कटासराज... द साइलेंट विटनेस

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सन् उन्नीस सौ सैतालिस का समय बिहार के सिवान का एक छोटा मगर समृद्ध गांव। हर तरफ आजादी की मांग चरम पर पहुंच चुकी थी। देश के कोने कोने से, हर घर घर से बस एक ही आवाज उठ रही थी आजादी… आजादी … आजादी….। गांधी का अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन अपने चरम पर था। हर दिल में असमंजस की स्थिति थी। कभी कोई खबर उड़ती उड़ती गांव में पहुंचती .. तो कभी कोई..। क्या बंटवारा होगा…! अगर होगा तो कैसे होगा…? भला ये कैसे संभव होगा…? कौन सा हिस्सा किसके हाथ सौंपा जाएगा….? क्या बंटवारे करना… शरीर को धड़ से जुदा करना नही होगा…? देश का हर हिस्सा तो एक दूसरे से प्यार और लगाव की चाशनी से गुथा हुआ है। किसे काट कर अलग करोगे…? क्या ये आम जनता से नही पूछा जायेगा…? देश का कोना कोना तो रिश्ते की डोर से बंधा हुआ है। कोई भी हिस्सा तो पराया नही लगता। फिर किसे ये नेता लोग अलग करेंगे..? पाकिस्तान की मांग जोरों पर थी। पर आम जन मानस के मन को ये बंटवारा स्वीकार नहीं था। उनको गांधी जी पर पूरा विश्वास था कि किसी भी हालत में वो देश को बंटने नही देंगे। सब को यही लगता था कि जिन्ना जी अभी नाराज है तो मुस्लिमों के लिए अलग देश की मांग कर रहे है। जब गुस्सा उतरेगा… और उन्हें महसूस होगा कि वो गलत मांग कर रहे हैं। जब आजादी की जंग मिल कर लड़ी तो आजादी के बाद अलग क्यों होंगे…? जब हिंदू और मुसलमान भाई आपस में मिलजुल कर रहे हैं। उन्हें साथ रहने में कोई आपत्ति नहीं तो ये मुस्लिम लीग और जिन्ना कौन होते हैं हमें अलग करने वाले।

Full Novel

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 1

भाग 1 सन् उन्नीस सौ सैतालिस का समय बिहार के सिवान का एक छोटा मगर समृद्ध गांव। हर तरफ की मांग चरम पर पहुंच चुकी थी। देश के कोने कोने से, हर घर घर से बस एक ही आवाज उठ रही थी आजादी… आजादी … आजादी….। गांधी का अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन अपने चरम पर था। हर दिल में असमंजस की स्थिति थी। कभी कोई खबर उड़ती उड़ती गांव में पहुंचती .. तो कभी कोई..। क्या बंटवारा होगा…! अगर होगा तो कैसे होगा…? भला ये कैसे संभव होगा…? कौन सा हिस्सा किसके हाथ सौंपा जाएगा….? क्या बंटवारे ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 2

भाग 2 सलमा ने साजिद की बात सुन कर उसकी ओर सवालिया नजरो से देखा और बोली, "क्या मैं चली जाऊं…? वो भी इतनी दूर……! कभी तुम्हारे बिना या किसी और को साथ लिए बगैर बाजार तक तो गई नही हूं। अब कह रहे हैं आप कि इतनी दूर अकेली ही चली जाऊं….?" साजिद बोले, "पर मैं कैसे चलूं….? अभी तो सीजन चल रहा है। तुम तो जानती ही हो अभी ही माल खरीद कर स्टोर करना पड़ता है। तभी ऑफ सीजन होने पर बेचने पर अच्छा मुनाफा मिलता है। मैं चला गया तो पूरे साल का बिजनेस गड़बड़ ...और पढ़े

3

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 3

भाग 3 अमन और सलमा को साजिद रावल पिंडी रेलवे स्टेशन छोड़ने आए। जिससे उन्हें कोई परेशानी नहीं हो। आने पर उन्हें बिठा कर साजिद ट्रेन खुलने तक रुके रहे। फिर ट्रेन जाने पर वापस घर आ गए। सलमा से कई साल बाद वो अलग हो रहे थे। बहुत ही बुरा महसूस हो रहा था उन्हे भीतर से। जब से सलमा जिंदगी में आई थी , तब से कभी अलग नहीं हुई थी। जब भी वो मायके या रिश्तेदारी में गई साजिद के साथ ही गई थी। साजिद को ऐसा लग रहा था जैसे सलमा अकेली नहीं जा रही ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 4

भाग 4 शमशाद को ये तो पता था कि चकवाल से सलमा खाला जरूर आएंगी। पर कब आयेंगी इसका नही था…? इधर साजिद को चिंता लगी हुई थी कि सलमा इस्माइलपुर तक पहुंच तो जाएगी लेकिन शमशाद के घर तक कैसे पहुंचेगी। फिर उसने इसका उपाय निकाला और तार घर चला गया। शमशाद के नाम टेलीग्राम कर दिया। उसमे खबर दे दी कि सलमा और अमन परसो दोपहर तक पहुंचेंगे। उन्हें स्टेशन से ले ले। शमशाद खबर पा कर बहुत खुश हुआ कि आखिर खाला आ ही रही हैं। वो भी निकाह से इतना पहले। उससे भी ज्यादा खुश ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 5

भाग 5 आरिफ का निकाह बगल के गांव की नाज नाम की लड़की के साथ तय हुआ था। नाज के चचा जाद फूफी नईमा की बेटी थी। रिश्तेदारी की वजह से एक दूसरे के घर आना जाना होता रहता था। इस वजह से नाज और आरिफ एक दूसरे से बखूबी परिचित थे। आपस में बातें करते, खानदान के दूसरे हमउम्र बच्चों के संग घूमते और परिवार के किसी भी जलसे में शामिल होते थे। पर ये सब कुछ सिलसिला तभी तक कायम था जब तक निकाह तय नहीं हुआ था। तब से बदल गया जब से उनके निकाह की ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 6

भाग 6 अशोक के दोस्त के मंडप से जाते ही नईमा फुर्ती से गई और वहां मौजूद जूतों में नया और अच्छा जो जूता था उसे उठा लिया और अपने दुपट्टे में छुपाने की कोशिश करते हुए वहां से चली गई। नईमा ने अंदर के कमरे में बोरे के नीचे जूते छुपा दिए और वापस मंडप में उर्मिला के पास आ गई। अब बस उसे इंतजार था कि अशोक मंडप से अंदर कोहबर में जाए। अब मंडप की रस्में समाप्त हो गई थी। बारात के अशोक के तरफ के सारे लोग बाहर चले गए। उर्मिला के घर की औरतें ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 7

भाग 7 बब्बन की अम्मी को उसके लिए ऐसी ही किसी लड़की की तलाश थी जैसी अशोक ने बताई। से वो अशोक की पत्नी उर्मिला की सखी भी थी। वो उसे अच्छे से जानती थी। अब जब जानी समझी, मन मुताबिक लड़की का पता चला तो फिर पैगाम ले कर जाने में भला क्या अड़चन आती…..! बब्बन की अम्मी अशोक की बात पर तुरंत ही राजी हो गई पैगाम ले कर जाने को। अब बब्बन को चैन पड़ गया था। जिस लड़की को रात दिन जगाते सोते अपने ख्यालों में देख रहा था । कुछ समय भले लगेगा पर ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 8

भाग 8 अब नाज़ का निकाह तय हो गया था तो नईमा उसे कहीं बाहर जाने नही देती थी। तक कि कोई बहुत जरूरी काम ना हो। नईमा ऊपरी भूत प्रेत, जिन्न से बहुत डरती थी। उसने सुन रक्खा था कि लगन तय लड़कियों को बहुत जल्दी पकड़ लेते हैं। अब नईमा चाची को राजी करना था तो थोड़ा सा तो तेल लगाना ही पड़ेगा। पुरवा उछलती कूदती नईमा के पास आई और दुलराते हुए बोली, "चाची….! आज कई दिन बाद हम आए है इस्माइलपुर से। नाज़ के बिना वहां बिलकुल भी अच्छा नही लग रहा था। पर मां ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 9

भाग 9 नाज़ को थोड़ा सा बुरा जरूर लग रहा था। माना मुझे थोड़ी सी देर हो गई। क्या पता नही है कि लड़कियों को थोड़ी देर हो ही जाती है। वो भी जब किसी खास से मिलना हो तो देरी होना वाजिब है। क्या आरिफ आये तो थोड़ी देर उसका इंतजार नही कर सकते थे…? मिलने का सारा उत्साह नाज़ का खत्म हो गया। आरिफ से नाराजगी हो गई उसकी। नाज़ का उतरा हुआ चेहरा देख कर पुरवा उसका दिल बहलाने को बोली, "आरिफ भाई नही आए तो क्या …? नही आये तो नही आये। कोई बात नही। ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 10

भाग 10 निकाह की अनवरत चलती तैयारियों के बीच अब आरिफ और नाज़ के मिलने जुलने के मौके पर जैसे ब्रेक ही लग गया था। शमशाद को कहीं से आरिफ की इस कारगुजारी की भनक लग गई थी। अब जवान भाई था, उस पर भी उसका निकाह तय हो गया था। वो मिलता भी किसी गैर लड़की से नही उसी लड़की से था। तो फिर मना करने को कोई सबब नही था। बस ये बात थी कि गांव, इलाका, रिश्तेदारों में बड़ी इज्जत है उनकी। ये बात बात फैलने पर थोड़ी रुसवाई हो जायेगी। बहुत सोच समझ कर शमशाद ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 11

भाग 11 आरिफ को देख कर पुरवा ने सोचा कि उसका अनुमान सही साबित हो गया। उसने चैन की ली। सुबह से की गई मेहनत सफल हो गई। उसे अंदेशा हो गया था कि वो आयेंगे। फिर उनकी किताब वापस करनी पड़ेगी। अब अधूरी पढ़ी किताब भला वो कैसे वापस कर सकती थी…! इसी को पूरा पढ़ने के चक्कर में तो सुबह से जुटी हुई थी। घर का एक भी काम हाथ नही लगाया था। काम करना तो दूर नहाई भी नही थी। जिसके कारण अम्मा इतनी ज्यादा भड़की हुई थी। पर कोई बात नही। अम्मा तो मान ही ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 12

भाग 12 पुरवा ने रात का खाना बना दिया था। उसे ढलती हुई धूप देख कर अंदाजा हो रहा समय होने वाला है। वो उर्मिला के पास आकर बोली, "अम्मा…! खाना तो बना दिया। अब क्या करूं…?" उर्मिला बोली, " जा … आराम कर ले।" पुरवा बोली, "अम्मा…! देख रही हो दिन ढलने वाला है। अब क्या आराम करूंगी…?" "तब … फिर जा जो किताब आरिफ ने दिया है। उसे पढ़ ले।" फिर पुरवा बोली, " नही… अम्मा…! अभी मन नहीं है। सुबह से किताब ही तो पढ़ रही थी। बोलो ना अम्मा…! क्या करें…" अब उर्मिला वही बोली ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 13

