धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 18 RashmiTrivedi द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 18

अचानक हुए हमले से वेनेसा सहम सी गई थी। जेनेट ने उसका गला बुरी तरह जकड़ रखा था। उसने जेनेट की ओर देखा लेकिन वो जैसे कोई और ही थी। उसकी आँखों में जैसे ख़ून उतर आया था। वेनेसा ने अपने दोनों हाथों से जेनेट की पकड़ से छूटने की कोशिश की पर उसकी ताक़त कम पड़ रही थी। क्रिस, अतुल और शिवाय तेज़ी से भागते हुए उन दोनों लड़कियों के पास आए।

"जेनेट...तुम यह क्या कर रही हो? छोड़ो वेनेसा को!", अतुल ने कहा।

शिवाय ने भी उससे पूछा,"जेनेट...जेनेट तुम्हें क्या हुआ है? तुम ऐसा क्यूँ कर रही हो?"

सभी ने अपनी पूरी ताक़त से जेनेट को वेनेसा से अलग करने की कोशिश की लेकिन वो सब नाकाम रहे। जेनेट के अंदर जैसे असीम शक्ति का संचार हो गया था।

तभी जेनेट ने अजीब सी आवाज़ में वेनेसा की ओर देखते हुए कहा,"जब तक मैं उस शैतान की जान नहीं ले लेती,मेरी मुक्ति की बात मत करना। मेरा अंतिम संस्कार करोगी तुम?"

जेनेट के मुँह से वो बात सुन क्रिस ने अपने दोस्तों की ओर देखते हुए कहा,"गाइज, यह जेनेट नहीं बल्कि क्रिस्टीना है!", फिर वो आगे बढ़कर जेनेट के पास गया और उसकी ओर देखते हुए कहने लगा,"क्रिस्टीना....प्लीज ऐसा मत करो...वेनेसा को छोड़ दो! कोई तुम्हारी मदद करे या न करे मैं तुम्हारे साथ हूँ। प्लीज...मेरी दोस्त को छोड़ दो।"

क्रिस की बात सुन जेनेट ने उसकी ओर देखा। उसके चेहरे पर का वो रौद्र रूप अब बिल्कुल ग़ायब हो चुका था। वो बड़े प्यार से क्रिस की ओर देखने लगी। फिर उसने वेनेसा को छोड़ दिया। उसके बाद सभी ने देखा, जेनेट अचानक चक्कर खाकर नीचे ज़मीन पर गिर पड़ी। उसके गिरते ही धुँधली सी एक परछाई नज़र आई। वो क्रिस्टीना की आत्मा थी! सभी अपने जगहों पर खड़े जैसे बूत बन गए थे। वो धुँधली सी परछाई धीरे धीरे क्रिस की ओर बढ़ी।

क्रिस ने देखा, उसकी आँखों में आँसू थे। वो उससे कुछ कहना चाहता था लेकिन एक पल में ही वो धुँधली परछाई सबके आँखों से ओझल हो गई।

एक अजीब से सन्नाटे के बाद जब सब लोग अपनी सुध में लौट आए तो अतुल भागकर जेनेट के पास गया। उसे उठाकर पास ही के सोफ़े पर लिटा दिया। वेनेसा अभी भी अपने गले को पकड़कर सहमी सी पास ही नीचे जमीन पर बैठी थी। शिवाय ने उसे हाथ दिया और कुर्सी पर बिठाया। उसे पीने के लिए पानी दिया। फिर पानी की कुछ बूंदें जेनेट के मुँह पर छिड़क दी।

जब जेनेट को होश आया तो उसे कुछ भी याद नहीं था।

"कुछ हुआ था क्या? क्या मैं बेहोश हो गई थी? और वेनेसा...तुम्हें क्या हुआ है? तुम्हारा तो चेहरा ही सफ़ेद पड़ गया है! क्या हुआ है दोस्तों?"

