The Author RashmiTrivedi फॉलो Current Read धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 17 By RashmiTrivedi हिंदी डरावनी कहानी Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books नादान इश्क़ - 5 अब तक आपने देखा कैसे ईशान और रॉकी की बहस होती है। और ईशान वी... सर्विस पॉर्ट - 1 (Present day ) एक सूने से हॉल में दो कमरे हैं । उनके सामने क... मन के गहरे घाव कभी नहीं भरते किसान और नाग एक गरीब ब्राह्मण अपने खेत में बहुत मेहनत करता... अधूरा जंगल एक रहस्य_भाग-७ अधूरे जंगल का अमर रहस्य**महल और जंगल से भागने के बाद, तीनों... सात फेरे हम तेरे - सेकेंड सीजन - भाग - २८ अब तो सिर्फ एक हफ्ते बाकी है सब कुछ ठीक हो रहा है।नैना ने कह... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास RashmiTrivedi द्वारा हिंदी डरावनी कहानी कुल प्रकरण : 23 शेयर करे धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 17 (3) 1.6k 3.2k दूसरे दिन सुबह जब क्रिस की नींद खुली तो उसे रात का सारा वाक़िया फिर से याद आ गया। नजाने क्यूँ लेकिन क्रिस्टीना का रूठ जाना क्रिस को बहुत तकलीफ़ पहुँचा रहा था। वो चाहकर भी किसी और काम में अपना ध्यान नहीं लगा पा रहा था। सुबह उठते ही उसने अपने कमरे की खिड़की से बाहर देखा,उसे ऐसा लगा जैसे बाहर का धुँध से ढका समुंदर उसे अपनी ओर पुकार रहा है। इस उम्मीद में कि शायद उसी जगह क्रिस्टीना उसे फिर से दिखाई दे,वो उठकर समुंदर किनारे टहलने निकल गया। अशोक ने क्रिस को इतना गंभीर कभी नहीं देखा था। वो दूर से ही उस पर नज़र रखे हुए था। काफ़ी देर तक टहलने के बाद भी जब क्रिस को क्रिस्टीना की आत्मा नज़र न आई तो निराश मन से वो विला में लौट आया। नाश्ते के टेबल पर भी वो गुमसुम सा बैठा अपने प्लेट में बस चम्मच घुमाता रहा। भूख तो उससे कोसों दूर थी। तभी अतुल और शिवाय किसी तूफ़ान की तरह विला में दाखिल हुए। अतुल ने उसके पास आते हुए कहा,"अरे यार क्रिस, कौनसी दुनिया में हो भाई तुम? कल से तुम्हें कॉल किए जा रहे हैं हम, आख़िर तुम हो कहाँ?" शिवाय ने भी उसका साथ देते हुए कहा,"सही कह रहे हो! कल मैंने भी इसे कितने कॉल किए पर यह महाशय है कि फ़ोन ही नहीं उठा रहे थे। मेरी तो जाने दो, इसने तो वेनेसा और जेनेट के कॉल का भी जवाब नहीं दिया। आख़िर हमें ख़ुद ही आना पड़ा यहाँ तुम्हें ढूँढने! जानते हो, जेनेट ने तो इस विला में आने से भी इंकार कर दिया है। वैसे क्रिस, क्या यहाँ सब कुछ ठीक है अब? या फिर सच में यह जगह हॉन्टेड है?" डाइनिंग टेबल की एक कुर्सी पर बैठते हुए अतुल ने कहा,"अरे वाह, आलू परांठे! यार तुम हॉन्टेड वांटेड की बातें छोड़ो, मुझे तो बहुत भूख लगी है,आओ पहले नाश्ता करते हैं।" अचानक अपने दोनों दोस्तों को देख क्रिस का मूड़ कुछ ठीक हो गया था। सबने मिलकर पहले नाश्ता किया और फिर तीनों क्रिस के कहने पर उसके कार में बैठ कहीं बाहर चले गए। विला से थोड़ी दूर निकलने के बाद ही क्रिस ने अतुल से कहा,"हम लोग वेनेसा के यहाँ जा रहे हैं। अतुल, तुम जेनेट को कॉल करके उसी के यहाँ बुला लो,मुझे तुम सबसे कुछ बात करनी है।" अतुल ने वैसा ही किया जैसा कि क्रिस ने कहा था। थोड़ी ही देर में सब लोग वेनेसा के घर के गार्डन में इकट्ठा हुए। फिर क्रिस ने अपने दोस्तों को क्रिस्टीना से हुई अपनी सारी बातचीत के बारे में बताया। साथ ही यह भी बताया कि कैसे वह अपने ख़ूनी से बदला लेने की बात कर रही थी। उसकी बात सुन जेनेट ने कहा," इसका मतलब है, सच में वो विला हॉन्टेड है! वो शीशे पर लिखने वाली कोई और नहीं बल्कि क्रिस्टीना ही थी।" "हाँ बिल्कुल। वो बस हमें अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाना चाहती थी ताकि हम डर कर भाग जाए।", क्रिस ने कहा। तभी शिवाय ने पूछा,"लेकिन यार, मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि वो टैटू वाला जो कोई भी था,उसे वो आत्मा ख़ुद ढूँढ़कर मार क्यूँ नहीं देती? आत्माओं को तो सब पता होना चाहिए! क्यूँ तुम लोग क्या कहते हो?" क्रिस ने उसके सवालों का जवाब दिया,"शिवाय, तुम बात को समझ नहीं रहे हो! क्रिस्टीना के मुताबिक़ जब उसकी मौत हुई थी तो उसने अपने ख़ूनी के चेहरे को नहीं देखा था। उसके लिए भी यह एक पहेली ही है जिसे सुलझाए बिना वो इस विला से नहीं जाएगी और न ही उसकी आत्मा को शांति मिलेगी।" "सही कहा। लेकिन अगर हम उसकी लाश का सही तरीक़े से अंतिम संस्कार कर दे तो वो शायद मुक्ति पा सकती है मगर जैसा कि तुमने बताया, ऐसा वो होने नहीं देगी और तुम्हारी बातों से तो मुझे ऐसा लग रहा है कि अगर हमने ऐसा करने की कोशिश भी की तो हमारी जान भी जा सकती है।", वेनेसा कहा। तभी क्रिस बोल पड़ा,"नहीं, क्रिस्टीना ऐसा नहीं कर सकती। उसे अगर हमें नुकसान पहुँचाना होता तो अब तक तो वो कर चुकी होती। याद करो, पीटर ने क्या कहा था! जितने भी लोग यहाँ से डरकर भाग गए,उनकी जान नहीं ली क्रिस्टीना ने! बस उनको डराया, ताकि वह यहाँ से चले जाए। शिवाय ने एक बार फिर सवालों की झड़ी लगा दी और फिर कहा,""तुमने कहा, वो तुमसे रूठकर चली गई है और वो तुम्हें परेशान भी नहीं कर रही है... तो फिर प्रॉब्लम क्या है? उसे भटकने दो, अपने क़ातिल को ढूंढने दो और तुम आराम से अपने विला में रहो, और क्या?! उसकी बात सुन वेनेसा अपनी आँखों को घूमाते हुए कहा,"तुम भी अजीब हो शिवाय! एक आत्मा के साथ भला कोई कैसे रह सकता है?" अतुल ने कहा,"तुम साथ रहने की बात कर रही हो? ज़रा क्रिस को देखो, वो तो अपनी सुध-बुध खो बैठा है उस आत्मा के पीछे! क्यूँ भाई क्रिस, कहीं तुम उस भूतनी से प्यार-व्यार तो नहीं कर बैठे?" अतुल का मज़ाक सुन क्रिस ने ग़ुस्से में कहा,"यह क्या भूतनी, आत्मा लगा रखा हैं तुम लोगों ने? उसका नाम क्रिस्टीना है।" शिवाय ने उसकी बात काटते हुए कहा,"है नहीं यार...