भाग 13 सब कुछ पूछ कर उर्मिला आश्वस्त हो गई कि चलो पुरवा के बाउजी ने अच्छा घर वर है। क्योंकि पूरी रिश्ते दारी में गुलाब बुआ का बड़ा ही रोब दाब था। क्योंकि वो सब से बीस ही पड़ती थीं। अपनी सगी बुआ से ज्यादा मान जान गुलाब बुआ का था। किसी के भी बेटी का ब्याह हो… वो खाली साड़ी देना अपनी तौहीन समझती थी। साथ में कुछ न कुछ सोने का जरूर होता। उर्मिला ने मन ही मन ऊपर देख कर बोली, बस भगवान..! कोई बाधा ना आए। फिर धनकू के घर की ओर देखा। कहीं ...और पढ़े

14

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 14

भाग 14 बाहर जाती हुई पुरवा तेज आवाज में बोली, "चाची ….! हम जा रहे हैं।" नईमा ने इस के साथ जाने दिया कि समय से दोनो वापस घर आ जाएं। तेजी तेजी कदम बढ़ाती नाज़ और पुरवा अपने हमेशा वाले पोखरा के किनारे वाले जगह की ओर बढ़ चली। नाज तो कायदे से सामान्य कदमों से चल रही थी। पर पुरवा का एक भी कदम उछले बिना नहीं पड़ रहा था। बौरे आमों पर कोयल बैठी कूक कूक कर सब का मन बसंती रंग में रंग दे रही थी। एके तो मौसम सुहाना दूसरे कोयल की आवाज पूरे ...और पढ़े

15

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 15

भाग 15 आरिफ ने नाज़ और अमन का आपस में परिचय करवा दिया था। दो चार बातें नाज़ से कर ली थी। अब वापस भी जाना था। आरिफ को तो एक नजर बस नाज़ को देखना होता था। उसके मन की बेचैनी शांत हो जाती थी। वो बोला, "अच्छा…! तो पुरवा अब तुम और नाज़ वापस घर जाओ। देर करने से घर पर डांट पड़ेगी तुम दोनो को। जो मैं नहीं चाहता हूं।" नाज ने पुरवा का हाथ पकड़ा और वापस जाने को तत्पर हुई। उसने अपने हाथ उठा कर बारी बारी से अमन और आरिफ को मुस्कुरा कर ...और पढ़े

16

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 16

भाग 16 पहले दिन जब उर्मिला शमशाद के घर गई तो गहमा गहमी में सलमा बहन से ज्यादा बात कर पाई। बस औपचारिक तौर पे हाल चाल ही पूछ पाई। उर्मिला और सलमा का रिश्ता ऐसा नहीं था कि सिर्फ औपचारिक हाल चाल पूछ कर इत्मीनान हो जाता। नईमा, उर्मिला और सलमा तीनो ही लगभग हम उम्र ही थी। कलमा अपने पूरे खानदान में सबसे बड़ी थी मायके और ससुराल दोनो ही तरफ से। कलमा से रिश्ते की ननद नईमा और बहन सलमा दोनो ही उससे काफी छोटी थी। कलमा की शादी भी कुछ जल्दी हो गई थी और ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 17

भाग 17 इधर महाराजगंज में अशोक की गुलाब बुआ के पति जवाहर राय जब घर आए तो गुलाब ने बताया कि अशोक आया था। वो अपनी बेटी पुरवा का रिश्ता हमारे बेटे महेश से करने की बात कर रहा था। महेश भी पूरे बीस बरस का इसी माघ में हो गया था। पटना कॉलेज में एलएलबी का दूसरा साल चल रहा था। उनको भी चिंता थी महेश के विवाह की। पर कोई अच्छा परिवार का रिश्ता नही आ रहा था। अब जिंदगी भर का सौदा था। ऐसे ही तो किसी लड़की को अपने बेटे के पल्ले नहीं बांध सकते ...और पढ़े

18

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 18

भाग 18 बड़े ही उत्साह और लगन से जवाहर और गुलाब के स्वागत के लिए तैयारी हुई। पूरा घर पोत कर चमका दिया गया। खटिया पर साफ धुली हुई चादर बिछा कर बैठने की व्यवस्था कर दी गई। फिर अंत में खूब रच रच कर पकवान बनाया गया। पुरवा को ज्यादा अनुभव नहीं था खाना पकाने का। वो इधर उधर कभी कभी कुछ पका लेती थी। आज पूरी जिम्मेदारी उसी के सर पर उर्मिला ने थोप दी थी। गुलाब बुआ के सामने पुरवा के सारे गुण का प्रदर्शन करना था। कुछ भी ऐसा उनके सामने ना जाए जो पुरवा ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 19

भाग 19 तभी बातें करते हुए नाज़ की नजर पुरवा के हाथ में पहने कंगन पड़ी। ये इतने सुंदर अभी कल तो इसके हाथ में नही थे। तो फिर आज इसे कहां से मिल गए। बाजार तो गई नही फिर कहां से आए ये कंगन…? उसने कंगनों पर अपने हाथ फेरते हुए बोली, "अरे..! पुरवा …! ये कंगन तो बेहद खूबसूरत है। कहां से बनवाया..?" पुरवा बेपरवाही से बोली, "वो… बताया ना एक रिश्ते की बुआ और फूफा आए हैं। उन्होंने ही आज मुझे ये कंगन पहनाए।" नाज़ पुरवा से ज्यादा समझदार थी। उसे खटका हो गया कि कोई ...और पढ़े

20

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 20

भाग 20 पुरवा ने नाज़ के ससुराल वलीमा की दावत में जाने के लिए मुंह फुला कर जैसे आंदोलन शुरू कर दिया। अब चाहे ये बुआ और उनके पति रहे या ना रहे उसे तो बस हर हाल में जाना ही था। चाहे कोई कुछ भी कहे… कुछ भी सोचे… उसे तो बस जाना ही था नाज़ से मिलने उसके ससुराल। साफ साफ उसने अम्मा बाऊ जी को बता दिया था। परेशान उर्मिला नही सोच पा रही थी कि क्या करे..? फिर उसने और अशोक ने सोचा थोड़ी देर के लिए दावत के वक्त चले जायेंगे। पर भगवान जैसे ...और पढ़े

21

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 21

भाग 21 शाम को अशोक भी आया दावत में। शमशाद ने साजिद खालू का परिचय बब्बन और अशोक के वो आपस में बाते करते हुए एक दूसरे के घर परिवार के बारे में जानकारी लेने लगे। साजिद ये जान कर खुश हुआ कि वो उसकी पत्नी की सहेली के पति हैं। साजिद ने बताया कि सलमा अक्सर आप सब का जिक्र करती है। वो आप सब के बहुत करीब है। तभी अशोक को कुछ याद आया। उसने साजिद से पूछा, "साजिद भाई…! आप चकवाल से आए हो ना। आप वहीं रहते हो…?" साजिद बोले, "हां…! अशोक भाई हम वहीं ...और पढ़े

22

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 22

भाग 22 उर्मिला के कल ही आने के लिए कहने पर बेसाख्ता ही सलमा के मुंह से निकला, "कल मेहमान होंगे…सभी ही मुझे खोजते हैं। मिलना चाहते हैं। हटना अच्छा नही लगेगा।" नईमा को अभी कुल सेकेंड पहले ही सलमा मेहमान का ताना दे रही थी और अब खुद मेहमान होने की वजह से आने में असमर्थता जता रही थी। नईमा को तुरंत ही खुद को सही साबित करने का मौका मिल गया। वो बोली, "क्यों भाई…? आप क्यों नही आ सकती..! आप तो खुद ही मेहमान हैं शमशाद मियां के घर पर। फिर आपको मेहमानवाजी की तकलीफ उठा ...और पढ़े

23

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 23

भाग 23 अब नाज़ के सब्र का बांध टूट गया। वो आरिफ के गले लग कर रो पड़ी। रोते बोली, "आरिफ…! मुझे अम्मी अब्बू और पुरवा की याद आ रही है। सब मुझे छोड़ कर चले गए। मैं पुरवा को रोक रही थी पर वो रुकी नहीं। बोली.. उसकी अम्मा नही मानेगी।" नाज के रोने की वजह जान आरिफ हंस पड़ा। और नाज़ को समझाते हुए बोला, " क्या.. नाज़ तुम बच्ची वाली हरकत कर रही हो। लड़कियां तो कितनी दूर दूर ब्याह के जाती है। जहां से जल्दी आना जाना नही हो पाता। अब सलमा दादी खाला को ...और पढ़े

24

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 24

भाग 24 जब अमन ने उर्मिला का घर देखा हुआ है, अकेला आ सकता है तो फिर बाद में जायेगा कोई दिक्कत नही। शमशाद तो सलमा और साजिद के उर्मिला के घर जाने लिए अपनी बग्घी तैयार करवा दी थी। पर सलमा घूमते घामते अपने बाग बगीचे, खेत खलिहान, तालाब पोखर सब देख कर पुरानी यादें ताजा करना चाहती थी। साथ ही साजिद को भी अपना मायके का सब कुछ दिखाना चाहती थी। इसलिए शमशाद को बग्घी के लिए मना कर दिया। पैदल ही साजिद को साथ ले कर उर्मिला के घर के लिए निकल पड़ी। साथ ही अमन ...और पढ़े

25

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 25

भाग 25 सलमा आते हुए रास्ते में जो भी पहले से अलग दिखी थी उनके बारे में उर्मिला से करने लगी। बोली, "उर्मिला…..! अपना गांव अपना इलाका बहुत बदल गया है ना पहले से।" उर्मिला बोली, "अब आप लंबे अरसे बाद आई हैं ना इस लिए आपको लगता होगा। हम तो यही रहते है इस लिए हमें फर्क महसूस ही नही होता। पर हां ..! कुछ तो बदला ही है।" फिर उर्मिला ने सलमा से इधर उधर देखते हुए पूछा, "अमन नही दिख रहा। वो नही आया क्या ..?" सलमा बोली, "बस…! आता ही होगा। हमारे साथ नही आया। ...और पढ़े

26

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 26

भाग 26 अशोक और उर्मिला से नमस्कार कर अमन बैठ गया। अब एक बार फिर से पुरवा की पुकार हुई। इस बार अशोक आवाज दे रहा था। फिर से भुनभुनाती हुई पुरवा मिठाई की प्लेट और पानी का लोटा ले कर तेज तेज चलती हुई आई। पर अब उसे चलने में कोई परेशानी हो रही थी। अमन के पास मिठाई और पानी रख कर जाने लगी तो अमन की निगाह पुरवा पर पड़ी। फिर तो उसकी साड़ी पहनने का तरीका देख कर अमन की हंसी तेजी से फूट पड़ी। एड़ी से करीब दो बित्ता ऊंची साड़ी और बिलकुल मजदूर ...और पढ़े

27

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 27

भाग 27 उर्मिला की सलमा के साथ नही जाने की वजह सुन कर सलमा बोली, "पुरवा की क्या बात बिचारी बेटी कहां ब्याह के बाद कहां घूम पाएगी….., जब दूसरे के खूंटे से बंध जायेगी। उसे भी लेती चलो। रही बात जानवर और घर की तो वो चाची के यहां बोल दो। वो देख भाल कर लेंगी।" सलमा के साथ चलने के लिए हर जुगत बताने के बाद भी उर्मिला का चेहरा उतरा हुआ ही था। जो वास्तविक वजह थी वो ना तो उससे कही जा रही थी, ना ही छुपाते बन रहा था। पर कैसे सलमा से बताए ...और पढ़े

28

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 28

भाग 28 उर्मिला ने सलमा और नईमा को आराम से बैठने को कहा और वो खुद अंदर चली आई। पता था कि पुरवा ने सुबह से बहुत काम किया है। अब और कुछ करवाने के लिए उसे थोड़ा सा मक्खन लगाना ही पड़ेगा। इसलिए आराम से लेटी पुरवा के पास आई और बोली भरसक कोशिश कर आवाज को मीठी चाशनी से सराबोर किया और बोली, "पुरवा..! बिटिया…! तूने खाना बहुत ही अच्छा बनाया था सब को बहुत पसंद आया। उंगलियां चाट चाट कर खाया सबने। ऐसा कर बिटिया..! रोज रोज तो मेहमान आते नही हैं। शाम हो गई है। ...और पढ़े

29

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 29

भाग 29 पुरवा इस किताब को पढ़ चुकी थी। इस लिए ये बस यूं ही रक्खी हुई थी। उसे एतराज नहीं था इसे देने में। वो बोली, "कोई बात नही.. आप आराम से पढ़िए। हम पढ़ चुके हैं इसे।" सलमा जो इन दोनो की सारी बातें सुन रही थी बोली, "अमन तुम आराम से पढ़ो। कोई जल्दी नही है इसे वापस करने की। बल्कि कुछ और भी तुम्हारे मतलब की किताबे हो तो ले लो।" अमन घूरते हुए अम्मी को देखा और चुप रहने का इशारा किया कि इतना बे तकल्लुफ नही हो वो। "क्या अम्मी आप भी…! फिर ...और पढ़े

30

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 30

भाग 30 मेहमानों के जाने के तुरंत बाद पुरवा खाने बैठ गई और जल्दी-जल्दी दो बाटियां चोखे के साथ के नीचे उतारा। वो इतना ज्यादा थक गई थी कि अब उसके अंदर और कुछ करने ही ताकत बिलकुल भी नहीं बची थी। फिर उसे होश कहां.! जिस थाली में खाया था उस थाली में हाथ धो कर थाली- वाली को वहीं छोड़ कर खटिया पर लेट गई। फिर दूसरे ही पल गहरी नींद में सो गई। पर उर्मिला तो ऐसे ही सब कुछ खुला नही छोड़ सकती थी। कोई और दिन होता तो पुरवा की इस हरकत पर खीझती ...और पढ़े

31

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 31

भाग 31 बाऊजी को चाय दे कर पुरवा भी उन्ही के साथ बैठी चाय की चुस्की लेती रही। जब चुकी तो दोनो खाली गिलास उठा कर अंदर आ गई। अब तक उर्मिला की दाल अधपकी हो कर अहरे पर रख दी गई थी और चूल्हे पर चावल चढ़ गया था। हल्की तपिश चूल्हे की महसूस हो रही थी। इस लिए बाहर निकल आई। वो अशोक के पास दरवाजे की डेहरी पर आ कर बैठी तो उसके पीछे पीछे पुरवा भी आ गई। वो भी बगल में सट कर बैठ गई। अशोक बोले, "पुरवा की अम्मा..! अब फैसला तो हो ...और पढ़े

32

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 32

भाग 32 पुरवा नहा कर आई तब तक खाना तैयार हो गया गया था। उर्मिला गरम गरम रोटियां सेंक पास ही बैठे अशोक की थाली में दे रही थी। पुरवा को देखते ही बोली, "आ पुरवा ..! तू भी खा ले।" पुरवा भी थमकती हुई आई और अशोक के करीब ही बैठ गई। जब अशोक और उर्मिला की नजर पुरवा पर पड़ी तो दोनो एक साथ मुस्कुरा उठे। पुरवा ने घर के रोज के कपड़े की बजाय बाहर जाने वाला कपड़ा पहना हुआ था। अम्मा बाऊ जी को एक साथ मुस्कुराते देख कर पुरवा समझ गई कि वो उसके ...और पढ़े

33

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 33

भाग 33 नाज के कमरे का पर्दा उठा कर हुलसती हुई पुरवा कमरे में घुसी और बिना इधर उधर नाजो… नाजो…! पुकारती हुई भाग कर उससे लिपट गई। नाज़ भी इस तरह अचानक अपनी प्यारी सखी को देख कर हैरान थी। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उसने भी पुरवा को भींच कर गले लगा लिया। जैसे दो बहने ना जाने कितने अरसे बाद मिली हों। फिर अलग हो कर हंसते हुए उसे छेड़ने के अंदाज में पुरवा बोली, "और बताओ नाजो रानी…! कैसी कट रही है जिंदगी ससुराल में…? मेरे जीजा जी ज्यादा तंग तो नही करते तुझे…? ...और पढ़े

34

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 34

भाग 34 पुरवा समझ गई कि नाज़ को लगा कि वो सिर्फ उससे मिलने आई है। अब उसे सच कर तकलीफ हो रही है। बेकार में ही सब कुछ बताने लगी। जाते वक्त धीरे से सलमा मौसी से पूछ लिया होता। नाहक ही सब कुछ बता कर नाज़ को दुखी कर दिया। बात को सम्हालते हुए पुरवा बोली, "ना… नाजो…! हमको तुमसे मिलना था तभी तो आए। वरना बाऊ जी कह रहे थे कि किसी से संदेशा कहलवा देते है। वो तो हमको तुमसे मिलना था इसी कारण आए।" फिर पुरवा उसका ध्यान भटकाने के लिए बिलकुल नाज़ से ...और पढ़े

35

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 35

भाग 35 इसके बाद सलमा और साजिद दोनो बाहर बैठक में आ गए। इत्तिफाकन कलमा और शमशाद दोनो मां बैठे किसी मुद्दे पर सलाह मशवरा कर रहे थे। सलमा और साजिद को देख शमशाद उठ खड़ा हुआ और बड़े ही इज्जत से उन दोनो को बिठाने के बाद बैठा। सलमा कलमा के पास बैठ कर बोली, "आपा…! हमें आए काफी दिन हो गए। सब कुछ हंसी खुशी से निपट गया। अब हमे जाना चाहिए। वहां कारोबार और घर सब कुछ चमन पहली बार संभाल रहा है। परेशान हो जाता होगा। पता नही संभाल भी पा रहा है या नही। ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 36

भाग 36 जब नाज़ पुरवा से गले मिल रही थी तभी उसकी निगाह दरवाजे की ओर पड़ी। उसने देखा अमन दरवाजे पर खड़ा हुआ है। उसे देख कर नाज़ को शरारत सूझी। पुरवा को छेड़ने की नियत से वो उसके कान में फुसफुसाई, "इतना मुझ पर क्यों बिगड़ रही है..? अमन पीछे ही खड़े हुए हैं। और तुझ पर लट्टू भी नजर आ रहे है मुझे। कह तो उसने ही बोल दूं घोड़े पर बिठा कर तुझे घर पहुंचा दें। बन्नो के पांव भी नही दुखेंगे। और झटपट पहुंच भी जायेगी।" एक तो देर हो गई थी, दूसरे नाज़ ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 37

भाग 37 शमशाद मियां की हवेली से निकलते ही पुरवा तेज कदमों से अपने घर की ओर चल पड़ी। तेजी से भागी जा रही थी। अमन भी उसके पीछे पीछे आ रहा था। पर अम्मी और आरिफ भाई के सवाल के जवाब देने में को कुछ सेकंड लगे और उन चंद सेकेंडों में ही पुरवा काफी आगे निकल गई। गजब की तेज चाल थी पुरवा की। हट्टा कट्टा, फुर्तीला जवान होने के बावजूद अमन अपने और पुरवा के बीच के फासले को कम नहीं कर पा रहा था। हार का अमन ने आवाज लगाई, "पुरवा..जी.. ! पुरवा जी....! मैं ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 38

भाग 38 ज्यादा लंबा रास्ता तो था नहीं पुरवा के गांव का। अंधेरा अभी ठीक से हुआ नही था। डूबने के बाद भी हल्का उजाला था अभी। अशोक अभी घर वापस नहीं आए थे। उर्मिला धूप दरवाजे पर आते ही से पुरवा की राह देखने लगी थी। जब भी किसी के गुजरने की आहट होती उसे लगता पुरवा आ गई क्या..! पर पर सूरज ढलने की शुरुआत होते ही उर्मिला की सांस ऊपर-नीचे होने लगी। वो बेचैन हो कर बाहर आ गई और रास्ते की ओर खड़ी हो कर इंतजार करने लगी। जब उसे इंतजार करते कुछ पल बीत ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 39

भाग 39 वापसी में अमन के होठ ना चाहते हुए भी गुनगुनाने लगे। पूरे रास्ते उसके जेहन में बार पुरवा की डेहरी पकड़े खड़ी, आंखे झुकाए तस्वीर उभरती रही। अशोक अमन को कुछ दूर तक छोड़ कर वापस लौटे तो बड़े खुश थे। बाहर खटिया पर लेट कर आराम करने लगे। लेट कर मन ही मन सोचने लगे, कितना सभ्य शालीन लड़का है अमन। घमंड तो छू भी नहीं गया। कुछ देर बाद खाना तैयार हो गया तो पुरवा ने आवाज लगाई, "बाऊ जी..! आइए अम्मा ने खाना परोस दिया है।" "अच्छा बिटिया .! आता हूं।" कह कर कुएं ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 40

भाग 40 पुरवा अशोक की खटिया से उठ कर उर्मिला की खटिया पर आ गई और बोली, "अम्मा..! देखो तो मेरे हाथ में है, पर जागना नही। वैसे भी आज हम तुम्हारे चक्कर में इतनी दूर पैदल आ जा कर बहुत थक गए हैं। फिर घर में घुसते ही चाय बनवाने लगी हो। अब मेरे पैरों में जोरों का दर्द हो रहा है। इसलिए हमको सुबह जगाना मत, आराम से सोने देना।" उर्मिला अशोक से बोली, "अब देख लो… अपनी लाडली के नखरे.। सुबह जल्दी नही उठेंगी महारानी जी। बड़ा बखान, बड़ी तारीफे की है हमने गुलाब बुआ से ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 41

भाग 41 चाची कट्टर सनातनी थीं। उन्हें दूसरे धर्म के लोगों से खासी चिढ़ थी। वैसे तो वो उर्मिला की बहुत पसंद करती थीं। अपने सगे बेटे बहू से कम नहीं समझती थीं। उनके मान सम्मान देने से सदा खुश रहती थी। पर उर्मिला और अशोक का उनसे दोस्ती करना, उनके घर आना जाना, अपने बर्तनों में खिलाना पिलाना बिलकुल पसंद नहीं था। चाची का इच्छा का ही मान रख कर उर्मिला ने अपने जैसे ही बरतन उन लोगों के लिए भी अलग निकाल रक्खा था, जिससे किसी को महसूस नही हो की उन्हें अलग बरतनों में दिया जा ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 42

भाग 42 उर्मिला अपने घर के दरवाजे तक पहुंच गई थी। जैसे ही अंदर घुसने को हुई। चाची ने से आवाज लगा कर उसे बुलाया, "ओ.…. अशोक बहू..! (जब चाची का दिमाग उखड़ता था तो वो उर्मिला को इसी नाम से पुकारती थी।) जरा इधर आ तो।" उर्मिला हैरत में पड़ गई कि अभी तो बात चीत कर के लौटी हूं। अब इतनी जल्दी क्या हो गया को फिर से बुलाने लगीं। उसे मोरी की पर बैठने की जरूरत महसूस हो रही थी कब से। पर खुद को किसी तरह रोके हुए थी। अब जल्दी से फारिग होना चाहती ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 43

भाग 43 धनकु बहू जो दूध, दही के मीठे ख्यालों में डूब उतरा रही थी, उर्मिला के पुकारने की से खयालों से बाहर आई। वो झट से बोली, "अरे..भौजी..! ऐ कौन सा बड़ा बात है। हम सब कर लेंगे। तुम रत्ती भर भी चिंता मत करो, निधड़के जाओ। यहीं बगल में ही तो है हमारा घर भी। अब यहां सोएं या वहां सोएं क्या फरक है। पर भौजी जा कहां रही हो…? कहीं शादी ब्याह है क्या..?" उर्मिला बोली, "ना. ना.. शादी ब्याह नही है। ऐसे ही कहीं दर्शन करने जाना है। अभी कुछ पक्का नहीं है। पुरवा के ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 44

भाग 44 अशोक बोले, "अरे..! नही मेरा वो मतलब नहीं था। क्या मैं देखता नही कि सुबह से शाम तुम घर के काम काज में जुटी रहती हो। तुम आराम से करो। मेरा तो ये कह रहा था कि पहले चाय बना देती। फिर चाहे जो करती।" उर्मिला बोली, *आपको चाय ही चाहिए ना। वो तो पुरवा ही बना देगी।" फिर पुरवा को आवाज लगाई। पुरवा किताब पुराना अखबार पढ़ने में व्यस्त थी। जब से अमन ने कहा था कि सिर्फ कॉलेज जाने से ही ज्ञान नही बढ़ता। अगर कॉलेज जाना संभव नहीं है तो खुद भी पढ़ कर ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 45

भाग 45 इधर पुरवा की चाय भी तैयार हो गई। वो जब तक तीन गिलास में चाय ले कर सतुआ पिस गया था। वो अशोक को चाय की गिलास पकड़ाया और उनके कंधे पर तारीफ के अंदाज में हाथ रखते हुए मुस्कुरा कर बोली, "वाह..बाऊ जी..! आप तो छुपे रुस्तम निकले। आप तो बड़े गुनी हैं। इतनी इतना सारा सतुआ इतनी जल्दी पीस डाला। अम्मा तो अभी इसे अकेले पीसने में दो घंटे से ज्यादा ही लगाती। हम तो जानते ही नहीं थे कि आपको ये सब भी आता है।" अशोक ने चाय की चुस्की ली और उर्मिला को ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 46

भाग 46 उर्मिला बोली, "हम तो जानते ही थे कि सब दुनिया में अपने अपने मतलब से रिश्ता रखते और चाची और उनका परिवार भी उसी इससे अलग थोड़े ही है। पर आपको ही बड़ा यकीन है उन लोगों पर। हम को तो पता था कि हम चाहे जितना भी उनकी मदद करें उनकी, चाहे जितना भी उनके कहे अनुसार चलें। पर जब हमारी बारी आएगी तो ये हमें ठेंगा ही दिखाएंगे।" बस मौका चाहिए था उर्मिला को चाची और उनके परिवार की कमियां गिनाने का। वो ऊपरी मन से भले ही खूब अच्छा व्यवहार करती हो, पर दिल ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 47

भाग 47 धनकू ने सिंचाई के दौरान कई बार पूछने की कोशिश की कि आखिर वो कहां जा रहे पर बता कर अशोक पत्नी के आदेश का उल्लघंन कैसे करता..! अभी चार दिन इन्हें परखना था कि ये दोनो उनके जाने की बात गांव में कहीं फैलाते हैं या नही। इस लिए अशोक चुप रहा। सुबह शाम दोनो हो अशोक के घर आते। बैठ कर मीठी मीठी बातें करते और घर की चिंता नहीं करने को बोलते। पर अशोक और उर्मिला ने जाने का पूरा कार्यक्रम उन्हें नही बताया। ना ही यह कि वह किसके संग जा रहे हैं। ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 48

भाग 48 अशोक और उर्मिला को चाची के पास देर लगते देख पुरवा भी आ गई। अशोक से सट उसका हाथ पकड़ कर दुलराते हुए बोली, "चलो ना बाऊ जी…! देर हो रही।" चाची ने अशोक और उर्मिला को आशीष दिया । पुरवा को पास बुला कर सिर पर हाथ फेरा और मीठी झिड़की देते हुए बोलीं, "बड़ी जल्दी है तुझे जाने की पुरवा। ज्यादा नही चोन्हा रही है, जा रही है इया को छोड़ कर तो। इतनी बड़ी हो गई ये लड़की पर बचपना नही गया। आ लौट कर तो… जल्दी से तेरे फेरे करवा कर तुझे बिदा ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 49

भाग 49 उर्मिला के पास पहुंचते ही सलमा ने खड़े हो कर उसे गले लगा लिया और फिर पास बिठा लिया। उर्मिला कलमा से नमस्ते कर सलमा से बातें करने लगी। अशोक को शमशाद और साजिद ने अपने करीब बिठा लिया। पुरवा वहीं उर्मिला के पास सिमटी हुई खड़ी थी चुप चाप। दो मिनट बाद कलमा बोली, "अरे…पुरवा तुम क्यों हम बुढीयों के बीच क्यों अटकी हुई हो..! जाओ अंदर . नाज़ तुम्हारा इंतजार कर रही है सुबह से ही। जाओ बिटिया..!" पुरवा तो संकोच वश यहां रुकी हुई थी। कैसे दूसरे के घर में दनदनाती हुई घुस जाए..! ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 50

भाग 50 कल्लन मियां के कमरे से बाहर जाते ही नाज़ ने पुरवा को जल्दी से खाने पीने की दोनो ने साथ में खाया फिर नाज़ ने एक कढ़ाई दार सुंदर से थैले में चारो सलवार कमीज रख दिया और उसे पुरवा को दे दिया। कुछ ही देर आरिफ आया और बोला, "भाई मिलेगी तो मुझे बददुआ ही लेकिन क्या करूं..! मजबूर हूं। नाज़ बेगम जान..! अब अपनी प्यारी सहेली को इजाजत दीजिए…. जाने का समय हो गया है। बाहर सब इनका इंतजार कर रहे हैं।" नाज़ ने आरिफ की बात सुन कर बड़े ही बेकरारी से पुरवा को ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 51

भाग 51 इधर उर्मिला और सलमा अपनी अपनी बातें एक दूसरे से बताने में व्यस्त हो चुकी थी। उर्मिला चाची पुराण शुरू हो चुका था। कैसे कैसे तमाशे वो करती है,सलमा से सब कुछ बता कर अपने दिल का गुबार हल्का कर रही थी। ज्यादा लंबा सफर इस वाली गाड़ी से नहीं करना था। ये लखनऊ तक पहुंचाएगी उसके बाद लखनऊ से सीधा एक्सप्रेस गाड़ी मिल जानी थी। जो सीधा मंडरा तक पहुंचा देगी। फिर वहां से चकवाल बस करीब बीस किलोमीटर ही है। फिर जाने में आराम रहेगा। इस लिए लखनऊ तक का सफर बैठ कर ही करना ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 52

भाग 52 अब इस समय तक सलमा, उर्मिला, अशोक और साजिद सब का पूरा ध्यान उस मूंगफली वाले की आकृष्ट हो गया था। सब उसके आगे बोलने का इंतजार कर रहे थे। उसने जो कुछ बताया वो सब के दिल को भीतर तक छू गया। "साहब मेरा एक ही बेटा था। बड़ी मन्नतों के बाद उसे भगवान की कृपा से पाया था। वो था भी ऐसा बचपन से ही देखने में कि सब का दिल चुरा लेता एक बार मिलने पर ही। इस कारण मन मोहन रक्खा था उसकी अम्मा ने।" इतना बताते बताते वो जैसे सचमुच ही अपने ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 53

भाग 53 गोली की आवाज सभी ने सुनी थी गांव में पर इन सिपाहियों के डर से सभी अपने घरों में दुबके हुए थे। क्या पता किस पर विद्रोही की मदद का आरोप लग जाए। पर उसकी अम्मा की आवाज पर एक एक कर के गांव के लोगों ने हिम्मत की और अपने अपने घरों से निकल कर बाहर आए। मोहन ने मुन्नी के गालों को अपने हाथों से छुआ और मुस्कुराते हुए बोला, "अम्मा…! अनाथ कहां कर के जा रहा हूं। तुम सब हो न इसकी परवरिश को। मुझे माफ कर देना। पहला फर्ज मेरा भारत मां के ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 54

भाग 54 देखते ही देखते उस गाड़ी के डिब्बे में मौजूद सब लोग उसकी मूंगफली के ठोँगे के लिए पड़े। जैसे ये कोई मामूली मुंगफली ना हो कर कोई करामाती मुंगफली हो। जो जितना ले सकता था। अपनी इच्छा अनुसार कीमत चुका कर खरीद रहा था। पल भर में ऊपर तक लदी मूंगफली की टोकरी खाली हो गई। उस व्यक्ति के उदास चेहरे पर भी सम्मान की एक स्पष्ट झलक दिखाई दे रही थी। आज पहली बार ऐसा हुआ था कि घर से मुंगफली से लदी टोकरी ले कर चला हो और वो पूरी की पूरी बिक गई हो। ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 55

भाग 55 साजिद और अशोक ट्रेन खुलने पर वापस अपनी जगह पर आ कर बैठ गए। अब तक उस की बातें से दोनो ही संजीदा हो गए थे। साजिद अशोक से कहने लगे, " एक हम है कि बस अपना कारोबार.. अपना धंधा, अपना परिवार, अपने बच्चे इसी में उलझे हुए हैं। देश में क्या हो रहा है इससे हमें कोई मतलब ही नहीं है। आखिर हम भी तो गुलाम हैं इन गोरों के। पर हम क्यों आगे आ कर बलिदान दे..! हम क्यों अपनी आराम की जिंदगी में खलल पैदा करें। इसके लिए तो मोहन जैसे आजादी के ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 56

भाग 56 पुरवा जब तक अंदर रही सलमा बाहर दरवाजे के पास खड़ी उसके निकलने का इंतजार करती रही। देर बाद पुरवा निकली तो सलमा साथ ले कर वापस लौटी और उसे समझाते हुए बोली, "पुरवा..! देख बेटा.. जब तक तू यहां है ना जो भी जरूरत हो मुझे बताया कर। उर्मिला को बताने की जरूरत नहीं है। ठीक है..! " पुरवा ने हां में सिर हिलाया। फिर अपनी अपनी जगह पर आ कर बैठ हैं। इतनी देर में अमन ने लगभग आधी मुंगफली छील डाली थी। जैसे ही पुरवा बैठी, उसे पकड़ाते हुए बोला, "ये लो पुरवा..! मैने ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 57

