी। चलते रहना ही जीवन है,कुछ...

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मी आणि माझे अहसास - 98 By Darshita Babubhai Shah

इच्छांचा सागर दूरवर पसरला आहे. एका इच्छेने पृथ्वी आणि स्वर्गाला स्पर्श केला आहे.   एक सौंदर्यवती आहे जिने आज सर्वस्व लुटले आहे. बघा, भावनांचे जहाज समुद्राच्या मध्यभागी बुडत आह...

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लड़के कभी रोते नहीं By Dev Srivastava Divyam

आया था मैं जब दुनिया में,मां बाप मेरे थे मुस्करा उठे ।इकलौता ऐसा दिन था जब रोता देख मुझे,वो दोनों थे खुश हो रहे ।क्योंकि उसके बाद फिर कभी आई नहीं,आंखों में आंसू की धार मेरे ।चलने क...

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सक्स By Nikunj Patel

एक छोटीसी कहानि है जो हमने कविता मे पिरोई है,कहानी उनपे है जो अपनों के लिए अपने घर से दूर रहते है। और अपनों और ज़िम्मेदारी के बिच जुजते रहते है।पप्पा पकडे रखना सायकल, छोड़ ना मत वर्न...

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कोई नहीं आप-सा By उषा जरवाल

मेरे पापा शिक्षक थे | बचपन से ही देखती आई थी कि पूरे गाँव के लोग उनका काफी सम्मान करते थे | जिधर से भी निकलते थे वहीँ लोग हाथ जोड़कर 'गुरुजी नमस्ते', गुरुजी प्रणाम' कहे बिना आगे नही...

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एक एहसास By Shefali

(१) मेरी हरकतें   कभी कभी बस यूँही,महसूस करती हूँ तुझे।  अपने बालों को,धीरे से हटाकर शरमा जाती हूँ।।  अपनी आँखों को,आईने में देखकर पलकें झपकाती हूँ। फ़िर एक प्यारी-सी मुस्कान के सा...

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हर कसमें, हर वादे, हर वफा, की हमें कीमत मिली।मौत भी मुझे आई तो कमजर्फ के गलियों में।।अप तो अपनी जान पहचान पर ध्यान दीजिए हमसे जो भी एक बार मिला वो तो मेरा हो गया आप की खामोशी ही वज...

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कविता संग्रह By Kaushik Dave

"कविता संग्रह"'मन के विचार 'सोचता हूं क्या करूं?मन के विचारों को कैसे व्यक्त करूं?दुनिया है ऐसी जहां अच्छे शब्दों ही हमें अच्छे लगते हैं और कटु शब्दों से ही नुकसान सोचता हू...

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मेरे शब्दों का संगम By DINESH KUMAR KEER

1.किताब की दोस्ती बहुत कमाल की होती हैं...बात तो नहीं होती, पर बहुत कुछ सिखाती हैं...!2.शिक्षा का मुख्य उद्देश्य स्पष्टीकरण देना नहीं है,बल्कि मन के दरवाजे खटखटाना है...! 3.वह पथ क...

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मनु भाकर की सफलता के पीछे By Dr Yogendra Kumar Pandey

ओलंपिक में मनु भाकर की सफलता के विशेष हैं मायने        आज कवि मौजीराम बहुत प्रसन्न हैं। भारत की बेटी मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में कांस्य पदक जीता है।  ...

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हाल ए दिल By DINESH KUMAR KEER

1.बिखरे कितने गम है जमाने में हर एक आंख नम है जमाने में इन्सान ही इन्सान के काम आएगा तौबा कैसे वहम है जमाने मेंभीड़ अपनों की बहुत है लेकिन तन्हा तन्हा आलम है जमाने में तीसरा कोई नज...

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एहसास ए ख़ास By Manshi K

रात की चादर ______________ रात की चादर से लिपट रही हूँ, अंधेरे से खुद को छुपा रही हूँ। खुशियों की राहें अब गुम हो गईं, मेरे दिल की धड़कनें धीमी हो गईं।सपने जो कभी रंगीन थे मेरी नजर...

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धरती-आकाश By sarita baghela

स्वरचित, मौलिक, मानवेतर लघुकथा=धरती-आकाशधरती भूक्का फाड़कर रो रही थी, आकाश ने जब रोने का स्वर सुना तो उससे रहा नहीं गया। धरती की ओर देखा।धरती तुम क्यों रो रही हो,.... क्या हुआ...

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42. तुम्हीं बताओ मेरी आत्मा थी मनस्वी केवल बिटिया नहीं थी। आत्मा बिना क्या कोई जीवित रह पाता है? तुम कहते हो मैंने तिल-तिल आत्मघात किया मुझे जीना चाहिए था अपने लिए, पति के लिए, समा...

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एक हटिल दरार By Narayan Menariya

एक हटिल दरार... पुस्तक 2015 में मेरे द्वारा लिखित कुछ कविताओं में से छः कविताओं का संग्रह है। प्रथम कविता - में कवि उन सब कारणों का वर्णन कर्ता है जिनकी वजह से एक प्रेमी और उसकी प्...

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उत्तरायण - 2 By Choudhary SAchin Rosha

१. पत्थर दिल डर के बिना कठोरता का कोई अस्तित्व ही नहींपर कठोरता को निष्ठुरता या निर्दयता तुम समझना नहीं कठोरता गुण है पदार्थ का,ऊर्जा का नहीं।भ्रम से निकल सचिन, क्योंकि कठोर हृदय य...

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1 . यादें लेते जाना.... कभी आंसुओ तले दबी थी मैं हंस कर गम का घूंट पी थी मैंमालूम नहीं कहां खो गया वो पल वो लम्हा जो मेरा हुआ करता थाक्यूं ख़ामोश हो गया तक़दीर मेरा शायद गलती मेरी...

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बीते दौर की बीती यादें By Er.Vishal Dhusiya

1 रहट पद्धति कहाँ गई रहट पद्धति की सिंचाई कुँए से पानी भर आई बैल कोल्हू को जोड़ आपस में होती खेतों की सिंचाई कहाँ गई रहट पद्धति की सिंचाई शृंखला में बाल्टीयां बँधी बैलें गोल चक्कर...

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कविताएं By Urvi Vaghela

poems by Urvi Vaghela. All poems are written by poetess herself. It's not copy from any sources. These poems are beginning of her journey. 1.भोलापन उस दिन धूप मेंस्कूल मेंनए स्...

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आह्वान प्रेम का - 2 By Choudhary SAchin Rosha

आह्वान प्रेम का 1. बड़े शातिर हो तुम, जोयूं जा रहे हो मुझे इश्क की लत लगाकरपर क्या जताना चाहते हो,अपना ख्याल रखना अब मुझे यह कहकरकि फिक्र करते हो मेरे लिएमेरी फिक्र की तुम फिक्र ना...

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