था...नाम था...अब वह इस दुनिया की नहीं है!" "हाँ तो ठीक है न। कभी वो भी हमारी तरह इंसान थी। क्या तुम लोग उसका नाम लेकर बात नहीं कर सकते?", क्रिस ने अपने आप को नॉर्मल जताते हुए पूछा। "वो सब तो ठीक है लेकिन तुम चाहते क्या हो क्रिस? अब हमें आगे क्या करना चाहिए?",जेनेट ने पूछा। जैसे क्रिस को इसी सवाल का इंतज़ार था। उसने झट से कहा,"मुझे लगता है, हमें उसकी मदद करनी चाहिए। कुछ नहीं तो उस टैटू वाले इंसान को तो हम ढूँढ ही सकते हैं। उसे ढूँढ़कर पुलिस के हवाले कर सकते हैं जिससे उसे उसके गुनाहों की सज़ा मिल सकें।" तभी अतुल ने पूछा,"लेकिन यह बहुत सालों पहले की बात है। लगभग दस-ग्यारह वर्ष पहले की! हम उसे अभी कैसे ढूँढ सकते हैं?" "एक बार कोशिश करने में हर्ज़ ही क्या है?" क्रिस की बात सुन जेनेट और वेनेसा ने एक दूसरे की ओर देखा। वो दोनों कुछ समझ नहीं पा रही थी लेकिन क्रिस की बात को टालना भी आसान नहीं था। जेनेट कहा,"यह सब करने से अच्छा है, हमें यह सोचना चाहिए कि हम उस आत्मा से...आय मीन...क्रिस्टीना से पीछा कैसे छुड़ाए! क्या पता वो टैटू वाला इंसान किस शहर में,किस देश में रहता होगा अब और सिर्फ़ एक टैटू के दम पर हम किसीको ख़ूनी नहीं साबित कर सकते।" वेनेसा ने भी उसका साथ दिया। "गाइज, जेनेट ठीक कह रही है। हमें छिपते छिपाते ही सही लेकिन उस क्रिस्टीना का किसी तरह एक बार अंतिम संस्कार करना होगा और मुझे लगता है,मैं एक ऐसे इंसान को जानती हूँ जो हमारी इसमें मदद भी कर सकते हैं। इसमें थोड़ा रिस्क ज़रूर है लेकिन ट्राय तो कर ही सकते हैं।" "किसकी बात कर रही हो तुम?", अतुल ने पूछा। वेनेसा ने आगे बताया,"ओल्ड गोवा का सेंट फ्रांसिस चर्च का नाम तो तुम सबने सुना ही होगा। वहाँ के फ़ादर जोसेफ़ हमारी मदद कर सकते हैं। मेरी मॉम हमें उनसे मिलवा सकती हैं। तभी जेनेट पूछा," लेकिन आँटी को इस सब में इन्वॉल्व करना ठीक रहेगा क्या?" वेनेसा ने उसके सवाल का जवाब देते हुए कहा,"हम कोई बहाना बना लेंगे। एक बार फ़ादर से कैसे भी करके मिल लेते हैं और फिर उनसे मिलकर यह भी पूछ लेंगे कि आखिर कैसे हमें इस क्रिस्टीना से जान छुड़ानी है। बोलो सब लोग, क्या कहते हो?" इससे पहले की कोई कुछ कहता, अचानक जेनेट ने तेज़ी से आगे बढ़कर वेनेसा का गला पकड़ लिया और उसे घसीटते हुए दीवार तक ले गई। उसको एक झटके से दीवार की ओर पटक दिया और पूरी ताक़त से उसका गला दबाने लगी। सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि कोई कुछ समझ ही नहीं पाया कि आख़िर जेनेट ने वेनेसा पर इस तरह धावा क्यूँ बोला था। क्रमशः ..... रश्मि त्रिवेदी ‹ पिछला प्रकरणधुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 16 › अगला प्रकरण धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 18 Download Our App