भाग 57 अमन ने बड़े ही चाव से उर्मिला का दिया खाना पेट भर के खाया। वहीं पुरवा को मसाले दार छोला और खस्ता पूड़ी भा रही थी। वो अपनी अम्मा के हाथ का बाटी चोखा खा-खा कर ऊब गई थी। सभी के खा लेने के बाद उर्मिला ने पुरवा से कहा कि वो जाए सारे बरतन नल पर जा कर धो डाले। पर सलमा ने ये कह कर रोक दिया कि वो बच्ची है उर्मिला..! उसे सफर का लुत्फ लेने दो। चलो.. हम और तुम मिल कर साफ कर लेते हैं। फिर वो दोनों सारी झूठी थालियां ले ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 58

भाग 58 पुरवा के हाथ आगे बढ़ाते ही अमन खुशी से झूम गया। चलो किसी तरह वो मानी तो इतना लंबा समय हो गया था उसे पुरवा से किसी ना किसी बहाने मिलते। पर एक इंच भी बात आगे नहीं बढ़ पाई थी। पुरवा उसकी ओर देखती भी नही थी। अमन को लगता कि कहीं उसकी बात चीत की कोशिश को पुरवा गलत ना समझ ले। इस लिए बिना सोचे विचारे कुछ नही कहना था उससे। अब अभी ही कैसे जरा सी बात पर कैसे तुनक गई। पर चलो अच्छा है कि कम से कम किसी तरह मान तो ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 59

भाग 59 अमन को जगाने की हिदायत दे कर सलमा और उर्मिला आराम करने लेट गईं। उधर साजिद और के सोने की वजह से अमन सिमटा हुआ था। इधर सलमा और उर्मिला के आ कर लेट जाने की वजह से पुरवा भी थोड़ी सी जगह में अधलेटी हो कर दूर आसमान में चमकते चांद को देख रही थी। आज उसे अपने दोनो छोटे भाइयों की बहुत याद आ रही थी। वो दोनो होते तो कितना खुश होते…..! उनके साथ उसे भी मजा आता। पर अम्मा बाऊ जी तो कुछ सुनते समझते ही नही हैं। उसे जबरदस्ती ले कर आए ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 60

भाग 60 मंदरा स्टेशन तो ठीक ठाक था सारी सहूलियतें उपलब्ध थी यहां। पर एक्सप्रेस गाड़ियों का ठहराव बस मिनट के लिए ही था। साजिद ने पहले ही पता कर लिया था। इस लिए सारा सामान अच्छे से बांध बंध कर तैयार कर लिया और दरवाजे के सामने रख दिया। साजिद ने सबको समझा दिया कि पहले सलमा उर्मिला और पुरवा जल्दी जल्दी से उतरेंगी। फिर अशोक। उसके बाद अमन ऊपर ही रुक कर साजिद और अशोक को फटाफट समान पकड़ाता जाएगा। वो तो जवान जहान है,अगर गाड़ी खुल भी गई तो वो आराम से उतर लेगा। सबको समझा ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 61

भाग 61 अशोक के समझाने से उर्मिला और पुरवा ने खुद को नियंत्रित किया और थोड़ी सामान्य हुई। अशोक दोनों को समझा कर खुद आगे बढ़ आया साजिद के साथ हो लिया। चमन घर पर ही था, वो काम से वापस आ गया था। थका हुआ था इस कारण जरा आराम करने मेहमान खाने में ही सोफे पर लेट गया था। बाहर बागीचे में हलचल और और बोलने की आवाज सुन कर उठ कर बाहर आया ये पता करने कि क्या बात है.। बाहर आकर अम्मी-अब्बू पर निगाह पड़ी। उन्हें देखते ही चमन खुशी से बोल पड़ा, "अरे..! अब्बू-अम्मी ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 62

भाग 62 उर्मिला पुरवा और अशोक के लिए यहां नई जगह में खुद को सामान्य रखना बड़ी चुनौती थी। के कमरे के बाहर जाते ही पुरवा को जैसे सुकून मिल गया। वो अपने गले में लिपटी ओढ़नी को निकाल कर बिस्तर पर फेंक दिया और खुद धम्म से बिस्तर पर बैठ गई। फिर उस पर बैठे बैठे ही उछलने लगी और अशोक से बोली, "बाऊ जी… ! आप भी आओ ना बैठ कर मेरे साथ ऐसे ऐसे करो… देखो ना कितना मुलायम है। बड़ा मजा आ रहा है।" उर्मिला को बेटी की ऐसी बेढंगी हरकत बिलकुल भी अच्छी नहीं ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 63

भाग 63 अशोक ने गुड़िया से कहा, "ठीक है बिटिया…. हम अभी सब को साथ ले कर आ रहे गुड़िया के वापस जाते ही अशोक मुड़ा और उर्मिला और पुरवा से बोला, "चलो उठो भाई तुम दोनों..! अब बाकी का आराम वापस आ कर कर लेना। गुड़िया बिटिया को सलमा बहन ने हमको खाने के लिए बुलाने भेजा था। उठ बिटिया..! वो हमारा ही इंतजार कर रहे हैं।" उर्मिला और पुरवा उठ कर बैठ गई। उर्मिला ने अपनी लेटने से अस्त व्यस्त हुई साड़ी को ठीक किया और सिर पर कायदे से पल्ला रक्खा और पुरवा को भी अपनी ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 64

भाग 64 अमन ”जी अम्मी.. जान..! अभी जा कर बोलता हूं मैं…।" कह कर अमन चाय का कप लिए अंदर लौट गया। अमन बावर्ची खाने में गया और महाराज जी से एक कप चाय और देने को बोला। आस पास देखा तो गुड़िया कहीं नजर नहीं आई। दो बार जोर से "गुड़िया…! गुड़िया..!" आवाज भी लगाई पर गुड़िया जाने कहां व्यस्त थी कि उसकी आवाज नहीं सुन रही थी। अब अमन कप थामें असमंजस में खड़ा रहा कि इसका क्या करे..? गुड़िया तो कहीं नजर नहीं आ रही। क्या फिर से वापस बगीचे में जा कर अम्मी को बताए..! ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 65

भाग 65 सलमा बोली, "ये तो बहुत ही अच्छी बात है। दो दिन बाद हम अपने नमक वाले कारखाने फिर जब वापस आयेंगे तब आप वहां का भी इंतजाम कर दीजियेगा। पर जहां तक मुझे पता है हर काम की शुरुआत शायद गणेश जी से ही होती है… क्यों उर्मिला मैं ठीक कह रही हूं ना।" उर्मिला हंस कर बोली, "बिलकुल सही कह रही हो आप सलमा बहन। भला आपको नही पता होगा…! तो फिर हमारी आपकी इतने बरस का सखिऔता बेकार है। हम आपके रीति रिवाज को ना जाने और आप हमारे ऐसा भला हो सकता है....!" अशोक ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 66

भाग 66 करीब चालीस किलोमीटर के सफर के बाद वो अपनी मंजिल के करीब थे। शाम का धुंधलका फैल था। जब मोटर साजिद मियां के नानी के घर के करीब पहुंची। मोटर एक छोटी पहाड़ी की शुरुआत में दोनो ओर कटे संकरे रास्ते से हो कर आगे बढ़ने लगी। पुरवा अशोक और उर्मिला हैरान थे कि ये कैसा घर है..! एक छोटी पहाड़ी को ही काट कर उसमे एक आलीशान घर बनाया गया था। जो बाहर से ही बेहद आलीशान नजर आ रहा था। पहाड़ी की शुरुआत में बगीचा था। जैसे जैसे उसकी ऊंचाई बढ़ने लगी वैसे वैसे उसकी ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 67

भाग 67 सलमा जितनी नरमी से बोल सकती थी, पूरी कोशिश करके नानी को समझाते हुए बोली, "हां.. नानी मैने आपसे कहा था। पर वो तो निकाह मेरी बहन के बेटे का था। हम वहां गए थे। बहुत दूर है ना इसलिए इतने दिनो तक आपसे आ कर मिल नही सके।" नानी ने सलमा को खुद से परे धकेल दिया और बिगड़ते हुए बोली, "अब और क्या बोलूं मैं.. साजिद.. लाला..! देख रहा है अपनी दुल्हन को…! ये आज कल की बहुएं अपने घर की बूढ़ी बुजुर्गों को निरा पागल ही समझती हैं। हां दुलहन..! बूढ़ी जरूर हुई हूं ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 68

भाग 68 आगे आगे भूंजी थी और पीछे सलमा और साजिद थे। ओढ़गाए हुए दरवाजे पर हल्की सी दस्तक कर भूंजी और सलमा साजिद ने कमरे में दाखिल हुए। सलमा ने कमरे में दाखिल होते हुए कहा, "मैने सोचा सब साथ ही बैठते है।" उर्मिला ने अपने बगल में रक्खा सामान हटाया और सलमा को बैठने को कहा। साजिद बगल में रक्खी कुर्सी पर बैठ गए। भूंजी ने सब को अपनी खास हरी चाय थमा दी। साथ ही नानी की पूरी कहानी उन्हें बताते हुए समझाने लगी, "अरे… अब मैं आपको क्या बोलूं..? आप दुल्हन की सहेली हैं तो ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 69

भाग 69 नानी धीरे धीरे पांव रखते हुए अमन का सहारा लेते हुए पुरवा के बिलकुल पास आ कर हो गई। घबराई हुई पुरवा का चेहरा अपने दोनों हाथों में थाम लिया और उसे निहारते हुए बोली, "माशा अल्लाह.. या खुदा तूने क्या नायाब खूबसूरती बख्शी है… मेरे छोटे लाला की दुल्हन को।" फिर जल्दी से अपने हाथों में पड़े मोटे मोटे जड़ाऊ कंगन को उतार कर पुरवा के नाजुक हाथों में पहना दिया। अमन और पुरवा को एक साथ निहारते हुए अपना हाथ दोनो के सिर से फिरा कर बलइया लेते हुए सिर के बगल उंगलियां चटका कर ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 70

भाग 70 इसके बाद अशोक पुजारी जी के बताए तरफ के धर्मशाला में सब को ले कर चले गए। ने साथ लाए नमक पारे और कुछ फल अमन को दिया और साथ ही बाकी सब को भी दिया। थकान होने की वजह से सभी लेट कर आराम करने लगे। करीब एक घंटे बाद घंटे की आवाज सुनाई दी। अशोक बोले, "लगता है द्वार खुल गया।" उर्मिला ने भी हामी भरी पूछा, "चलें फिर..?" अशोक उठते हुए बोले, "हां चलो।" उर्मिला,अशोक, पुरवा और सलमा जाने लगे पर अमन आराम ही करता रहा। दोपहर का अभिषेक हो रहा था। सलमा एक ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 71

भाग 71 पुरवा मंदिर और घाटों की सफाई झाड़ू से करती तो अमन घड़े से पानी डालता। पुरवा अम्मा-बाऊ के कपड़े धुलती तो अमन उन्हें सूखने के लिए डाल देता। सूखने पर तह करके रख देता। ऐसे ही काम करते हुए आपस में हंसी भी करते रहते। पुरवा कपड़े घुल रही थी और अमन वही सीढ़ियों पर अधलेटा सा आराम की मुद्रा में बैठा प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहा था। ये आनंद प्रकृति के सौंदर्य से ज्यादा पुरवा का सौंदर्य उसे दे रहा था। वैसे वो पुरवा को निहारता पर जैसे ही पुरवा की आंखें उसकी ओर घूमती ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 72

