प्रिया जब अगले दिन अल्पा से मिलने गई तब उसने एक बार फिर से पूछा, "अल्पा जी बताओ ना राज आपको मारता क्यों है?"
तब अल्पा के मुंह से निकल ही गया, "प्रिया वह मुझसे ग़लत काम करवाना चाहता है। इस तरह से पैसे कमाना चाहता है। वह सुबह शाम मुझसे वही प्रश्न पूछता है, कहता है बोल तू तैयार है? जैसे ही मैं ना कहती हूँ, वह मुझे मारना शुरू कर देता है। कभी हाथों से, कभी लात से, कभी जूते चप्पल से और कभी-कभी तो कमर के बेल्ट से। इसके अलावा वह मुझसे जो कहे मैं करने को तैयार हूँ लेकिन अपना शरीर ... वह मैं हरगिज़ नहीं बेचूँगी।"
आश्चर्यचकित होते हुए प्रिया ने कहा, "ओह माय गॉड! अपनी पत्नी के लिये इतनी गंदी सोच। वह तो बहुत ही जलील इंसान है। उसे तो हर हाल में सज़ा मिलनी ही चाहिए।"
अल्पा ने कहा, "प्रिया मुझे तुम्हारे लिये डर लगता है।"
प्रिया ने कहा, "अल्पा जी यदि हम ऐसे इंसानों से इसी तरह डरते रहे तो वह हमारी कमजोरी का हमेशा फायदा उठाते रहेंगे। आप चिंता मत करो। मैं आपको इस नर्क से बाहर निकाल कर रहूंगी। मेरी मम्मी ने मुझे बचपन से बहादुरी के किस्से सुना कर बड़ा किया है। फिर मैं आपकी मदद से पीछे कैसे हट सकती हूँ। बस आपको मेरा साथ देना होगा। अल्पा जी तो फिर मैं उस वीडियो वाले को बुला लूं? आज हम कैमरा लगा देंगे।"
अल्पा अब तक मार खाते-खाते थक चुकी थी, प्रिया की हिम्मत और उसका जज़्बा देखकर उसके मुंह से हाँ निकल गया। उसने प्रिया का हाथ पकड़ कर कहा, "प्रिया मैं तुम्हारे इस एहसान का बदला कभी नहीं चुका पाऊँगी। तुम्हारी बातें सुनकर मुझमें भी हिम्मत आ गई है। मैं तुम्हारे साथ हूँ।"
अल्पा की हाँ सुनते ही प्रिया खुश हो गई और फिर वह अपने घर लौट गई।
प्रिया ने अल्पा के घर कैमरा लगाने वाली बात अपने पापा को भी नहीं बताई थी क्योंकि उसे डर था कि इस काम के लिए कहीं वह मना ना कर दें।
इसके बाद उसने वीडियो बनाने वाले अशोक अंकल को फ़ोन लगाकर कहा, "अंकल अब आप कैमरा लगाने आ सकते हैं।"
अशोक ने पूछा, "प्रिया क्या तुम्हें पूरा विश्वास है कि इस बीच वह आदमी लौटकर वापस नहीं आयेगा। काम खतरे का है, हमें सावधानी बरतनी होगी।"
"अंकल आप बिल्कुल चिंता मत करो। इस समय वह घर पर कभी नहीं होता क्योंकि यह उसके ऑफिस का समय रहता है। वह सुबह जाकर शाम को ही वापस लौटता है।"
"ठीक है तो फिर मैं आता हूँ।"
कुछ ही देर में अशोक अपना ताम-झाम लेकर प्रिया के बताए पते पर आ गया। उसके बाद प्रिया ने अशोक के साथ मिलकर कैमरा लगवा लिया।
कैमरा लगा कर जैसे ही अशोक जाने लगा, उसने कमरे में इधर-उधर नज़र घुमाई तो उसे वहाँ कोई दिखाई नहीं दिया। दरअसल अल्पा उस समय डर कर जान बूझ कर बाथरूम चली गई थी ताकि वह आदमी उसे देख ना सके।
अशोक ने काम हो जाने पर कहा, "प्रिया बेटा मैंने अपना काम कर दिया है। तुम बहुत नेक काम कर रही हो लेकिन तुम अपना भी ख़्याल रखना क्योंकि इस तरह के लोग बहुत खतरनाक होते हैं। अच्छा चलता हूँ मेरे लायक कुछ और काम हो तो बताना।"
"ठीक है अंकल थैंक यू।"
प्रिया ने रोज़ की तरह आज भी अल्पा को खाना खिला कर चाय पिलवा दी; फिर वह अपने घर चली गई। अब उसे राज के लौटने और उसकी हरकतें कैमरे में क़ैद होने का इंतज़ार था।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः