दरिंदा - भाग - 8 Ratna Pandey द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

दरिंदा - भाग - 8

अशोक के हाँ कहने से प्रिया ने एक गहरी लंबी सांस ली और उसका नंबर मिलने के बाद वह घर आ गई। यह उसकी योजना की पहली सीढ़ी थी जो काफ़ी मुश्किल थी। अशोक के इस काम के लिये हाँ कहने से वह खुश थी। इसी बात को अल्पा को बताने के लिये वह खाना लेकर उसके पास आई।

प्रिया ने खुश होते हुए अल्पा से कहा, "अल्पा जी मैंने एक इंसान से बात कर ली है। वह यहाँ आकर सी. सी. टी. वी. लगाने के लिए तैयार है। बस एक बार तुम हाँ कह दो फिर मैं उसे बुला लूंगी।"

अल्पा ने कहा, "प्रिया कैमरा लगने के बाद जो होगा उसका अंज़ाम जानती हो। यदि राज को हमारी योजना का पता चल गया तब तो वह मुझे मार ही डालेगा और यदि बच भी गई तो फिर मैं कहाँ जाऊंगी, कभी सोचा है?"

प्रिया के मुंह से अनायास ही निकल गया, "मेरे घर।"

"क्या ...? प्रिया तुम यह क्या कह रही हो?"

"हाँ मैं ठीक कह रही हूँ। तुम्हारा पति जेल में रहेगा और तुम हमारे साथ रहना।"

अल्पा ने कहा, "प्रिया ऐसा नहीं हो सकता। मैं तुम्हारे घर में कैसे रह सकती हूँ? दो चार हफ़्ते रह भी लूंगी लेकिन उसके बाद तो मुझे कहीं ना कहीं जाना ही पड़ेगा।"

प्रिया ने अल्पा की इस बात का कोई जवाब नहीं दिया और उसे बाय कहते हुए घर जाने के लिए निकली।

घर जाते समय उसके कानों में अल्पा के कहे वही शब्द गूंज रहे थे फिर मैं कहाँ जाऊंगी ...मैं तुम्हारे घर में कैसे रह सकती हूँ...? प्रिया समझ गई थी कि अल्पा इस तरह उनके घर आकर रहने के लिए कभी तैयार नहीं होगी? जैसे ही प्रिया घर पहुँची, दीवार पर अपनी माँ की तस्वीर पर हार देखकर उसके मन में विचार आया कि क्यों न अल्पा जी को वह अपनी माँ बना ले। यह ख़्याल आते ही प्रिया बहुत खुश हो गई। उसने सोचा क्यों ना यह बात वह पहले अपने पापा से पूछे। वह यह बात करने में डर ज़रूर रही थी पर उसे पूछना तो था।

रात को वह अपने पापा के पास गई और उनके पास लेट कर कहा, "पापा आज मुझे मम्मी की बहुत याद आ रही है।"

"प्रिया बेटा याद तो आती है और हमेशा आती रहेगी। बस आँख बंद करके उनको देख लिया करो। वह वापस थोड़ी आ सकती हैं।"

"लेकिन पापा दूसरी माँ तो आ सकती है ना?"

प्रिया के मुंह से ऐसा सुनते ही विनोद चौंक गया और उसने पूछा, "प्रिया यह तुम क्या कह रही हो? यह बात तुम्हारे दिमाग़ में क्यों और कैसे आई?"

"पापा वह अल्पा जी हैं ना, कह रही थीं कि यदि वह अपने पति को छोड़ देंगी तो फिर कहाँ जाएंगी। उनका तो अब इस दुनिया में कोई भी नहीं है।"

"प्रिया क्या मतलब है तुम्हारा? तुम कहना क्या चाहती हो?"

"पापा आप अल्पा जी से शादी कर लो। उन्हें सुखी जीवन, घर और सहारा मिल जाएगा, आपको जीवनसाथी और मुझे माँ।"

"प्रिया तुम बिल्कुल पागल हो चुकी हो। कुछ भी सोच रही हो और कुछ भी बोल रही हो। ऐसी फिजूल की बातें अपने दिमाग़ से निकाल दो। वह लगभग तुम्हारी हम उम्र ही होगी।"

प्रिया तब तो चुप हो गई लेकिन यह बात वह अपने मन से निकाल ना पाई। विनोद एक बहुत ही संस्कारी परिवार में पले बढ़े थे। प्रिया की बातों को उसका बचपना समझ कर उन्होंने एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया।

 

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक 
क्रमशः