भाग 72 नीचे पानी के करीब जा कर पुरवा ने लोटा डाल कर पानी को हिलाया और फिर नीचे पानी भर लिया। खुद हाथों से अंजुरी बना कर पानी पी कर प्यास बुझाई गट गट की आवाज बता रही थी कि वो बहुत प्यासी थी। और फिर से लोटा को भर कर वो वापस मुड़ी। वो जैसे ही मुड़ी किसी से टकरा गई। टकराते ही उसकी घुंटी घुंटी सी चीख निकल गई। उसकी चीख को दबाने को एक मजबूत हाथ ने उसका मुंह बंद कर दिया। डर से पुरवा का बदन कांपने लगा कि ये कौन आ गया..! और ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 73

भाग 73 पुरवा के पीछे अमन भी आ कर अशोक के करीब लेटा और तुरंत ही सो गया। लगभग ही रात जागी होने की वजह से पुरवा को बहुत गहरी नींद आई। उनके आने के थोड़ी ही देर बाद धर्मशाला में सब जाग गए और उनकी आहट और बाहर हुई रौशनी से उर्मिला अशोक और सलमा भी जाग गए। रोज की तरह उर्मिला पुरवा को आवाज देने लगी, " पुरवा..! उठ जा बिटिया..! सुबह हो गई है। आज हवन भी तो है इसके बाद वापस भी लौटना है। रोज तो खुद से ही जाग जाती है। आज क्या हो ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 74

भाग 74 सलमा के पुरवा के देख-भाल की जिम्मेदारी ले लेने से उर्मिला पुरवा की तरफ से निश्चिंत हो और अमन की मदद से हवन के पूर्णाहुति कि तैयारी करने में जुट गई। थोड़ी ही देर में अपने पैरों में महावार लगा कर, मांग भर कर, नई साड़ी पहन कर उर्मिला तैयार हो गई। हाथ में पूजा का थाल ले कर साथ में अमन और अशोक को साथ ले कर उर्मिला कटास-राज के मुख्य मंदिर जहां पर शिवलिंग स्थापित था, चल दिए। दूध का कलश और जल का कलश अमन और अशोक थामें हुए थे। पुरोहित जी भी पूरी ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 75

भाग 75 पुरवा लेटी हुई थी और अमन वही पास में खामोशी में बैठा हुआ था। पुरवा की तबियत होने से उसका डॉक्टरी की पढ़ाई का फैसला और भी मजबूत हो गया। अब फिर से काढ़ा पिलाने का समय हो गया था। काढ़ा और बूटी का असर शुरू हो गया था। पुरवा जो अभी तक चादर को खूब कस कर खुद से लपेटे हुए थी। अब उसे गरमी लग रही थी। चादर आधा खिसका दिया। फिर थोड़ी ही देर में और पसीना होने लगा। अमन ने फिर से खुराक देने के पहले पुरवा का माथा छुआ तो वो पसीना ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 76

भाग 76 अशोक, उर्मिला, सलमा भंडारे में चले गए। अशोक ने अमन को पुरवा को कमरे में ले कर को कहा। वो बोले, "पुरवा..बिटिया..! तुम और अमन चलो कमरे में। हम लोग तुम्हारे लिए भंडारे का प्रसाद वही ले कर आते हैं।" इसके बाद उर्मिला, अशोक और सलमा ने भंडारे में जा कर प्रसाद खाया और दो पत्तल में पुरवा और अमन के लिए ले लिया। अब पुरवा राहत महसूस कर रही थी इसलिए कमरे में आने के बाद भी लेटी नही। जबकि अमन चाहता था कि वो थोड़ा आराम कर ले। क्योंकि आज ही वो सब को ले ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 77

भाग 77 अमन ने घोड़े की जीन के पास के थैले में सारा सामान रख दिया और पुरवा को पर बैठने को कहा। पर पुरवा उसे देख कर डर गई थी। वो बोली, "नही.. बाऊ जी..! हम पैदल ही चल लेंगे। हमसे नही बैठा जायेगा। अगर कहीं खाई में कूद गया तो..! नही नही हम नही बैठेंगे।" अमन समझाते हुए बोला, "क्या बचपना है..! क्यों कूद जायेगा खाई में..? ये बहुत सीधा है। हमेशा पुरोहित जी को ले कर इसी रास्ते पर आता-जाता है। चलो नखरा छोड़ो बैठो चुपचाप।" पुरवा डर कर अशोक के पीछे छुप गई। आंखो में ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 78

भाग 78 जाने कैसे नानी को पता चल गया था कि वो सब आज ही आ रहे हैं। भूंजी कह कर शीरा, कोरमा, दाल यखनी, बिरयानी और भी बहुत कुछ बनवा दिया था। खुद झूले पर बैठी हुक्का गुड गुड़ा रही थीं। साजिद की मोटर की आवाज सुनी तो बोल पड़ीं, "लो आ गया मेरा लाला..। आज तो सब को ले कर ही आएगा। मुझे तेरे बड़े मालिक ने रात ही को सपने में आ कर बता दिया। जा भूंजी सबके लिए बादाम शरबत ले आ।" भूंजी भी सबको आते देख आश्चर्य में पड़ गई कि कैसे इनको पहले ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 79

भाग 79 नानी के घर से निकलते-निकलते साढ़े आठ बज गए थे। पहाड़ी रास्तों पर सफर का आनंद उठाते सब मंजिल की ओर बढ़े जा रहे थे। तभी अशोक बोले, "साजिद भाई..! आप सब की बदौलत अच्छे से कटास -राज बाबा के दर्शन हो गए। हम वहां सब कुछ पड़ोसियों के भरोसे छोड़ कर आए हैं। जिस गाड़ी से हम आए थे वो कब मिलेगी..? हमें उसी गाड़ी पर बैठा दे आप।" सलमा उलाहना देते हुए बोली, "क्या अशोक भाई..! अभी आज ही लौट रहे हैं और जाने की तैयारी भी कर रहे हैं। रुकिए कुछ दिन तब जाइएगा। ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 80

भाग 80 सब सामान संजो कर रखने के बाद अशोक भी आराम करने लेट गए। पर पुरवा की कर करने की बजाय गुड़िया के पास चली गई। गुड़िया मुन्ना को गोद में लिए पुरवा से बातें कर रही थी तभी अमन आ गया और गुड़िया की गोद से मुन्ने को लेते हुए उससे बोला, "गुड़िया मैं मुन्ना को संभालता हूं, जाओ तुम मेरे लिए एक गिलास पानी लेते आओ। प्यास लगी है।" "अभी लाई भाई जान।" कह कर पुरवा पानी लाने चली गई। अमन पुरवा की जो उपन्यास लाया था, उसे ले कर आया और उसे पकड़ाते हुए बोला, ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 81

भाग 81 सलमा और साजिद के नजरों से ओझल होते ही अशोक और उर्मिला भी आ कर सीट पर गए। साथ लाई चादर उर्मिला झोले से निकाल कर बोली बारी बारी से अशोक,पुरवा और अमन को थमाते हुए बोली, पुरवा..! ये लो इसे बिछा कर ऊपर वाली सीट पर तुम सो जाओ, और फिर अमन को भी एक चादर पकड़ाते हुए ऊपर की सीट पर जा कर सो जाने को बोली।" फिर अशोक को भी सामने वाली सीट पर चादर बिछा कर सो जाने को कहा। पर अशोक बोले, "नही..पुरवा की मां तुम सो जाओ मैं जागूंगा।" पर उर्मिला ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 82

भाग 82 लाहौर स्टेशन आने वाला था। अमन बेचैन था कि उसका पुरवा के साथ, बस यहीं तक था। से अलग पुरवा की हालत भी नही थी। अब बस थोड़ी ही देर में वो जुदा हो जायेंगे अनन्त समय के लिए। फिर जाने कभी मुलाकात होगी भी या नहीं। ये मासूम सूरत फिर कभी देखने को मिलेगी भी या नही! जितना सोच रहा था तकलीफ उतनी ही बढ़ती जा रही थी। गाड़ी अपनी रफ्तार से चल रही थी तभी तेजी से सीटी देते हुए गाड़ी रुक गई। अमन ने अनुमान लगा कर बोला, "लगता है किसी से जंजीर खींच ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 83

भाग 83 अशोक अपने दोनों हाथों से सिर को ढकते हुए उनके वार से बचाने की नाकाम कोशिश कर थे। तभी एक ने तलवार की नोक को उनके पेट में सटा दिया और उस पर दबाव बना कर चुभाते हुए बोला, "बोलता क्यों नही हरामजदे..! तेरा नाम क्या है..? घुसेड़ दूं पूरा पेट में…?" तलवार की नोक चुभने से खून निकल कर कुर्ते पर लगने लगा। अशोक दर्द से बिलबिला गए और कराहते हुए बोले, "अशोक… अशोक नाम है।" वो जोर से बोला, "काफिर है साला.. मार दूं..?" अपने मुखिया से पूछा, मुखिया उसे रोकते हुए बोला, "नही… रुको ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 84

भाग 84 अमन मुखिया के पैरो पर अपना सिर रक्खे हुए बोला, "मुझसे गलती हो गई भाई जान..! रहम दीजिए। बक्श दीजिए।" वो मुखिया बोला, "तू मुसलमान है ना..!" अमन से उसके पैरों से सिर उठा कर जल्दी से "हां" में हिलाया। मुखिया बोला, "कोई बात नही। अभी दूध का दूध, पानी का पानी हुआ जाता है।" फिर एक आदमी से बोला, "भाई जान… मुसलमान है। उतार दो रे … इसकी पैंट। देखो जरा इसकी बात में कितनी सच्चाई है।" मुखिया की इस बात पर सभी हा… हा .…कर के हंस पड़े। फिर एक ने अमन को उठाया और ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 85

भाग 85 कुछ दूर भागने के बाद एक छोटा सा गांव पड़ा। उसमे सब आगे पीछे पड़ने वाले घरों घुसने लगे। सबसे अंतिम में एक बड़े से घर में अमन और पुरवा को ले कर वो मुखिया दंगाई घर में दाखिल हुआ। घर का बाहरी दरवाजा खुला हुआ था। एक बुजुर्ग महिला दरवाजे चौखट के बगल में बिछी छोटी सी चारपाई पर बैठी हुई थी। उन्होंने सफेद सलवार कमीज पहने सिर पर दुपट्टा डाले बैठी हुई थी। हाथ में मनकों की माला निरंतर घूम रही थीं। मुखिया को दो अनजान लोगों के साथ देख कर उन्हें तहक़ीक़ (जिज्ञासा) हुई ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 86

भाग 86 करीब एक घंटे बाद खाना तैयार हो जाने पर जरीना ने सबसे पहले अपनी बेवा सास को परोस कर दिया। रोज का ही नियम था वो पहले उन्हें देती थी। दोनो बच्चे भी उन्ही के साथ बैठ कर थोड़ा ज्यादा जो भी उनका दिल करता था खा लेते थे। फिर उन्हीं के साथ सो भी जाते थे। वैसे जरीना अपनी सास की बहुत खिदमत करती थी एक अच्छी बहू की तरह। उनका बहुत अदब भी करती थी। पर जिस दिन बख्तावर किसी लड़की को ले कर आता उस दिन फरमाबरदार बहू का चोला उतार कर जितनी जली ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 87