क्रिस ने जेनेट के पास बैठते हुए कहा,"कुछ नहीं, तुम ठीक हो अब और वेनेसा भी।"

शिवाय ने पूछा,"क्या उसे असल बात नहीं बताओगे?"

जेनेट ने हैरानी से सबकी ओर देखा और पूछा,"क्या मतलब है तुम्हारा? कौनसी बात?"

शिवाय ने उसे बताया,"अभी अभी क्रिस्टीना ने तुम्हारे शरीर में प्रवेश किया था और तुमने... आय मीन उस आत्मा ने वेनेसा पर हमला कर दिया था। वो पूरा वक़्त हमारे साथ ही थी। उसने हमारी सारी बातें सुन ली थी। वेनेसा ने सही कहा था,वो हमें इतनी आसानी से अपना अंतिम संस्कार नहीं करने देगी।"

तभी क्रिस अपनी जगह से उठा और खिड़की से बाहर झाँकते हुए उसने कहा,"यह सब मेरी वजह से हुआ है। जेनेट, वेनेसा मुझे माफ़ कर दो। मुझे लगा था वो विला के बाहर कभी नहीं आयेगी लेकिन उसका हमारे साथ यहाँ होना तो एक ही बात की तरफ़ इशारा करता है कि वो अपना बदला पूरा करके ही मानेगी, चाहे हम उसकी मदद करे या न करे!
शायद मेरी बातों में उसको एक नई उम्मीद सी मिल गई थी और इसीलिए उसने मुझे विला में दोबारा परेशान नहीं किया,वरना वो मुझे भी वहाँ रहने नहीं देती! एक बात आप सब लोग जान लो, मैंने ठान लिया है। मैं उसकी हेल्प करने की एक कोशिश तो करूँगा लेकिन तुम लोगों पर कोई दबाव नहीं है। मैं तुम्हारी सबकी जान खतरे में नहीं डाल सकता!"

इतना कहकर क्रिस वहाँ से निकल गया।

पीछे रह गए उसके सारे दोस्त एक दूसरे की ओर बस देखते रहे। थोड़ी देर पहले हुए वाक़िये ने उन्हें डरा दिया था...ख़ासकर जेनेट और वेनेसा को!

अतुल ने अपने बाकी फ्रेंड्स की ओर देख कहा,"यार शिवाय, यह सब क्या हो रहा है? क्या हम अपने दोस्त को इस तरह अकेला छोड़ देंगे? हमारी दोस्ती इतनी कमज़ोर तो नहीं!"

शिवाय ने कहा,"तुम सही कह रहे हो यार। जब ख़ुशी में साथ निभाया है तो इस मुश्किल घड़ी में भी हम अपने दोस्त का साथ देंगे। यह सोचो कि वो कुछ अच्छा करने जा रहा है। किसी को इंसाफ़ दिलाना आसान नहीं होता। उसके लिए हिम्मत चाहिए होती है। हमारे दोस्त ने हिम्मत दिखाई है और वह भी एक आत्मा को इंसाफ़ दिलाने की हिम्मत! हमें तो उसका साथ देना ही चाहिए।"

वेनेसा ने अपने आप को संभालते हुए कहा," मैं भी अब समझ गई हूँ। क्रिस्टीना एक आत्मा ज़रूर है लेकिन उसके साथ भी जो हुआ वह बहुत बुरा था। उसे भी इंसाफ़ का इंतज़ार है। जब तक हम उसका साथ देंगे वो हमें नुकसान नहीं पहुँचाएगी।"

"तो क्या तुम भी उस ख़ूनी को ढूँढने में क्रिस की मदद करोगी?", जेनेट ने पूछा।

वेनेसा ने उसकी ओर देख।कहा,"हाँ बिल्कुल और सिर्फ़ मैं ही नहीं, हम सब उसके साथ हैं। गाइज, क्रिस अभी विला पहुँच चुका होगा। चलो हम भी चलते हैं। हम सब मिलकर कोई न कोई हल ज़रूर निकाल लेंगे।"

क्रमशः ...
रश्मि त्रिवेदी