अदिति Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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अदिति

"आपको जरूर आना है
पत्नी फोन पर बात कर रही थी।मैं भी कमरे में ही बैठा अपनी पत्नी की बाते सुन रहा था।बाते खत्म होने पर पत्नी बोली,"अदिति का फोन था
"क्या कह रही थी
"घर खरीदा है।गृहप्रवेश में बुला रही है.
मेरी पत्नी का भतीजा देवेन की बेंगलोर में नौकरी लग गयी थी।देवेन के पिता का देहांत हो गया था।पिता के देहांत के बाद मा ने ही देवेन को पढ़ाया और लिखाया था।और धीरे धीरे उसने बी सी ए कर लिया था।और पढ़ाई पूरी करने के बाद देवेन ने नौकरी की तलाश शुरू कर दी थी।
नौकरी आज के समय मे मिलना इ7तना आसान नही है।बेरोजगारी आज एक बहुत बड़ी समस्या है।देवेन जयपुर में रहता था।उसकी माँ चाहती थी आसपास ही कही बेटे की नौकरी लग जाये।देवेन जानता था कि जयपुर आई टी हब नही है।उसे नौकरी गुरुग्राम,नोएडा,पुणे,बेंगलोर जैसे शहरों में ही मिल सकती हैं।देवेन को जयपुर में एक कम्पनी में नौकरी मिल गई।जब तक उसे मन मुताबिक नौकरी नहीं मिलती।उसने नौकरी कर ली।
लेकिन उसने अच्छी नौकरी के लिए प्रयास करना बंद नही किया।वह बड़ी बड़ी कम्पनी में जॉब की तलाश करने लगा।उसके साथ मे उसके दोस्त अक्षय और रूप भी धते थे।अक्षय की नौकरी पुणे में एक कम्पनी में लग गयी थी।वह एक दिन देवेन से बोला
यार तू यहाँ आ जा
वहां आकर मैं क्या करूंगा
यार यहाँ बहुत बड़ी बड़ी कम्पनी हैं।कोशिश करते रहना।कहि न कही जरूर लग जायेगी
और न लगे तब तक खर्चा
मैं दूंगा
तुझसे लूंगा क्या
अरे उधार समझ कर लेना।जब तेरी नौकरी लग जाये तब मुझे लौटा देना
और अक्षय के बार बार जोर देने पर वह पुणे चला गया था।
वह अपने दोस्त के पास रहकर नौकरी के लिए प्रयास करने लगा।पर उसे सफलता नहीं मिली औऱ कही महीने गुजर गए तब वह दोस्त से बोला
मैने यहाँ आकर गलती कर दी
क्यो
जयपुर की नौकरी भी छोड़ आया और यहाँ पर नौकरी भी नही मिली।यहाँ मुझे उम्मीद नही है।वापस लौट जाता हूँ।
नही यार कुछ दिन और देख ले
और अक्षय के समझाने पर देवेन कुछ दिन और रुककर नौकरी ढूढने के लिए तैयार हो गया।
और आखिर काफी प्रयास के बाद उसे वो नौकरी मिल ही गयी जो वह चाहता था।और उसकी नौकरी पुणे की एक कम्पनी में लग गयी थी।
और वह पुणे सेबैंग्लोर चला गया था।और नौकरी लगने के बाद मा उस पर शादी करने का दबाव डालने लगी।लेकिन वह शादी करना नही चाहता था।और वह लगातार मना करने लगा।मा ने कई लड़को से बात चलाई पर उसने मना कर दिया।पर कब तक आखिर में उसे तैयार होना पड़ा।
देवेन की शादी का निमंत्रण मुझे मिला था।लेकिन मैं जा नही पाया केवल पत्नी ही गयी थी।शादी से वापस आकरपत्नी ने शादी के बारे में बताया था।देवेन की पत्नी का नाम था।
अदिति
अदिति यानी सम्पूर्ण,सबसे सुंदर ,सरश्रेष्ठ
अदिति नाम सुनते ही मैने मन ही म न में उसकी एक तस्वीर बनाई थी
लम्बी,छरहरी काया सूंदर नेंन नक्श और सांचे में तराशा शरीर मानो स्वर्ग से उतरी अप्सरा
और फिर बेंगलोर जाने के बारे में हम पति पत्नी में विचार हुआ और मैं एक दिन रिजर्वेशन करा आया।निश्चित दिन हम ट्रेन में सवार हो गए।लम्बा सफर करके हम दो दिन बाद बैंगलोर पहुंचे थे।स्टेशन पर देवेन आया था।वह हमें कार से लेकर घर पहुंचा घर पर पहुंचते ही अदिति पैर छूने आयी।
और उसे देखते ही मन मे बनाया उसका चित्र भरभरा कर टूट गया था
नाम चित्र से मेल नही खा रहा था