भाग 87 पुरवा और अमन पर जो कुछ, चंद घंटे पहले उन पर बीता था, उसका मातम मनाते हुए ही आंसू बहा रहे थे। पर उस आंसू की तपिश ऐसी थी कि उनके आत्मा, हृदय, दिल को दग्ध किए दे रही थी। दर्द की उस ज्वाला में अपने दोषी को भस्म करने के लिए वह सिर्फ उचित समय की प्रतीक्षा कर रहे थे। जब हर तरफ से आवाज आनी बंद हो गई। पूरा का पूरा गांव, उसमे रहने वाले लोग, पशु पक्षी सब गहरी नींद में डूब गया। तब अमन ने अपनी कलाई में बंधी घड़ी पर नजर डाली। ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 88

भाग 88 पुरवा ने अपने चेहरे को छुआ। खून सूख कर कड़ा हो गया था। अमन नलका चलता रहा। ने पहले छीटें मार कर मुंह धोया। फिर नलके के बहते पानी के नीचे बैठ कर सिर से से नहा लिया। ये हालत ने उससे क्या करवा दिया..! पुरवा के नहा लेने पर अमन ने ओढ़नी का परदा तान कर मुंह घुमा कर खड़ा हो गया। पुरवा ने कपड़े बदल कर उतरे हुए कपड़े को धो कर साफ़ किया। और वही झाड़ी पर सूखने डाल दिया। इसके बाद अमन ने भी नहा कर साथ लाए कपड़े पहने और अपने कपड़े ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 89

भाग 89 अशोक को जीवित देख कर पुरवा और अमन के टूटी आस को उम्मीद की एक नई रोशनी वैरोनिका भी खुश थी कि उसकी जरा सी मदद से दोनों बच्चों को उसके पिता मिल गए। वेरोनिका ने उन्हें दिलासा दिया और पूछा, "तुम दोनो कहां से आया है बच्चा लोग..?" पुरवा और अमन दोनो ने एक साथ अपनी अपनी जगह बताई। वो चौंकी और बोली, "तुम दोनो भाई बहन दो जगह पर कैसे रहता है..?" फिर अमन ने उन्हें अपने और पुरवा के यहां तक के सफर की पूरी कहानी बताई। वो बोली, "ओह..! ये बात है..। खैर ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 90

भाग 90 वैरोनिका खाने के बाद उठते हुए हुए बोली, "अमन तुम यहां विक्टर के बिस्तर पर सो जाओ, तुम चाहो तो मेरे साथ उस कमरे में चारपाई डाल कर सो सकती हो। मैं बहुत हाथ पैर फैला कर सोती हूं ना इसलिए तुम मेरे साथ आराम से सो नही पाओगी। मैं बहुत थकी हूं, वहां पर चारपाई रक्खी हुई है, तुम बिछा कर सो जाना।" वैरोनिका सोने चली गई। पुरवा ने सारे जूठे बर्तन समेटे और उन्हें साफ करके रसोई में सजा दिया। अब जब वैरोनिका से इतने भरोसे और प्यार से उनको इस मुसीबत की घड़ी में ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 91

भाग 91 पुरवा ने वैरोनिका के मना करने के बावजूद उससे स्टोव जलाना सीख कर सब्जी रोटी खुद ही इतनी नेक महिला के लिए जो भी उसके वश में था वो करना चाहती थी। अमन ने रात के खाना खाते समय वैरोनिका आंटी और पुरवा से बताया कि उसका दाखिला मेडिकल कॉलेज में हो गया है। अमन के दाखिले की बात सुन कर वैरोनिका बहुत खुश हुई। वो बोली, "गॉड ब्लेस यू माई सन..! बहुत ही नेक राह चुनी है तुमने। गरीबों दुखियो की सेवा करके जो सुकून मिलता है ना, वो और किसी भी काम से नही मिलता। ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 92

भाग 92 अमन को ऐसी हालत देख कर जसबीर घबड़ा गया। उसने अमन के हाथों से वो कागज का ले लिया और पढ़ा। पढ़ कर अनुमान लगाया कि जरूर कोई करीबी जानने वाली होंगी तभी अमन को इतना दुख हो रहा है। उसने अखबार के टुकड़े को अमन के सामने करते हुए उससे पूछा, "क्यों.. अमन ..! कोई खास परिचित हैं क्या..? संभालो खुद को। अब जो हो गया है उसे बदला तो नही जा सकता ना। बहुत बुरा हुआ इनके साथ। वैसे कौन हैं ये..?" अमन खुद को संभालते हुए अपने आंखो में भर आए आंसू को पोछते ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 93

भाग 93 विक्टर बेहद थका हुआ था। तुरंत ही अपने कपड़े उतारे और बिना हाथ मुंह धोए ही सो सुबह जब अमन की आंख खुली और उठा तो देखा कि कोई जमीन पर चादर बिछाए सो रहा है। विक्टर को फोटो में देखा हुआ था इसलिए पहचान गया कि ये वैरोनिका आंटी का भाई ही है। कोई अनजान किसी के लिए कितना कर सकता है ये आज अमन देख और महसूस कर रहा था। जिसका घर था वो जमीन पर सो रहा था और एक अनजान व्यक्ति को अपने बिस्तर पर सोने दिया था। ये दुनिया ऐसे ही नही ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 94

भाग 94 देश आजाद हो गया था, पर इसकी खुशी धूमिल पड़ गई बंटवारे के फैसले से। इस खबर सुन कर कि देश का बंटवारा होने जा रहा है, जो उत्पात दंगाइयों ने कुछ दिन पहले मचाया था, फिर से उसकी पुनरावृति की प्रबल संभावना बन रही थी। विभाजन चाहने वालों और ना चाहने वालों के बीच खाई बढ़ती ही जा रही थी। कुछ जिन्ना की विचार धारा के समर्थक को अपना अलग देश हर कीमत पर चाहिए ही था। वो तो पा ही लिया था। पर अब वो पहले की तरह मिल जुल कर रहने को राजी नहीं ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 95

भाग 95 दो कमरे का छोटा सा क्वार्टर था। अमन और विक्टर के बीच की बात चीत वैरोनिका और को बड़े ही आराम से सुनाई दे रही थी। वैरोनिका ने सब्जी काट दी थी और पुरवा आटा गूंध रही थी। अमन आया और बरामदे में बैठी वैरोनिका आंटी से बोला, "आंटी…! इन दोनों लोगों को भी विक्टर भाई के साथ ही भेज देते हैं। इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा जाने का..! आप क्या कहती हैं..?" वैरोनिका बोली, "तुम्हारी बात बिलकुल ठीक है अमन। इस समय जितनी जल्दी और सुरक्षित ये अपने घर पहुंच जाएं वही अच्छा है। फिर ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 96

भाग 96 अब आगे जाने की व्यवस्था करनी थी। विक्टर और अमन के साथ पुरवा बाऊ जी को बिठा वही पास में खड़ी थी। विक्टर लंबे सफर के बाद थका हुआ था। उसे रिटायरिंग रूम में जा कर आराम करना था। फिर उसे यही ट्रेन ले कर वापस लाहौर जाना था। पुरवा अमन और विक्टर से बोली, "आप दोनो जाइए। मैं आगे बाऊ जी को ले कर उधर की ट्रेन आने पर चली जाऊंगी।" पर उसकी कंप कपाती आवाज से अकेले सफर का डर साफ बयां हो रहा था। अमन अगर साथ जाता तो संभव है दस घंटे में ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 97

भाग 97 फिर अमन विनती करते हुए बोला, "पुरु..! चलो ना..उतर चलते हैं। कही बिना पहचान के अपनी नई शुरू करेंगे। सारी मुसीबत की जड़ ये पहचान ही तो है कि मैं मुस्लिम हूं तुम हिंदू हो। हन एक अच्छे इंसान बन कर अपनी नई जिंदगी शुरू करेंगे।" पुरवा ने बिना अमन की ओर देखे हुए बोली, "भाग कर सब से अपनी पहचान छुपा कर क्या हम खुश रह पायेंगे..! क्या हमारी पुरानी पहचान हमारा पीछा छोड़ देगी..? कब तक हम अपनी जन्मभूमि और अपने परिवार को भूल कर दूर रह पायेंगे..? दोनो ही धर्मों के लोग एक दूसरे ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 98

भाग 98 सभी की संवेदना अशोक और उसके परिवार के लिए थी। ईश्वर ने बड़ा अन्याय किया अशोक और बच्चों के साथ। सिर्फ चाची ही ऐसी थी जिसे संवेदना से ज्यादा क्रोध था अशोक पर। उसने उर्मिला पर कोई रोक टोक, कोई लगाम नहीं लगाई थी। जो वो कहती थी, वही अशोक करता था। इसका उन्हें दुख था। अगर उसकी बात मान कर अशोक इन लोगों की बातों में आ कर साथ नही गया होता, उनकी बात मान कर रुक गया होता तो क्यों ये सब होता..! आज ये घर इस तरह मातम नहीं मना रहा होता। जब घर ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 99

भाग 99 पुरवा के मामा के लिए बहन के बच्चों से बढ़ कर कुछ नही था। वो अपना सारा काज बड़े भाई के भरोसे छोड़ कर बच्चों, अशोक और खेती की देख भाल के लिए यही रुक गए। अमन वहीं गांव के बाहर खड़ा बस से जाती हुई पुरवा को देखता रहा। दो घड़ी में वो ओझल हो गई। आज करीब दो महीने का साथ छूट गया। अब जाने कब वो इस मासूम चेहरे पाएगा..! कभी देख पाएगा भी या नही। जैसे बस गई थी वैसे ही तुरंत पुरवा और उसके बाऊ जी को उतार कर लौट आई। अमन ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 100

भाग 100 एक आदर्श पत्नी और मां का फर्ज बखूबी निभाते हुए गुलाब ने पति और पुत्र को समझा घर का माहौल तनाव पूर्ण होने से बचा लिया। बहुत सी तैयारियां शादी की करनी थी। वो सब कुछ अच्छे से निपटाने की तैयारी में व्यस्त हो गईं। पहले दीपावली की तैयारी करनी थी। अब मात्र ग्यारह दिन बचे थे। इसी में सब कुछ करना था। गहने तो गुलाब ने बहुत दिन पहले से ही कभी चैन तो कभी झुमका, कभी अंगूठी आदि बनवा कर रख लिए थे। बस चढ़ाव के लिए साड़ियां ही खरीदनी थी। इकलौता बेटा था महेश.. ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 101

भाग 101 सिंधौली से डोली महाराज गंज पहुंचने में शाम हो गई। कई बार रुक कर सुस्ताते सुस्ताते कहार रहे थे। गुलाब ने बहू की अगवानी की पूरी तैयारी कर रक्खी थी। बस बहू बेटे के घर पहुंचने का इंतजार था। जैसे ही डोली गांव में पहुंची। बच्चे हो हल्ला करते हुए उसके पीछे पीछे हो लिए। उन्हीं में से एक भाग कर ये खबर पहुंचाने घर गया कि कनिया आ गई है। जैसे ही खबर मिली गुलाब सूप, लोढ़ा मूसल ले कर परिच्छन के लिए तैयार हो कर बाहर खड़ी हो गई। डोली रखते ही पहले गुलाब गई ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 102

