अल्पा को इस तरह अचानक अपने घर पर देखकर विनोद हैरान था उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। अल्पा के अंदर आते ही विनोद ने दरवाज़ा बंद कर लिया।
अल्पा रो रही थी विनोद एक गिलास पानी लाया और उसे देते हुए कहा, "यह लो बेटा।"
अपने पापा के मुंह से बेटा शब्द सुनते ही प्रिया दंग रह गई। उसने तुरंत ही विनोद की तरफ़ आश्चर्य से देखा। वह आंखों से मानो कह रही थी कि पापा यह क्या बेटा ...? बेटा क्यों कहा आपने?
विनोद भी उसके मन की बात समझ गये थे पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया और फिर कहा, "फ़िक्र मत करो बेटा सब ठीक हो जाएगा।"
अब प्रिया उसके पापा के इरादे को समझ चुकी थी। उसने कहा, "अल्पा जी आप शांत हो जाइए और फिर बताइए कि क्या हुआ है?"
अल्पा ने कुछ देर में आज की अपनी पूरी कहानी विनोद और प्रिया को बता दी।
प्रिया ने कहा, "यही सही मौका है, अब हमें वह कैमरा वहाँ से निकाल लेना चाहिए।"
कैमरा शब्द सुनते ही विनोद ने आश्चर्य से पूछा, "कैमरा ...कौन-सा कैमरा ...? प्रिया तुम यह कौन से कैमरे की बात कर रही हो?"
प्रिया ने कहा, "सॉरी पापा, मैंने आप को नहीं बताया क्योंकि मुझे डर था कि आप मना कर देंगे। लेकिन मैंने अल्पा जी से पूछ कर ही उनके घर में सी. सी. टी. वी. कैमरा लगवाया था। राज की सारी करतूतें उसमें क़ैद हो चुकी हैं। अब हम वह कैमरा निकलवा लेंगे। कल सुबह होश में आने के बाद जब वह अल्पा जी को वहाँ नहीं देखेगा तो उसके होश उड़ जाएंगे।"
तभी बीच में टोकते हुए अल्पा ने कहा, "नहीं-नहीं प्रिया तुम भूल गईं, कल सुबह नहीं, कुछ ही देर में कोई आदमी आने वाला है।"
"अरे हाँ, मैं सी. सी. टी. वी., वाले अंकल को अभी बुलाती हूँ।"
विनोद ने कहा, "नहीं प्रिया वह कैमरा निकालने क्यों आएगा। यह सच्चाई सुनकर वह इस झमेले में नहीं पड़ेगा।"
"नहीं पापा वह अंकल बहुत अच्छे हैं। मैंने उन्हें सब बता दिया है, मैं उन्हें कैमरा निकालने के लिये फ़ोन करती हूँ।"
विनोद अपनी बेटी की बात सुनकर आश्चर्यचकित रह गये। इस समय उन्हें प्रिया पर गर्व हो रहा था।
प्रिया ने अशोक को फ़ोन किया, "हेलो अंकल काम हो गया है, अभी यही समय सही रहेगा। आप कैमरा निकालने के लिये जल्दी से आ जाइए।"
"ठीक है बिटिया मैं अभी आता हूँ।"
अशोक तुरंत ही वहाँ आ गया। उसके बाद प्रिया और अशोक दोनों अल्पा के घर पहुँचे। दरवाज़ा खोलते ही उन्होंने देखा कि राज अभी भी नशे में धुत्त पड़ा सो रहा था। मौके का फायदा उठाकर अशोक ने तुरंत ही कैमरा निकाल लिया। फिर वे दोनों जल्दी से दरवाज़ा बंद करके बाहर से चटकनी लगाकर वापस आ गये।
घर आकर अशोक ने प्रिया को कैमरा देते हुए कहा, "प्रिया बेटा तुमने बहुत ही बहादुरी और हिम्मत का काम किया है। अब मुझे आज्ञा दो।"
प्रिया ने कहा, "आइये ना अंकल मैं आपको मेरे पापा और अल्पा जी से भी मिलवाती हूँ।"
"हाँ चलो बेटा।"
अंदर आकर उन्होंने विनोद से हाथ मिलाते हुए कहा, "आप बहुत ही भाग्यशाली हैं जो आपको इतनी प्यारी और समझदार बेटी मिली है।"
उसके बाद उनकी नज़र अल्पा पर गई। अल्पा को देखते ही उनकी आंखों पर उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। उन्होंने उसके नज़दीक आकर एक बार फिर उसे ग़ौर से देखा और कहा, "अल्पा बेटा तू!"
अल्पा भी उन्हें देखते से हैरान हो गई। उसने कहा, "अशोक अंकल आप...!"
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः