उस सपने की वजह से क्रिस की नींद तो पहली ही उड़ गई थी और फिर वह घड़ी के ठोके, अब तो नींद क्रिस की आँखों से कोसों दूर थी। वो अपने कमरे से निकलकर बाहर आया। नीचे हॉल में उतरकर उसने घड़ी को चेक किया। ठीक से देखने के बाद उसे पता चला,घड़ी के ठोके बजानेवाला बटन तो ऑफ था। वो सोच पड़ गया,"फिर ठोके की आवाज़ कैसे आ सकती है? पुरानी घड़ी है,शायद इसीलिए ऐसा हो रहा है!"
उसने एक नज़र पूरे हॉल को देखा, वहाँ सब कुछ शांत था...बस कुछ था तो गहरा सन्नाटा!
थोड़ी देर इधर उधर घूमने के बाद क्रिस वापिस अपने कमरे की ओर बढ़ा, तभी दाई तरफ़ के कमरे से उसे एक लड़की की चीख़ सुनाई दी। यह जेनेट की आवाज़ थी। क्रिस दौड़कर उसके कमरे की तरफ़ भागा, दरवाज़ा अंदर से बंद था।
"जेनेट, जेनेट क्या हुआ? दरवाज़ा खोलो! वेनेसा, क्या तुम भी वही हो?", क्रिस ने दरवाज़ा खटखटाते हुए पूछा।
जेनेट की चीख़ सुन अंदर कमरे में बिस्तर पर लेटी वेनेसा डरकर उठी तो उसने देखा, जेनेट नीचे फ़र्श पर बेहोश पड़ी थी। उसने दरवाज़े पर क्रिस की आवाज़ सुनी तो वह भागकर आई और दरवाज़ा खोलते हुए कहने लगी,"क्रिस, कम फ़ास्ट.... जेनेट बेहोश होकर नीचे गिर गयी है!"
उनका शोर सुन बाकी सब भी जाग चुके थे। अशोक, अतुल और शिवाय भी वहाँ पहुँच चुके थे। वेनेसा ने जेनेट का सिर अपनी गोदी में ले लिया और वह उसे उठाने की कोशिश करने लगी।
क्रिस ने उसकी ओर देख पूछा,""इसे आख़िर हुआ क्या है? मैंने इसके चीख़ने की आवाज़ सुनी थी।"
"वेनेसा, तुम तो इसके पास ही थी, क्या तुम्हें नहीं पता यह क्यूँ चीखी?",अतुल ने हैरानी से पूछा।
"नहीं, मैं तो सो रही थी। जब मेरी नींद खुली तो यह फ़र्श पर पड़ी थी और क्रिस दरवाज़े के बाहर से आवाज़ दे रहा था। मैं नहीं जानती, इसे क्या हुआ है?", वेनेसा ने जवाब दिया।
उसी बीच शिवाय जाकर पानी ले आया था,उसने पानी की कुछ बूंदें जेनेट के चेहरे पर डाली और जेनेट धीरे धीरे होश में आने लगी। होश में आते ही वो डर के मारे कांपने लगी। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो इतनी डरी हुई क्यूँ थी!
तभी वेनेसा ने उसके काँधे को अपने हाथों से थामते हुए पूछा,"जेनेट, क्या हुआ? तुम चीखी क्यूँ थी? और ऐसे बेहोश क्यूँ हो गई?"
जेनेट डर की वजह से जैसे अपने अल्फ़ाज़ खो चुकी थी,उसने बस कमरे में मौजूद ड्रेसिंग टेबल की तरफ़ इशारा किया! सभी एक साथ उस तरफ़ देखने लगे। ड्रेसिंग टेबल के शीशे पर लाल रंग से कुछ लिखा हुआ था! अशोक ने आगे बढ़ते हुए कहा,"यह क्या है?"...
वेनेसा और जेनेट वही जमीन पर बैठें रहे। बाकी सब ड्रेसिंग टेबल के पास आकर खड़े हो गए, उन्होंने पढ़ा...
"यह मेरा घर है, चले जाओ यहाँ से, वरना कोई नहीं बचेगा"....
अतुल, शिवाय, क्रिस और अशोक सब एक दूसरे की ओर देखने लगे।
क्रिस ने शीशे के पास जाते हुए उस लाल रंग को छूकर देखा तो उसके होश उड़ गए,"गाइज, यह तो ख़ून है! किसने लिखा होगा यह? चौकीदार सही कह रहा था,इस घर में कोई है!"
फिर क्रिस दौड़कर जेनेट के पास आया और उससे पूछने लगा,"जेनेट, क्या तुमने किसी को देखा?"
अब तक जेनेट कुछ संभल चुकी थी। वो उठकर बिस्तर पर बैठी और कहने लगी,"मैं बाथरूम जाने के लिए उठी थी। जैसे ही मैं बाथरूम से निकली,मेरी नज़र शीशे पर पड़ी। पहले वहाँ कुछ नहीं लिखा था लेकिन अजीब सी धुँध छाई हुई थी शीशे के आसपास और अचानक से एक एक अक्षर अपने आप शीशे पर आते गए। फिर...फिर...किसीका अक्स मुझे नज़र आया शीशे में! एक लड़की...सफ़ेद कपड़ों वाली लड़की. ...मैंने पीछे मुड़कर देखा पर वहाँ तो कोई नहीं था। मैंने दोबारा शीशे की ओर देखा, तब वो ठीक मेरे सामने खड़ी थी। उसका चेहरा बहुत भयानक था। उसे देखते ही मेरी चीख़ निकल पड़ी, उसके बाद क्या हुआ मुझे पता नहीं!"...
क्रिस ने भी तुरंत कहा, "वो लड़की मेरे कमरे भी आई थी! इसका मतलब वह सपना नहीं था! मुझे लगा, मैं सपना देख रहा हूँ। उसने भी मुझसे यही कहा था,'चले जाओ मेरे घर से'...
शायद चौकीदार ने भी जनरेटर रूम में उसी लड़की को देखा होगा! आख़िर वो है कौन? और यूँ हमें क्यूँ डरा रही है?"....
उन दोनों की पूरी बात सुन वेनेसा ने घबराहट में कहा," मैंने तुमसे कहा था,ऐसा अक्सर होता है। बंद घरों में लोग आकर कब्ज़ा कर लेते हैं। हो सकता है,उसके साथ कोई और भी रहता हो यहाँ.. हमें सावधान रहना चाहिए!"
तभी अतुल ने आगे आकर कहा," एक ही रास्ता है, हम लोग पूरे विला को अच्छे से चेक करते हैं। हो सकता है वो यही कहीं छुपी हो!"
"हाँ, इस घर में एक बेसमेंट भी है, वहाँ भी देख सकते हैं... तो चलो फिर! अतुल,शिवाय तुम दोनों ऊपर के सारे कमरे अच्छे से चेक करो। मैं और अशोक अंकल नीचे वाले घर में देखते हैं। चलिए अशोक अंकल...", क्रिस ने कहा।
इतनी देर से ख़ामोशी से खड़े मैनेजर अशोक ने सबसे अपनी स्थिर आवाज़ में कहा,"रुक जाओ सब लोग! कोई फ़ायदा नहीं! इस विला में कहीं भी जाकर देखने से कोई नहीं मिलेगा तुम लोगों को!"....
अशोक का कहना सुन क्रिस ने पूछा,"क्यूँ अंकल, आप ऐसा क्यूँ कह रहे हैं? क्या मतलब है इस बात का? क्या आप जानते हैं इस बारें में कुछ?"....
क्रमशः
रश्मि त्रिवेदी