भाग 102 सब के सो जाने पर गुलाब महेश के पास कमरे में गई। वो किताब खोले बाहर वाले में पढ़ाई कर रहा था। चार पांच महीने बाद ही उसकी फाइनल परीक्षा होने वाली थी। उसी की तैयारी में ध्यान केंद्रित कर रहा था। भिड़े दरवाजे को खोल कर वो महेश के पास गई और बोली, "बाबू….! चल अंदर वाले अपने कमरे में चल। वही सो जाना।" महेश अनभिज्ञ बनता हुआ बोला, "नही मां..! मुझे यहीं रहने दो। अभी पढूंगा मैं।" गुलाब पास आ कर उसकी किताब बंद कर दी और बोली, "जिंदगी भर पढ़ाई ही करनी है। चल ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 103

भाग 103 कुछ मिनट पुरवा सिर झुकाए बैठी रही और महेश खामोश सामने रक्खी कुर्सी पर बैठा पुरवा के के अप्रतिम सौंदर्य को अपलक निहारता रहा। तभी पुरवा के अपने सिर से जरा से सरके पल्ले को ठीक करने के लिए हाथ उठाया तो चूड़ियों की खनखन से महेश वर्तमान में आया और गला साफ करते हुए बात चीत शुरू करने की कोशिश करते हुए बोला, "तुम्हारा नाम क्या है..?" पुरवा धीरे से बोली, "पुरवा…" महेश बोला, "अरे..! वाह.. ये तो बड़ा सुंदर नाम है बिलकुल तुम्हारी ही तरह..। पर मैं तुम्हें पुरु कह कर बुलाऊंगा। मैं तुम्हें पुरु ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 104

भाग 104 महेश खीर की कटोरी ले कर पुरवा के पास कमरे में गया और उसकी कटोरी को उसके रख कर खीर खाते हुए बोला, "तुमने बनाई है..! बहुत ही स्वादिष्ट खीर है। लो तुम भी खाओ। मां को चिंता थी की उनकी बहू भूखी होगी। इसलिए मेरे हाथों भिजवाया है। लो जल्दी से खा लो वरना मां नाराज हो जायेगी।" खीर खत्म कर महेश बोला, "अच्छा पुरु..! अब मैं बाहर जा कर पढ़ाई करता हूं। तुम भी आराम करो।" पुरवा को हर पल अपने घर और बाऊ जी की याद आती थी। खास कर ये चिंता लगी रहती ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 105

भाग 105 पूरे एक महीने तक परीक्षा चली महेश की। चिलचिलाती गर्मी में पसीने से तर -बतर वो किताबे पढ़ाई में जुटा रहता। सभी पेपर अच्छे हुए। पूरी आशा थी कि वो बहुत अच्छे नंबरों से पास कर जायेगा। इधर महेश के जाने के बाद एक दो महीने तो पुरवा को बिल्कुल भी चिंता नही हुई कि वो घर नहीं आ रहा है। पर जब चार महीने बीत गए ना तो उसका एक भी खत नही आया और ना ही वो खुद ही आया। गुलाब रोज जब भी बाहर से आती ये पूछती कि बाबू की चिट्ठी आई क्या..? ...और पढ़े

106

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 106

भाग 106 पुरवा को अपने इतने करीब देख कर महेश के रग रग में खुशी की लहर दौड़ गई। मुस्कुराते हुए अपने दोनो दोनों बाजुओं का घेरा बना कर कस लिया। पुरवा का चेहरा अपनी ओर उठाया तो उसने शर्म से अपनी आंखे बंद की हुई थी। होठों पर असीम संतोष था। बाहर आंगन की तपी हुई मिट्टी बारिश की पहली बौछार पा कर तृप्त हो अपनी सोंधी सोंधी खुशबू फैला रही थी। महेश भी पुरवा के दामन से लिपट कर अपनी आठ महीने की जुदाई का दर्द मिटा रहा था। एक दूसरे के साथ कैसे समय बीत गया ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 107

भाग 107 बच्चे बड़े ही लाड़ प्यार और सुख सुविधा के बीच बड़े होने लगे। बड़े ही प्यार से ने बेटे का नाम पवन और बेटी का नाम पूर्वी रक्खा। पैसे की कोई कमी थी नही थी इस लिए जवाहर जी ने अपनी नौकरी छोड़ दी। पटना उन दोनो का आना जाना लगा रहता था। तभी किसी केस के सिलसिले में महेश का पुराना दोस्त विक्रम खुराना दिल्ली से आया। महेश ने उसे होटल की बजाय जिद्द कर के अपने घर में रोक लिया। दो दिन रहा विक्रम। उसने दिल्ली की वकालत और वहां के माहौल के बारे में ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 108

भाग 108 पुरवा को तकलीफ थी कि महेश उसे छोड़ने हॉस्पिटल तक भी नही आए थे। उनके लिए उसकी से ज्यादा काम का महत्व था। इलाज का दौर शुरू हुआ। तरह तरह की दवाइयां, इंजेक्शन उसे दिन में कई बार दी जाती थी। पर सुई दवा भी तभी काम करती है जब दिल में ठीक होने की इच्छा हो। पुरवा बे मन से सब कुछ करती। पूर्वी तो रोज ही आती थी मिलने। पवन और विजया छुट्टियों में महेश के साथ आते थे। बस कुछ देर के लिए। आते मिल कर चले जाते। पुरवा अब बस घर से अपने ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 110

भाग 110 ज्यादा इंतजार नही करना पड़ा। ठीक दस बज के दस मिनट पर फोन की लंबी लंबी घंटी ये इशारा था कि कॉल इंडिया से ही है। अमन ने रिसीवर उठाया और बोला, "हैलो..! डॉक्टर..अमन स्पीकिंग।" दूसरी ओर से आवाज आई, "गुड मॉर्निंग अंकल..! मैं डॉक्टर.. पूर्वी बात कर रही हूं। पुरवा की बेटी। आप शायद पुरवा को जानते है।" वही पुरवा की सी खनकती आवाज थी। "यस..! जानता हूं मैं।" फिर पूर्वी ने विवान से अपनी मम्मी की इतिफाकन हुई मुलाकात के बारे में और अपनी मम्मी के विक्टर अंकल के बारे में पूछने की सारी बात ...और पढ़े

110

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 111

भाग 111 बाहर अमन गाड़ी में बैठा पूर्वी का इंतजार कर रहा था। जैसा पूर्वी बाहर दिखी कार का बजा कर अपनी ओर आने का इशारा किया। पूर्वी अमन का इशारा समझ कर उस ओर बढ़ गई। अमन ने आगे का दरवाजा खोल दिया। पूर्वी आ कर बैठ गई। अमन ने कार आगे बढ़ा दी। करीब दस मिनट बाद कार अमन के बंगले के पोर्च में खड़ी थी। गाड़ी का हॉर्न सुन कर नौकर बाहर आया। अमन ने उससे पूर्वी का बैग उतार कर गेस्ट रूम में रखने को कहा। अमन बड़े ही प्यार से पूर्वी का हाथ पकड़ ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 112

भाग 112 अमन ने आहिस्ता से दरवाजा खोला जिससे पुरवा को कोई परेशानी नही हो। आज सत्ताइस साल बाद पुरवा से सामना होगा। वो इतने लंबे अरसे बाद उसे देखेगा। दिल खुशी से पागल हुआ जा रहा था। पर ये खुशी धूमिल हो रही थी कि पुरवा की बीमारी से उसे निजात नही दिला पा रहा। पुरवा से मुलाकात का एक असंभव सपना पूरा हो रहा था, पर जिस हालत में पुरवा उसे दिख रही थी वो असहनीय था। अमन धड़कते दिल से आया और बेड के पास आया और पास के स्टूल पर बैठ गया। पुरवा का पीठ ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 113

भाग 113 रात अमन से हुई मुलाकात को सपना समझ कर पुरवा मुस्कुराते हुए नर्स को देखा और उसके से दवा ले ली। नर्स बोली, "क्या बात है मैडम.? आप आज खुश नजर आ रही हैं। आपको आराम महसूस हो रहा है..!" पुरवा बोली, "हां..! रात मुझे बहुत ही अच्छा सपना आया था। मन के कोने में दबे पड़े सपने हकीकत में जैसे महसूस हुए। इसीलिए मेरा मन खुश है।" तभी बरवाजा खोल कर अंदर आती हुई पूर्वी और विवान ने उसकी बातें सुन ली। पूर्वी बोली, "मम्मी..! आपका कौन सा सपना अधूरा रह गया जिसे आपने सपने में ...और पढ़े

113

कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 114

भाग 114 विवान, पूर्वी और अमन तीनों बारी बारी से पुरवा के पास देख भाल के लिए रहते थे। फुल्की बातें कर के पुरवा को तनाव मुक्त रखने की पूरी कोशिश करते थे। बीच बीच में वैरोनिका भी आती थी पुरवा से मिलने के लिए। वो जब भी आती पुरवा के पसंद का कुछ ना कुछ अपने हाथों से जरूर बना कर लाती थी। ज्यादा कुछ तो खाना मना था, पुरवा थोड़ा सा मन बदलने के लिए चख भर लेती थी। कटास राज चलने की पूरी तैयारियां हो है। सुबह सात बजे वो सब निकल पड़े कटास राज के ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 115

भाग 115 पुरवा की इच्छा पूरी करने के लिए सब कटास राज मंदिर पहुंच गए। शाम चार बजते बजते मंदिर के प्रांगण से कुछ ही दूर थे। वैन को मंदिर से काफी पहले ही रोकना पड़ा। आगे गाड़ी नही जा सकती थी। अमन ने वैन में साथ लाई व्हील चेयर निकलवाई और पुरवा को उस पर बिठा कर सभी के साथ अंदर मंदिर की ओर आ गया। अब हिंदू मंदिर था तो ना तो उसका ज्यादा काया कल्प किया गया था। शायद भारत माता के दिल को घायल कर के बने इस देश ने एक नालायक बेटे की भांति ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 109

भाग 109 ऐसे एक महीना बीत गया। पुरवा की चुप्पी लगातार बढ़ती ही गई। दो बार पूर्वी दीवान को साथ लेकर आई कि हो सकता है उसके आने से पुरवा की ख़ामोशी टूटे। पर पूर्वी की ये कोशिश भी सफल नहीं हुई। वो विवान से भी विरक्त ही रही। तबियत में लगातार गिरावट आस रही थी। महेश के जिम्मे देश के बड़े नेता का केस आ गया था। पार्टी हाई कमान से वो नेता इस केस के जितने के बदले लोक सभा का टिकट दिलवा सकता था। इस लिए अपनी पूरी टीम और पवन को साथ ले कर महेश ...और पढ़े

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 116 - अंतिम भाग

भाग 116 अमन उसके हठ से हार गया और घर ही ले आया। अमन ने अपना पूरा घर पुरवा व्हील चेयर पर बिठा कर घुमाया। फिर अपने बुक रैक के पास ले आया। और दिखाते हुए बोला, "देखो.. पुरु..! तुम्हारी निशानी कितना संजो कर रखे हुए हूं मैं..।" पुरवा को बहुत अच्छा लगा ये देख कर कि अमन ने उसकी छोटी सी निशानी को भी कितना सहेज कर रक्खा हुआ है। फिर अमन ने झुक कर उसकी आंखों में झांका और बोला, "पुरु..! अगर तुम मेरी जिंदगी में आती तो तुम्हें भी ऐसे ही सहेज कर रखता। कभी कोई ...और पढ़े

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