The Author RashmiTrivedi फॉलो Current Read धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 9 By RashmiTrivedi हिंदी डरावनी कहानी Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books अनोखा विवाह - 10 सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट... मंजिले - भाग 13 -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ... 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"हे...शटअप शिवाय! वैसे दोस्तों, क्या हो अगर उस चौकीदार ने सच में किसी लड़की को वहाँ देखा होगा तो? आय मीन, हो सकता है वहाँ कोई छिपकर बैठा हो। मैंने सुना है,यह घर काफ़ी दिनों से बंद था तो बंद घरों में अक्सर ऐसा होता है। किसी को अगर छिपने की जगह चाहिए हो तो इससे अच्छी जगह क्या हो सकती है?", वेनेसा ने कहा। क्रिस ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा,"इट्स इम्पॉसिबल! तुमने देखा था न, शिवाय और अशोक अंकल ने जाकर देखा था वहाँ...उन्हें तो कोई नज़र नहीं आया और फिर माना की यह घर काफ़ी समय से बंद था लेकिन हमारे शिफ़्ट होने से पहले ही यहाँ कुछ काम भी करवाया गया है। उस समय तो यहाँ कोई नहीं मिला। आय एम शुअर, उस चौकीदार को वहम ही हुआ होगा!" "अगर ऐसा है तो ठीक है!", वेनेसा ने कहा। फिर कुछ देर तक उनकी बातें और चली,तभी अचानक फिर से हॉल में मौजूद बड़ी सी घड़ी में बारह बजे के ठोके बजने लगे! उसकी आवाज़ सुन एक पल के लिए सब अपनी जगह पर उछल पड़े। जेनेट ने उस बड़ी सी घड़ी को देखते हुए कहा ,"अरे यार, एक तो यह एंटीक घड़ी बार बार डराने का काम कर रही है। हर घंटे में बस बजना चालू हो जाती है। क्या यह रातभर ऐसे ही बजती रहेगी? अगर ऐसा है तो मैं तो सो ही नहीं पाऊँगी! "डोंट वरी जेनेट, मैं अशोक अंकल से कह दूँगा,वो इसको साइलेंट कर देंगे।",क्रिस ने कहा। क्रिस ने अपनी बात पूरी की ही थी और अशोक वहाँ पहुँच गया था। घड़ी की आवाज़ से शायद उसकी भी नींद खुल गई थी। क्रिस के कहने पर उसने तुरंत हॉल की उस एंटीक घड़ी के ठोके बंद कर दिए। कुछ देर इधर उधर की बातें कर लगभग डेढ़ बजे सब सोने के लिए अपने अपने कमरे की तरफ़ बढ़ने लगे। जेनेट और वेनेसा ने एक ही रूम में सोने का फ़ैसला किया था। इसी बात पर अतुल और शिवाय ने उनकी ख़ूब खिंचाई भी की थी। जेनेट ने उनकी ओर देख कहा,"डरपोक तो डरपोक ही सही! तुम्हें क्या प्रॉब्लेम है? तुम अपनी देखो, कही ऐसा न हो वो सफ़ेद कपड़ों वाली आत्मा आज रात तुमसे मुलाक़ात करने आ जाए, फिर मैं देखूँगी कौन है डरपोक!" इस तरह सब अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए। सभी बहुत थके हुए थे,उन्हें नींद लगते देर न लगी। अशोक भी वापिस अपने नीचे वाले कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया था। आज उसका पूरा दिन भागदौड़ और अजीब अजीब सी घटनाओं से भरा हुआ था। सुबह गेट का अपने आप बंद होना, फिर पीटर की कहानियाँ और चौकीदार का चीखना, सब कुछ उसके जहन में अभी तक घूम रहा था। शरीर थका हुआ होने के बावजूद अब दिमाग़ उसे सोने की इजाज़त नहीं दे रहा था। उसने अपनी आँखें बंद कर अपने ईश्वर से प्रार्थना की और उसी अवस्था में कब नींद ने दोबारा उसे अपनी आगोश में ले लिया,इसका उसे एहसास भी नहीं हुआ। रात के लगभग ढाई बजे अचानक क्रिस की आँख खुली। उसने देखा,उसके कमरे की खिड़की जो समुंदर का खूबसूरत नज़ारा दिखाती थी,वह खुली हुई थी। अँधेरे में खिड़की के पास उसे किसी शख्स की आकृति नज़र आ रही थी। उसने आगे बढ़कर पूछा,"कौन है? शिवाय तुम हो क्या?"...लेकिन सामने से कोई जवाब नहीं मिला। नज़दीक जाते ही क्रिस ने देखा, वहाँ एक लड़की जिसने सफ़ेद रंग का लॉन्ग फ़्रॉक पहन रखा था...बड़े ही आराम से खड़ी थी। क्रिस ने उससे पूछा,"कौन हो तुम और मेरे कमरे में क्या कर रही हो?" वह लड़की अभी भी खिड़की से समुंदर की ओर देख रही थी। दूर समुंदर की लहरों पर हल्की हल्की धुँध छाई हुई थी और लहरों की आवाज़ रात की शांति में बहुत सुकून भरी लग रही थी। क्रिस उसे देख डरा तो नहीं था पर वो हैरान था और उसने एक बार फिर उसे आवाज़ लगाते हुए पूछा,"कौन हो तुम?"... वो लड़की धीरे से क्रिस की ओर मुड़ी। उस अँधेरे में बस खिड़की से आती चांद की रोशनी में क्रिस ने उसका चेहरा देखा। वह बेहद खूबसूरत और मासूम नज़र आ रही थी। क्रिस ने उसे देखा और देखता ही रह गया। उसके लंबे खूबसूरत बाल खिड़की से आती हवा से लहरा रहे थे। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। फिर अचानक उसका खूबसूरत सा चेहरा बदसूरत सा दिखने लगा और वो इतने ज़ोर से चीखी,"चलो जाओ मेरे घर से...", की सामने खड़ा क्रिस पीछे की ओर घसीटते हुए दीवार पर जा टकराया! अगले ही पल एक झटके के साथ क्रिस अपनी गहरी नींद से जागा। वो पसीने से लथपथ इधर उधर देखने लगा। उसके कमरे की खिड़की बंद थी। कमरे में उसके अलावा कोई नहीं था! उसे समझते देर न लगी कि उसने कोई भयानक सपना देखा था। उसने अपना पसीना पोंछते हुए खुद से ही कहा,"कितना डरावना सपना था! लेकिन वो लड़की.. सफ़ेद कपड़ों वाली लड़की. .. कितनी खूबसूरत थी वो! मैंने तो उसे पहले कभी नहीं देखा,फिर वो मेरे सपने में कैसे? उसने ऐसा क्यूँ कहा,'चलो जाओ मेरे घर से', यह सब क्या हो रहा है?...." वो अपने बिस्तर से पानी पीने के लिए उठा। तभी अचानक उसे हॉल में मौजूद घड़ी के ठोके सुनाई दिए। तीन बार टन.. टन... टन... की आवाज़ कर घड़ी शांत हो चुकी थी। वो फिर सोच में पड़ गया,"यह कैसे हो सकता है,मेरे सामने अशोक अंकल ने घड़ी साइलेंट की थी फिर यह आवाज़...?"....कैसे?" क्रमशः .... रश्मि त्रिवेदी ‹ पिछला प्रकरणधुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 8 › अगला प्रकरण धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 10 Download Our App